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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jun 9, 2023

 

समानता  के अधिकार की  विरोधी है ,हिन्दुत्व की मुहिम  

 

                 आजकल देश में मूर्तिया और मंदिर बनाने पर ज्यादा ज़ोर है , ऐसा माहौल भारत के विगत 70 सालो के लोकतन्त्र के इठस में नहीं देखा गया |  यूं तो राम मंदिर निर्माण की मुहिम और बाबरी मस्जिद को ढहाने में आरएसएस और वीएचपी तथा बजरंग दल के अलावा सत्तरूद दल की प्रछन्न  सहमति  ही जिम्मेदार थी | जिसके लिए उनके मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को भी एक दिन की सज़ा भी सुप्रीम कोर्ट ने दी थी !  परंतु धार्मिक ज्वार  को बड़ाने में  सत्ता का निषेध नहीं होने के कारण  अभी भी अनेकों स्थानो पर गैर सनातनी  लोगो को उग्र भीड़ द्वरा  न केवल कानून को हाथा में लिया जाता हैं वरन  मार पीट कर अनेक बार हत्या भी कर दी जाती हैं | अफसोसा यह हैं की पुलिस की  खामोशी इसमे घी डालने का काम करती है |

            जिन पाँच राज्यो में विधान सभा के चुनाव आगामी नौ – दस माह में होने है , और वनहा पर बीजेपी की सरकारे है उन प्रदेशों में यह ज्वर ज्यदा तीव्र है | खास कर उत्तर प्रदेश में तो  भगवा धारी मुख्यमंत्री के नेत्रत्व में तो माफिया करार दिये गए आतिक और लखनऊ मे बाजवा  की अदालत में ले जाते समय हुई हत्या  यह बताती है की बिना राजनीतिक सहमति के पुलिस का इस प्रकार नाकरा रहना  , संभव नहीं है |  अब कानून की मरयदा का उल्ल्ङ्घन करते हुए बिना उचित समय और नोटिस के मुसलमानो के घरो को बुलल्दोजरों से ढहाना  कान्हा तक शांति – व्यसथा  है ?  परंतु अफसोस होता हैं की हमारी न्यायपालिका भी  योगी सरकार के कार्यो को  रोकने में असमरथ  है ---आखिर क्यू ?

 

2—संविधान के अनुछेद  14 और 15 तथा 16 में  समानता के अधिकार को भली भांति परिभाषीय किया गया है |  जिसके अंतर्गत निवास – व्यवसाय और शासकीय सेवा में  धरम –मूल – और जाती तथा लिंग के आधार पर विभेद का प्रतिषेध  किया गया है |  इसके अनुसार किसी भी व्यक्ति को बिना कारण बताए गिरफ्तारी गैर कानूनी है |  पर आजकल और खासकर विगत नौ साल से  केंद्र और राज्य की जांच एजेंसिया  बस किसी भी मामले में “संदिग्ध “ बता कर किसी को भी मनचाहे समय तक जेल में डालदेती है | मजे की बात यह है की अदालत  उनसे यह नहीं पूछ सकती की आरोप के समर्थन में “”””मात्र  जांचकर्ता  का ब्यान ही काफी है “”   !  अक्सर इन एजेंसियो द्वरा कहा जाता है की – आरोपी जांच में सहयोग नहीं कर रहा है ! जबकि कानून कहता है की किसी भी व्यक्ति को उसके खिलाफ गवाही देने पर मजबूर नहीं किया जा सकता ----परंतु आजकल यही हो रहा हैं | सीबीआई हो एन आई ए हो या आयकर की एनफोर्समेंट शाखा हो सभी यही कहती है की आरोपी जांच में मददा नहीं कर रहा | अगर सरकार से इतनी सुविधा पाये जांच एजेंसिया  आरोपी के वीरुध  सबूत नहीं एकत्र कर पाती है तब  कानुन  बदल देना चाहिए , और कह देना चाहिए की आरोपी  को अपनी बेगुनाही साबित करनी होगी  अन्यथा वह इन सरकारी तंत्रो के आरोपो के अपराध का दोषी होगा ! क्या ऐसा कानुन  हम चाहते है !  कुछ कानूनों में ऐसा हैं भी जैसे पाकसो अक्त में | जिसके आरोपी भारतीय कुश्ती संघ के अध्याछ  ब्रज्भुसन शरण सिंह भी हैं|  

