Bhartiyam Logo

All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Nov 2, 2017

फेक खबर अर्थात ऐसी खबर जिसको तथ्यओ अथवा दस्तावेज़ो के माध्यम से सिद्ध नहीं किया जा सके | अगर ऐसी खबरों को विज्ञापन अथवा कथन के रूप मे सोश्ल मीडिया पर प्रदर्शित किया जाये तो उस से होने वाली हानि-- मानहानि--अशांति और नफरत के लिए कौन जिम्मेदार है ??

फेक खबर अर्थात ऐसी खबर जिसको तथ्यओ अथवा दस्तावेज़ो के माध्यम से सिद्ध नहीं किया जा सके | अगर ऐसी खबरों को विज्ञापन अथवा कथन के रूप मे सोश्ल मीडिया पर प्रदर्शित किया जाये तो उस से होने वाली हानि-- मानहानि--अशांति और नफरत के लिए कौन जिम्मेदार है ??

अमेरिका की सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेंजेनटेटिव की संयुक्त समिति द्वारा गूगल और फेसबूक तथा टिवीटर आदि ऐसी तकनीकी कंपनियो द्वरा विगत राष्ट्रपति चुनावो मे रूस की कंपनियो और ब्ल्गार द्वारा इन कंपनियो के प्लेटफॉर्म का उपयोग करके डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन के वीरुध
''दुष्प्रचार ''' किये जाने की पूछताछ चल रही है | सीएनएन के अनुसार फेसबूक के एटार्नी ने स्वीकार किया की उनकी "””पहुँच 50 लाख मतदाताओ तक है !!
सदस्यो की चिंता थी की ---””क्या कंपनी मात्र विज्ञापन भर ही लेती है ??अथवा उसके सब्जेक्ट मैटर और किस संस्था द्वारा दिया गया है ---उसकी भी जांच करती है ?? दोनों ही कंपनियो द्वारा स्वीकार किया की ''''वे किसी भी प्रकार का संशोधन विज्ञापन मे अथवा लिखित संदेश मे कोई ''सेंसर ''' नहीं करते | सदस्यो का कथन था की यदि आप जांच नहीं करते ---तो उस आलेख अथवा विज्ञापन से समाज या देश को होने वाली हानि का जिम्मेदार कौन होगा ??? क्योंकि ऐसी कंपनी एक बार काम करने के बाद विलुप्त हो ज़ाती है ?

इस प्रश्न का संतोषजनक उत्तर सदस्यो को नहीं मिलने पर काँग्रेस की संयुक्त समिति द्वरा इनकी प्रक्रिया – ज़िम्मेदारी – दावो संबंधी मामलो की व्यापक जांच किए जाने सूझव अनेकों सिनेटरों ने दिया है | पूछताछ तीसरे दिन भी जारी है | वास्तव मे यह वितंडा राष्ट्रपति चुनावो के दौरान रूसी सरकार और राष्ट्रपति पुतिन के उकसावे पर वनहा की खुफिया एजेंसियों द्वारा पेशेवर हैकरो की मदद से डेमोक्रेटिक पार्टी के संभावित ''मतदाताओ ''' को उनके उम्मीदवार के वीरुध विकिलिक्स के नाम पर "””असत्य जानकारिया भेजी गयी | उन्हे यह विश्वास दिलाने की कोशिस की गयी की हिलेरी राष्ट्रपति पद के लिए "””ईमानदार और योग्य "””उम्मीदवार नहीं है | परिणामस्वरूप हिलेरी पापुलर मतदान मे लाखो से जीती परंतु "” निर्वाचन कालेज "” मे वे पराजित हुई |
अमेरिकी काँग्रेस के दोनों सदनो मे रूसी सरकार और पुतिन द्वरा राष्ट्रपति चुनावो मे हस्तछेप को "””अत्यंत गंभीर मसला मानते हुए सम्पूर्ण प्रकरण की जांच के लिए एक विशेस अभियोजक नियुक्त किया | अभियोजक राबेर्ट मुल्लर पूर्व एफ़बीआई निदेशक रह चुके है | एवं इनके बारे मे रिपब्लिकन और डेमोक्रेट दोनों ही पार्टियो के सदस्यो का समर्थन है | उनके निश्चय और निर्णय को असंदिग्ध माना जाता है | राष्ट्रपति ट्रम्प के चुनाव के दौरान ''पार्टी के लिए चंदा उगाही करने वाले पॉल माइन्फ़ोर्त और उसके सहयोगी को वाशिंगटन की अदालत ने जमानत नहीं दी है | वनही चुआव प्रचार अभियान का हिस्सा रहे एक व्यक्ति "”पापाडुलस "” ने शपथ पत्र देकर स्वीकार किया की उसने एफ़बीआई को ''असत्य जानकारी दी है "”” | जिसको लेकर काफी घमासान मचा हुआ है |

लेकिन हम मुख्य मुद्दे पर आए की सोशाल मीडिया पर "”क्या गैर ज़िम्मेदारी वाले बयान ----जो अनेक बार अपमांजनक और गंदी भाषा का उपयोग होता है "” उस पर नियंत्रण कैसे लगाया जाये ???क्या यह काम इन कंपनियो के हवाले छोड़ दे ----जो विज्ञापन के राजस्व के लिए कुछ भी करने को लालायित रहती है ??? अथवा कोई "”एडिटेर्स गिल्ड ऐसी संस्था हो जिसके पास सज़ा देने का भी अधिकार हो ?अथवा ऐसी हरकतों को साइबर अपराध की श्रेणी मे लाया जाये ?
पहल अभी करना इस लिए ज़रूरी है की 2019 लोक सभा चुनाव होने वाले है | जिसके लिए नेताओ की जन्म कुंडली और उनके कार्यो को लेकर आरोप लगाए जाएँगे | फर्जी अकाउंट से फेस बूक और व्हात्सप चलाने पर "”””पकड़ेंगे किसको ?””” एक अनाम अस्तित्वहीन -डरपोक किसी पर भी कीचड़ उछालकर उसकी सामाजिक मान - मर्यादा का हनन करके ''' हवा मे विलीन हो जाये और हमारा लोकतन्त्र चंद हरकती लोगो की चालबाजी के कारण स्वस्थ रूप से स्वतंत्र मताधिकार का उपयोग नहीं कर सके ----मतदाताओ को असत्य से भरमाया जाये ?? वैसे यह ज़रूरत तो आज और अभी की है --परंतु सरकार मे खासकर हमारे देश मे चीजे काफी धीमी गति से चलती है ? जैसे दागी नेताओ के चुनाव लड़ने पर रोक ----पर बीजेपी सरकार पैर घसीट रही है |