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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Mar 4, 2017

अब बिहार के आइ ए एस अफसरो ने भी व्यापम स्टाइल मे सीबीआई जांच की मांग की
मध्य प्रदेश की दुनिया मे पहचान के दो बदनुमा दाग है ----पहला भोपाल गॅस त्रासदी ,,जिसमे शहर के हजारो नर - नारी और बच्चे मारे गए | एवं दूसरा है मेडिकल -डेंटल और राज्य की शासकीय सेवाओ मे भर्ती के लिए आयोजित की जाने वाली परीक्षाओ मे करोड़ो या कहे तो अरबों रुपये का भ्रस्टाचार हुआ | विगत सात सालो से चल रहे इस कांड मे राज्यपाल से लेकर मुख्य मंत्री उनके परिवार वाले तथा वारिस्ठ अफसरो के चरित्र पर उंगली उठी थी | मज़े की बात यह है की प्रदेश शासन ने स्पेसल इन्वेस्त्तिगेसन टीम बनाई थी | शिकायत होने पर सुप्रीम कोर्ट ने "”प्रसिद्ध सीबीआई '''से जांच करने का आदेश दिया | तब पता चला की सीबीआई ने एस आई टी के अनेकों अफसरो को परीक्षा देने वाले छात्रो से गिरफ्तार किया जाये या छोड़ दिया जाये की तर्ज़ पर --डरा धमका कर लाखो -लाखो की रिश्वत लेने के आरोप मे गिरफ्तार किया |
अब इतनी खूबियो खास कर आईएएस अफसरो को पूरी तरह से बचाने और मातहतो को फसाने की विलक्षण कला से ही अभिभूत हो कर बिहार के 110 आईएएस अफसरो ने सुधीर कुमार की गिरफ्तारी पर विरोध जताते हुए राज्यपाल रामनाथ कोविद को ज्ञापन देने के पूर्व ''''मानव श्रंखला बनाई ''' अफसरो द्वरा सरकार के खिलाफ इस प्रकार विरोध प्रदर्शन करना शायद प्र्शसनिक इतिहास मे पहला अवसर है | प्रदेश की आईएएस एसोसिएसन ने विरोध स्वरूप ऐलान किया की अब वे किसी भी मंत्री के मौखिक निर्देश ///आदेश का पालन नहीं करेंगे अब देखने -सुनने मे यह बहुत कडा फैसला लगता है |

परंतु आखिर ऐसा क्या है --जो व्यापाम की सीबीआई की "” तहक़ीक़ात स्टाइल " से बिहारी अफसर अभिभूत है ? अरे भाई जिस घोटाले मे एक मंत्री गिरफ्तार हो कर दस माह जेल मे रहा ,, तत्कालीन राज्यपाल और उनके पुत्र तथा उनके राजनीतिक सहायक पर आच्छेप लगे ,,43 से ज्यादा लोगो की असामयिक मौत हुई 633 डाक्टरों की सनद सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दी अभी और पता नहीं कितने लोगो की नौकरी और पढाई की बाली होगी | परंतु कोई भी आईएएस अधिकारी इनके शिकंजे मे नहीं आया ! है ना खास बात की क्यो बिहारी अफसर ऐसी ही जांच चाहते है |
परंतु उनके मंसूबो पर दबंग मुख्य मंत्री नितीश कुमार ने "””बेलन चला दिया "” यह कह कर की सुधीर कुमार की गिरफ्तारी और उस से जुड़े अपराधो की जांच विशेस जांच टीम {एसाइटी]] ही करेगी | इतना ही नहीं उन्होने अफ़सरी संगठन द्वारा ''मौखिक आदेश //निर्देश को मानने से इंकार करने की धम्की ''''' का प्र्शसनिक रूप से परीक्षण करा कर इन लोगो को जवाब देने का वादा किया है\ अब इन विरोध करने वाले अफसरो की जान पर बन आई है | कार्मिक और प्रशिक्षण व्भग के नियमो के अनुसार सभी अधिकारियों की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट पर अंतिम टिप्पणी मंत्री अथवा मुख्यमंत्री ही लिखते है | अगर इन हादतलियों की 2017 की रिपोर्ट लिखी तो क्या होगा ? इसी बात को लेकर विरोध का संगठित प्रयास --व्यक्तिगत बचाव की मुद्रा मे आगया है | अब देखना है की कौन जीतता है अफसर या नेता ? वैसे अपने यनहा तो अफसर ही विजयी होते आए है ----जिसका सबूत व्यापम की जांच है | |