Bhartiyam Logo

All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Aug 2, 2019


अयोध्या मंदिर और उन्नाव बलात्कार की रोज - बरोज सुनवाई क्या संदेश हैं ?


सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगई की पीठ द्वरा जिस प्रकार बीजेपी के बाहुबली विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर चल रहे बलात्कार -हत्या - जान से मारने की धम्की आदि के चार मामलो की सुनवाई के लिए ,उत्तर प्रदेश से इस मामलो की सुनवाई राज्य के बाहर दिल्ली मैं कराये जाने का ,का निर्देश दिया ---- उसने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के "”रामराज्य"” की हक़ीक़त को सार्वजनिक कर दिया हैं ! परंतु ठाकुर मुख्यमंत्री अपने जाति के विधायक को जिस प्रकार का "”बेशर्मी "” से संरक्षण दिया ,वह उनके भगवा वस्त्र और उनके संवैधानिक पद की शपथ और उसकी मर्यादा को तार-तार कर देता हैं | परंतु गाव मैं एक कहावत कही जाती है "” बेशरम के रूख उसके लिए छाह 'होती हैं |
सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई द्वारा पीड़िता के पत्र को देखने के बाद जिस प्रकार कहा की यह क्या हो रहा ? कानून का राज कान्हा हैं ! यह ना केवल योगी सरकार वरन मोदी सरकार पर भी एक बदनुमा धब्बे की तरह हैं !! आखिर देश की न्यायपालिका देश और प्रदेश की सरकारो द्वारा आम आदमी के अधिकारो की अनदेखी और प्रशासन तंत्र द्वारा सत्ता धारी दल के नेताओ की चेरी बन कर ---संविधान के प्रति ली गयी अपनी शपथ की धज्जिया उड़ा रहा हैं |

इस मामले की सुनवाई के साथ ही अयोध्या मंदिर मैं समझौते के लिए बनी समिति की रिपोर्ट भी पेश हो चुकी हैं | उस पर भी रोज - बरोज सुनवाई करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट दे चुका हैं ! अब आगे के दिनो मैं देश के अखबारो मैं इन सुनवाइयो का प्रकाशन होने की पूरी उम्मीद है | {{अगर कोई राजनीतिक दबाव नहीं डाला गया , जिसकी संभावना पूरी तरह हैं }}
क्योंकि बीजेपी के सोशाल मीडिया की पूरी कवायद हैं की --देश का ध्यान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की डिस्कवरी चैनल , पर उनके उपदेश और वार्ता को "”राष्ट्रीय महत्व "” बताने की हो | अब इस देश के नागरिकों को ही यह देखना होगा की ,क्या महत्वपूर्ण हैं ? नागरिक की आज़ादी को राज्य और उसकी एजेंसी द्वरा कुचले जाने और "व्यवस्था के गैर कानूनी रूप से इस्तेमाल "” का उजागर होना ज्यादा जरूरी हैं ------अथवा मोदी जी का जंगल भ्रमण अथवा मंदिर को लेकर सनातनी और इस्लाम के बंदो को बाटने की साजिश ?

उनाव के बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को जनता के दबाव मैं बीजेपी के नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने पार्टी से नहीं निकाला --वरन उन्हे सुप्रीम कोर्ट द्वरा पार्टी के इस कुल अंगार सदस्य के मुकदमो की सुनवाई उत्तर प्रदेश से बाहर किए जाने और तथा नियत समय मैं जांच किए जाने के निर्देश के बाद हुई हैं ! क्योंकि समय नियत कर दिये जाने से अब सीबीआई की जांच पर अदालत की नज़र रहेगी | तथा उन्नाव की अदालत मैं चल रहे मामले को दिल्ली की तीस हजारी अदालत मैं ट्रांसफर किए जाने और प्रतिदिन सुनवाई होने के निर्देश के बाद अब कोई "” कानूनी बहाना "” नहीं चल सकेगा | तथा तीस हजारी अदालत का रुख भी सख्त रहेगा |

लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल कालेज के ट्रोमा सेंटर मैं वेंटिलेटर पर पड़ी पीड़िता और उसके वकील को दिल्ली लाने पर , सीबीआई के वकील की दलील कितनी "”लाचार "” थी , उनका कहना है था की हवाई जहाज से लाने का इन्तजाम करने मैं समय लगेगा !! यह नहीं कहा की कितने समय मैं हम उसे दिल्ली ले आएंगे !!! प्रधान न्यायाधीश द्वारा के बार -बार कहे जाने पर सरकार और सीबीआई ने आश्वास्न दिया | अब किसी मरीज को दिल्ली या मुंबई के अस्पताल मैं इलाज़ के लिए , सरकार या उसके किसी नेता अतवा किसी मंत्री को दिल का दौरा पड जाये तो तुरंत - फुरत मेडिकल अंबुलेंस सुलभ करा कर कुछ घंटो मै ही दिल्ली के वेदांता मैं भर्ती करा दिया जाता हैं ! ऐसा हमेशा होता हैं | अभी योगी जी की छाती मैं दर्द हो तो मेडिकल अंबुलेंस तुरंत हाजिर हो जाएगी !!! उत्तर प्रदेश सरकार और सीबीआई का रुख इस मामले मैं जितना घटिया रहा हैं ----वह उनकी नियत और उनपर सरकार के दबाव का ही नतीजा हैं |
अब इसी तारतम्य मैं अयोध्या मंदिर विवाद के मामले को देखे ----- जैसे ही वह सुनवाई शुरू होगी , उन्नाव मामले को अखबारो और चैनलो मैं प्राथमिकता मिलना बंद हो जाएगी | क्योंकि वह "”हिन्दू -मुसलमान "” का जो मामला हैं < जिसे बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के एजेंडे मै प्राथमिकता मिली हुई हैं !!

जांच एजेंसियो की जवाबदेही ?
उन्नाव मामले मैं पुलिस और सीबीआई की जांच जिस ढंग से चली ---वह साफ - साफ इंगित करता हैं की योगी सरकार कुलदीप को बचाने के लिए मामले की जांच को इतना लंबा खींचना चाहता था की यह लोगो की याद से उतार जाये | परंतु संयोग देखिये की जब केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह मुख्य मंत्री आदित्यनाथ के शासन को शाबाशी दे रहे थे ----उसी समय रायबरेली से लौट रही पीड़िता की कार को ट्रक ने टक्कर मार कर दो लोगो को स्वर्ग भेज दिया था !!! अमित शाह ने कहा की योगी जी ने अनुबाव नहीं होने के बाद "”बहुत मेहनत से "” शासन चलाया , जिसके लिए वे बधाई के पात्र हैं !!! अब यह संयोग मात्र ही था क्या | 1917 जुलाई से जब से कुलदीप सिंह सेंगर पर मुकदमा चला तब से ही ---- सरकार का रुख था की "अब मामला खुल गया हैं तो ठीक ,परंतु जेल मैं माननीय विधायक जी को "” जैसा की तत्कालीन पुलिस के डायरेक्टर जनरल ने बलात्कारी अभियुक्त को संबोधित किया था "”” | जो यह साबित करता हैं की सरकारी अमले को सरकार का क्या "” इशारा "” |

पीड़िता द्वरा मुख्यमंत्री और राज्यपाल को पत्र द्वरा बार - बार शिकायत किए जाने के बाद भी जब आदित्यनाथ सरकार ने कोई कारवाई नहीं की ,तब अदालत मै पीड़िता फरियदी ने शिकायत की | जनहा से विधायक जी के खिलाफ मुकदमा हर्ज़ हुआ | परंतु इसी बीच पीड़िता के पिता को पुलिस ने गिरफ्तार आर्म्स अक्त लगा कर हवालात मैं इतना मारा की वह मर गया !! मामला हाथ से निकलते देख भगवा वस्त्र धारी योगी आदित्यनाथ ने मामले की जांच सीबीआई के हवाले की ,और कहा अब सच -और झूठ का पता चल जाएगा | पर क्या हुआ ? विधायको और सांसदो के लिए बनी विशेस अदालत मैं इस मामले को दाखिल करने के बजाय , पाकसो कोर्ट मैं चलन पेश किया ! अब मजे की बात देखिये की उस अदालत के जज का तबादला गोरखपुर हो गया | अदालत मैं कोई जज न होने से सुनवाई बंद ! 2017 की वारदात का चालान 2019 तक न होना ---आखिर इसके लिए कौन जिम्मेदार हैं ?? मुख्या मंत्री आदित्यनाथ ----या पुलिस अथवा सीबीआई के जांच कर्ता ?? जांच एजेंसियो की इस "”लापरवाही को नियतन की गयी हरकत ही मानना होगा "” | उत्तर प्रदेश सरकार ने हाइ कोर्ट से पकसो विशेस कोर्ट मैं जज की नियुक्ति के लिए क्यो नहीं कोशिस की ? सीबीआई के किस अफसर ने विधायक और सांसदो के लिए बने विशेस कोर्ट की बजाय पाकसो अदालत मैं चलन दाखिल किया ?? क्या उसकी इस हरकत के कारण हुई इस देरी का का कोई दंड उसे मिलना चाहिए अथवा नही???
जिन पुलिस अधिकारियों और सीबीआई अफसरो की लापरवाही के कारण अभियुक्त कुलदीप सिंह के हौसले इतने बुलंद रहे की की उसने पीड़िता और उसके वकील के साथ ही उसकी चाची और मौसी को भी मरवा दिया | ऐसे व्यक्ति को जन प्रतिनिधि बनवाने के लिए बांगर मऊ विधान सभा छेत्र के मतदाता ज़रूर अफसोस कर रहे होंगे |