तलाक
और निजता पर सुप्रीम कोर्ट
का फैसला
केंद्र
को खुशी और गम थोड़ी -
थोड़ी
----क्यो
तीन
दिन के अंतराल मे सुप्रीम
कोर्ट के दो फैसलो ने देश मे
काफी हलचल मचा दी है |
सभी
राजनीतिक दल भी या तो थोड़े से
असमंजस मे थे अथवा उनको लग
रहा था की "”हमने
कहा था ना "”
की
मुद्रा मे आ गए |
उधर
दूसरा खेमा भी कह रहा था ''देखा
ना हम सही थे "”
| किस्सा
यह की अभी तक यही बहस हो रही
है की कौन जीता -और
कौन हारा ----
अब
यह तो अदालत ही किसी फैसले से
ही बताएगी |
फिलहाल
एक बात साफ है की बे इद्दत तलाक
{{एक
बार मे तीन तलाक }}
को
सुप्रीम कोर्ट ने "”अवैध
"” बताया
है | उन्होने
"”हलाला
'' या
अन्य विषयो पर कोई टिप्पणी
नहीं की है |
निजता
के अधिकार पर नौ जजो की पीठ
द्वरा इसे मौलिक अधिकार बताए
जाने पर - केंद्र
के कानून मंत्री रविशंकर का
कहना है की "”
भले
ही अदालत ने निजता को मौलिक
अधिकार कहा हो --परंतु
यह "”अन्य
मौलिक अधिकारो की भांति सम्पूर्ण
नहीं है --परंतु
थोड़ा =थोड़ा
है "” | कानून
और अदालती फैसलो मे हो सकता
है की कुछ मुद्दे अन छूए रह
जाये --परंतु
उनमे स्पष्ट कथन होता है |
रविशंकर
जी की टिप्पणी पर एक चुटकुला
याद आ गया "”
एक
लड़की ने अपने पिता से कहा की
--लगता
है की मै थोड़ी -थोड़ी
गर्भवती हु शायद''
इस
पर पिता ने कहा या तो तुम
गर्भवती हो अथवा नहीं हो यह
साफ है | क्योंकि
थोड़ा ==थोड़ा
कुछ नहीं होता "”
वैसे
ही रविशंकर जी को मान्ना पड़ेगा
की निजता आधार कार्ड मौलिक
अधिकार है अथवा नहीं |
आधार
कार्ड पर लंबित याचिका मे भी
सुप्रीम कोर्ट को फैसला देना
है | उसमे
और यह बात साफ हो जाएगी की
"”क्या
हाए काम और हर जगह आधार को वैसे
ही लेकर घूमना पड़ेगा -जैसा
की विदेशो मे हर टूरिस्ट
पासपोर्ट ले कर चलता है |
स्कूल
हो या बैंक अथवा मोबाइल की सिम
लेनी हो --सब
जगह आधार अनिवारी हो गया है
|
लोगो
को व्यक्तिगत जानकारी सरकार
को सुलभ करने मे कोई आपति
साधारणतया नहीं है |
परंतु
उस जानकारी को सरकार कितना
सुरक्षित रख पाती है अथवा उसका
दुरुपयोग व्यावसायिक लाभ के
लिए नहीं किया जा सके |
अनहि
मुफ्त मे मोबाइल फोन की सिम
देने वाली कंपनी मे आप को अपना
नाम और आधार दिखाना होता है
और बस आप की सारी जानकारी उनके
कम्प्युटर मे दर्ज़ |
अब
वे उसका कैसे उपयोग करेंगे
यह आप को नहीं मालूम |
आपके
बैंक का विवरण आपकी संपाती
का ब्योरा आय कर वाले को साथ
ही "”इनको
''भी
मालूम रहेगा "”
|
बिना
सहमति के हमारी व्यक्तिगत
जानकारी कोई दूसरा भले ही वह
दूसरा "”सरकार
ही क्यो ना हो "””
इस्तेमाल
नहीं कर सकता |
सुप्रीम
कोर्ट ने हर नागरिक को यही
ताकत इस फैसले से दी है |
कम
से कम सरकारी कारिंदे अब जब
चाहे नागरिक अधिकारो को
''हुकुमनामे
;; से
खारिज नहीं कर सकेंगे ||
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