 बॉक्स

उपासना स्थलो में वीआईपी कल्चर और छुआछूत :-

           उज्जैन के महाकाल मंदिर भारत के ज्योतिर्लिंगों  में एक है --- मोदी सरकार द्वरा धार्मिक यात्रा को पर्यटन  में बदलने के प्रयासो में काशी विश्वनाथ को “”लोक “” बनाने के बाद “”महाकाल लोक “” बनाने की 800 करोड़ की योजना को उसी दिन पलीता लग गया , जिसदिन  देश की नयी संसद भवन का उदघाटन हुआ |  लोक बनाने में सप्त ऋषियों की बनाई गयी प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तिया  हल्के से आँधी वर्ष में ध्वस्त हो गयाई | चार दिन बाद नंदी द्वार के कंगूरे धराशायी हो गए |  सिर्फ इसलिए की प्रधान मंत्री से उदघाटन करवाने की जल्दी में  बाकी जो खर्चा हुआ सो अलग लेकिन आस पास के ज़िलो से भीड़ लाने के लिए भी 4 करोड़ रुपए सरकार के खजाने से गए !  अब इस तीर्थ  में प्रतिदिन हजारो श्र्धलु  रोज आते है , लेकिन गर्भ गृह में प्रवेश के लिए  प्रति व्यक्ति को 750 रुपया  देना होता है – अब यह कान्हा की समानता है की जो पैसे ना दे  वह बाहर से दर्शन करे और जाये !!!!  पर होता ऐसा ही हैं |

  यानहा वीआईपी कल्चर भी है राष्ट्रपति या प्रधान मंत्री आए या कोई अति विशिस्त  व्यक्ति आए तो उसके लिए  विशेस प्रबंध और विशेस प्रसाद की व्यवास्था  है |  पूर्व रास्टरपति तो पडुयका समेत कुर्सी पर आसीन हो कर दर्शन किए थे ! 

                मतलब यह है की थियेटर की भांति इस मंदिर में भी जो बलशाली है वो गर्भ गृह में जाये , बाकी पीछे  बैठ के पुजा अर्चना देखे |

अब संविधान के समानता का अधिकार  यानहा नोटो के आगे बेबस होगया और सरकारी तंत्र के आगे भी |

3--- जनहा तक  सार्वजनिक स्थानो पर बराबरी का हक़ सभी भारतीय नागरिकों को है ----वह तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले के मेलपाथी  गाव्न  में पूरी तरह से मजाक बन गया है | खबर के अनुसार इस ग्राम में “” धरम राज द्रौपदी अम्मान “ मंदिर को इसलिए शासन को बंद करना पड़ा , क्यूंकी ग्राम के ऊंची जाती और यानहा के दलितो के बीच मंदिर में दर्शन को लेकर  विरोध  था | एक अप्रैल को एक दलित समुदाय द्वरा मंदिर में प्रवेश को लेकर यानहा की ऊंची जातियो ने एतराज़ किया था | इस विवाद को लेकर छेत्र में जातीय तनाव हो गया था | फलस्वरूप  सरकार ने मंदिर को ही बंद कर दिया | और वनहा नोटिस चिपका दिया -----तो यह है संविधान के अनुचेद  14 -15 -16 17   का खुला उल्लंघन |

                     अब इन हिन्दू हिन्दू करने वालो से सवाल है की  क्या इस गैर बराबरी  के व्यवहार से कोई समुदाय  उस धरम में रहेगा क्यूंकी वह किसी अन्य जाती में जन्मा है ?????/  माता को कोख ही सभी के लिए एक है --- फिर पिता और उसका धरम तो उसपर थोपा जाता है ---वह उसे चुनता नहीं है | अगर कोई इस उपेक्षा  से दुखी हो कर दूसरा धरम अपनाए तो ----- वीएचपी और आरएसएसएस को तकलीफ होती है –आंदोलन होता है |  सनातनी पहले खुद अपने समाज में बराबरी लाये तब धरम परिवर्तन पर विरोध जताए | वैसे मध्य प्रदेश हो या उत्तर प्रदेश इनहि स्थानो पर शिकायत हैं |

 

         आखिर में एक  हक़ीक़त की धरम भी आज व्यापार सा हो गया है | आंध्र के तिरुपति वेंकटेश मंदिर को देश का सबसे धनी देश  माना जाता है | परंतु  सनातन धरम में मंदिर के देवता स्थान देवता होते हैं |  परंतु  टीटीडी  तिरुपति तिरुमल  देवस्थानम  ट्रस्ट  ने  , जो इस मंदिरा का संचालन करता है , उसने  देश में  तिरुपति वेंकटेश मंदिरो की श्रंखला  खोलने का निर्णय किया | और इस संदर्भ में गत गुरुवार को जम्मू में टीटीडी ने मंदिर के द्वार  भक्तो के लिए खोल दिये !!! कश्मीर के राज्यपाल भी मौजूद थे | अच्छा है अब भक्तो को दर्शन के लिए तिरुपति ब\नहीं जाना होगा |