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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jun 4, 2020

केयर्स फंड ? जनता या कुछ के लिए - कुछ का ही नियंत्रण क्यू ?

केयर्स फंड ? जनता या कुछ के लिए - कुछ का ही नियंत्रण क्यू ?


मोदी सरकार अपने एनआईटी -नूतन अभिनवकेयर्स फ़ंड कि प्रयोगो के लिए काफी चर्चित रही हैं | परंतु सदैव सुर्खीया बटोरने और बक़ौल मोदी जी अपने वीरुध आने वाली आफत को अवसर में बदलने में सिद्धहस्त प्रधानमंत्री जी ने पी एम केयर्स फंड की स्थापना करके नागरिकों की निगाह में -प्रधानमंत्री सहायता कोश को ही तिलांजलि दे दी हैं !! गणतन्त्र के 70 साल के इतिहास में संघ सरकार के नियंत्रण के दायरे के बाहर किसी "””निजी कोश "” की स्थापना पहली बार की गयी ----वह भी प्रधान मंत्री कार्यालय द्वरा !! आरटीआई में पुछे गए सवाल के जवाब में बताया गया ------यह कोश एक निजी ट्रस्ट हैं | अतः इसकी जानकारी नहीं दी जा सकती ! वाह कितनी पारदर्शिता है ! अभी तक प्रधान मंत्री राहत कोश सार्वजनिक निकाय होता रहा हैं , जिसका लेखा - जोखा परीक्षण भारत के महा लेखकर नियंत्रक द्वरा प्रति वर्ष किया जाता हैं | एवं उसकी रिपोर्ट संसद के पटल पर रखी जाती रही हैं |

आरटीआई के उत्तर में केंद्र सरकार द्वरा बतया गया की यह ट्रस्ट "”सार्वजनिक नहीं हैं " ? जबकि प्रधान मंत्री का पद सार्वजनिक हैं ! उनके फैसलो और कार्यो का लेखा -जोखा लोकसभा और राज्यसभा में होता हैं | बीजेपी ने ही बोफोर्स मामले औरे 2जी 3जी मामले में महा लेखा जोखा नियंत्रक की सिफ़ारिशों { कथनो } को अपने प्रचार का मुख्य चुनावी मुद्दा बनाया था ! केयर्स फंड के नियंत्रकों में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं अध्यछ और सदस्यो में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन है | चैनलो अथवा समाचार पत्रो में सिर्फ पी एम केयर फंड में ही सहयोग देने का आग्रह किया जाता हैं , प्रधान मंत्री राहत कोश में नहीं ! जब आम लोगो में सवाल उठने लगे की --चीन -भारत युद्ध , चीन -पाकिस्तान युद्ध के समय तत्कालीन प्रधान मंत्रियो -जवाहर लाल नेहरू - लाल बहादुर शास्त्री और इन्दिरा गांधी ने भी जनता से अपील की थी "””प्रधान मंत्री सहायता कोश में दान की ! ‘’’’’ किसी ने भी केयर्स फंड नहीं बनया था ! शायद वे लोग राश्त्र्वादी नहीं थे अथवा अनभिज्ञ थे |

अगर केंद्र सरकार की इस पहलपर यू पी में योगी जी सीएम केयर फंड और गुजरात में रूपाणि केयर फंड भी बन सकते हैं फिर प्रदेश की राजधानियों से केयर की की इस गंगा को आईएएस अधिकारी ज़िलो में "”विकास फंड के नाम पर अपने नियंत्रण में बनाने की संभावना हैं "” पी एम से सी एम और डी एम स्तर तक केयर करने या विकास का उद्देस्य "”” कुछ लोगो द्वारा -कुछ लोगो के लिए किया गया निजी प्रयास कहा जा सकता हैं "”””



इस फंड की तुलना – टाटा घराने के "””टाटा संस ट्रस्ट "” अथवा अज़ीम प्रेमजी भाई के ट्रस्ट अथवा इन्फोसिस के सह्यता ट्रस्ट से की जा सकती हैं | अथवा इसी संदर्भ् में बिल -मिलिंदा गेट्स फंड से भी की जा सकती हैं | ये सभी निजी व्यक्तियों की अपनी कमाई से गठित ट्रस्ट हैं - जिंका उद्देश्य जन हितकारी हैं |

परंतु पी म केयर्स फंड का प्रचार और प्रसार जिस प्रकार किया गया -----वह साफ -साफ सरकारी स्तर पर किया गया लगता हैं | अभी तक इस फंड के गठन के बारे में मात्र इतना ही कहा गया हैं की ---- इस फंड का गठन कोरोना से काहल रहे "””सरकार "” के युद्ध के लिए ही किया जाएगा | प्रधान मंत्री साहायता कोश सभी आपदाओ -और विपतियों में काम आती हैं ! अब सवाल उठता हैं की की कोरोना ऐसी '’आफत -महामारी - या आपदा "”” क्या प्रधान मंत्री सहायता कोश के द्वरा नहीं निपटा जा सकता था ??? अथवा इसका कारण वह ज़िद्द थी की --जैसा अब तक होता रहा हैं सरकार में उसको -उलट देना हैं ?

