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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Apr 3, 2017

अटेर के भूत ने चुनाव आयोग को साल भर पुरानी मांग की याद दिला दी है | अब 2019 के चुनाव नयी मशीनों से होंगे

मध्य प्रदेश के भिंड ज़िले की अटेर विधान सभा सीट पर होने वाले उप चुनाव मे निरीक्षण के दौरान प्रदेश की मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्रीमती सलीना सिंह ने ट्राइल के दौरान बटन दबाने पर कमल के चिन्ह वाली पर्ची का निकालना और उस पर सत्य देव पचौरी का नाम होना "” मशीन के ठीक होने पर शंका उत्पन्न करता है | इतिफाक से पचौरी योगी के मंत्रिमंडल के सदस्य है | यह सीट नेता प्रति पक्ष सत्य देव कटारे के निधन से रिक्त हुई है |

इस विवाद से निर्वाचन आयोग को एक लाभ हुआ की वह केंद्र से नयी मतदान मशीनों को खरीदने के लिए 1940 करोड़ की मांग विगत एक वर्ष से कर रहा था ,, वह धन राशि उसे मिल जाएगी | केंद्र सरकार इस विवाद को अंतिम रूप से समाप्त कर शंका रहित चुनाव चाहेगा | आयोग को 9लाख 30 हज़ार 430 मशिने चाहिए | आयोग ने विगत जुलाई 2016 मे कहा था की वह ऐसी मशिने चाहता है - जिनसे यदि किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ किए जाने पर वे स्वतः बंद हो जाएगी | इस प्रकार यह साबित हो जाएगा की किसी ने गलत काम किया है | और यह सुनिश्चित करना की यह किसने किया – इस आधार पर तय किया जा सकेगा की उस "””समय किसके ज़िम्मेदारी पर रखी गयी थी "”

इस संदर्भ मे पहली बात यह है की भारत निर्वाचन आयोग के नियमो के अनुसार जिस मशीन का उपयोग मतदान के लिए होता है उसे छ माह तक उस ज़िले के स्ट्रॉंग रूम रखा जाता है | पहले भी जब मतपत्रों से चुनाव होते थे -तब भी उन्हे कानूनी कारणो से इसी अवधि केलिए सुरछित रखा जाता था |

भारतीय जनता पार्टी द्वरा इन आरोपो को "”असत्य और बे बुनियाद बाते जा रहा है "” उनका कथन है की यदि मोदी सरकार को यही करना था तो पांचों राज्यो मे क्यो नहीं किया ? पंजाब मे बीजेपी का अस्तित्व नहीं के बराबर है – वनहा लड़ाई अकाली दल और काँग्रेस तथा आप पार्टी के मध्य थी |अतः अगर ऐसा कुछ करते भी तो क्यो ? वनहा तो बीजेपी ने चंद सीटो पर ही उम्मीदवार खड़े कर पाये थे | जनता की नजरों मे उतार चुके अपने सहयोगी के लिए बीजेपी इतना बड़ा जोखिम नहीं मोल लेना चाहती थी ||

दूसरा उत्तर प्रदेश इज्ज़त की बात बन चूमा था दिल्ली और बिहार की लगातार पराजय के बाद साख की चुनौती बनी हुई थी | दूसरा सरकार बनाने के साथ ही आगामी राष्ट्रपति के चुनाव मे सर्वाधिक वोट यनही से थे | संख्या की नज़र से देखे तो चरो राज्यो को मिला कर जितनी विधान सभा सीटे है उंसर ज़्यादा स्थान अकेले उत्तर प्रदेश मे है |

तीसरा कारण यह है की चुनाव आयोग "”सहजता से "” जिले के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक समेत 19 लोगो को सामूहिक मार्चिंग ऑर्डर नहीं दे देता | यद्यपि यह कदम चुनाव को प्रभावित करने के विरोधी दलो के आरोप को ध्यान मे रख कर "”एक एहतियाती फैसला "”” ही मानते है | परंतु चुनाव की निष्पक्षता को देखते हुए आयोग ने अपने अधिकारियों को निर्वाचन नियमो का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया है | इसका अर्थ कहे या शंका की कनही कुछ तो ऐसा था जो "”वैधानिक "” नहीं था |
छेडखानी और मित्रता क्या दोनों एक समान दंडनीय है ??

