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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Mar 13, 2013

गाँव के लोगो को खुले में जाने की आदत ?

   गाँव के लोगो को खुले में जाने की आदत ?
                                                                       भले ही पंचायत हो या नगरीय विकास अथवा शिक्षा  विभाग हो ,स्कूल भवनों  का निर्माण  सभी करते हैं , परन्तु कमरे और आँगन बनाने का काम भर ही करते हैं ।  लड़के या लडकियों के लिए टॉयलेट बनाने की ज़हमत नहीं उठाते । हाँ  अगर किसी  मास्टर जी ने  निर्माण के दौरान भूमिका  निभाई तो   उनकी बिरादरी के लिए कुछ टेम्परेरी  व्यस्था तो हो ही जाती हैं । आप गांवो  में जाइये  और मुआयना करिए  , सच आपके सामने आ जायेगा ।  
                                                            आखिर ऐसी अनदेखी  क्यों ?  शायद योजना बनाने  वाले इस प्राकृतिक जरूरत को इसलिए भूल जाते हैं क्योंकि शायद गाँव वालो के लिए ''टॉयलेट'' जरूरत की चीज़ नहीं हैं ! शहरी  लोगो की सोच की ''गाँव में लोगो को खुले में जाने की आदत हैं ''। 
                                                                                      शायद यही सोच ही स्कूल में टॉयलेट न होने की वज़ह हैं । क्योंकि नवोदय स्कूलों के छात्रावास में केन्द्र  सरकार टॉयलेट की सही व्यव्स्था करती हैं । फिर प्रदेश सरकार  क्यों नहीं एक जनरल  आदेश से निश्चित करती हैं की स्कूल  या छात्रावास  के भवनों में छात्र और छात्राओं के लिए अलग -अलग शौचालय बनाने की बाध्यता होगी ।  
                                        फिलहाल प्रदेश में ३०४९५  स्कूल  भवनों में लडकियों  के लिए कोई व्यवस्था नहीं हैं । एक रिपोर्ट के अनुसार पांचवी क्लास के बाद  लडकियां इस लिए  पढाई   छोड़ देती हैं क्योंकि  उनको स्कूल  में  उनकी ''ज़रुरत '' के वक़्त कोई सुरक्षित जगह नहीं मिलती हैं । आज   शिक्षा के प्रसार के लिए ज़रूरी हैं  सुरक्षा -शौचालय - पेय जल , इनके बिना देश की मुख्य धारा  में हमारे गांवो  की सहभागिता निश्चित नहीं की जा सकती ।