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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

May 11, 2016

फिरंगियो और इस्लाम मे पंडित और ब्रांहण !

फिरंगियो और इस्लाम मे पंडित और ब्रांहण !

शीर्षक पदकर  आम लोगो के मन यह धारणा ज़रूर आएगी की वेदिक धर्म के इन शब्दो का ईसाई और इस्लाम धर्म मे क्या स्थान होगा ? परंतु अङ्ग्रेज़ी भाषा मे PUNDIT TATHAA BRAMHIN का उपयोग कैंब्रिज और ऑक्सफोर्ड डिकसनरी मे बाकायदा हुआ है | अमेरिका मे बोस्टन शहर शिक्षा और प्रबंधन के लिए विशिष्ट स्थान रखता है | डिकसनरी मे BOSTENIYAN BRAMHIN का अर्थ खास प्रकार के "”सफल लोगो "” के लिए इस्तेमाल किया जाता है ---जिनहे हम "”आभिजात्य"” वर्ग कहते है | यह उसी प्रकार है जैसे भारत के संदर्भ मे ज़ाती व्यसथा है | जिसमे सामाजिक रूप से ब्रांहण !– छत्रीय- वैश्य एवं शूद्र | पश्चिम की दुनिया मे ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है | परंतु इन शब्दो को भाषा मेव समेटने से लगता है की वे भी "”” विशिष्ट"” पहचान के लिए खास संज्ञा की खोज मे थे |

आज कल देश मे जाति प्रथा पर राजनीतिक रूप से कई ओर से प्रहार किए जा रहे है | वस्तुतः इसकी शुरुआत 1932मे तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी मे "द्रविड़ कडगम''' नामक आंदोलन की शुरुआत रामा स्वामी नायकर नामक सज्जन ने की थी | जो बाद मे ब्रांहण वाद का सशक्त विरोधी बना | जो बाद मे द्रविड़ मुनेन्त्र कडगम और मौजूदा समय मे अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कडगम बना | तमिलनाडू की मुख्य मंत्री जे जयललिता इसी पार्टी की नेता है | जबकि डीएमके के नेता के करुणानिधि है |

लेकिन एक ओर जंहा जाति के प्रति इतना आक्रोश है -वनही इस्लाम मे एक ऐसा "तबका "” है जिसे हुसैनी ब्रांहण "”” के नाम से जाना जाता है | अब सवाल यह है की मध्य काल मे यानि की लगभग 14 सौ साल पूर्व जब इस्लाम धर्म अवतरित हो रहा था तब ऐसा क्या हुआ की भारतवर्ष से इराक़ मे युद्ध करने ब्रांहण गए ? ऐतिहासिक तथ्यो के अनुसार कर्बला की लड़ाई मे यजीद के विरुद्ध इमाम अली की मदद के लिए चन्द्रगुप्त नामक राजा ने दत्त ब्रांहण के नेत्रत्व मे सेना भेजी थी | परंतु इन लोगो के पहुचने के पूर्व ही इमाम हुसैन यजीद के हाथो मारे जा चुके थे | इस स्थिति मे राजा की आज्ञा को पूरा करने मे असमर्थ भूरे दत्त ने अपने साथ आए लोगो को वापस जाने की आज्ञा दी | परंतु स्वयं अपने कुछ चुनिन्दा साथियो के साथ कुफा नगर मे रह गए यद्यपि इन लोगो ने धरम परिवर्तन नहीं किया परंतु “हुसैन “” के प्रति आदर भाव के कारण इन्हे हुसैनी ब्रामहण कहा गया | इनके रहने के इलाके को भी “”डेरा -- हिंदिया “”' कहा गया | कहते है की अजमेर शरीफ मे मोइनूद्दीन चिश्ती की मज़ार की सम्हाल भी इनहि लोगो द्वारा की गयी
|

इन लोगो के बारे मे एक कहावत इराक मे कही जाती है "””वाह दत्त सुल्तान , हिन्दू का धर्म मुसलमान का ईमान , आधा हिन्दू आधा मुसलमान "” एक ओर धार्मिक असहिष्णुता अपनी चरम पर है दूसरी ओर सदियो पूर्व दोनों धर्मो मे ऐसा भी एका था | जब एक मुसलमान की गुहार पर हिन्दू राजा सेना भेज देता था | और उन सैनिको की स्वामिभक्ति की --- फतेह या विजय नहीं मिली तो स्वयं को देश निकाला दे दिया | भले ही उनकी नसलों को इसका खामियाजा ! भुगतना पड़ा हो

पर्यावरण -प्रदूषण और कटते पेड़ो के बाद कितने स्मार्ट होंगे नगर

पर्यावरण -प्रदूषण और कटते पेड़ो के बाद कितने स्मार्ट होंगे नगर ?

