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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jul 28, 2023

 

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मणिपुर कांड कितना पूर्वोतर को प्रभावित करेगा ?

      उत्तर भारत में भले ही मणिपुर को लेकर  स्वयंसेवी संगठनो और विपक्षी दलो द्वारा  धारणा – प्रदर्शन किए जा रहे हो , परंतु पड़ोसी प्रदेशों में इस कांड के गंभीर असर दिखाई दे रहा है | चूंकि अब यह सर्व विदित हो गया है की  , यह संघर्ष  ईसाई कूकियों और हिन्दू मतेई समुदाय के मध्य है – इस लिए पड़ोसी राज्यो में कुकी विस्थापितों  की भीड़ पहुँच रही है |  इस संदर्भ में  मिजोरम के मुख्य मंत्री  जोराम्थंगा  ने  मणिपुर में कूकियों के वीरुध अत्याचार  पर 1 लाख लोगो का लाँग मार्च   आइज़ोल में किया था |  चूंकि उनकी सरकार में बीजेपी  नहीं है इसलिए वे केंद्र की एनडीए सरकार के भी दबाव में नहीं है | जैसा की उन्होने एका बयान मे कहा भी है | मणिपुर के मुख्य मंत्री विरेन सिंह ने  आइज़ोल में  कूकियों के समर्थन में  लाँग मार्च  निकालने पर मुख्यमंत्री जोरनमंथगा  की आलोचना की और कहा की दूसरे प्रदेश के मामलो में उन्हे हाथ नहीं डालना चाहिए |  इस पर जोरान्थंगा ने कहा की वे एनडीए की सरकार से घबड़ाते नहीं है |

    मिज़ो लोग प्रोटेस्टेंट  ईसाई है , वे लोग कुकी को भी  सहोदर मानते है चूंकि  वे भी ईसाई है |  सेंट्रल यंग मिज़ो एसोसिएसन   के अनुसार अभी तक वे 12618 कुकी विस्थापितों की  व्यव्स्था कर रहे है |  इतना ही नहीं म्यांमार के कूकियों को भी  वे मदद कर रहे है
   परंतु अब मिज़ो सरकार  इन विस्थापितों के   ठहरने और भोजन इत्यादि का खर्चा उठाने में समर्थ नहीं है
|  राज्य की सरकार ने   अपने विधायकों – सरकारी कर्मचारियो और  बंकों से  मदद मांगी है | उन्होने केंद्र से भी विस्थापितों की मदद के लिए मोदी सरकार से 10 करोड रुपये की मादा मांगी है |

    मिज़ो – नागा और कुकी तथा  छोटे छोटे समूह  ईसाई होने के कारण  अगर केंद्र ने हालत का राजनीतिकरण  धरम के नजरिए से की तो हालत विस्फोटक हो सकते हैं | वैसे मणिपुर की समस्या  धरम से ही जुड़ी है |

     सुप्रीम  कोर्ट में केंद्र सरकार ने मणिपुर कांड की जांच सीबीआई से करने का हलफनामा दिया है | परंतु  वे इन मामलो की सुनवाई आसाम में चाहते है --- जो बीजेपी और संघ के मिजाज के माफिक है | वनहा पहले से ही हिन्दू – मुसलमान का मसला बना हुआ है |

 

किधर जा रहा है देश और समाज ?मणिपुर संदर्भ में

 

नीरो का बदनाम थिएटर मिला – बर्बरता का उदाहरण पुरातत्व ने खोजा

 

  आज रोम से एक खबर  व्हात्सप्प  पर देखा ,जिसमे  बताया गया की  पुरतातव शास्त्रियों ने  उस थिएटर  के भ्ग्नावशेष  को खोज लिया है , जिसमे नीरो ने बेगुनाह नागरिकों  को भूखे शेरो के सामने  डलवा दिया था | इतिहास बताता है की  हजारो रोमन दर्शको को इस बीभत्स  द्राशया  को देखने के लिए रोमन सैनिक  उनकी ओर ब्रैड  फेका करते थे –और वे लोग पागलो की तरह इस अमानवीय  द्र्श्य  को देख कर चिल्लाते थे |  थिएटर में शेरो के सामने जिन लोगो को डाला गया था , उनका गुनाह सिर्फ इतना था की वे  ईसा  मसीह के अनुयाई थे !

