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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Feb 18, 2017

शिवराज शिविर -विधायकों से अपेक्षा कैसे करे यह ज़रूरी


पंचमदी मे भारतीय जनता पार्टी के विधायकों का "”प्रशिक्षण शिविर "” वास्तव मे मुख्य मंत्री शिवराज सिंह का चिंतन बैठक थी | जिसमे जनता के मध्य छवि को बरकरार रखने के उपाय समझाये गए थे | हालांकि सत्तारूद दल के सभी विधायक इस शिविर मे नहीं गए थे | जिन विधायकों को व्यक्तिगत रूप से कहा गया था , उनके अलावा सरकार से अशंतुष्ट बीजेपी विधायक भी गए थे |

समाज मे जन प्रतिनिधि कैसा दिखयी पड़े और क्या करे इस बारे मे मुख्यमंत्री के "”विचार बहुत स्पष्ट थे "”
“” आप जनता मे अपनी उपस्थित के प्रति सचेत रहे ,लोगो को लगे की आप आस -पास है | काम भले करे या ना करे "” दूसरा कथन --- “चिड़चिचिड़ाने से क्या होगा - मुझे देखो सबसे मुस्कुरा कर मिलता हूँ "” “”अपने विधायक अच्छी बाते करे शासन की आलोचना करके विपक्ष नहीं बने "” उन्होने विधायकों को अपने स्वस्थ्य के प्रति और चित्त के प्रति सचेत रहने के लिए उन्हे योग करने और पाँच मिनट का ध्यान योग करने की सलाह भी दी |
उन्होने राजधानी के दो विधायकों को प्रताड़ित भी किया – राज्य मंत्री विश्वास सारंग द्वारा बड़ी -बड़ी होर्डिंग लगा कर कान फोडु संगीत और डीजे से निजी प्रचार करने की भर्त्सना भी की दूसरे विधायक रामेश्वर शर्मा द्वारा आए दिन धार्मिक आयोजनो के नाम पर चंदा उगाहने को भी बरजा | उनके अनुसार ऐसा कुछ मत करो जिस से जनता को कष्ट हो और उन्हे बुरा लगे |

आखिर मे उन्होने अपने विधायकों से अपना प्रसिद्ध वाक्य दुहराया --- मै हु ना | उनका आशय यह था की की जन सेवा हो न हो पर दिखे की तुम बहुत प्रयास कर रहे हो | अमीर बनो पर अमीरी दिखाई नहीं पड़े --की लोगो का ध्यान उस ओर जाये | शिविर का सार यह था की शिकायत मत करो स्तुति करो खिजने से कुछ नहीं होता मन शांत रखो --इस फार्मूले से मुख्यमंत्री को लगता है की किसानो द्वारा की जा रही आतंहत्याए और उनकी बर्बाद हुई फसले एवं क्रशि बीमा के मुआवजे के नाम पर 11/- के भुगतान ने घाव पर नमक ही छिड़का है | जिन किसानो ने सब्जी लगाई आलू - टमाटर के भाव दलालो के कारण इतने कम मिल रहे है की किसान आलू - टमाटर सड़क पर फेंक रहा है | राजधानी का वेतन भोगी तबका तो बहुत खुश है की सब कुछ दस बीस रुपये किलो मे मिल रह है | पर भोपाल के दो लाख लोगो के इस सुख के पीछे लाखो किसानो का खून है | जिसे सरकार नहीं देख रही है | लोगो को मजदूरी नहीं मिल रही है क्योंकि बड़े - बड़े काम थप पड़े है | पर प्रदेश का नेता सिर्फ दिखावे के प्रयास मे भरोसा कर रहा है |

Feb 8, 2017

पंजाबी -बंगाली -तमिल और मलयाली सभी तो भारतीय फिर हिन्दू कनहा ??

