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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Oct 24, 2021

 

सेंसेक्स की ऊंचाई सिर्फ हजार कंपनियो की है -देश की नहीं !


यह वैसा ही हैं जैसा की देश की गरीबी -बेरोजगारी और भूख तथा बीमारी और दरिद्रता के अनचाहे पहाड़ पर सेंसेक्स का “”चाँदी का वर्क “” लगा कर सब कुछ सुंदर ही सुंदर दिखया जाये | अखबार हो या की खबरिया चैनल सभी स्टॉक एक्स्चेंज के साठ हज़ार के मंसब पर पहुचने को देश के विकास का संकेत और आर्थिक उन्नति का आधार बताते नहीं थकते | पर ऐसा हैं नहीं | स्टॉक एक्सचेंज केवल देश की दस हज़ार उन कंपनियाओ की नब्ज़ हैं जो उनके यानहा रजिस्टेरेड हैं | इनकी स्म्रधी और रईसी केवल लाख लोगो तक ही पाहुचती हैं | देश के 125 करोड़ की आबादी का व्यापारियो के इस खेल से कोई ना मतलब हैं और ना ही कोई असर हैं | इसको यू समझाए की जिनके पास इतनी बचत हैं की वे अपनी रोजर्रा की ज़िंदगी की जरूरतों और बच्चो की अध्ययन और स्वास्थ्य संबंधी आकस्मिक जरूरतों के लिए पर्याप्त वीटिया प्रबंध हैं -------- ऐसे ही लोग स्टॉक एक्सचेंज के शेयर मार्केट के खेल में शामिल होते हैं | अब ऐसे लोग आपके अगल बगल कितने मिलेंगे ? जरा खोज कीजिये ! जैसे शतरंज का खेल -या घुड़दौड़ में दांव लगाना उन लोगो का काम हैं , जिनहे घर चलाने के लिए काम करने की जरूरत नहीं हैं |

जिस देश में 30 प्रतिशत से ज्यादा आबादी गरीबी की रेखा के नीचे रहती हो और जिस देश को अंतर्राष्ट्रीय हाँगर इंडेक्स में 101 नंबर पर स्थान हो उस देश की आर्थिक हैसियत को सेंसेक्स से नापना स्त्ताधारियों और उनके उद्योगपतियों का शगल हो सकता हैं | जो समाज में मौजूद आर्थिक विषमता की खाई को और बढ़ाता हैं | कोविद काल में जब देश के सभी वर्गो की आय और आर्थिक स्थ्ति खराब हुई थी ---तब सरकार चलाने वाले दो घरानो अंबानी और अदानी की संपती में छलांग लगाती हुई बढ़ोतरी हुई | ऐसा सेंसेक्स का बाज़ार बताता हैं ! अब त्योहार के अवसर पर देश में बाज़ार के क्या हाल हैं < यह पता करना मुश्किल नहीं हैं | कोविद काल से ज्यादा जींसों की मंहगाई ने 125 करोड़ लोगो को मार रखा हैं | खाने - पीने की वस्तुओ के दाम इस समय अतिहासिक रूप से सर्वाधिक ऊंचे पायदान पर हैं | खनिज तेल यानि पेट्रोल और डीजल के भाव तो रोज ऐसे बदते हैं --जैसे भागवत की कथा करने वाले पंडित जी यजमान से नवग्रह की पुजा कराते वक़्त हर स्थान पर सवा -सवा रुपया करके काफी जेब खाली करा लेते हैं | वैसे 60 रुपये प्रति लीटर जब पेट्रोल का दाम था तब कुछ पैसो की बदोतरी भी आम आदमी की शिकायत का कारण होती थी | परंतु आज सैकडा पार पेट्रोल और डीजल प्रति लीटर का भाव होने पर देश की आबादी की बेबसी ही हैं | ना कोई विरोध और ना कोई आंदोलन ---लगता हैं जनता अपने कर्मो का फल भोगने के लिए तैयार है !