केंद्र सरकार ने देश की "”चुनिन्दा शहरो ::: को स्मार्ट बनाने की योजना बनायी, पहले तो स्वाक्षता अभियान की भांति लगा की यह भी एक अच्छे उद्देस्य की कमजोर शुरुआत ही साबित होगी | क्योंकि स्वक्षता अभूयन मे भी मे सिवाय मंत्रियो और अधिकारियों के "”फोटो सेशन "” के बाद कुछ विशेष हासिल नहीं हुआ | हालत यह हो गयी की जनहा हफ्ते मे नगर निगम सफाई करावा देता था --हर दूसरे दिन कूड़ा उठ जाता था । वह भी रुक सा गया | क्योंकि सारा अमला तो "'अभियान "” मे भागीदारई जताने वाले फोटो खिंचाओ आंदोलन मे लगे विधायकों -मंत्रियो और अधिकारियों के लिए सफाई करने की ज़िम्मेदारी वहाँ कर रहे थे | आखिर इन "”महान "”' स्वछ्ता अभियान के पुरोधाओ की झाड़ू के तले सिर्फ मुरझाए हुए फूल पत्तीही आने की शर्त जो थी | आप याद करो की किसी भी फोटो मे अगर आपको वास्तव के "”कुड्डा कचरा ''' जैसा कुछ भी दिखाई पड़ा हो ??

अब ऐसे मे स्मार्ट सिटी का नारा आ गया --लोगो ने सोचा की कुछ तो नागरिक सुविधाए ठीक होंगी | परंतु जहा "चुने गए 19 भावी स्मार्ट सिटी '' मे सीवर - सड़क और सफाई की ओर प्राथमिकता से योजना बनायी ,, वनही प्रदेश की राजधानी का "””भाग्य"” कहे दुर्भाग्य कहे की नागरिक सुविधाओ को छोड़ कर बिल्डिंग बनाने का काम के लिए बसे - बसाये शिवाजी नगर और उसके आस पास की 350 {तीन सौ पचास } एकड़ जमीन पर बने 1800 शासकीय आवास और लगभग छह सौ निजी आवासो को धराशायी करने की योजना पर उसी ताबड़तोड़ गति से काम होने लगा जैसा की मेट्रो की योजना पर हो रहा है |

सवाल यह है की अगर भोपाल को स्मार्ट रूप देना है तो उसके लिए "” लोगो को घर से बेघर '''करना और विकाश के नाम पर हरीतिमा का विनाश करना जरूरी है "”?? सरकार और उसके बड़े बाबुओ की नज़र मे इस इलाके रहने वाले तुच्छ कर्मचारी हो ,, परंतु इन आवासो मे इनहोने "घर "”बसाया है | पेड़ - पौधे लगाए है | इनलोगों ने मोहकमा -- जंगलात यानि वन विभाग की भांति यूकीलीप्तुस और सुबबूल के सजावटी पेड़ नहीं लगाये | वरना उन्होने घर समझ कर इन भूजल को सोखकर भूगर्भ का वॉटर लेवेल कम करने वाली प्रजाति के पेड़ नहीं लगाए | वरन उपासना के पवित्र पेड़ जैसे पीपल और बरगद लगाए | जो एक पीढी निकल जाने के बाद ही छाया देते है | घरो मे फलदार पेड़ लगाए जैसे आम -जामुन - सीताफल और सेहत के लिए नीम के हजारो पेड़ इस इलाके मे आज पनप रहे है | न्यू मार्केट से लिंक रोड नंबर एक से एमपी मगर की ओर जाने के समय इस इलाके की हरीतिमा का पर्यावरण पर प्रभाव को "”महसूस "” किया जा सकता है ---आम नागरिक द्वरा | एसी कार मे चलने वाले उन बाबुओ को जिनहोने लोगो को उजड़ने की यह योजना बनायी और उन धन्ना सेठो को तापमान का यह अंतर नहीं महसूस होगा | क्योंकि उन्होने तो एक बार फिर से आम नागरिक को ठगने का यह तरीका अपनाया है |