बेतुल की जिस जेल मे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रथम संघ सरचालक गोलवलकर को रखा गया था - उस बैरक मे श्रद्धा सुमन अर्पित करने गुरुवार 8फ़रवरी को सर संघचालक डॉ मोहन भागवत भी पहुंचे | इसी दिन हिन्दू सम्मेलन को संभोधित करते हुए उन्होने कहा की "”” देश के मुसलमान भी राष्ट्रियता से हिन्दू है "” उन्होने यह भी कहा की अगर देश का भला -बुरा होता है तो लोग जिम्मेदार हिन्दू को मानेगे | जात-पांत को खतम करने का आवाहन करते हुए उन्होने चेतावनी दी की अगर यह खतम नहीं हुआ “”दुष्ट अत्याचार करेंगे “” |

भागवत जी के उद्बोधन से कुछ सवाल उठ खड़े होते है जिनका देश के सामाजिक और धार्मिक आस्था से सरोकार जुड़ा हुआ है | सर्व प्रथम भारतवर्ष के सभी नागरिक भारतीय है हिन्दू नहीं | क्योंकि हिन्दू शब्द को कालांतर से वेदिक धर्म |का पर्यायवाची मान और समझ लिया गया है | जो सही नहीं है | वेदिक धर्म है और हिन्दू शब्द सिंधु नदी के पार रहने वालो के लिए सिकंदर ने प्रयोग किया था |
अतः इस अंतर को सँझना अत्यंत आवश्यक है | संभवतः भागवत जी किनही कारणो से भारतीय शब्द का प्रयोग करने से कतराते है | परंतु उनके कथन के बावजूद भी हिन्दू कोई धर्म नहीं है | जिस प्रकार पंजाबी -बंगाली -तमिल या मलयाली छेत्र विशेस के निवासियों के लिए प्रयुक्त होता है ,उसी प्रकार भारतीय भी देश के निवासियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है | देश मे भले ही लोग हिन्दू - मुसलमान से दो धर्मो के मानने वालो को पहचाने | परंतु विदेशो मे इन दोनों के लिए एक ही शब्द का इस्तेमाल होता है "”इंडियन "” जिसकार अनुवाद भी भारतीय है | हिंदुस्तान नहीं |

उन्होने जाती के बंधन से समाज को मुक्ति पाने का आग्रह किया | उनकी यह अपील सरहनीय है --परंतु इस व्यसथा को समाप्त होने के निकट भविष्य मे कोई उम्मीद नहीं दिखाई पड़ती | इसका उदाहरण अङ्ग्रेज़ी समाचार पात्रो मे निकालने वाले वैवाहिक विज्ञापनो मे देखने को मिलेगा | यह ईसाई विवाहो के विज्ञापनो मे देखने मे आता है ---जनहा एक ऐसे वर या वधू की आकांछा रहती है --जिनके पूर्वज नंबूदरी ब्र्म्हन अथवा नायर समाज से हो ,और जो बाद मे धर्म परिवर्तन कर ईसाई बन गए | इसका अभिप्राय यह है की धर्म परिवर्तन के बाद भी "”जाति"” पीछा नहीं छोडती है | अब यनहा के निवासियों के मन मे बैठी जातीय श्रेष्टता ही उन्हे नाम के बाद सरनेम लिखने को मजबूर करती है | नाम अगर व्यक्ति की पहचान है तो सरनेम उसकी जाति की पहचान है |
परंतु यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि देश की सत्तारूद दल की जान और पहचान है | 1977 मे बनी जनता सरकार का विघटन सिर्फ इस कारण हुआ था की जनसंघ के लोगो से संघ से संबंध विछेद करने का पार्टी का आदेश हुआ था | तब संघ के सदस्यो ने सरकार से अलग होना मंजूर किया था --परंतु अलग होना नहीं | आज जब चरो ओर जाति या समाज विशेस के लोग "”आरक्षण "” की मांग को इन्हे आधार बनाते है ,तब यह बयान दूसरा ही रूप ले लेता है | बिहार चुनावो के समय भी संघ ने जातीय आरक्षण के विरोध मे बयान दिया था | जो भारतीय जनता पार्टी के लिए हानिकारक सीध हुआ | यानहा तक की पार्टी तीन अंको की संख्या भी नहीं पा सकी | अब लगभग फिर वैसी ही स्थिति है --तीन राज्यो मे विधान सभा चुनाव होने है | एवं उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड मे जातीय समीकरण विजय श्री के लिए महत्वपूर्ण है |

