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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jan 30, 2022

 

नफरत से गांधी को मारा जा सकता है -पर हिटलर हारता ही हैं !


धरम के नाम पर अत्याचार रोमन साम्राज्य से शुरू हुए - ईसा के बाद उनके नाम पर पोप ने अनाचार किया फिर इस्लाम के नाम पर हमले हुए स्पेन तुर्की और ईरान ने जनसंहार देखा | इन घटनाओ में मारे गए लोगो की संख्या का अंदाज़ ही लगया जा सकता हैं | जैसे देश के विभाजन के दौरान कितने लोग मारे गए -इसका ब्यौरा और संख्या केवल आरएसएस के आईटी सेल वाले ही दे सकते हैं | सरकार नहीं !

दुनिया में युद्ध आदिम समय से होते रहे हैं | वे अपना प्रभाव और ज़मीन हथियाने को लेकर हुए | कुछ प्रतिशोध वश भी हुए -तो कुछ विश्व विजय के लिए हुए | सिकंदर और चंगेज़ खान आदि कुछ नाम हैं -इतिहास में | नेपलियन फ्रांस की राज़ क्रांति से जन्मा नायक था - जिसकी मौत कोरसिका के द्वीप पर बंदी के रूप में हुई | पर युद्धो के इतिहास में दूसरे विश्व युद्ध ने जो पाठ दुनिया को बतया वह भूलने वाला नहीं हैं | जर्मनी में जिस प्रकार हिटलर की पार्टी ने सत्ता पर कब्जा किया वह भी "” झूठ - और षड्यंत्र के प्रचार से ही किया था | राइख्तग को जलाने की घटना के लिए उसने साम्यवादियों को दोषी बताया और उनको चुन - चुन कर खतम किया | उसने देश की दुर्दशा के लिए कम्युनिस्टो को जिम्मेदार बताया | जनता से वादा किया की वह उनको खुशहाल ज़िंदगी देगा -भ्र्स्तचर मुक्त शासन होगा , पर जब ऐसा नहीं कर पाया तब उसने दूसरी चाल चली | उसने प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी की पराजय के लिए यहूदी व्यापारियो को जिम्मेदार बताया ! आरोप यानहा तक लगाया की यहूदी आपूर्ति कर्ताओ ने बारूद में "”रेत"” मिलाई थी !!! बस फ़िर क्या था लोगो में कुछ गुस्सा तो आया इस "”झूठे प्रचार से "” | परंतु तब तक एडोल्फ हिटलर सेना के सहारे सरकारी तंत्र पर कब्जा कर चुका था | फिर तो रोमन साम्राज्य की भांति "”सैल्यूट "” दाहिना हाथ बढाकर हिटलर की जय हो "” शुरू हो गया | फिर क्या था सम्पूर्ण यहूदी आबादी को जर्मन सेना खोज -खोज कर उन्हे "” पीला "” बंद हाथो पर पहनने का हुकुम जारी हुआ ! जिससे की उन्हे कनही भी पहचाना जा सके | जैसे आज इस्लाम के अधिकतर बंदे टोपी - कमीज -और पाजामा पहनते हैं | जिससे उनकी पहचान लोग करते हैं | पर बाकी मुसलमान पैंट और कमीज ही पहनते हैं | जैसा की हिन्दू लोग पहनते हैं | वैसे सिख और पारसी तथा जैन आदि आदि भी ऐसा ही पहनावा अपनाते हैं | परंतु पहनावे से धरम की पहचान दक्षिण भारत में करना कठिन हैं | क्यूंकी वनहा हिन्दू और मुसलमान सभी एक जैसा ही पहरावा होता हैं , लूँगी और कमीज !

सार्वजनिक भाषाण देते समय हिटलर भी "” काफी जोशीले शब्द और भाषा का प्रयोग करता था ---जो शालीन नहीं होती थी | वह सदैव अपने विरोधियो को और पूर्वर्ती सरकारो को कायर और भ्रष्ट होने का आरोप लगाता था | उसने भी जर्मनी की छेतरीय विविधता को नाश करके एक सैनिक सभ्यता बनाई थी | जिसमें एक भाषा और एक कानून तथा एक सा सामाजिक व्यवहार करने था | प्रशिया और गुएन्तेन्बेर्ग की शाही सेना को जबरिया अपने झंडे तले मिलाया | इसी दौरान उसके प्रचार मंत्री गोयबल्स की ओर से रोज कोई ना कोई नयी बात जर्मन "””नस्ल"” को विश्व की सर्वश्रेष्ठ जाति बताने की जारी होती थी | जैसे उसका "”श्रेष्ठ आर्य "” का सिधान्त ! अब इसके समर्थन में डाक्टरों --समाज शास्त्रियों आदि को रेडियो पर उतारा जाता था | जैसे आजकल टीवी और आँय संचार माध्यमों से वेदिक उपलब्धियों की वैज्ञानिकता को सिद्ध करने की कोशिस हो रही हैं | प्रधान मंत्री बनने के बाद जब नरेंद्र मोदी पहली बार विज्ञान काँग्रेस को संभोधित करने गए थे , तब एक पूना के सज्जन ने जो अपने को भौतिक शस्त्र का अध्येता बताते थे ----उन्होने रामायण काल के पुष्पक विमान की ---वैमानिकी और उसके ईंधन और परिचालन पर एक पत्र रखा | जब वनहा उपस्थित वैज्ञानिको ने अधिवेशन के उपरांत उनसे अपना सिधान्त प्रायोगिक रूप से साबित करने को कहा तो वे "”तथ्य "” की कसौटी पर फेल हो गए !!! परंतु उसके बाद दैविक बातो को "”ऐतिहासिक और सान्स्क्रतिक धरोहर "” के रूप में प्रचार करने का गैर बौद्धिक वातावरण बनाने की कोशिस शुरू हो गयी | जैसा हिटलर ने विश्व नेता बनने के लिए शुद्ध आर्य रक्त की थियरि शुरू की थी !!! कुछ कुछ विश्व गुरु का उद्घोस भी वैसा ही हैं | अर्थात तथ्य और तर्क के सवालो को दर किनार करते हुए बस "”” यह रट रट लगाना की सवाल पूछने वाला राष्ट्रद्रोही हैं !!!