उत्तर प्रदेश के नव नियुक्त मुख्य मंत्री आदित्य नाथ योगी के आवाहन पर नवजवान लड़के और लड़कियो के घूमने उयर बैठ कर बात करने को – सामाजिक कुरीति अथवा सार्वजनिक अमर्यादित व्यवहार निरूपित करते हुए पुलिस के विशेस दस्ते बनाए गए है { जो ऐसे युवक और युवतियो को सार्वजनिक रूप से प्रतड़ित किए जा रहे है इनहि पुलिस वालो को ''रोमियो स्क्वाड "” कहा जा रहा है { जहा तक छेडखानी का सवाल है वह तो क्रिमिनल प्रोसीजर कोड के तहत "”अपराध "” है } परंतु स्वेक्षा से यदि दो नवजवान आपस मे घूम फिर रहे ---तो वह किस धारा मे अपराध है ?

महिला की "”निजता "” का उल्लंघन ही कानूनन अपराध है ---- अन्यथा नहीं | हाल ही मे आई एक फिल्म "”पिंक"” मे इस स्थिति को भली भांति दर्शाया गया है | कानून भी कहता है की दो व्यसक व्यक्ति आपस मे सहमति से कोई संबंध रखते है तब उसे अपराध की श्रेणी मे नहीं रखा जा सकता है |
परंतु कानून और समाज की सीमाए काफ अलग अलग है | पारंपरिक भारतीय परिवार मे यह अपेक्षा की जाती है -की बालक को घूमने -फिरने की शौक करने की आज़ादी है --परंतु लड़कियो के ऊपर सारी पाबंदिया है | इसका कारण "”लड़की "”को परिवार की इज्ज़त का दर्जा दिया गया है ,,परंतु यह "”हैसियत "”उसे पारिवारिक बंधनो मे जकड़ देती है | अच्छा खाना - पहनना दोस्तो के साथ उठना बैठना भी कड़ी निगरानी मे रहता है | हिन्दू हो या मुसलमान दोनों ही धर्मो के परिवारों मे लगभग "”बंधन एक जैसे है "” | दोनों ही समाजो के मध्यम वर्गीय परिवारों ई मानसिकता एक जैसी है |

अगर लड़की ने माता - पिता की सहमति से विवाह नहीं किया अर्थात अपनी मर्ज़ी से अपना जीवन साथी चुन कर शादी कर ली है--- --- तो उसे कहेंगे की फला की लड़की ने भाग कर शादी कर ली लगेगा की उसने अपने घर से दौड़ लगा कर भावर रचाई है !! इसी मनः स्थिति का आधार है की दोनों ही धर्मो का बड़ा तबका इसे सही कदम बता रहा है | लेकिन जो समाज अपनी कन्या की "”इज्ज़त :”” के लिए इतना सचेस्ट है वह निर्भया जैसी घटनाओ पर भी चुप हो कर बैठ जाता है | यही स्वार्थपरता अथवा सामाजिक मूल्यो के नाम पर व्यक्तिगत स्वतन्त्रता का हनन का कारण बनता है |लिए कर रही है
आज लडकीय समाज के हर छेत्र मे अपना नाम कमा रही है --छहे वह सेना हो -पुलिस - अथवा पेट्रोल पम्प या की ट्रक --टॅक्सी चलना हो | यह सब वे अपने पैरो पर खड़े होने के लिए कर रही है | जब वे खुद मुख्तार हो जाएगी तो उन्हे अपने फैसले पर की और की मंजूरी की मुहर नहीं लगवान पड़ेगी |

इसलिए हमे समाज की इन कलियो को खुली हवा देनी होगी | तभी वे आगे बाद पाएँगी | आज स्त्री --पुरुष की समानता का जमाना है हर छेत्र मे वे कंधे से कंधा लगा कर काम कर रही है ---अब इस प्रक्रिया मे वे पार्क मे मित्र के साथ घूमने चली गयी तो कोई आफत ब
आरपा नहीं हो जाएगी | उनकी आज़ादी की इस मशाल को जितना नीचे ले जाओगे --उतनी ही तेजी से लौ भड़केगी |
छेडखानी और मित्रता क्या दोनों एक समान दंडनीय है ??