कमल -कुत्ता का महिमा पुराण और प्रधान मंत्री मोदी जी !

पाँच राज्यो के विधान सभा के चुनाव प्रचार के मध्य देश का बजट लोकसभा मे पेश करके मोदी सरकार ने देश मे फिर से प्रथम स्थान पाने की बाज़ी मार ली है यद्यपि इनहि परिस्थितियो मे मनमोहन सिंह सरकार ने बजट का प्रस्तुतुतीकरण चुनाव परिणाम आने तक ताल दिया था | अब इनकी ज़िद का एक ही कारण हो सकता है की इन्हे भावी की आशंका से भय है || दूसरा मौका नंबर वन होने का था की पूर्व मंत्री और वर्तमान लोकसभा के सदस्य ई अहमद का सदन मे निधन हो जाने के बाद भी उनके परिवार जनो को राम मनोहर लोहिया अस्पताल मे उन्हे देखने की इजाजत तक नहीं दी ,, आखिरकार उनकी मौत के बाद आधी रात मे उन्हे शव के पास जाने दिया गया | उनके इलाज़ के लिए कोई त्वज़्ज़्हो -उनके पद के अनुसार नहीं दी गयी | यहा तक सदस्य के निधन के बाद सदन मे अवकाश रखने की परंपरा भी खतम कर दी | शायद इन उपलब्धियों से पहले हम और सर्वश्रेष्ठ हम का कोटा नहीं पूरा हुआ था | जिसे पूरा करने के लिए प्रधान मंत्री ने क्र्त्ज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर गजब का भाषण दिया |

अब उनके भासण को हम कुत्ता और कमल पुराण ही कह सकते है | क्योंकि एक घंटे और पचास मिनट {जैसा लोकसभा सूत्रो ने बताया } मे मोदी जी ने सदस्यो के प्रश्नो के उत्तर तो नहीं दिये वरन उनके बयानो को अपने भासन का आधार बनाया | वैसे भी मोदी जी लोकसभा मे बिरले ही बोलते है और यदा --कदा ही अवतरित होते है |

