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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Aug 4, 2019


जम्मू -काश्मीर मैं सेना तैनाती ?


अफवाह -आशंका और अप्रत्याशित से -आज़ादी के अगस्त के अशांत होना?? |


आखिर केंद्र सरकार अभी तक यह नहीं साफ कर पा रही हैं की अचानक काश्मीर मैं इतनी फौज की तैनाती की वजह ---- क्या पाकिस्तान की ओर से कोई आक्रमण का खतरा हैं ? अथवा बरसात मैं घाटी मैं आतंकियो की घुसपैठ की आशंका हैं ? पर फौजी ट्रको और गाड़ियो की आवाजाही ने वनहा के लोगो के मन मैं डर जरूर पैदा कर दिया हैं | जो विगत सालो मैं पाकिस्तान से हुई लड़ाइयो के दौरान भी नह देखा -सुना गया था !!! पड़ोसी से झगड़ा कोई नयी बात नहीं है---- पर इस दौरान "”नागरिकों के मन मैं फौज और केंद्र सरकार के प्रति "”” इज्ज़त नहीं हो ---या उन्हे दोस्त की जगह दुश्मन समझे ऐसा शायद पहली बार हो रहा हैं |
फिलवक्त तो सरकार और -सेना द्वरा बस इतना ही कहा जा रहा हैं की ---खुफिया सूत्रो के अनुसार "”घाटी "” मैं आतंकवादी हमला होने के खतरे को देखते हुए – तीर्थ यात्रियो को और सैलानियों को काश्मीर छोडने को कहा गया हैं !!! बाते जाता है की अमरनाथ यात्रा के रास्ते मैं बहुत हथियार और बारूदी सुरंग तथा विष्फोटक बरामद हुए हैं ! आम तौर पर सेना बरमदगी को देशी - विदेशी पत्रकारो को दिखाये जाते हैं ----पर इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ ? जबकि विगत सप्ताह ही केंद्र देशी - विदेशी पत्रकारो के दल को घाटी की सैर कराने ले गए थे | फिर उन्होने भी ऐसे किसी खतरे के बारे मैं नहीं लिखा !!
परंतु देश का हाकिम कह तो रहा हैं की घबराने की कोई जरूरत नहीं हैं लेकिन घाटी के आई आई एम और आई आई टी मैं फ़इकेलटी ने संस्थानो के छात्रो को गहर वापस जाने को कह दिया हैं | साथ ही कालेज भी क्लासों को बंद कर रहे हैं | इसका अर्थ यह हुआ की औपचारिक रूप से इन संस्थानो को बंद करने का सरकारी फरमान नहीं जारी हुआ हैं , परंतु संकेत दे दिया गया है !!!! ऐसी ही हालत के बारे मैं इकबाल ने कहा हैं की "”” हाकिम को फिक्र हैं , पर आराम के साथ "” | अगस्त के अशांत होने की वजह एक और हैं --केंद्र ने राज्यपाल के जरिये लगभग 5000 ग्राम पंचायतों मैं 15 अगस्त को तिरंगा फहराने को कहा हैं | अब इस के लिए कौन इन स्थानो मैं जहनदा फहराएगा यह अभी साफ नहीं किया गया हैं --- की पंचायत के सदस्य इस काम को करेंगे अथवा राजस्व विभाग का कोई अधिकारी ! अब झण्डा नहीं फहराए जाने पर सरकार क्या कारवाई करेगी और किसके वीरुध करेगी ---यह साफ नहीं हैं | आशंका यही हैं की स्थानीय आबादी को देशद्रोह या राष्ट्रीय धव्ज़ के अपमान मैं कारवाई की जा सकेगी !
राष्ट्र का गौरव :- का मुद्दा बना कर फौजी गश्त को सख्त बनाया जाये , जिससे की स्थानीय निवासियों पर दबाव बन सके | परंतु इस दबाव के चलते हिंसक वारदाते हो सकती हैं ----जिसे गृह मंत्री अमितशाह नए कानून के तहत आतंकी कारवाई बता कर लोगो की अंधाधुंध गिरफ्तारिया की जा सकेगी ! तब घाटी मैं तनाव ही बदेगा | इस दौरान आतंकी संगठन भी ऐसी हरकत कर सकते हैं जो इस आग मैं घी का काम करेगी | तब केंद्र को बहाना मिल जाएगा की देखो दुनिया वालो हम मजबूर है इसे नियंत्रित करने को !!


