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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Nov 29, 2024

 

राज्य की उत्पती का दैवी सिद्धांत -- महज लोगों को भयभीत करने का साधन था !


मानव समूहों - जातियों नस्लों और इलाकों पर पकड़ बनाने के लिए उस समय के "”बुद्धिमान "” लोगों ने सत्ता पर पकड़ बनये रखने के लिए "”राजा" और राज्य को उस "”पराशक्ति का आशीर्वाद बताया ----जिसे किसी ने नया तो देखा था और नया ही जाना था ! परंतु हर युग में शक्ति कि

सत्ता के चारों ओर लालची लोगों की भिनभिनाने की वाली भीड जमा हो जाती थी ---जैसा की आज भी होते देखा जा सकता है | हजारों वर्षों तक समाज के चतुर लोगों ने आम जनता की इस कमजोरी का लाभ उठाया | कुछ धरम गुरुओ ने भी इस धारणा को बल दिया | फलस्वरूप राजा को परमात्मा का दूत बता कर उसको पूजनीय स्थापित कर दिया , एवं उसकी '’’आज्ञा' को परमादेश बताते हुए उसकी अवहेलना को नया केवल '’’पाप '’ बताया बल्कि उसे अपराध भी घोषित किया | इसीलिए मानव इतिहास मे ऐसे राजाओ का ज्यादा जिक्र है ---जो अत्यंत अत्याचारी थे | उन्मे कुछ ने तो अपनी "”क्रूरता "” को ही अपनी विसहेसता सिद्ध करते रहे |

इन शासकों --राजाओ को अपनी इच्छा और अपने पुत्र -पुत्रियों और सगे संबंधियों का हित् परम धरम हुआ करता था |निज स्वार्थों मे ये शासक इतने लिप्त थे की दो पिद्दी से ज्यादा इनके राजवंश नहीं चले | इतिहास के जिन शासकों के वंश के लोगों ने राज किया ----वे कुक -कुछ ईमानदार थे ,और जनभिमुख थे | आज की राजनीति भी तब से अलग नहीं है | अरस्तू और सुकरात तब हुए थे तो आज भी लोग महात्मा गांधी पंडित नेहरू को उनके त्याग और न मूल्यों की रक्षा के लिए जाना जाता हैं |

जबकि हिटलर -मुसोलिनी -को अपने अहंकार के लिए जाना जाता है |


होने को लोकतंत्र मे चुनाव से नेता का चयन होता है , परंतु अक्सर चुने हुए नेता अपने अगल - बगल ऐसे स्वार्थी लोगों को एकत्र कर लेते है जो निहायत ही "””बेईमान "” साबित होते है | केन्या के राष्ट्रपति को इसलिए ही याद किया जाता रहेगा | अमेरिकी नव निर्वाचित राष्ट्रपति ट्रम्प का अहंकार इतना ज्यादा बड़ा है की वे दो बार के राष्ट्रपति के चुनाव को अभी से संवैधानिक संशोधन द्वारा हटाना चाहते है | उन्हे ना तो फिलिस्टीनियों के नर संहार की चिंता है और ना ही बेसहारा बच्चों की भूख की और ना ही अन्तराष्ट्रिय सहायता एजेंसियों के हजारों कार्यकर्ताओ की हत्या की | नया ही बमबारी मे मारे जा रहे डाक्टरों -नर्सों की |

कितना हास्यास्पद है की एक राष्ट्र बेसहारा नागरिकों को अपने बमों का निशान बना रहा है ---जिनके पास अपनी रक्षा का कोई साधन नहीं हैं | लेबनान पर इजराइल के हमले के बाद वनहा की सेना ने "” द्रोण "” से हमले का जवाब दिया | तब यहूदी राष्ट्र घुटने पर टीका , और ध विराम किया | m