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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Aug 24, 2017

तलाक और निजता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

केंद्र को खुशी और गम थोड़ी - थोड़ी ----क्यो
तीन दिन के अंतराल मे सुप्रीम कोर्ट के दो फैसलो ने देश मे काफी हलचल मचा दी है | सभी राजनीतिक दल भी या तो थोड़े से असमंजस मे थे अथवा उनको लग रहा था की "”हमने कहा था ना "” की मुद्रा मे आ गए | उधर दूसरा खेमा भी कह रहा था ''देखा ना हम सही थे "” | किस्सा यह की अभी तक यही बहस हो रही है की कौन जीता -और कौन हारा ---- अब यह तो अदालत ही किसी फैसले से ही बताएगी | फिलहाल एक बात साफ है की बे इद्दत तलाक {{एक बार मे तीन तलाक }} को सुप्रीम कोर्ट ने "”अवैध "” बताया है | उन्होने "”हलाला '' या अन्य विषयो पर कोई टिप्पणी नहीं की है |
निजता के अधिकार पर नौ जजो की पीठ द्वरा इसे मौलिक अधिकार बताए जाने पर - केंद्र के कानून मंत्री रविशंकर का कहना है की "” भले ही अदालत ने निजता को मौलिक अधिकार कहा हो --परंतु यह "”अन्य मौलिक अधिकारो की भांति सम्पूर्ण नहीं है --परंतु थोड़ा =थोड़ा है "” | कानून और अदालती फैसलो मे हो सकता है की कुछ मुद्दे अन छूए रह जाये --परंतु उनमे स्पष्ट कथन होता है | रविशंकर जी की टिप्पणी पर एक चुटकुला याद आ गया "” एक लड़की ने अपने पिता से कहा की --लगता है की मै थोड़ी -थोड़ी गर्भवती हु शायद'' इस पर पिता ने कहा या तो तुम गर्भवती हो अथवा नहीं हो यह साफ है | क्योंकि थोड़ा ==थोड़ा कुछ नहीं होता "” वैसे ही रविशंकर जी को मान्ना पड़ेगा की निजता आधार कार्ड मौलिक अधिकार है अथवा नहीं | आधार कार्ड पर लंबित याचिका मे भी सुप्रीम कोर्ट को फैसला देना है | उसमे और यह बात साफ हो जाएगी की "”क्या हाए काम और हर जगह आधार को वैसे ही लेकर घूमना पड़ेगा -जैसा की विदेशो मे हर टूरिस्ट पासपोर्ट ले कर चलता है | स्कूल हो या बैंक अथवा मोबाइल की सिम लेनी हो --सब जगह आधार अनिवारी हो गया है |
लोगो को व्यक्तिगत जानकारी सरकार को सुलभ करने मे कोई आपति साधारणतया नहीं है | परंतु उस जानकारी को सरकार कितना सुरक्षित रख पाती है अथवा उसका दुरुपयोग व्यावसायिक लाभ के लिए नहीं किया जा सके | अनहि मुफ्त मे मोबाइल फोन की सिम देने वाली कंपनी मे आप को अपना नाम और आधार दिखाना होता है और बस आप की सारी जानकारी उनके कम्प्युटर मे दर्ज़ | अब वे उसका कैसे उपयोग करेंगे यह आप को नहीं मालूम | आपके बैंक का विवरण आपकी संपाती का ब्योरा आय कर वाले को साथ ही "”इनको ''भी मालूम रहेगा "” |

बिना सहमति के हमारी व्यक्तिगत जानकारी कोई दूसरा भले ही वह दूसरा "”सरकार ही क्यो ना हो "”” इस्तेमाल नहीं कर सकता | सुप्रीम कोर्ट ने हर नागरिक को यही ताकत इस फैसले से दी है | कम से कम सरकारी कारिंदे अब जब चाहे नागरिक अधिकारो को ''हुकुमनामे ;; से खारिज नहीं कर सकेंगे ||