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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Apr 8, 2018


चुनाव प्रतिस्पर्धा है अथवा युद्ध ? यह सीधा सा सवाल था मुख्य मंत्री शिवराज सिंह से प्रैस क्लब द्वरा आयोजित प्रैस से मिलिये कार्यक्रम मे
उन्होने बड़ी मासूमियत से दोनों ही स्थितियो को "”नकारते हुए "” कहा था की यह तो जनता की सेवा का साधन है ? मुख्यमंत्री जी आप सम्पूर्ण राज्य के मुखिया है ----सभी का कल्याण आपका उद्देश्य होना था | पर आपने तो सिर्फ सत्तासीन दल के मतदाताओ को बिन मांगे स्कूल - तालाब - शिक्षा और असमय मौत पर मुआवजा दे दिया ? क्या यही दरियादिली सभी जगह होगी ?



इस सवाल का आशय था की - मौजूदा हालत मे चुनाव प्रतिस्पर्धा तो बिलकुल नहीं रह गए है | बक़ौल मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओम प्रकाश रावत "” आज कल राजनीतिक दल -बस चुनाव जीतना ही चाहते है "” | इस बयान से प्रतिस्पर्धा की संभावना तो समाप्त ही हो गयी | क्योंकि यदि किसी भी ऐसे "”मुक़ाबले मे "” भाग लेने वाले सिर्फ जीतने का ही लक्षय रखेंगे तब -वे प्रतिस्पर्धा मे विजय श्री प्राप्त करने के लिए ऊषे "”कलुषित | अवश्य कर देंगे | तब निर्णायक भी "”बेबस हो जाएगा !

वर्तमान चुनाव प्रचार मे इसके उधारण -”यत्र -तत्र - सर्वत्र दिखाई पड़ेंगे ! यह वैसा ही है जैसे ओलंपिक मे "जीतने के लिए "” स्टिओरायड का इस्तेमाल खिलाड़ी करते है | परंतु वह रेफरी और अंपायर नियमो का पालन कराने मे बहुर कठोर है | इसीलिए शीट ओलंपिक मे रूस को जैसी विश्व शक्ति को "” प्रतिस्पर्धाओ मे भाग लेने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया | फलस्वरूप अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतिस्पर्धा मे रूस का राष्ट्रीयध्वज नहीं फहर्राया गया !!

परंतु रूसी खिलाड़ियो को ओलंपिक फेडरेशन के झंडे तले उन्हे अन्य राष्ट्रो के प्रतिभागियो के साथ चलना पड़ा !! यह रूस के लिए काफी अपमानजनक था ,क्योंकि फेडरेशन ने वनहा की सरकार को अपने खिलाड़ियो को प्रतिबंधित दवा देने का दोषो बताया था !!

इस परिप्रेक्ष्य मे अगर हम निर्वाचन आयोग की स्थिति को मौजूदा चुनावो मे किए जा रहे कार्यकलापों और बयानो के संदर्भ मे आंकलन करे तब हम उसे "””बिना नखशिख का बूढा सिंह ही पाएंगे | चुनाव कार्यक्रम की घोषणा सत्तासीन राजनीतिक दल द्वरा किया जाना – और एक संवैधानिक संस्था द्वरा मात्र "” दफ्तरी जांच का आदेश देना "” क्या इंगित करता है ?

अब आते है मुख्य मंत्री शिवराज सिंह जी के उद्गारों पर की "चुनाव तो जनता की सेवा का साधन है " | परंतु ऐसा उनके वचनो और फैसलो से नहीं लगता | कोलरास विधान सभा उपचुनाव मे भारतीय जनता पार्टी की पराजय से वे कुपित थे | जो उन्होने बाद मे शिवपुरी के बदरवाश विकास खंड के जंगल मे बसे ग्राम "”बेरखेड़ी "” मे सरकार द्वरा आयोजित लोक कल्याण शिविर मे --ग्रामवासियों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा की – ''आपने हमारी पार्टी को 322 वोटो का समर्थन दिया , वह संतोषजनक है | इस गाव से काँग्रेस को मात्र 9 वोट ही मिले थे | सत्तासीन पार्टी को दिये गए इस समर्थन के --- बदले मुख्यमंत्री ने इस गाव को बिन मांगे ही मिडिल स्कूल को हाइ स्कूल किए जाने और 19 करोड़ की लागत से ग्राम मे तालाब की खुदाई किए जाने का भी आदेश अधिकारियों को दिया | इतना ही नहीं गाव से बदरवास तक के लिए 9 किलोमीटर की सड़क बनाए जाने भी घोषणा की | इस शिविर मे नुख्या मंत्री अपनी पत्नी श्रीमति साधना सिंह जी के साथ उपस्थित थे | उन्होने ग्राम के सभी निवासियों को "” मीटर मुक्त बिजली कनेकसन"” के साथ गरीब महिलाओ के गर्भ धारण के 6थे माह से 9वे माह के दरम्यान 4000रुपए पौष्टिक आहार के लिए और संतान के जनम के उपरांत 12,000 रुपए दिये जाने का भरोसा दिलाया |

इतना ही नहीं गाव के गरीब की यदि 60 साल से कम आयु मे निधन होने पर परिवाजनों को 2,00,000 का मुआवजा मिलेगा | तथा अंतिम संस्कार के लिए पंचायत ''तत्काल'' 5,000 रुपया सुलभ कराएगी |
मुख्यमंत्री ने शिविर मे कहा की ""जो हमे देगा --वो लेगा"” !!

अब इस पूरी कवायद का क्या अर्थ निकाला जाये ? क्या यह जनता की सेवा है ?? वे प्रदेश के मुख्य मंत्री है ------जिनहोने उनकी पार्टी को वोट दिया उनके भी और जिनहोने उनका विरोध किया उनके भी ! इस रुख का तो यही अर्थ निकाला जा सकता है की विरोधी डालो के निर्वाचन छेत्रों मे सरकार विकास करी नहीं कराएगी ? क्या यह प्रतिस्पर्धा है ? अथवा युद्ध है -जिसमे प्रतिद्वंदी को येन -केन प्रकारेंण पराजित करना ही धर्म और उद्देश्य है ? जैसा की श्री कृष्ण ने गीता के उपदेश मे अर्जुन से कहा ??