स्मार्ट सिटि का विरोध जनता - जनार्दन नहीं कर रहे है ---वस्तुतः स्थान के चयन को लेकर नागरिक बेचैन है | क्योंकि उनकी योजना के अनुरूप इस इलके के लगभग तीस हज़ार से अधिक पेड़ काटेंगे | मेरे इस कथन को शासकीय सूत्रो द्वारा खंडन किया जा सकता है | परंतु वे आज तारीख तक यह नहीं बता पा रहे की किस सड़क पर कितने पेड़ -किस प्रजाति के लगे है ? यह तो वे बता ही नहीं पाएंगे की ये कितने पुराने है और कितनी मोटाई है इसके तनो की ?? वैसे पेड़ गिनने का नाटक शुरू तो हुआ है |देखे क्या बताते है |


ऐसा नहीं की शर मे स्मार्ट सिटि के लिए शासकीय खाली ज़मीन नहीं है ?? भेल के पास 350 एकड़ खाली ज़मीन है | जिस पर स्मार्ट शहर का निर्माण किया जा सकता है | न्यू मार्केट मे लगभग 200 एकड़ भूमि पर बने सरकारी आवासो को कई बरस पूर्व ही तोड़ा जा चुका है | पुन्र्घंत्विकरण {Redensification } की आस मे आज भी यह इलाका इंतज़ार कर रहा है अपने गुलजार डीनो की वापसी का | पर लगता है की जिस कंपनी को स्मार्ट सिटि देने का "”” निश्चय या निरण्य "”” लिया जाना है उसकी ज़िद्द है की शिवाजी नगर को उजाड़ो --- जैसे रोमन सम्राट नीरो ने नए रोम के निर्माण के लिए पुराने बसे नगर मे आग लगवा दी थी | और प्रचार किया गया की यह सब काम सम्राट के विरोधियो द्वारा किया गया है | अब भी समय है की हुक्मरान नीरो न बने वरना उसके अंजाम को पहुंचेंगे ऐसा तो इतिहास बताता है 

झूठे का बोलबाला -सच्चे का धक्का मारा --जेटली

झूठे का बोलबाला -सच्चे का धक्का मारा --जेटली

राज्य सभा मे काँग्रेस सदस्य आनद शर्मा द्वारा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ पार्टी आद्यकश सोनिया गांधी के विरुद्ध गलत बयानी के लिए लाये गए विशेसाधिकार के प्रस्ताव को अमान्य किए जाने का आग्रह करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा की सदन के बाहर दिये गए बयान को विशेषाधिकार का उल्लंघन नहीं माना जा सकता | उनके अनुसार राजनेता द्वारा चुनाव मे दिये गए बयान तो दिये जाते ही है |
यह मामला अगस्टा हेलिकॉप्टर की खरीद के मामले मे -मोदी जी द्वारा यह कहे जाने से की जिन लोगो का इटली से नाता है उन्हे देश जनता है | जिस पर आनंद शर्मा ने कहा था की नरेंद्र मोदी सदन मे और सदन के बाहर भी प्रधान मंत्री है | उनके द्वारा कहा गया बयान आधिकारिक ही होता है वे यह कह कर छुटकारा नहीं प सकते की यह एक राजनीतिक बयान है | परंतु जेटली जी की बयान से यह ध्वनित होता था की सदन के बाहर कोई कुछ भी बोल सकता है ,,भले ही वह तथ्य परक हो अथवा नहीं हो |सदन मे तथ्य फरक नहीं होने पर उस "”बयान "”' को झूठ नहीं कहा जाता वरन उसे "'असत्य"” कहा जाता है | क्योंकि सदन मे झूठ शब्द असंसदीय है


सवाल यह है की अगर प्रधान मंत्री के पद पर बैठा हुआ व्यक्ति अनाप -शनाप आरोप लगाए तो वह जायज है | लगता है की लोकसभा चुनाव का बुखार भारतीय जनता पार्टी पर अभी भी बरकरार है | यानि जुमलो का राज़ जारी रहना चाहिए | जेटली के बयान से यह साफ है की "”नेताओ को "”” सार्वजनिक रूप से झूठ बोलने की आज़ादी है ---बस सदन मे ही "”सत्य"” बोल्न उनकी मजबूरी है | इसे ही कहते है की झूठे का बोलबाला --जैसा की लोकसभा चुनावो मे मोदी जी ने किया था | बाद मे अपने किए वादो को "””जुमला"”” बता दिया