पर्यावरण
-प्रदूषण
और कटते पेड़ो के बाद कितने
स्मार्ट होंगे नगर ?
केंद्र
सरकार ने देश की "”चुनिन्दा
शहरो ::: को
स्मार्ट बनाने की योजना बनायी,
पहले
तो स्वाक्षता अभियान की भांति
लगा की यह भी एक अच्छे उद्देस्य
की कमजोर शुरुआत ही साबित होगी
| क्योंकि
स्वक्षता अभूयन मे भी मे सिवाय
मंत्रियो और अधिकारियों के
"”फोटो
सेशन "” के
बाद कुछ विशेष हासिल नहीं हुआ
| हालत
यह हो गयी की जनहा हफ्ते मे
नगर निगम सफाई करावा देता था
--हर
दूसरे दिन कूड़ा उठ जाता था ।
वह भी रुक सा गया |
क्योंकि
सारा अमला तो "'अभियान
"” मे
भागीदारई जताने वाले फोटो
खिंचाओ आंदोलन मे लगे विधायकों
-मंत्रियो
और अधिकारियों के लिए सफाई
करने की ज़िम्मेदारी वहाँ कर
रहे थे | आखिर
इन "”महान
"”' स्वछ्ता
अभियान के पुरोधाओ की झाड़ू
के तले सिर्फ मुरझाए हुए फूल
पत्तीही आने की शर्त जो थी |
आप
याद करो की किसी भी फोटो मे
अगर आपको वास्तव के "”कुड्डा
कचरा ''' जैसा
कुछ भी दिखाई पड़ा हो ??
अब
ऐसे मे स्मार्ट सिटी का नारा
आ गया --लोगो
ने सोचा की कुछ तो नागरिक
सुविधाए ठीक होंगी |
परंतु
जहा "चुने
गए 19 भावी
स्मार्ट सिटी ''
मे
सीवर - सड़क
और सफाई की ओर प्राथमिकता से
योजना बनायी ,,
वनही
प्रदेश की राजधानी का "””भाग्य"”
कहे
दुर्भाग्य कहे की नागरिक
सुविधाओ को छोड़ कर बिल्डिंग
बनाने का काम के लिए बसे -
बसाये
शिवाजी नगर और उसके आस पास की
350 {तीन
सौ पचास } एकड़
जमीन पर बने 1800
शासकीय
आवास और लगभग छह सौ निजी आवासो
को धराशायी करने की योजना पर
उसी ताबड़तोड़ गति से काम होने
लगा जैसा की मेट्रो की योजना
पर हो रहा है |
सवाल
यह है की अगर भोपाल को स्मार्ट
रूप देना है तो उसके लिए "”
लोगो
को घर से बेघर '''करना
और विकाश के नाम पर हरीतिमा
का विनाश करना जरूरी है "”??
सरकार
और उसके बड़े बाबुओ की नज़र मे
इस इलाके रहने वाले तुच्छ
कर्मचारी हो ,,
परंतु
इन आवासो मे इनहोने "घर
"”बसाया
है | पेड़
- पौधे
लगाए है |
इनलोगों
ने मोहकमा -ए
- जंगलात
यानि वन विभाग की भांति
यूकीलीप्तुस और सुबबूल के
सजावटी पेड़ नहीं लगाये |
वरना
उन्होने घर समझ कर इन भूजल
को सोखकर भूगर्भ का वॉटर लेवेल
कम करने वाली प्रजाति के पेड़
नहीं लगाए |
वरन
उपासना के पवित्र पेड़ जैसे
पीपल और बरगद लगाए |
जो
एक पीढी निकल जाने के बाद ही
छाया देते है |
घरो
मे फलदार पेड़ लगाए जैसे आम
-जामुन
- सीताफल
और सेहत के लिए नीम के हजारो
पेड़ इस इलाके मे आज पनप रहे
है | न्यू
मार्केट से लिंक रोड नंबर एक
से एमपी मगर की ओर जाने के समय
इस इलाके की हरीतिमा का पर्यावरण
पर प्रभाव को "”महसूस
"” किया
जा सकता है ---आम
नागरिक द्वरा |
एसी
कार मे चलने वाले उन बाबुओ को
जिनहोने लोगो को उजड़ने की यह
योजना बनायी और उन धन्ना सेठो
को तापमान का यह अंतर नहीं
महसूस होगा |
क्योंकि
उन्होने तो एक बार फिर से आम
नागरिक को ठगने का यह तरीका
अपनाया है |
स्मार्ट
सिटि का विरोध जनता -
जनार्दन
नहीं कर रहे है ---वस्तुतः
स्थान के चयन को लेकर नागरिक
बेचैन है |
क्योंकि
उनकी योजना के अनुरूप इस इलके
के लगभग तीस हज़ार से अधिक पेड़
काटेंगे | मेरे
इस कथन को शासकीय सूत्रो द्वारा
खंडन किया जा सकता है |
परंतु
वे आज तारीख तक यह नहीं बता पा
रहे की किस सड़क पर कितने पेड़
-किस
प्रजाति के लगे है ?
यह
तो वे बता ही नहीं पाएंगे की
ये कितने पुराने है और कितनी
मोटाई है इसके तनो की ??
वैसे
पेड़ गिनने का नाटक शुरू तो हुआ
है |देखे
क्या बताते है |
ऐसा
नहीं की शर मे स्मार्ट सिटि
के लिए शासकीय खाली ज़मीन नहीं
है ?? भेल
के पास 350 एकड़
खाली ज़मीन है |
जिस
पर स्मार्ट शहर का निर्माण
किया जा सकता है |
न्यू
मार्केट मे लगभग 200
एकड़
भूमि पर बने सरकारी आवासो को
कई बरस पूर्व ही तोड़ा जा चुका
है | पुन्र्घंत्विकरण
{Redensification } की
आस मे आज भी यह इलाका इंतज़ार
कर रहा है अपने गुलजार डीनो
की वापसी का |
पर
लगता है की जिस कंपनी को स्मार्ट
सिटि देने का "””
निश्चय
या निरण्य "””
लिया
जाना है उसकी ज़िद्द है की
शिवाजी नगर को उजाड़ो ---
जैसे
रोमन सम्राट नीरो ने नए रोम
के निर्माण के लिए पुराने बसे
नगर मे आग लगवा दी थी |
और
प्रचार किया गया की यह सब काम
सम्राट के विरोधियो द्वारा
किया गया है |
अब
भी समय है की हुक्मरान नीरो
न बने वरना उसके अंजाम को
पहुंचेंगे ऐसा तो इतिहास बताता
है
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