धारा 35:- इसके तहत गैर कश्मीरियों को राज्य मैं जमीन खरीदने या संपति लेने की रोक हैं | अधिकतर लोग सोचते हैं की यह भारत के नागरिक के अधिकारो को बाधित करता हैं | परंतु देश की सीमा के छेत्रों मैं निश्चित दूरी पर गैर स्थानीय निवासी के रहने और संपति लेने पर रोक का प्रविधान पिछले चालीस सालो से है | उतराखंड - हिमाचल और अरुणाचल तथा सिक्किम मैं भी ऐसी रोक हैं | इसका कारण सुरक्षा हैं | धारछुला { पिथौरागढ} मैं भोटिया जनजाति के अलावा उस इलाके मैं किसी आँय के जाने पर पर्मिट लेना होता हैं | ऐसा ही अरुणाञ्चल और हिमञ्चल के सिमवारती जिलो मैं भी हैं | अब इसको हटाने से बंबई और दिल्ली के धनपती वनहा जाकर होटल--- रेस्तरां तथा अन्य व्यापारिक संस्थान खोल सकेंगे | ये वही लोग होंगे जिनहे "”राज्य की कृपा "” होगी | इसका दूरगामी परिणाम होगा की स्थानीय लोगो के शिकारे होटल और कालीन तथा तुष का धंधा ---इन गैर काश्मीरी लोगो के हाथ आजाएगा !!
इससे जनहा छेत्र की डेमोग्राफिक संतुलन बिगड़ेगा -वनह स्थानीय लोगो मैं आशंतोष भी बदेगा |
कुछ दशक पहले असम मैं भी गैर असमिया लोगो के व्यापार और शासन मैं काबिज होने पर वनहा के छात्रों ने राज्यव्यापी आंदोलन किया था | फलस्वरूप सालो से वनहा बसे बंगाली लोगो को असम छोडना पड़ा था | बाल ठाकरे ने भी मुंबई से दक्षिण भारतीयो और उत्तर भारतीयो { उत्तर प्रदेश तथा बिहार } के खिलाफ नगरत का माहौल बनाया था | काफी लोग बंबई से पलायन कर गए | परंतु अब उसी मुंबई मैं राजनीति हो या व्यापार सभी मैं इन लोगो की मौजूदगी हैं | एक समय मैं फिल्म इंडस्ट्री मैं मुसलमान अभिनेताओ पर भी शिवसेना का कहर बरपा था | परंतु अब वह नफरत का माहौल खतम हो गया | कुछ ऐसा ही माहौल 35 अ के हटने से हो सकता हैं |

अनुछेद 370 :- संविधान का यह हिस्सा जम्मू काश्मीर को अन्य प्रांतो के मुक़ाबले खास स्थान देता हैं | इसका क्या कारण था और क्या यह सही था अथवा नहीं इस पर बहस {गैर ज़रूरी } तो की जा सकती हैं | पर हक़ीक़त यही है की संविधान निर्माताओ ने --जिन परिस्थितियो मैं रियासत का विलय हुआ था , उनके मद्दे नज़र यह प्रविधान किया था | वैसे अभी तक संविधान मैं 100 से अधिक संशोधन किए जा चुके हैं | परंतु वे सभी तात्कालिक कारणो से किए गए | परंतु इस प्रविधान को हटाने का मतलब भी वही होगा की वनहा के लोगो की पहचान खतम हो जाएगी |
वैसे इस धारा {जैसा सरकार मैं बैठे लोग कहते हैं } का होना "”देश के अन्य राज्यो का अपमान हैं ! हक़ीक़त यह हैं की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ , जो की बीजेपी की जननी हैं ---उसका संविधान के लागू होने के बाद से ही 35 अ और अनुछेद 370 को हटाने को इज्ज़त की बात मान लिया था | इसके पीछे सिर्फ एक ही कारण दिखाई पड़ता हैं ----उनका मुस्लिम विरोध ! वैसे रियासत के तीन भाग हैं | जम्मू ---जनहा डोगरा और अन्य सनातनी लोगो का बाहुल्य हैं | काश्मीर यानि की घाटी --जनहा मुस्लिम आबादी का बाहुल्य हैं | तीसरा हैं लद्दाख जनहा बौद्ध और मुसलमान लोग हैं | यानहा सनातनी आबादी नहीं के बराबर हैं | रियासत के जमाने मैं जाड़े मैं राजधानी श्रीनगर से उठकर जम्मू आती थी – और आज भी वही चलन हैं | इससे दोनों ही छेत्रों के लोगो के मन मैं संतोष रहता था |
परंतु संघ के नेताओ के मन मैं काँग्रेस और महात्मा गांधी तथा पंडित जवाहर लाल नेहरू के प्रति "”” नफरत का भाव "” सदैव रहा हैं | महात्मा को राष्ट्र पिता की उपाधि किसने दी ? नेहरू -गांधी परिवार से द्वेष के कारण ही काश्मीर से भी नफरत हो गयी होगी | एवं मुस्लिम विरोध तो संघ का खुला और बीजेपी का "”अनकहा "” सत्या हैं

युगोस्लाविया का विघटन :- दूसरे विश्व युद्ध से पहले बने इस संघीय राज्य का विघटन नस्लीय विरोध के हिंसक हो जाने से हुआ | एक समय गुट निरपेक्ष आंदोलन के तीन बड़ो मैं शामिल युगोस्लाविया आज धर्म और नस्ल की हिंसक लड़ाई मैं छह देशो मैं विभाजित हो गया है | नस्ल और धर्म विभाजित तो बहुत करते हैं पर जोड़ते नहीं हैं ---ना ही इनके आधार पर बनी राष्ट्रियता ! भारत का ताज कनही हुक्मरानो की ज़िद्द से बर्बाद न हो जाए -बस यह एक डर हैं |