Bhartiyam Logo

All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Sep 9, 2020

 

सुशांत की मौत - सीबीआई और डी आई तथा अब एनसीबी !!





कहावत हैं की "” ना खुदा ही मिला ,ना विसाले सनम "” वही हो रहा हैं सुशांत की मौत की गुथी सुलझाने में | आत्म हत्या अथवा आतम हत्या के लिए मजबूर करना अथवा हत्या

इन तीन मुद्दो पर जांच एजेसी तो नहीं वरन मीडिया पूरी जांच कर रहा हैं !! एनसीबी के एक अफसर चैनल पर कहते पाये गए की आप लोगो से जो इनपुट मिल रहा हैं ,हम उस पर भी जांच कर रहे हैं ! वाह क्या बात हैं ! यानि सीबीआई की तरकीब अब काम नहीं आ रही हैं | शायद इसी लिए विवाद की केंद्र "रिया" को नशाखोरी के इल्ज़ाम में में जेल भेज दिया गया | यानि रिया को जेल भेजने का "”वादा"” तो पूरा ही हुआ , भले ही वह जमानत पर छूट जाये | कहने को तो होगा "”हमने पूरी कोशिस की पर अदालत ने हमे नाकाम कर दिया "” |

सुप्रीम कोर्ट की सिंगल जज बेंच के जुस्टिस ऋषिकेश जी ने सुशांत की मौत की जांच सीबीआई को सौपी थी --- बिहार में लिखी तत संबंधी प्राथमिकी के आधार पर ! कानून यह हैं की की घटनास्थल के छेत्र की पुलिस ही अपराध की जांच करती हैं | पर इसके उलट पटना की एफ आई आर जांच का आधार बनी ! और मुंबई में पहले बिहार पुलिस ने जांच की कोशिस की , जब बात नहीं बनी तब मौत की जांच सीबीआई को सौपी गयी | सीबीआई ने तुरत -फुरत मुंबई पहुँच कर डेरा डाला और आरोपियों को कई - कई दिनो तक सात से आठ आठ घंटो तक पूछ ताछ की पर कोई सुराग न मिला | तब एम्स की आठ डाक्टरों की टीम बुलाई --उसने भी घटनास्थल की जांच की -पर कोई हल ना निकला ! तब नरकोटिस कंट्रोल बोर्ड को काम पर लगाया गया | अभी तक मुख्य आरोपी रिया चक्रवर्ती समेत 10 लोगो को एनसीबी ने गिरफ्तार किया | जिसमें दो आरोपी दो दिन में ही जमानत पर बाहर आ गए ! एनसीबी के मुख्य जांचकर्ता श्री वानखेडे की अगुआई में हो रही गिरफ्तारिया ड्रग यानि की नशे की गोली और पाउडर की खरीद -फरोख्त की जांच कर रहे हैं | उनकी प्रशस्ति यह हैं की वे बड़े - बड़े फिल्मी लोगो के घरो पर छापा मार चुके हैं | कुछ को गिरफ्तार भी क्या ----पर किसी को भी सज़ा नहीं दिला पाये ! वैसे कहा जाता हैं की उनकी पत्नी भी अभिनेत्री हैं कुछ फिल्मों में काम भी किया हैं | वैसे जांच अधिकारी का "”हित"” अगर दिखाई पड़े तो उसे जांच से अलग कर देते हैं , पर यानहा ऐसा नहीं हुआ |

सवाल यह हैं की जांच होनी थी सुशांत की मौत के हालातो की , पर उसे मोड दिया गया की --- उसे ड्रग दी जाती थी या वह ड्रग लेता था? क्या उसकी मौत ड्रग के वशीभूत होने के कारण हुई ,अथवा किसी ने जबर्दस्ती उसे नशा दिया ?

फिलहाल यह तो दिखाई पड़ रहा हैं की सुशांत की मौत आत्म हत्या थी -तो क्या किसी ने उसे ऐसा करने पर दबाव डाला अथवा निराशा के कारण उसने ऐसा कदम उठाया ? फिलहाल यह तो साफ हैं की सीबीआई को कोई ऐसा सुराग हाथ नहीं लगा जिससे की रिया और उसके "”परिचितों"” को जांच के दायरे में लाया जा सके ! अब खबरिया चैनल भी दबी जबान से मान रहे हैं की इस मामले में किसी मंत्री को दबिश नहीं डी जा सकती हैं | क्योंकि सीबीआई का रेकार्ड रहा हैं की उसने कभी भी गिरफ्तारी के 90 दिन के अंदर अपनी जांच रिपोर्ट अदालत को नहीं सौपी हैं | हाँ न्यायिक हिरासत में आरोपियों को जेल में रखने का उनका कीर्तिमान हैं | उनका मुकदमो की सफलता का प्रतिशत किसी भी राज्य की पुलिस से "”कुछ"” कम ही हैं ! चूंकि सीबीआई के पास जांच के अमले और वैज्ञानिक साधन कनही अधिक हैं -----पर परिणाम उसके अनुपात में नहीं हैं | वैसे राजनीतिक कारणो से भी इस एजेंसी का प्रयोग भी होता रहा हैं -जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी टिप्पणी की थी "” सरकार का तोता "” , अतः अब यह तोता जब तक अपनी कारगुजारी दिखाता रहेगा --जब तक की दिल्ली से वापस आने का "”हुकुम "”नहीं आ जाता | एक खबर यह भी हैं की बिहार पुलिस के मुखिया भी इस मामले में जबर्दस्त दिलचस्पी दिखा रहे हैं | जब बिहार के नारी संरक्षण ग्रहो में लड़कियो को "”बड़े और रसुखदार "” लोगो के पास भेजे जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा तब उनकी पुलिस की काफी लानत - मलामत हुई थी | तब वे चुप रहे थे -तब दर्द नहीं हुआ था ? अब एक नवोदित राजपूत अभिनेता की रहस्यमय मौत पर जितनी "”तड़प" दिखाई दे रही हैं , वह क्या उनके भावी जीवन की प्लान का कारण तो नहीं ? कहते हैं की स्वैछिक अवकाश लेने के बाद भी दुबारा उन्होने सेवा में अपनी आमद दी ? आखिर क्यू ? क्या इसलिए ए सुशांत के बहनोई हरियाणा में पुलिस महानिदेशक हैं , जो उनके मित्र हैं ? अथवा विधान सभा चुनावो में राजपूत मतो को सत्ताधारी गठजोड़ की ओर मोड़ने का पैंतरा हैं ? खुद पंडित जी है अगर राजपूत वोट उन्हे मिल जाये तो तो सफलता निश्चित हैं | वैसे पंडित जी और राजपूत ज्यदतर एक -दूसरे के विरोधी खेमो में रहते हैं | बिहार और -उत्तरप्रदेश में यह आमबात हैं ,चुनावो के दौरान | अब इस पारंपरिक प्रतिद्वंदीता को मीडिया के प्रचार के सहारे कितना भुनाया जा सकता हैं , यह विधान सभा चुनावो के परिणाम बताएँगे ---- खैर वह तो अभी दूर की बात हैं | इंतज़ार रहेगा की अब इस मामले में आगे क्या "”” जांच "”” होती हैं ?