कुटा पुराण काँग्रेस दल के नेता खद्गे साहब के उस बयान से उपजा था जिसमे उन्होने कहा था की स्वतन्त्रता की लड़ाई मे काँग्रेस जानो का योगदान था और नेहरू परिवार ने तीन प्रधान मंत्री देश को दिये | जिसमे दो ने --इन्दिरा गांधी और राजीव गांधी ने अपने प्राण देश के लिए उत्सर्ग कर दिया | आपके पार्टी की ओर से तो एक कुत्ते ने भी जान नहीं दी | इसके जवाब मे मोदी जी ने कहा की हम "”हम कुत्तो वाली परंपरा नहीं पाले - बड़े है "” | अब सवाल है की कौन कुत्तो की परंपरा मे पला बढा ? वैसे तो कुत्ता पालना अमीर और माध्यम वर्ग के लोगो की परंपरा है | फौज और पुलिस भी इसी परंपरा मे आते है | मोदी जी की यात्रा के पूर्व भी इनहि कुत्तो के समूह द्वरा बम की खोज कर उनके स्थान को निरापद बनाया जाता है | कहते है परिवार मे आपदा से रक्षा के लिए भैरव रूप को रोटी दिया जाना चाहिए | और स्वामिभक्ति का तो वह उदाहरण ही है | अब मोदी जी ठहरे "”फकीर "” जो लाखो का तो सुत पहनता है पर - घर -बार के झंझट से दूर | बहुत "”काम "”करते है | परंतु मोदी जी यह देश आप जैसे राष्ट्रीय स्वयं सेवको से नहीं बना है | यानहा आदि गुरु शंकराचार्य ग्रहस्थ आश्रम की महत्ता बता गए है | आप और आपका संघ उसे गलत साबित नहीं कर सकता | हा आप को चोट लगी खडगे साहब के सवाल से ---तो इतिहास गवाह है की आप की विचार धारा के लोग आज़ादी की लड़ाई से नदारद थे | जिन सावरकर का नाम लेते है वह हिन्दू सेना के थे | और भगत सिंह तो पूरी तरह से साम्यवादी विचारिओ के थे | इन लोगो का नाम लेकर आप अपने जैसी विचारधारा को "”पवित्र" नहीं कर सकते | अंग्रेज़ो से छमा मागने का भी इतिहास आप लोगो का ही है | यह कह कर आप ना तो नेहरू परिवार के कुर्बानियों को कम कर सकते हो -ना कर पाएंगे | आपातकाल का ज़िक्र बहुत कर रहे है ---- परंतु तब भी सब कुछ संविधान और नियमो के तहत हुआ था ---आप तो नोटबंदी का अधिकार रिजर्व बैंक अक्त की 26 [2] धारा के अनुसार यह अधिकार सिर्फ वनहा के गवेरनार का है | आपका नहीं | 50 दिन मे सब कुछ ठीक करने की डींग मारी थी सारा देश अभी भी उस झटके से उबरा नहीं है | लें - दें सामान्य नहीं हुए है |
न्हासन के दौरान उन्होने 1857 मे क्रांति के निशान कमल और रोटी का ज़िक्र करते हुए कहा ---तब भी कमाल था आज भी कमाल है और रहेगा | मोदी जी आप को पता नहीं की कमल तो वेदो और पुराणो के समय मे भी था और आपके नहीं रहने पर भी रहेगा | वह हिन्दू - मुसलमान की एकता का प्रतीक था | एक मुगल बादशाह को सभी क़ौमों ने अपना नेता माना था | नाना जी तक ने भी | पर आप का कमल सिर्फ गैर मुसलमान और ईसाई का है | वैसे तो राम ने रामेस्वरम मे देवी पूजा मे 108 कमल छड़ने का "”संकलप "”लिया था जब एका कमल कम हो गया तो वे कमल समान अपने नयन को निकालने पर तत्पर हो गए थे | आप तो कमल के लिए एक कटरा खून भी नहीं बहाएँगे | मत करिए तुलना नुकसान मे रहेंगे |

Feb 5, 2017

जांच करने वाले बहुत -सीबीआई और एनआईए पर मुकदमा तो हारते ही जाते है __क्यो ?

बम विस्फोटो की जांच हमेशा नामची केन्द्रीय जांच एजेंसियो द्वारा की जाती है ----पर परिणाम हमेशा उनकी इज्ज़त मे पलीता लगाता है | अभी हाल मे मारन बंधुओ को मैक्सिम डील मे तथा कथित रिश्वत खोरी के आरोप से विशेष जज ने बारी करते हुए अभियोजन पर अकुशलता की टिप्पणी भी की | इस फैसले से बौखलाये आय कर शाखा ने सीधे सुप्रीम कोर्ट मे अपील कर दी है !