सबसे आपतिजनक तथ्य इस ट्रस्ट के बारे में हैं की इसमें भारत सरकार के राज चिन्ह का प्रयोग किया जा रहा हैं ! इस ट्रस्ट का परिचालन भी प्रधान मंत्री कार्यालय के एक विंग द्वरा किया जा रहा , ऐसा आरटीआई से पता चला हैं | प्रधान मंत्री पद नाम का उपयोग किसी "”निजी स्वार्थ "” के लिए उतना ही दंडनीय हैं जितना की अनाधिकरत व्यक्ति द्वरा पुलिस अथवा सेना की वर्दी पहनना और पद के चिन्हो को कंधो पर धारण करना ! ? भारतीय दंड संहिता में इस अपराध का उल्लेख भी हैं | सवाल होता हैं की आखिर क्यू प्रधान मंत्री को "””ऐसा क्रांतिकारी कदम -निर्णय करना पड़ा "”? यह कारण ना तो प्रधान मंत्री द्वरा देश को बताया गया हैं -नाही उनके कार्यालया द्वरा !

आप कोई भी चैनल टीवी पर देखे तो पाएंगे की सहयोग -और दान की अपीक्षा पी एम केयर्स फंड की ही है , प्रधान मंत्री राहत कोशा की नहीं ? आखिर आज तक कोई सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आया जो यह कह सके \बता सके की वह अथवा अमुक संस्था इस फंड के प्रचार की ज़िम्मेदारी उठा रही हैं ? अम्मान तूफान के संदर्भ में बंगाल और उड़ीसा सरकारो ने जनता से सहायता की सार्वजनिक अपील की हैं ---- उन्होने मुख्यमंत्री सह्यता कोश में योगदान देने का आवाहन किया हैं | बाढ हो या सूखा हो हमेशा मुख्य मंत्री कोश में ही सह्यता का आवाहन किया जाता हैं | फिर कोरोना की आपदा के समय विशेस रूप से इस कोश के गठन से संदेह होता हैं | क्योंकि जब यह "”सार्वजनिक ट्रस्ट नहीं हैं "” तब यह निश्चय ही भारत सरकार का निकाय नहीं हैं ! ऐसे में नरेंद्र मोदी और और उनके सहयोगीयो के पद मुक्त होने पर इस फंड का नियंत्रण "”कुछ " लोगो के हाथो में ही रहेगा ? अर्थात सरकार के प्रभाव से बने इस ट्रस्ट का लाभ "””कुछ लोगो द्वरा कुछ लोगो को लाभ पाहुचने के लिए किया जाएगा क्या | इस फंड में बड़ी -बड़ी कंपनियो और व्यक्तियों तथा अभिनेताओ ने दासियो करोड़ का सहयोग दिया हैं | अमूमन सभी बड़ी कंपनियो के अलावा केंद्र के सार्वजनिक निकायो ने भी - सशत्र बलो ने भी प्रधान मंत्री राहत कोश में परंपराईक रूप से योगदान नहीं देकर इस नवीन उपक्रम में एक दिन के वेतन का दान किया हैं ! समाचार पत्रो में दान दाताओ के नाम और दान की गयी घोषित धन राशि का अंदाज़ लगाए तो मोटा - मोटा अनुमान लगभग एक लाख करोड़ तक होता हैं | हालांकि फंड द्वरा अभी तक प्राप्त धन राशि का सार्वजनिक रूप से उल्लेख नहीं किए जाने से सिर्फ अनुमान ही लगाया जा सकता हैं |

इस फंड द्वरा गुजरात की एक फ़र्म को "”वेंटिलेटर "” की खरीद के लिए शायद सौ करोड़ रुपये दिये गए थे | यह वही कंपनी है जिसके द्वरा आपूर्ति किए गए "”तथा कथित "” वेंटीलेटर्स "” मानक पर नहीं खरे उतरे --- परिणाम स्वरूप राजस्थान - पांडिचेरी और तमिलनाडू सरकारो ने उनके द्वरा आपूर्ति किए गए "” मोडीफोइड फेबुलेटर "” को वेंटीलेटर '’ मानने से इंकार कर दिया -और जैसे भारत ने चीन में बने पी पी ई कीटो को अमानक पाये जाने पर वापस कर दिया था | बाद में यूरोप के अन्य देशो फ्रांस - इटली और स्वीडोन आदि अनेक देशो ने चीन सरकार द्वरा कोरोना से लड़ाई के लिए भेजे गए इन को वापस कर दिया था , कुछ उसी प्रकार | अभी तक इस फंड में एक लाख करोड़ की धन राशि का दान मिलने की संभावना अथवा अनुमान हैं , क्योंकि ना तो ट्रस्ट अपने दान दाताओ के नाम और ना ही उनके द्वरा डी गयी राशि का खुलाषा किया हैं !

इस परिपाटी से बहुत ही गलत परंपरा के जनम लेने की आशंका हैं , कल को यदि मुख्यमंत्री केयर्स फंड शुरू किया जो उनके निजी स्वार्थो की पूर्ति के लिए होसकता हैं ! देखा देखि ज़िलो में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट भी केयर फंड शुरू कर सकते हैं | वैसे जिलो में अनेक प्रकार के फंड चलते हैं ----- जिंका कोई "”लिखित लेखा -जोखा नहीं होता "” अधिकतर यह फंड चाहे पुलिस का हो --आबकारी विभाग का हो - अथवा ट्रांसपोर्ट विभाग का हो , “””सार्वजनिक रूप से गोपनीय "” इस तथ्य को सभी डालो की सरकारे "”पचाती हैं -जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो "” कुछ लोग इसे "” नजराना या वसूली भी कहते हैं "” | मर्ज़ी हो या ना हो इसको देना ही आवश्यक हैं |