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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Apr 27, 2020


देश में महामारी -और सरकार नये संसद -सेंट्रल विस्टा पर 20 हजार करोड़ खर्च !


जब सारा विश्व कोरोना की बीमारी से जीतने के लिए सारे समाधान लगा रहा हैं , ऐसे में मोदी सरकार का नए संसद भवन और नए साउथ ब्लॉक और नॉर्थ ब्लॉक बनाने की ख्व्हइश -उनकी प्राथमिकता का इशारा ही हैं | जब कोरोना से लड़ाई में राष्ट्र को हुए नुकसान के लिए प्रिय राफेल विमानो की खरीदी को रोक दिया गया , इतना ही नहीं मिसाइलों की डिलीवेरी भ ताल दी गयी | संसाधन एकत्र करने के लिए सरकारी कर्मियों के महंगाई भत्ते की 32 हजार करोड़ की राशि को स्थगित किया गया - तब 20 हजार करोड़ के सेंट्रल विस्टा के प्रोजेक्ट पर रोक क्यो नहीं ? क्या यह किसी सनक या सपना के लिए हैं ?
दुनिया में सत्ता की निरन्तर्त्ता का बोध उस राष्ट्र का वह प्राचीन भवन करता हैं -जो सदियो से अपने देश के परिवर्तनों का जीवंत गवाह रहा हैं | इसलिए वह भवन एक स्मारक बन जाता हैं , जिसका एक इतिहास होता हैं | इसीलिए विकसित राष्ट्र अपने इतिहास के इन जीते -जागते सबूतो को रक्षा -सुरक्षा और संरक्षा करते हैं | क्योकि वे इतिहास को वर्तमान से जोड़ने की कड़ी हैं | सत्ता की कोई भी नयी इमारत उसके इतिहास बोध को बोथरा कर देता हैं | वह ईंट -गारे से बनी एक इमारत भर रह जाती हैं -जिसका कोई इतिहास नहीं होता , जैसे अनाथ का के माता -पिता नहीं होते |
ब्रिटेन का हाउस ऑफ कामन्स - बिग बेन घड़ी - बकिंघम पैलेस उसके इतिहास का हिस्सा हैं | दूसरे विश्व युद्ध के बाद लंडन तबाह हो गया , परंतु वनहा के लोगो और नेताओ ने नया शहर और इमारत नहीं बनाई , वरन पुरानी और ध्वंश इमारतों का पुनर निर्माण किया | वे आज भी शान से खड़ी हैं | ब्रिटिश लोगो को अपनी इस विरासत पर गर्व हैं --वे युद्ध की तबाही के मंजर भी याद करते हैं ---तो शहर के पुनर निर्माण को भी गर्व से बताते हैं !
संयुक्त राज्य अमेरिका का राष्ट्रपति भवन और काँग्रेस भवन को कनाडा स्थित ब्रिटिश फौज ने आग लगा कर बर्बाद कर दिया था | परंतु उन्होने उसका पुनर्निर्माण किया और आज यह भवन उसके 40 से अधिक राश्त्र्पतियों की उपस्थिती और उनकी अनेक कहानियो को सँजोये हुए हैं | अनेक ऐतिहासिक फैसले को भी यह गवाह बना हैं | अमेरिका यदि चाहता तो नया राष्ट्रपति भवन और काँग्रेस भवन बना सकता था ---उसमें ताकत थी ऐसा करने की | पर उसने विरासत का सम्मान किया | आज भी राश्र्त्र्पती भवन दुनिया की हलचल का केंद्र हैं |
जर्मनी में हिटलर ने वनहा के संसद भवन "”बुंदस्ताइग"” में आग लगवा कर जर्मन कम्युनिस्ट पार्टी को आगजनी का दोषी करार देत हुए उनके नेताओ का सफाया कर दिया | दूसरे विश्व युद्ध में एका बार फिर उनका संसद भवन तबाह हुआ | परंतु उन्होने उसका निर्माण किया , हिटलर को राष्ट्रीय अपमान बताते हुए भी --उन्होने उन स्थानो को सुरक्शित रखा जो युद्ध के नासूर के समान जर्मन अस्मिता पर थे | पर उन्होने भी विरासत का आदर किया भले ही उसमें हिटलर ऐसे आततायी का भी दुखद ज़िक्र हो |

1917 में रूस में जारशाही के वीरुध कम्युनिस्ट पार्टी ने लेनिन के नेत्रत्व में सैनी विद्रोह किया | अंतिम ज़ार निकोलस रोमनोव की परिवार सहित हत्या कर दी गयी | सत्ता के इस तख़्ता पलट के बाद भी ज़ार के समय जो क्रेमलिन सत्ता का शीर्ष था -----वह आज भी सत्ता का केंद्र बना हुआ हैं | स्टेलिन - बुलगनिन - खृश्चेव से लेकर रूसी गणराज्य के अंतिम प्रधान मंत्री गोर्बाचेव ने भी उसी स्थान से राज - काज चलाया था | और आज भी बचे हुए रूस के राष्ट्रपति पुतिन भी वनही से चला रहे हैं | जबकि वह ज़ार शाही और शोसन का प्रतीक था ?
फ्रांस में भी प्रथम क्रांति के समय की राजकीय इमारते आज भी सरकार के विभिन्न विभागो को समेटे हैं | इन इमारतों की भव्यता कोई नयी इमारत नहीं पा सकती | 40 फूट ऊंची छ्ते 15 फीट ऊंचे दरवाजे प्रवेश करने वालो को उनकी छुद्रता का एहसास कर देते हैं | ये सिर्फ सरकारी काम काज के मंत्रालय के आफिस ही नहीं हैं वरन वे अतिहासिक भी हैं | फ्रांस के पूर्व संस्क्रती मंत्री आन्द्रे मऔरलेक्स ने ऐसी ही एक इमारत के ऊपर बरसात से लगी काई को साफ करने के कार्यक्र्म में बंद करवा दिया था --यह कहते हुए की "” आप ऐसा करके इमारत को साफ तो कर सकते हो -पर आप इसकी प्राचीनता को नष्ट करते हो "”
आज आप मूर्ति बना सकते है -मंदिर बना सकते हैं --परंतु उनका इतिहास क्या होगा ? कब उनका निर्माण हुआ ? हाँ बनवाने वाले का शिलालेख में नाम भले ही हो पर उसके साथ तिथि भी लिखी जाएगी की यह कितनी ताज़ी हैं !! जैसे रईसी आते आते आती है , इसलिए हर पैसे वाले को रईस नहीं कह सकते उसे "”नव धनाद्य"” ही कहेंगे !