अब गौर करे सीबीआई और नेशनल इन्वेस्टीगेसन एजेंसी के रिपोर्ट कार्ड की 1993 मे सूरत बम कांड का फैसला 2014 मे आया --जिसमे 11 आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया है ! कोयंबटूर बम विस्फोटो की श्रखला मे सब मिलकर 19 विस्फोट हुए थे | जिस आरोप मे सीबीआई ने 166 आरोपियों के खिलाफ चार्ज शीट अदालत मे पेश किया था | सेशन जज ने उनमे से 53 लोगो को सज़ा सुनाई | यानि 113 लोग निर्दोष थे अथवा अभियोजन उनके विरुद्ध सबूत नहीं पेश कर पाया ?? आखिर क्या कारण है ? क्या इस शाखा मे किसी अफसर को इस असफलता का जिम्मेदार बनाया जाता है ? अथवा चलो एक मामला खतम हुआ -कह कर आगे बाद जाते है ,दूसरे मामले की जांच का अभिनय शुरू हो जाता है ?

अभी हाल मे देवास के बहुचर्चित जोशी हत्याकांड का फैसला आया इस मामले की खाश बात यह थी की मध्य प्रदेश पुलिस ने इस हत्यकाण्ड की जांच मे खत्म लगा दिया था | बाद मे इस मामले की फाइल खोली गयी और जांच का जिम्मा एनआईए को दिया गया | इस मामले मे एक आरोपी साध्वी प्रज्ञा भारती भी थी | जिनहे 8 साल तक निरूध रहना पड़ा | आखिर मे अदालत ने सभी आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया गया |
उसके बाद विश्व चर्चित मामला गोधरा हत्याकांड का आया | जिसमे भी अदालत ने सभी 28 अभियुक्तों को दोषमुक्त कर दिया !! यह वह मामला था जिसको लेकर गुजरात की बीजेपी सरकार पर बहुत आरोप लगे थे | अब उन आरोपो को झूठ तो नहीं माना जा सकता --क्योंकि वह घटना -नर संहार तो हुआ ही था | अब अदालत मे कानून और जांच घटना के दोषियो को दंड नहीं दिला पाये तो किसे अपराधी माने ?? क्योंकि अपराध हुआ और सभी बाइज्जत निकाल गए --तो अपराधियो का हौसला बदता है और पुलिस का मनोबल गिरता है |

Feb 4, 2017

परिवेश -शिक्षा - संस्कार तालिबानी सोच बदल सकते है ?

आम तौर पर माना जाता है की शिक्षा और परिवेश व्यक्ति के सोच और विचारो को प्रभावित करते है | पारिवारिक संस्कारो के साथ आदमी बड़ा होता है , उनकी सत्यता और व्यवहारिकता को वह शिक्षा और अपने अगल - बगल के वातावरण मे अपने बने हुए मूल्यो को परखता है | वही फिर उसके जीवन मे निर्णायक कसौटी बनते है |
परंतु पश्चिमी शिक्षा और वनहा रहन सहन तथा खुलापन भी अक्सर लोगो के कट्टर विचारो को नहीं बदल पता | अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के व्यवहार से तो यही प्रतीत होता है ,,की उनकी शिक्षा -दीक्षा ने उन्हे ज्यादा कूप -मंडूक ही बनाया है | हाल ही मे उन्होने व्हाइट हाउस मे अपने महिला स्टाफ सदस्यो को उन्होने नयी गाइड लाइन जारी की है जो उनके सोच की स्ंकीर्णता को व्यक्त करता है | इस आदेश के अनुसार महिलाए स्त्रियो के ही परिधान पहने अब इसका असर यह हुआ की महिला कर्मी पैंट -कमीज़ और टाई नहीं पहन सकती | क्योंकि वे पुरुष की पोशाक मानी जाती है | अब इस भेद को तालिबन के उस फतवे से बराबरी करे -जिसमे उन्होने बिना नकाब--बुर्का पहने किसी भी स्त्री के बाहर आने पर कोडो की सज़ा निर्धारित की है | अफगानिस्तान -के तालिबन हो या ईरान के हिजाब का मसला हो वह भी ऐसा ही है --की स्त्री और पुरुष अलग -अलग है | कोई आश्चर्य नहीं की श्रीमान ट्रम्प अमेरिकी फौज मे महिलाओ की नियुक्ति अब मात्र मेडिकल सेवाओ और संचार सेवाओ तक सीमित कर दे | जनहा वे पुरुष सह कर्मियों से अलग रहे !!अभी वे फ्रंट मे और हमला करने मे पुरुषो की बराबरी करती है | इक्कीसवी सदी मे अमेरिका जैसे देश मे यह कबीलाई सोच आखिर किस वजह से है ?? इसका खुलासा होना होगा | एशिया के उन मुल्को मे जो घोषित रूप से इस्लामिक राज्य है उनमे भी इस तरह के तालिबानी हुक्म नहीं है | जैसे मलेसिया -इंडोनेशिया | कभी इराक़ सद्दाम हुसैन के काल मे पूरी तरह से स्त्री – पुरुष को बराबरी का दर्जा देता था | ईरान मे भी अयातुल्ला खुमइनी के प्रादुर्भाव से पहले नर - नारी समान अधिकार रखते थे | अब नए निज़ाम मे बराबरी खतम हो गयी है | आखिर यह भी तो तालिबानी सोच है | तब ट्रम्प को सात इस्लामिक देशो से हिंसा का खतरा तो हो सकता है परंतु सोच मे तो दोनों ही एक जैसे है |