पाँच राज्यो में विधान सभा चुनावो के प्रचार में मोदी जी की पार्टी और उनके पैरेंट संगठन आरएसएस भी जी जान से धरम को हथियार बना कर जुट गया हैं | कुछ वैसा ही वातावरण बनाने की कोशिस हो रही हैं जो हिटलर ने यहूदियो के साथ किया था | चुनाव प्रचार के दौरान गणतन्त्र दिवस और राष्ट्र पिता महात्मा गांधी का मसला भी आ गया हैं | सबसे पहले तो मोदी सरकार ने बंगला देश विजय की यादगार में "”जय जवान ज्योति "” को "”बुझा "” कर उसे अपने बनवाए गए युद्ध स्मारक स्थल पर जल रही ज्योति में "”मिला दिया "” !!!! जब इस कदम की आलोचना हुई --की पहले और दूसरे विश्व युद्ध में ब्रिटेन की ओर से लड़ कर शहीद हुए भारतीयो का अपमान हैं | तो सरकार की ओर से नहीं वरन उसके समर्थको में अवकाश प्रापत अफसरो की जमात लिखने लगी की वे लोग राष्ट्र के लिए नहीं लड़े थे !! इन बाबुओ को याद नहीं रहा की वे भी उसी परंपरा की पैदाइश है जो अंग्रेज़ो ने दी थी !! सेना की पलटनों के नाम उनके युद्ध घोष उनकी गौरव गाथा शुरू से लिखी गयी हैं | जब से उनका गठन हुआ ! इतेफाक से यह सब अंगर्जों के समय में ही हुआ | रेलवे --पोस्ट आफिस करेंसी स्टाक एक़्श्चेंज आदि सभी तो हमे विरासत में ही मिले !!! तब शहीद सनिकों का अपमान क्यू ???

वैसे मोदी सरकार का अधिकतर काम पूर्वर्ती सरकारो के "”किए गए कामो को "”” खतम करना ही रहा हैं | चाहे वह परंपरा की बात हो अथवा किसी काम की | 700 किसानो की मौत पर यह कहना की "”क्या वे मेरे लिए मरे "” { जैसा की राज्यपाल सतपाल मालिक ने टीवी में कहा था }} कहने वाला व्यक्तित्व कैसा हो सकता है ? जो मौत पर भी राजनीति करे !

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चलते चलते राष्ट्र पिता के निर्वाण दिवस पर मध्य प्रदेश के मंत्री मोहन यादव का बयान और सरकार के राजपत्र का ज़िक्र करना जरूरी है | सर्व साधारण को मालूम हैं की 30 जनवरी को दिल्ली के बिरला भवन में प्रार्थना सभा में जाते समय नाथुरम गोडसे नामक व्यक्ति ने गोली मार् कर उनकी हत्या कर दी थी ! इस दुखद घटना को राष्ट्र दो मिनट का मौन रख कर उनके प्रति श्र्धा व्यक्त करता हैं | परंतु शासकीय परिपत्र में महतमा गांधी के नाम का उल्लेख तक नहीं किया गया ! बस इतना ही कहा गया की दो मिनट का मौन रखना हैं | यह हैं उस महान व्यक्ति के प्रति सम्मान जिसकी हत्या पर तत्कालीन वॉइस रॉय माउंट बैटन ने कहा था की "”” इतिहास में ब्रिटिश साम्राज्य इस कलंक से बच गया , और कैसे है वह राष्ट्र जो गांधी ऐसे व्यक्तित्व की हत्या कर सकता है ? वैज्ञानिक आइंस्टीन ने कहा था की "”लोग विश्वास नहीं करेंगे की की एक ऐसा आदमी भी था जिसने ब्रिटिश साम्राज्य से अहिंसक लड़ाई लड़ी | उन्होने महात्मा को ईसा मसीह के बाद दर्जा दिया था |

बौद्ध गुरु दलाई लामा ने एक लेख लिख कर अपनी श्र्द्धांजली दी | वे उन्हे गुरु मानते हैं |

ऐसी हस्ती के हत्यारे नथुरम गोडसे का सम्मान किए जाने की ग्वालियर की घटना पर बीजेपी के प्रदेश अध्याकाश विष्णु शर्मा ने इसे "”अभिव्यक्ति की आज़ादी "” बताया | अब इस बयान से समझा जा सकता हैं की सत्ता रुड दल क्या सोचता हैं महतमा के बारे में ---हालांकि उनके नेता नरेंद्र मोदी उनकी प्रतिमा को 90 डिग्री का कोण बनाते हुए प्रणाम करते हैं |