इस स्टॉक एक्सचेंज का खेल वैसे ही है जैसे सरकारो के विकास के बड़े - बड़े विज्ञापन , जिनमे नेता या अधिकारी भविष्य की उन्नति का दावा करते हैं , परंतु वर्तमान दुर्व्यसथा की हालत को बताने की हिम्मत नहीं दिखा पाते | उदाहरण के लिए प्रधान मंत्री मोदी की ग्रामीण छेत्रों में उज्जवल्ला योजना के तहत पहली बार गॅस की भरी टंकी या सिलेन्डर और चूल्हा बंता गया था | आज साल भर बाद वे ग्रामीण फिर कांदा और जलावन की लकड़ी से चूल्हा जला रहे हैं | क्यूंकी 800 रुपये का गॅस सिलेन्डर भरने की "””हैसियत"” इन किसानो की नहीं हैं !!! परंतु पेट्रोल पम्पो पर मोदी ज की इस योजना का गुणगान वनहा लगे होर्डिंग पर जरूर हैं | जैसे उज्ज्वला का सिलेन्डर गावों में जितना "””सफल हैं "” उतना ही सेंसेक्स से देश का विकास हैं | अर्थात दोनों ही सत्य या हक़ीक़त नहीं हैं |


2- दो घरानो का देश के व्यापारिक जगत में एकाधिकार

::--- देश के दो औद्योगिक घराने अब व्यापार के छेत्र में एकाधिकार करने की ओर अग्रसर हैं | नेहरू - इन्दिरा काल में एकाधिकार को रोकने के लिए कानुना था , जिससे बाज़ार में स्वास्थ्य प्रतियोगिता निश्चित की जाती थी | उन औद्योगिक घरानो को किसी नए उद्योग अथवा व्यापार शुरू करने के पूर्व केंद्र से अनुज्ञा लेने पड़ती थी | इस प्रतिबंध का उद्देश्य यह था की बाज़ार में "”स्वास्थ्य प्रतियोगिता बनी रहे और जो बड़े है -वे बड़े उद्योगो में निवेश करे ना की माध्यम और छोटे उद्योगो और व्यापार में घुस कर वनहा के व्यापारियो को गलकाटू प्रतिशपरधा में फंसा दे |

परंतु नरसिम्हा राव के काल में विदेशी निवेश को खुली छूट देने और एकाधिकार को प्रतिबंधित करने के नियमो इतना "”शिथिल "” किया गया की उद्योग की बड़ी पूंजी से छोटे -छोटे व्यापार करने वाले लोगो को या तो खरीद लिया गया अथवा बाजार में नुकसान सहकार भी अपना माल या सेवाए बेच कए प्रतिद्व्न्दी को बाहर कर दिया | दूरसंचार के छेत्र की सरकारी कंपनी को "”सरकार ने जानबूझ कर कमजोर किया "” परिणाम स्वरूप बीएसएनएल को प्रतियोगिता में भाग लेने से रोकने का शासकीय आदेश दिया गया |

आज हम देख रहे हैं की अंबानी खुदरा पंसारी की दुकान यानि की बाज़ार में व्यापार करे | अब वे जेव्व्लरी हो या सोने के गहने हो अथवा फैशन के कपड़े हो सभी मौजूदा कंपनियो को खरीदते जा रहे हैं | अभी अभी ही उन्होए दो फैशन की बड़ी कंपनियो के शेयर खरीद कर उनकी आपसी प्रतिस्पर्धा को समाप्त कर दिया | फलस्वरूप अब उनका इस व्यापार पर "”एकाधिकार "” हो गया | वैसे अंबानी घराने की लालसा को सरकार नियंत्रित करे ----ऐसा तो कोई सोच भी नहीं सकता | क्यूंकी टेक्सटाइल से शुरू हुए इस घराने अब खनिज तेल के धंधे में सऊदी अरब की कंपनी "”आरामको "” को शामिल कर के भारत सरकार की राष्ट्रीय कंपनियो को खुली चुनौती दे दी हैं | वैसे ही मोदी सरकार "”नवरतन "” यानि की सार्वजनिक छेत्र के संस्थानो को सफेद हाथी बताते हुए अथवा सरकार को व्यापार नहीं करना चाहिए के सिधान्त को बघारते हुए , मोदी सरकार बन्दरगाह और हवाई अड्डे तो अदानी घराने को सौंप ही चुकी हैं | अब वह दिन दूर नहीं जब "””” भारतीय "”” कंपनीया सिर्फ अंबानी और अदानी के नाम से जानी जाएंगी | यह भारत का अंबानी और अदानी करण होगा , जो अत्यंत दुर्भ्ग्यपूर्ण होगा | क्यूंकी व्यापार के लिए सरकार गिरवी हो जाएगी |

Oct 8, 2021

 

लखीमपुर कांड

यौगी सरकार की नियत पर संदेह और पुलिस नाकारा !