Feb 3, 2017

भ्र्र्ष्टाचार की लक्ष्मण रेखा के लिए लाये अध्यादेश -
44 हज़ार यूरो की रिश्वत है कबूल सरकारी मुलजिम को

रिश्वत के कई रूप भारत मे दिखाई पड़ते है – पटवारी साहब "”शुक्राना "” लेते है तो पुलिस दारोगा नजराना और बड़े अफसर "”भेंट या गिफ्ट ' लेते है | निर्माण कार्यो मे इंजीनीयर साहब "”कमीशन "” लेते है सरकारी खरीद मे "”हिस्सा"” होता है | अभी एक मामला सामने आया है --जिसमे भोपाल मे बैठे आला हज़रत ने बजट पास करने पर स्वीक्रत राशि पर अपना "””कट "” भिजवाने की मांग फोन पर ही कर ली थी | रिश्वतख़ोरी इतनी व्यापक हो गयी है की अब बाज़ार मे लोग इसे भ्रष्टाचार की जगह शिष्टाचार कहने लगे है | कुछ इसी परंपरा मे योरोप के देश रोमानिया ने तो तीस - बत्तीस लाख की रिश्वत से कम की राशि म्के गोलमाल - लेनदेन को संगे अपराध ही नहीं माना है | इस से अधिक की राशि को ही गंभीर अपराध माने जाने संबंधी अध्यादेश जारी किया है | जिसका वनहा की माइनस डिग्री तापमान मे लोग सदको पर विरोध जाता रहे है | भारत होता तो यह सब करने की ज़रूरत ही नहीं थी --बस मन माफिक जांच एजेंसी और सहानुभूति रखने वाला ज़ ही चाहिए था |

