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मणिपुर कांड कितना पूर्वोतर को प्रभावित करेगा ?
उत्तर
भारत में भले ही मणिपुर को लेकर स्वयंसेवी
संगठनो और विपक्षी दलो द्वारा धारणा – प्रदर्शन
किए जा रहे हो , परंतु पड़ोसी प्रदेशों में इस कांड के गंभीर असर
दिखाई दे रहा है | चूंकि अब यह सर्व विदित हो गया है की , यह संघर्ष ईसाई कूकियों और हिन्दू मतेई समुदाय के मध्य है –
इस लिए पड़ोसी राज्यो में कुकी विस्थापितों की भीड़ पहुँच रही है | इस संदर्भ में मिजोरम के मुख्य मंत्री जोराम्थंगा ने मणिपुर
में कूकियों के वीरुध अत्याचार पर 1 लाख लोगो
का लाँग मार्च आइज़ोल में किया था | चूंकि उनकी सरकार में बीजेपी नहीं है इसलिए वे केंद्र की एनडीए सरकार के भी दबाव
में नहीं है | जैसा की उन्होने एका बयान मे कहा भी है | मणिपुर के मुख्य मंत्री विरेन सिंह ने आइज़ोल में कूकियों के समर्थन में लाँग मार्च निकालने पर मुख्यमंत्री जोरनमंथगा की आलोचना की और कहा की दूसरे प्रदेश के मामलो में
उन्हे हाथ नहीं डालना चाहिए | इस पर जोरान्थंगा ने कहा की वे एनडीए की सरकार से
घबड़ाते नहीं है |
मिज़ो लोग
प्रोटेस्टेंट ईसाई है , वे लोग कुकी को भी सहोदर मानते है
चूंकि वे भी ईसाई है | सेंट्रल यंग मिज़ो एसोसिएसन के अनुसार अभी तक वे 12618 कुकी विस्थापितों की
व्यव्स्था कर रहे है | इतना ही नहीं म्यांमार के कूकियों
को भी वे मदद कर रहे है
परंतु अब मिज़ो सरकार इन विस्थापितों के ठहरने और भोजन इत्यादि का खर्चा उठाने में समर्थ
नहीं है | राज्य की सरकार
ने अपने विधायकों – सरकारी कर्मचारियो और
बंकों से मदद मांगी है | उन्होने केंद्र
से भी विस्थापितों की मदद के लिए मोदी सरकार से 10 करोड रुपये की मादा मांगी है |
मिज़ो – नागा
और कुकी तथा छोटे छोटे समूह ईसाई होने के कारण अगर केंद्र ने हालत का राजनीतिकरण धरम के नजरिए से की तो हालत विस्फोटक हो सकते हैं
| वैसे मणिपुर की समस्या धरम से ही
जुड़ी है |
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने मणिपुर कांड की जांच सीबीआई
से करने का हलफनामा दिया है | परंतु वे इन मामलो की सुनवाई आसाम में चाहते है --- जो
बीजेपी और संघ के मिजाज के माफिक है | वनहा पहले से ही हिन्दू
– मुसलमान का मसला बना हुआ है |