संभवतः आज़ादी के बाद सर्वोच्च न्यायालय में किसी प्रदेश की प्रशासनिक मशीनरी और राजनैतिक नेत्रत्व पर इतने कड़े संदेह व्यक्त किए और उनकी नियत पर भी शक ज़ाहिर किया | इसके पहले भी यू पी के मुख्य मंत्री कल्याण सिंह ने अदालत में शपथ पत्र दाखिल किया था -जो झूठ सिद्धह हुआ तब भी सुप्रीम कोर्ट ने उन्हे एक दिन की क़ैद की सज़ा दी थी | जो उन्होने सुप्रीम कोर्ट में बैठ कर काटी थी !!!!

सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश रमन्ना ने शुक्रवार को खुली अदालत में लखीमपुर -खेरी में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीस मिश्रा जो चार किसान आन्दोलंकारियों को कुचल कर मार डालने के आरोपी हैं , उनकी गिरफ्तारी नहीं होने पर रोष व्यक्त किया | उन्होने यू पी सरकार के वकील हरीश सालवे से सवाल किया की "”” क्या हत्या के आरोपियों के साथ ऐसा ही व्यवहार होता हैं , की उनके घर पर जा कर सम्मन चिपका दिया जाये ? उन्हे क्यू नहीं गिरफ्तार किया जा सका | सालवे ऐसे बड़े वकील का यह तर्क की "पोस्ट मार्टम में गोली लगने का सबूत नहीं मिला हैं "” अब सवाल यह हैं की अदालत ने यह नहीं पूछा था की किसानो की मौत गोली से हुई थी अथवा कार से कुचले जाने से हुई ? जौस्टिस रमन्ना ने कहा की इस कांड की जांच स्थानीय पुलिस जन कर रहे हैं ---उनसे न्याया की उम्मीद नहीं की जा सकती हैं | अदालत ने पूछा की क्या इस घटना की जांच किसी और एजेंसी से कराई जा सकती हैं < तब सालवे जी ने कहा सीबीआई से ---इस पर जज साहब ने कहा की सीबीआई के बारे में हम बहुत कुछ जानते हैं पर कहना नहीं चाहते !

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सुप्रीम्म कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से कहा गया की अगर शनिवार को अशीस मिश्रा पुलिस के सामने पेश नहीं होते है तब उनके खिलाफ वारंट जारी किया जाएगा ! वैसे यह वही पुलिस हैं जो हत्या के आरोपियों की गिरफ्तारी में असफल होने के बाद उनके घरो को बुल्ल्दोजर से खोद डालती हैं | योगी जी का हुकुम हैं की अगर आरोपी अगर ना मिले तो घर नेस्तनाबूद कर दो | पर योगी आदित्यनाथ की यह हुंकार लखीमपुर कांड में मिमिया रही है | छाए कानपुर के विकास मिश्रा रहे हो अथवा अंसारी के भाई का भवन हो सभी को बिना न्यायिक आदेश के मिट्टी में मिला दिया गया हैं |

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अदालत के सवालो से बौखलाए योगी जी ने हाइ कोर्ट के सेवानिव्रत जज प्रदीप कुमार श्रीवास्तव को इस घटना की जांच के लिए नियुक्त किया हैं | परंतु जिस प्रकार सुप्रीम कोर्ट ने "”कहा की इस घटना की जांच के लिए किसी और एजेंसी हो सकती हैं ? यह एक संकेत हो सकता हैं की उत्तर प्रदेश सरकार के हाथ से जांच का अधिकार लेकर किसी अन्य निकाय से सम्पूर्ण प्रकरण की जांच कराई जाये | क्यूंकी अदालत ने अपना रुख साफ करते हुए कहा की लोगो को न्याया मिले और ऐसा लगे की न्याय हुआ हैं | यह बहुत महत्वपूर्ण संकेत हैं \ क्यूंकी योगी जी ने खुद अपने खिलाफ आपराधिक मुकदमो को इलाहाबाद हाइ कोर्ट की सहमति से वापस करा लिया हैं | मुजफ्फरपुर कांड में जिसमें हिन्दू जाटो ने मुस्लिमो पर गाय काटने के आरोप में भीड़ बना कर हमला किया था | अखिलेश यादव सरकार ने 70 से अधिक लोगो के खिलाफ मुकदमा दायर किया था | परंतु योगी सरकार ने हत्या के आरोपियों के वीरुध चल रहे मामले वापस ले लिए | इसी प्रकार बुलंदशहर में मुस्लिमो के धार्मिक "””इजतिमा"” को खराब करने के लिए बजरंग दल और आरएसएस के समर्थको ने वनहा के पुलिस इंस्पेक्टर की हत्या कर दी | पर महीनो तक संघ कए कार्यकर्ता और बजरंग दल के संयोजक के खिलाफ कोई कारवाई नहीं हुई | सबसे दुखद बात यह थी की इस घटना पर ना तो वारिस्थ पुलिस अधिकारियों ने और ना ही राज्य शासन ने कोई कारवाई की |

