नगरो का अनियोजित बढता आकार यानी कैंसर का विकास
नगरो का बढता आकर , बिल्डर्स के लुभावने विज्ञापन पुरे न हो सकने वाले वायदे और अखबारों में छपे मन मोह लेने वाला फ्लैट या सिंग्लेक्स अथवा डुप्लेक्स की तस्वीर , आम आदमी को स्वप्न लोक में पहुंचा देते हैं । परन्तु सच काफी कडुआ हैं । जब आम आदमी इन सब को देखता हैं ,तब वह भ्रमित हो जाता हैं । ज़िन्दगी की सारी -जमा पूंजी लगा कर एक आशियाना पाने की कोशिस कई बार मृग -मरीचिका साबित होती हैं । जब खुबसूरत तस्वीर का ज़मीन पर कोई वजूद ही नहीं होता । लोग कहेंगे और सरकारी मुलाजिम भी सलाह देंगे की उपभोक्ता संरक्षण अदालत में शिकायत करने का । परन्तु वे भूल जाते हैं की मुक़दमा लडने के लिए पैसा तो बचा नहीं हैं , क्योंकि बिल्डर ने सारी पूंजी तो पहले ही खा ली होती हैं । अब खाली जेब वह घर चलाये या मुक़दमा लडे , यही तो खरीदने वाले की मुश्किल हैं । अब पीडित व्यक्ति तो सरकार के पास ही जायेगा , परन्तु सरकार के पास उसे राह्त देने का कोई फौरी तरीका नहीं है । हाँ मास्टर प्लान के उल्लघन के लिए शासन बिल्डर को सजा दे सकती हैं , परन्तु इस कारवाई से भुक्तभोगी को राहत नहीं मिलती । कारन यह हैं की शासन की कारवाई से या तो मकान तोड़े जायेंगे या उन्हे पानी - बिजली की सुविधा घरेलु दर पर नहीं वरन कमर्शियल दर पर मिलेगी , जो काफी महंगी होती हैं । फ्लैट के मामलो में बिल्डर छत पर अपना अधिकार रखता हैं ,वह खुली हुई ज़मीन पर भी अपना अधिपत्य रखता हैं । अनेको बिल्डरों ने तो बेचे हुये आवासीय इक़इयो में तो किसी भी परिवर्तन के लिए खरीदारों को परमीसन लेना ज़रूरी कर रखा हैं । अब खरीददार की हैसियत एक किरायेदार जैसी हो जाती हैं ।
यह हैं उन ख़ूबसूरत विज्ञापनों का सच , जो खरीद के बाद पता चलता हैं । अब सवाल हैं की क्या बिल्डरों को विज्ञापन में किये गए वादे के लिए उसे सरकार मजबूर नहीं कर सकती ? अभी तक ऐसा कोई प्राविधान नहीं हैं , जिसके आधार पर गैर कानूनी कालोनी के कारण टूटने वाले मकानों का मुआवजा बिल्डर पर हो । पर अभी तक ऐसा प्राविधान हैं नहीं । यही एक परेशानी हैं जिसमें विज्ञापन के धोखे में फंसे नागरिक को कोई राहत नहीं मिलती हैं ।
अब मास्टर प्लान बना कर शासन एक विज्ञापन दे कर नागरिको को विश्वास दिलाता हैं ,पर वह इस सरकारी वादे को तोडने वालो को कोई सजा देने में और भुक्तभोगी को राहत देने में सरकार नाकाम हैं । अब इस गुत्थी का हल क्या हैं ? यही राह सरकार को दिखानी होगी अपने नागरिको को ,तभी इन गैर कानूनी कॉलोनियो का इलाज हो सकेगा ।