चुनाव
मे किसी भी प्रकार विजय का
परिणाम ही है ==रामरहीम
का
हिंसा
का दावानल कानून का राज
यौन
शोषण के मामले मे फंसे डेरा
सच्चा सौदा के राम रहीम के
दोषी सिद्ध होने पर उनके "”
शिष्यो
"” द्वरा
चंडीगढ और दिल्ली मे हो रही
आगजनी और तोड़ – फोड़ पर ना केवल
हरियाणा सरकार वरन केंद्र
की पुलिस भी "”असहाय
"” नज़र
आ रही है | हालत
कितने बिगड़े हुए है --इसकी
कल्पना इसी बात से की जा सकती
है की उच्च न्यायालय को "”हालात
को देखते हुए राम रहीम के डेरे
की सभी संपति को जबत किए जाने
का आदेश दिया है "”
!!! हालांकि
अभी उन्हे सज़ा नहीं सुनाई गयी
--तब
यह उपद्रव ! सज़ा
के बाद की तो बस कल्पना ही की
जा सकती है |
यह
जानकारी आम है की पिछले विधान
सभा चुनाव मे डेरा के समर्थन
से भारतीय जनता पार्टी को
मिले"”बहुमत
"' का
आधार है |
अब
उनके समर्थन से बनी "खटटर'''
सरकार
कितना और क्यो अदालत के आदेश
को कैसे पालन करेगी ?
फिलहाल
तो चुनाव अभी दूर है --परंतु
आगे चुनावी राजनीति के लिए
तो उन्हे धर्म आधारित आस्थावान
"”भीड़
'' के
रूप मे वोटरो की ज़रूरत तो पड़ेगी
! वरना
अमित शाह का काँग्रेस को समाप्त
करने का सपना तो अधूरा ही साबित
होगा |
मीरा
और भायंदर के चुनावो मे जैन
मुनि द्वरा मांस मुक्त समाज
के लिए बीजेपी को समर्थन देने
वाला विदेप भी सार्वजनिक हो
गया है | बीजेपी
इस नहर निगम मे बहुमत पाकर
सत्तारूद तो हो गयी -लेकिन
क्या वह नगर निगम को ''धर्म
स्थल ' की
भांति मांस और शराब मुक्त कर
पाएगी ? अगर
ऐसा नहीं हुआ तब क्या उनके
वॉटर ''ठगे
'' नहीं
रह जाएँगे ?
रामदेव
और श्री श्री से शुरू हुआ
काँग्रेस विरोध चुनाव के
दौरान बीजेपी के लोगो द्वरा
वोट मांगने का आधार तो बना |
परंतु
उस धर्मांधता की कीमत अब सरकार
को चुकानी पड़ेगी |
इस
हालत के लिए सत्तारूद दल द्वरा
नियमो और मर्यादाओ को भुला
कर खरीद फरोख्त कर के सरकार
पर कब्जा करना या बहुमत बनाना
-अब
भारी पद गया |
लगता
तो नहीं की देश के प्रधान सेवक
इन हालातो पर देश के सामने
''हक़ीक़त''
रखेंगे
!
अपराध
बोध से तो वे बहुत पहले ही मुक्त
हो चुके है |
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