इस संदर्भा में सुप्रीम कोर्ट का यह सोचना वाजिब ही हैं की ---योगी सरकार और उनकी पुलिस इस मामले में दोषियो को दंड नहीं दिलाएगी ,वरन उसे बचाने का काम करेगी | रविवार को हुई इस दुखद घटना के बाद अतिरिक्त महानिदेशक -शांति व्ययस्था और आयुक्त राकेश टिकैत को लेकर इस मुद्दे को शांत करने के लिए तीन म्र्तक किसानो के परिजनो को 45 -45 लाख और नौकरी देने का वाद कर आए | उनका मकसद था की किसान कनही मारे हुए किसानो की लाश को लेयकर धरणे पर बैठ गए तब राज्य में और पड़ोसी प्रदेसों में हिंसा की लहर भड़क जाएगी | मारे गए किसान सिख हैं और किसान आंदोलन में 11 माह से ज़ाट और सिख तीनों क्रशि कानूनों काहुके हैं | विरोध कर रहे हैं | इन आंदोलन करियों के 00 से अधिक साथी प्राण गंवा चुके हैं |

परंतु अब मामला मुआवजे से बहुत आगे बाद गया हैं , पंजाब और छतीसगरह सरकारो ने चार किसानो और एक मारे गए पत्रकार को 50 - 50 लाख देने की घोसना की हैं |

इन संदर्भों में सुप्रीम कोर्ट 20 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट खुलने के बाद क्या फैसला लेता हैं म यह देखने वाली बात होगी |

फिलहाल तो योगी जी और उनकी पार्टी के नेता अगले 12 दिन तक तलवार की धार पर खड़े रहेंगे जब तक सुप्रीम कोर्ट जांच और पुलिस कारवाई पर कोई कारवाई नहीं करे |

Oct 7, 2021

 

लखीमपुर कांड के आरोपी अशीस मिश्रा को बंदी बनाएगी ??



कल मैंने लिखा था "”चार किसान और चार भाजपाई "”की मौत , वह तथ्यात्मक रूप से सही नहीं था , वास्तव में चार किसान और एक पत्रकार भी कुचला गया था और तीन भाजपाई कार के पलटने से मरे थे | पर योगी सरकार उन्हे भी "”शहीद "” मान कर 45 लाख दे रही हैं |

परंतु गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में प्रधान न्ययाधीश रमन्ना ने उत्तर प्रदेश सरकार के वकील से पूछा की आप कह रहे हो की न्यायिक जांच कराएंगे , पर कौन कर रहा हैं यह जांच ? इस पर जवाब न मिलने पर प्रधान न्यायधीश ने शुक्रवार को अदालत में पुलिस की प्राथमिकी और घटना से जुड़े सभी दस्तावेज़ जमा करने के आदेश दिये | उन्होने यह भी पूछा की अभी तक क्या कारवाई हुई हैं ? तथा अल्लहबाद हाइ कोर्ट में इस संबंध में जो भी जानकारी दी गयी है ---उसे भी सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जाये ! अदालत इस मामले में शासन और पुलिस की कारवाई से संतुष्ट नहीं लग रहे थे ! ऐसी खबर आ रही हैं की उत्तर प्रदेश पुलिस ने "””किनही दो लोगो को इस मामले में गिरफ्तार किया हैं ! परंतु ऐसा संभव हैं की सुपीम कोर्ट द्वरा स्वयं संज्ञान से लखीमपुर -खीरी कांड को सुनवाई के लिए लिए जाने से मोदी और अमित शाह चिंतित हैं तो मुख्य मंत्री भगवधारी योगी आदित्यनाथ परेशान हैं | यद्यपि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को वे अपना कंटक मानते हैं | परंतु इस समय सरकार और पार्टी की छवि पर खतरे को देखते हुए वे ----पुलिस को मंत्री के पुत्र आशीस मिश्रा को आज रात बंदी बनाकर कल सुप्रीम कोर्ट में जवाब दे सकते हैं की प्राथमिकी में लिखे आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका हैं | हालांकि यह गिरफ्तारी घटना के पाँच दिन बाद होगी और वह भी तब जब काँग्रेस नेता प्रियंका गांधी और राहुल गांधी तथा समाजवादी नेता अखिलेश यादव ने बार -बार आरोपियों को गिरफ्तारी की मांग की थी | मतलब यह की राजनेताओ से ज्यादा "”” डर "” योगी सरकार को अदालत के "”” कोप "” का हैं | क्यूंकी सुप्रीम कोर्ट को योगी अथवा बीजेपी के नेता पक्षपात का आरोप नहीं लगा सकते |