बीस साल पहले सैनिक तानाशाही से छूटकरा पाने के लिए रुमनीय के नागरिकों ने बड़ा आंदोलन किया -प्रजातन्त्र लाने के लिए -वोट से चुनी सरकार बनाने के लिए परंतु गत 2फेरवऋ को एका बार फिर बीस लाख नागरिकों ने राजधानी बुखारेस्ट मे संसद भवन पर घेरा डाला | माइनस डिग्री की ठंड मे नर - नारी राष्ट्रपति द्वारा सोशल डेमोक्रेट पार्टी के नेता द्रागनिया को बचाने के लिए इस कानून को
ढाल बनाने का आरोप जनता द्वारा लगे | राजधानी के अलावा देश चार प्रमुख नगरो और बंदरगाहों मे भी जनता - जनार्दन की भीड़ ने आक्रोश जताया | वनही सत्तारूद सोशल डेमोक्रेट पार्टी के नेता सोरिन ने कहा की की इस अध्यादेश का उपयोग जेल मे बदती भीड़ को कम करने के लिए लाया गया है | इसमे कहा गया है की जो लोग हिसा से जुड़े मामलो मे बंदी है उन्हे नहीं छोड़ा जाएगा | केवल उन लोगो को को छोत मिलेगी जीके ऊपर 44 हज़ार यूरो से कम की गड़बड़ी के आरोप है | मतलब भारतीय हिसाब से 32 लाख रुपये की रिश्वत "”गंभीर"” अपराध नहीं ह
यह उस देश मे हो रहा है जिसने 1986 मे टनशाई का अंत कर वोट से चुनी सरकार को राज - काज चलाने का अधिकार दिया था | सत्तरूद पार्टी द्वरा कहा जा रहा है की 31 जनवरी का अध्यादेश यूरोपियन यूनियन की शर्तो के कारण उन्हे ऐसा करना पद रहा है | जबकि मीडिया और विरोधी दल पूछ रहे है की दिसम्बर मे हुए संसदीय चुनावो मे इस प्रकार के सुधार की कोई बात नहीं की गयी थी | अब एक महीने बाद ही ऐसा क्यो ?

अंतराष्ट्रीय मीडिया द्वारा इस आंदोलन को बहुत अहमियत दी जा रही है --क्योंकि इस अध्यादेश के कारण 2500 लोग जेल से रिहा हो कर अपराध मुक्त हो जाएंगे |

Feb 2, 2017

क्या तीसरा क्रूसेड़ अटलांटिक के तट पर लड़ा जाएगा ?

बारहवी सदी मे ईसाई और इस्लाम के बीच जेरूसलम के पवित्र नगर पर कब्जे को लेकर हुए इस युद्ध मे ब्रिटेन के सम्राट रिचर्ड जिनहे लायन हार्ट भी कहा जाता है उन्होने इस्लाम फौज के सेनापति और मिश्र के बादशाह सलादीन से अपनी फौज के लिए सागर तट पर खड़े जहाजो का रास्ता मांगा था – जो सलादीन ने मंजूर किया था | भूमध्यसागर पर हुए इस युद्ध के बाद धर्म के नाम पर युद्ध होना बंद हो गया था |
परंतु अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड तृम्प द्वरा सात इस्लामिक देशो के नागरिकों के वहा आने पर प्रतिबंध लगाने से इन देशो से कूटनीतिक संबंध प्रभावित होने की पूरी आशंका है |अभी ये संबंध है |
ये देश है जहा इस्लाम के अनुयाईओ का बहुमत है | येमान - लीबिया - सुडान - सोमालिया - सीरिया- और इराक़ तथा ईरान है | शुक्रवार 27 जनवरी के इस प्रशासनिक आदेश से ट्रम्प ने खतरनाक टिप्पणी भी की "””हमे उनकी ज़रूरत नहीं है -हम उन लोगो को प्रवेश नहीं दे सकते है जिनसे हमारे सैनिक युद्ध कर रहे है | “”” इस बयान से उन्होने अपने प्रशासन की नीति को दिशा दे दी है | उन्होने इस आदेश को होमलैंड --एफ बी आई - आब्रजन आदि सभी संबन्धित इकाइयो को भेज कर नए प्रवेश नियम बनाने का निर्देश दिया है |
हालांकि ट्रम्प साहब को अपने फैसले क भरी कीमत चुकाने का अंदेशा व्यक्त किया जा रहा है | सबसे पहली बलि तो अटार्नी जेनरल हुई जिनहोने इस फैसले को असंवैधानिक बताते हुए इस आदेश की अदालत मे पैरवी से इंकार कर दिया | उन्हेने हटाने के बाद विदेश विभाग के 500 करम्चरियों ने एक स्मरण पत्र भेज कर इसे गलत कदम बताया | जिस पर ट्रम्प के प्रैस सलाहकार ने कहा "”जिनहे इस प्रशासन के निर्देशों को मानने से तकलीफ है --वे नौकरी छोड़ कर जा सकते है | उम्मीद है सौ एक लोग पद त्याग की सोच रहे है |
उदाहर चार राज्यो वाशिंगटन राज्य -कोलारेडों सहित चार राज्यो की सरकारो ने फेडरल अदालत मे इस आदेश को चुनौती दे रखी है | माइक्रोसॉफ़्ट के प्रबंधन ने वाशिंगटन राज्य के गवर्नर को सूचित कर दिया है की यदि इस आदेश को लागू करने की कोशिस हुई तो वे अपने व्यापार को पड़ोसी देश मेकसिको मे चले जाएंगे | गौर तलब है की माइक्रोसॉफ़्ट के मालिक बिल गेट है जो दुनिया के सबसे धनी व्यक्ति है ---यानि ट्रम्प से दो सौ गुना संपाती के मालिक | आईबीएम भी इस ओर विचार कर रहा है | इन दो कंपनियो का कारोबार अम्रीका के राजस्व और नौकरी के अवसरो को काफी कम कर सकता है |
जिन सात देशो के नागरिकों को वीसा देने मे सुरक्षा एजेंसिया को कड़ाई से जांच - परख के निर्देश से अधिकान्स लोगो को अम्रीका मे प्रवेश नहीं मिलने की गुंजाइश है | इसलिए नहीं की वे किसी आतंकी या आतंकवादी गुट से संबंध रखते है ----वरन इस लिए की अमेरिकी स्तर पर इस देश के नागरिक सूचनाए उपलब्ध करने मे नाकाम होंगे | क्योंकि अमेरिका की भांति प्रत्येक नागरिक का डाटा इन अविकसित देशो मे नहीं सुलभ होता | एक तरह से इन देशो को प्रवेश नहीं देने का यह "”द्रविड़ प्राणायाम "” ही है |