उत्तर प्रदेश के नव नियुक्त मुख्य मंत्री आदित्य नाथ योगी के आवाहन पर नवजवान लड़के और लड़कियो के घूमने उयर बैठ कर बात करने को – सामाजिक कुरीति अथवा सार्वजनिक अमर्यादित व्यवहार निरूपित करते हुए पुलिस के विशेस दस्ते बनाए गए है { जो ऐसे युवक और युवतियो को सार्वजनिक रूप से प्रतड़ित किए जा रहे है इनहि पुलिस वालो को ''रोमियो स्क्वाड "” कहा जा रहा है { जहा तक छेडखानी का सवाल है वह तो क्रिमिनल प्रोसीजर कोड के तहत "”अपराध "” है } परंतु स्वेक्षा से यदि दो नवजवान आपस मे घूम फिर रहे ---तो वह किस धारा मे अपराध है ?

महिला की "”निजता "” का उल्लंघन ही कानूनन अपराध है ---- अन्यथा नहीं | हाल ही मे आई एक फिल्म "”पिंक"” मे इस स्थिति को भली भांति दर्शाया गया है | कानून भी कहता है की दो व्यसक व्यक्ति आपस मे सहमति से कोई संबंध रखते है तब उसे अपराध की श्रेणी मे नहीं रखा जा सकता है |
परंतु कानून और समाज की सीमाए काफ अलग अलग है | पारंपरिक भारतीय परिवार मे यह अपेक्षा की जाती है -की बालक को घूमने -फिरने की शौक करने की आज़ादी है --परंतु लड़कियो के ऊपर सारी पाबंदिया है | इसका कारण "”लड़की "”को परिवार की इज्ज़त का दर्जा दिया गया है ,,परंतु यह "”हैसियत "”उसे पारिवारिक बंधनो मे जकड़ देती है | अच्छा खाना - पहनना दोस्तो के साथ उठना बैठना भी कड़ी निगरानी मे रहता है | हिन्दू हो या मुसलमान दोनों ही धर्मो के परिवारों मे लगभग "”बंधन एक जैसे है "” | दोनों ही समाजो के मध्यम वर्गीय परिवारों ई मानसिकता एक जैसी है |

अगर लड़की ने माता - पिता की सहमति से विवाह नहीं किया अर्थात अपनी मर्ज़ी से अपना जीवन साथी चुन कर शादी कर ली है--- --- तो उसे कहेंगे की फला की लड़की ने भाग कर शादी कर ली लगेगा की उसने अपने घर से दौड़ लगा कर भावर रचाई है !! इसी मनः स्थिति का आधार है की दोनों ही धर्मो का बड़ा तबका इसे सही कदम बता रहा है | लेकिन जो समाज अपनी कन्या की "”इज्ज़त :”” के लिए इतना सचेस्ट है वह निर्भया जैसी घटनाओ पर भी चुप हो कर बैठ जाता है | यही स्वार्थपरता अथवा सामाजिक मूल्यो के नाम पर व्यक्तिगत स्वतन्त्रता का हनन का कारण बनता है |लिए कर रही है
आज लडकीय समाज के हर छेत्र मे अपना नाम कमा रही है --छहे वह सेना हो -पुलिस - अथवा पेट्रोल पम्प या की ट्रक --टॅक्सी चलना हो | यह सब वे अपने पैरो पर खड़े होने के लिए कर रही है | जब वे खुद मुख्तार हो जाएगी तो उन्हे अपने फैसले पर की और की मंजूरी की मुहर नहीं लगवान पड़ेगी |

इसलिए हमे समाज की इन कलियो को खुली हवा देनी होगी | तभी वे आगे बाद पाएँगी | आज स्त्री --पुरुष की समानता का जमाना है हर छेत्र मे वे कंधे से कंधा लगा कर काम कर रही है ---अब इस प्रक्रिया मे वे पार्क मे मित्र के साथ घूमने चली गयी तो कोई आफत ब
आरपा नहीं हो जाएगी | उनकी आज़ादी की इस मशाल को जितना नीचे ले जाओगे --उतनी ही तेजी से लौ भड़केगी |