देश
में महामारी -और
सरकार नये संसद -सेंट्रल
विस्टा पर 20
हजार
करोड़ खर्च !
जब
सारा विश्व कोरोना की बीमारी
से जीतने के लिए सारे समाधान
लगा रहा हैं ,
ऐसे
में मोदी सरकार का नए संसद भवन
और नए साउथ ब्लॉक और नॉर्थ
ब्लॉक बनाने की ख्व्हइश -उनकी
प्राथमिकता का इशारा ही हैं
|
जब
कोरोना से लड़ाई में राष्ट्र
को हुए नुकसान के लिए प्रिय
राफेल विमानो की खरीदी को रोक
दिया गया ,
इतना
ही नहीं मिसाइलों की डिलीवेरी
भ ताल दी गयी |
संसाधन
एकत्र करने के लिए सरकारी
कर्मियों के महंगाई भत्ते की
32
हजार
करोड़ की राशि को स्थगित किया
गया -
तब
20
हजार
करोड़ के सेंट्रल विस्टा के
प्रोजेक्ट पर रोक क्यो नहीं
?
क्या
यह किसी सनक या सपना के लिए
हैं ?
दुनिया
में सत्ता की निरन्तर्त्ता
का बोध उस राष्ट्र का वह प्राचीन
भवन करता हैं -जो
सदियो से अपने देश के परिवर्तनों
का जीवंत गवाह रहा हैं |
इसलिए
वह भवन एक स्मारक बन जाता हैं
,
जिसका
एक इतिहास होता हैं |
इसीलिए
विकसित राष्ट्र अपने इतिहास
के इन जीते -जागते
सबूतो को रक्षा -सुरक्षा
और संरक्षा करते हैं |
क्योकि
वे इतिहास को वर्तमान से जोड़ने
की कड़ी हैं |
सत्ता
की कोई भी नयी इमारत उसके
इतिहास बोध को बोथरा कर देता
हैं |
वह
ईंट -गारे
से बनी एक इमारत भर रह जाती
हैं -जिसका
कोई इतिहास नहीं होता ,
जैसे
अनाथ का के माता -पिता
नहीं होते |
ब्रिटेन
का हाउस ऑफ कामन्स -
बिग
बेन घड़ी -
बकिंघम
पैलेस उसके इतिहास का हिस्सा
हैं |
दूसरे
विश्व युद्ध के बाद लंडन तबाह
हो गया ,
परंतु
वनहा के लोगो और नेताओ ने नया
शहर और इमारत नहीं बनाई ,
वरन
पुरानी और ध्वंश इमारतों का
पुनर निर्माण किया |
वे
आज भी शान से खड़ी हैं |
ब्रिटिश
लोगो को अपनी इस विरासत पर
गर्व हैं --वे
युद्ध की तबाही के मंजर भी याद
करते हैं ---तो
शहर के पुनर निर्माण को भी
गर्व से बताते हैं !
संयुक्त
राज्य अमेरिका का राष्ट्रपति
भवन और काँग्रेस भवन को कनाडा
स्थित ब्रिटिश फौज ने आग लगा
कर बर्बाद कर दिया था |
परंतु
उन्होने उसका पुनर्निर्माण
किया और आज यह भवन उसके 40
से
अधिक राश्त्र्पतियों की
उपस्थिती और उनकी अनेक कहानियो
को सँजोये हुए हैं |
अनेक
ऐतिहासिक फैसले को भी यह गवाह
बना हैं |
अमेरिका
यदि चाहता तो नया राष्ट्रपति
भवन और काँग्रेस भवन बना सकता
था ---उसमें
ताकत थी ऐसा करने की |
पर
उसने विरासत का सम्मान किया
|
आज
भी राश्र्त्र्पती भवन दुनिया
की हलचल का केंद्र हैं |
जर्मनी
में हिटलर ने वनहा के संसद
भवन "”बुंदस्ताइग"”
में
आग लगवा कर जर्मन कम्युनिस्ट
पार्टी को आगजनी का दोषी करार
देत हुए उनके नेताओ का सफाया
कर दिया |
दूसरे
विश्व युद्ध में एका बार फिर
उनका संसद भवन तबाह हुआ |
परंतु
उन्होने उसका निर्माण किया
,
हिटलर
को राष्ट्रीय अपमान बताते
हुए भी --उन्होने
उन स्थानो को सुरक्शित रखा
जो युद्ध के नासूर के समान
जर्मन अस्मिता पर थे |
पर
उन्होने भी विरासत का आदर
किया भले ही उसमें हिटलर ऐसे
आततायी का भी दुखद ज़िक्र हो
|
1917
में
रूस में जारशाही के वीरुध
कम्युनिस्ट पार्टी ने लेनिन
के नेत्रत्व में सैनी विद्रोह
किया |
अंतिम
ज़ार निकोलस रोमनोव की परिवार
सहित हत्या कर दी गयी |
सत्ता
के इस तख़्ता पलट के बाद भी ज़ार
के समय जो क्रेमलिन सत्ता का
शीर्ष था -----वह
आज भी सत्ता का केंद्र बना हुआ
हैं |
स्टेलिन
-
बुलगनिन
-
खृश्चेव
से लेकर रूसी गणराज्य के अंतिम
प्रधान मंत्री गोर्बाचेव ने
भी उसी स्थान से राज -
काज
चलाया था |
और
आज भी बचे हुए रूस के राष्ट्रपति
पुतिन भी वनही से चला रहे हैं
|
जबकि
वह ज़ार शाही और शोसन का प्रतीक
था ?
फ्रांस
में भी प्रथम क्रांति के समय
की राजकीय इमारते आज भी सरकार
के विभिन्न विभागो को समेटे
हैं |
इन
इमारतों की भव्यता कोई नयी
इमारत नहीं पा सकती |
40 फूट
ऊंची छ्ते 15
फीट
ऊंचे दरवाजे प्रवेश करने वालो
को उनकी छुद्रता का एहसास कर
देते हैं |
ये
सिर्फ सरकारी काम काज के
मंत्रालय के आफिस ही नहीं हैं
वरन वे अतिहासिक भी हैं |
फ्रांस
के पूर्व संस्क्रती मंत्री
आन्द्रे मऔरलेक्स ने ऐसी ही
एक इमारत के ऊपर बरसात से लगी
काई को साफ करने के कार्यक्र्म
में बंद करवा दिया था --यह
कहते हुए की "”
आप
ऐसा करके इमारत को साफ तो कर
सकते हो -पर
आप इसकी प्राचीनता को नष्ट
करते हो "”
आज
आप मूर्ति बना सकते है -मंदिर
बना सकते हैं --परंतु
उनका इतिहास क्या होगा ?
कब
उनका निर्माण हुआ ?
हाँ
बनवाने वाले का शिलालेख में
नाम भले ही हो पर उसके साथ तिथि
भी लिखी जाएगी की यह कितनी
ताज़ी हैं !!
जैसे
रईसी आते आते आती है ,
इसलिए
हर पैसे वाले को रईस नहीं कह
सकते उसे "”नव
धनाद्य"”
ही
कहेंगे !