अब बात पत्रकार रमन कश्यप की मौत को गोदी मीडिया द्वरा किसानो की लठियों से होने का दुष्प्रचार की पोल म्र्तक पत्रकार के भाई का इंटरव्यू खोलता हैं जिसमें चैनल के पत्रकार उनसे बार -बार कहलन चाहते हैं की मौत किसानो के हाथो से हुई | पर उन्होने कहा की पोस्टमारटम में उनकी मौत सिर पर कार से लगी चोट के कारण हुई हैं | उन्होने चैनल आजतक का नाम भी लिया जो उनसे कीससनों के वीरुध कहलाना चाहते थे | इस संदर्भ में किसान नेता राकेश टिकैत का यह बयान महत्व पूर्ण हो जाता हैं की "””” अबकी बार मीडिया हाउस निशाने पर हैं "” उन्होने कहा की या तो वे सुधार जाये और जो जमीन पर घाट रहा हैं उसको दिखाये अथवा किसानो के कोप के भागी होंगे | हालांकि उनका यह बयान असान्न संकट का संकेत हैं , क्यूंकी मीडिया हाउस का प्रतिनिधित्व मौके पर कोई पत्रकार ही करता हैं , जो अपने मालिको के दिशा -निर्देशों के अनुसार सवाल पूछता हैं और खबर भेजता हैं | अब उसमे काट छांट तो स्टुडियो में बैठा एंकर ही करता हैं | जिसके लिए घटना स्थल मौजूद पत्रकार को दोषी नहीं बतया जा सकता |

अगर शुक्रवार को पुलिस अपनी कारवाई में किही अज्ञात लोगो की गिरफ्तारी दिखा कर लीपापोती करेगी तब भी उसे सुप्रीम कोर्ट के कोप का भजन होना पड़ेगा | यह योगी सरकार की पुलिस द्वरा शासन चलाने की तरकीब का खुलासा होगी |





Oct 6, 2021

 

लखीमपुर खीरी – मुद्दा चार किसान बनाम चार भाजपाई का



पीतरपक्ष में योगी आदित्यनाथ को जो "””अनायास "” झटका लगा हैं , उसने अयोध्या की "” भव्य"” रामलीला के शोर को ढक दिया हैं | वैसे पंडित इसे पित्र पक्ष कहेंगे , परंतु उत्तर प्रदेश के ग्रामीण छेत्रों में इसे पीतर पक्ष या गरुए दिन भी बोलते है | गरुआ माने "”” भारी "” अब आदित्यनाथ जी को यानहा बड़ा योग लगाना पड़ेगा | वैसे 11 माह से देश में निरंतर चल रहे किसान आंदोलन को केंद्र सरकार - और बीजेपी की राज्य सरकारो का विरोध झेलना पड़ रहा हैं !