   

  मणिपुर में मतेयाई  लोगो और वनहा की सरकार के समर्थन से  कुकी ईसाइयो के ग्राम और घरो को आग  लगाने और उनकी महिलाओ को निर्वस्त्र कर बलात्कार करने की घटनाए आज दो माह से लगातार हो रही हैं | अब मणिपुर के कुकी समुदाय के बीजेपी विधायकों  ने सार्वजनिक रूप से विरेन सिंह सरकार पर आरोप लगाया है की  शासन  की शह  पर ही ये दंगे  हो रहे हैं | उधर मतेई समुदाय के एक एक विधायक ने कारण थापर को दिये गए इंटरव्यू  में  कहा है की अबकी बार कुकी  लोग हमारे हमले से नहीं बच पाएंगे !!   प्रमोद सिंह नामक नेता ने  ईसाई समुदाय का नर संहार करने का इरादा जताया है | कान्हा तो सुप्रीम कोर्ट हेट स्पीच  पर कड़ी कारवाई की बात कहता हैं  कान्हा यह भारतीय नागरिक  खुले आम एक समुदाय को समूल नाश करने की बात करता है !!! 

                        उधर केनर की नरेंद्र मोदी की सरकार को इन जमीनी हकीकतों से कुछ लेजा देना नहीं है ----वे तो आपदा मए अवसर की तलाश में है – इसलिए वे गैर बीजेपी सरकारो के राज्यो में  महिलाओ के ऊपर होने वाले अपराधो को  मणिपुर के नर संहार  की तुलना में रखा रहे है !   वैसे उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार में जैसे  अपराध  होना ही बंद हो गए ! सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के गैर बीजेपी राज्यो से सौतेले बर्ताव  पर टिप्पणी भी की है --- की आप जिन सरकारो में  शामिल है {बीजेपी }  वनहा पर आप  कड़ाई नहीं दिखते है ----जैसे नागालैंड  में महिला आरक्षण  को लागू करने  में !

    आइये बात करते है  मणिपुर के कुकी विस्थ्पितों की  लगभग  5 हजार  से अधिक ईसाई कुकी  राहत कैंपो  में भेद – बकरियो की तरह  ठुसे हुए है | जगह की कमी के कारण और राशन की कमी के चलते वे लोग  बस दिन काट रहे हैं !

 

         मोदी सरकार ने मणिपुर में दंगो  के जिम्मेदार और पुलिस की नाकामी पर कारवाई करने के बजाय  अब उस वीडियो को अपना निशाना बनाया है --- जिसके कारण इस अत्याचार की कहानी दुनिया के सामने आई है | यानि की अपराध की जांच नहीं –जांच उसकी जिसने उस अपराध को सबूत के रूप में दुनिया के सामने पेश किया , है ना   अंधेर नगरी  का चौपट न्याया ! जनहा अपराधी  की गरदन को फांसी के फंदे का साइज  नहीं होने से  छोड़ दिया जाता है , और एक बेगुनाह जिसकी गरदन  का साइज   फांसी के फंदे के बराबर होता है ,उसको सज़ा दे दी जाती है |  19वी सदी में हिन्दी के महान लेखक भारतेन्दु हरिश्चंद्र  द्वरा लिखा गया नाटक आखिर शक्ल में आ रहा हैं |  जनहा की  दंगे और बलात्कार तथा आगजनी के दोषियो  को दंड  ना देकर उस व्यक्ति को दोषी बनाया जा रहा है ---- जिसने अपराध को होते देखा ! यानि तुमने क्यू देखा !  एक बच्चा  शक्कर की चोरी कर रहा था – उसके बड़े भाई ने देख लिया और उसे डांटा –तो वह बोला की तुमने क्यू देखा !!!  इतना ही नहीं केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने वीडियो की जांच सीबीआई से करने का आदेश दिया है – की यह वीडियो कैसे  सार्वजनिक हुआ ? क्यूंकी इसमे  उस महिला की शक्ल  है जिसके साथ दुर्व्यहर किया जा रहा हैं ---अब  आईटी  कानूनन के अनुसार बलात्कार की शिकार महिला  का नाम उजागर करना जुर्म है | हालांकि महिलाओ के नाम सार्वजनिक नहीं हुए है – परंतु  एका सवाल यानहा यह है की  क्या ऐसे जघन्य  अपराध को छुपाने की कोशिस केंद्र सरकार कर रही अथवा  इस वीडियो से संसद के अधिवेशन के पहले आ जाने से मोदी सरकार  अपने को कठघरे  में पा रही है !  इसलिए  वीडियो प्रकरण की जांच की जा रही है -----दंगो ,नर संहार की  नहीं !  वास्तव में यह पूरी दास्तान  नीरो के समय की ही लगताई है जनहा नागरिक अधिकार और न्याया  सत्ता के लिए कोई अरथा नहीं रखते थे |