इस आदेश का अरब देशो मे भरी विरोध हो रहा है | अभी तक जो आतंकी संगठन आपस मे लड़ -भीड़ रहे थे --उनके लिए अब अकेला शत्रु अमेरिका बन गया है | 9/11 की घटना से यह तो साफ है की जिस प्रकार के छापामार युद्ध मे इन मुस्लिम देशो के नागरिक प्रवीण है -उनको रोकने मे वनहा का प्रशासन उतना ही नाकाम है | अरब और अफ्रीका के इस्लाम के अनुयायियों की संख्या देखते हुए यह कहना ठीक ही होगा की ''इनहोने एक सिरफिरे '' कौम से ना केवल दुश्मनी मोल ली है -वरन उन्हे एक करने मे भी सहायक होंगे |
अब अपने आदेश को सही ठहरने के लिए अमेरिका ने दुनिया के छोटे से देश कुवैत का सहारा किया है | जिसने भी अफगानिस्तान - पाकिस्तान - सीरिया - और ईरान तथा इराक के नागरिकों के वनहा आने पर पाबंदी लगा दी है | एक तरह से यह क़ाबू मे आए राज्य से हां कहलाने जैसा है | गौर तलब है की जब इराक ने सद्दाम हुसैन के नेत्रत्व मे कुवैत को दो डीनो मे अपने अधीन कर लिया था तब अमेरिका ने ही इस देश को उनके आधिपत्य से मुक्ति दिलाई थी |

कुवैत के इस फैसले से ना केवल उसने अरब दुनिया के देशो से अपने को अलग कर लिया है वरन उनकी दुश्मनी भी मोल ले ली है | इसे कहते है नादां की दोस्ती मे ढेलो की सनसनाहट होना | अब कुवैत को तो एक छोत्या सा धमाका ही हिला देगा | जिस से बचाने की ताकत अमेरिका मे भी नहीं है |