इसलिए जब लखीमपुर खेरी में किसान उप मुख्य मंत्री के विरोध के लिए गए तब , इलाके के "”दबंग "” और केंद्र में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को गुस्सा आना स्वाभाविक था | वैसे केन्द्रीय राज्य मंत्री जिले की नामी -गिरामी हस्ती हैं | उनके खिलाफ आपराधिक प्रकरणो की सूची हैं | अनेकों मुकदमें में एक ऐसा हैं , जिसकी सुनवाई गत सात सालो से नहीं हो पायी हैं !! इस हत्या के केस के कारण ही शायद केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री के वीरुध "”” हिस्टरी शीट थाने में खुली थी !!! अब लोकसभा चुनाव के बाद दिल्ली में जब मंत्री बनाने की बारी आई ---तो उन्हेआ'’’’’’’’’’’ समुचित भार "” केंद्रीय गृह मंत्री द्वरा दिया गया < जो स्वयं भी इस भार के भुक्त भोगी थे | हाँ बाद में जिस न्याधीश ने इनको ज़िलाबदर किया था | उसको काफी तकलीफ उठान पड़ी ! जब महाराष्ट्र में इस मामले को सुनवाई के लिए भेजा गया तब नागपूर के उस ज़िला न्यायाधीश की रहस्यमय स्थितियो में हत्या हो गयी | हाँ जिस वकील ने गृह मंत्री की पैरवी की थी ---वे आज सुप्रीम कोर्ट के जज हैं और किसी दिन प्रधान न्यायधीश का पद सम्हालेंगे !!

यह तो हुई तथ्यो की विवेचना , अब हमे बीजेपी नेताओ के बयान भी सुनने चाहिए , उनके अनुसार "”” घटना अत्यंत दुखद हैं – हमे संवेदना हैं किसानो केसाथ , परंतु हमारे चार कार्यकर्ता भी मारे गए हैं , क्या वे नागरिक नहीं थे ? आंदोलन कर रहे किसानो के मध्य जाने की क्या ज़रूरत थी ? क्या पोस्टमारटाम में किसानो की मौत मोटर से दबने से नहीं हुई | अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा हैं की अपनीजीवन रक्षा और परिवार की रक्षा के लिए "”कानुन को हाथ में लिया जा सकता हैं "”| इस संदर्भ में अगर हम तथ्यओ को परखे तो कार से कुचले जाने के बाद उत्तेजित किसानो द्वरा गाड़ियो पर हमला स्व्भविक ही हैं | वैसे यू पी के अति महानिदेशक शांति व्यवास्था जो अपनी मुछ के लिए और बिना कानून समझे ब्यान देने के आदि है ---- उन्होने '’जिस त्वरित गति से टिकैत जी को '’’साधा '’’ व उनकी तिकड़म की सफलता का उदाहरण है | हाथरस में आदिवासी कन्या के बलात्कार के आरोप के जवाब पर उन्होने अखबार वालो को बताया था की '’’बलात्कार हुआ ही नहीं '’ हालांकि सीबीआई ने अपनी जांच में उन्हे "””झूठा साबित कर दिया "!!

अब बात मुआवजे की – टिकैत के साथ की साझा प्रैस कोन्फ्रेंस में प्रशांत कुमार जी ने कहा था की 45 लाख का मुआवजा सिर्फ "””किसानो को दिया जाएगा "” | उस दिन भी 8 लोगो के मरने का तथ्य था | लेकिन आज योगी के मंत्री सिधार्थ सिंह ने आजतक चैनल पर कहा की किसान मारे हैं तो हमारे कार्यकर्ता भ मारे गए हैं | इस लिए 45 लाखा का मुआवजा 8 म्रतक के परिवारों को दिया जाएगा !!!!!!! ऐसा इसलिए करना पड़ा की पंजाब और छतीसगरह के मुख्य मंत्रियो ने चरो किसानो को 50 -50 लाख का मुआवजा देने का ऐलान किया |

उधर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय शर्मा के पुत्र के वीरुध अशीस मिस्र टेनी के खिलाफ पुलिस ने प्राथमिकी में नाम दर्ज़ किया हैं | परंतु बुधवार को दिल्ली में हुए राजनीतिक परिवर्तन के बाद पिता अजय मिश्रा और पुत्र अशीस मिश्रा टेनी के वीरुध कोई कारवाई "””” नहीं होगी "”” क्यूंकी अजय मिश्रा को एक तरह से मोदी और -शाह ने अभयदान दे दिया है |

तो यह हुआ किसानो के सामूहिक हत्याकांड का परिणाम , अब सवाल यह हैं की किया क्या समग्र विपक्ष और राहुल तथा प्रियंका की किसानो को इंसाफ दिलाने की कोशिस बेकार जाएगी |