छेडखानी
और मित्रता क्या दोनों एक समान
दंडनीय है ??
उत्तर
प्रदेश के नव नियुक्त मुख्य
मंत्री आदित्य नाथ योगी के
आवाहन पर नवजवान लड़के और
लड़कियो के घूमने उयर बैठ कर
बात करने को – सामाजिक
कुरीति अथवा सार्वजनिक
अमर्यादित व्यवहार निरूपित
करते हुए पुलिस के विशेस दस्ते
बनाए गए है {
जो
ऐसे युवक और युवतियो को सार्वजनिक
रूप से प्रतड़ित किए जा रहे है
इनहि पुलिस वालो को ''रोमियो
स्क्वाड "”
कहा
जा रहा है {
जहा
तक छेडखानी का सवाल है वह तो
क्रिमिनल प्रोसीजर कोड के
तहत "”अपराध
"”
है
}
परंतु
स्वेक्षा से यदि दो नवजवान
आपस मे घूम फिर रहे ---तो
वह किस धारा मे अपराध है ?
महिला
की "”निजता
"”
का
उल्लंघन ही कानूनन अपराध है
----
अन्यथा
नहीं |
हाल
ही मे आई एक फिल्म "”पिंक"”
मे
इस स्थिति को भली भांति दर्शाया
गया है |
कानून
भी कहता है की दो व्यसक व्यक्ति
आपस मे सहमति से कोई संबंध
रखते है तब उसे अपराध की श्रेणी
मे नहीं रखा जा सकता है |
परंतु
कानून और समाज की सीमाए काफ
अलग अलग है |
पारंपरिक
भारतीय परिवार मे यह अपेक्षा
की जाती है -की
बालक को घूमने -फिरने
की शौक करने की आज़ादी है --परंतु
लड़कियो के ऊपर सारी पाबंदिया
है |
इसका
कारण "”लड़की
"”को
परिवार की इज्ज़त
का दर्जा दिया गया है
,,परंतु
यह "”हैसियत
"”उसे
पारिवारिक बंधनो मे जकड़ देती
है |
अच्छा
खाना -
पहनना
दोस्तो के साथ उठना बैठना भी
कड़ी निगरानी मे रहता है |
हिन्दू
हो या मुसलमान दोनों ही धर्मो
के परिवारों मे लगभग "”बंधन
एक जैसे है "”
| दोनों
ही समाजो के मध्यम वर्गीय
परिवारों ई मानसिकता एक जैसी
है |
अगर
लड़की ने माता -
पिता
की सहमति से विवाह नहीं किया
अर्थात अपनी मर्ज़ी से अपना
जीवन साथी चुन कर शादी कर ली
है---
--- तो
उसे कहेंगे की फला की लड़की ने
भाग कर शादी कर ली
लगेगा की उसने अपने घर से दौड़
लगा कर भावर रचाई है !!
इसी
मनः स्थिति का आधार है की दोनों
ही धर्मो का बड़ा तबका इसे सही
कदम बता रहा है |
लेकिन
जो समाज अपनी कन्या की "”इज्ज़त
:””
के
लिए इतना सचेस्ट है वह निर्भया
जैसी घटनाओ पर भी चुप हो कर
बैठ जाता है |
यही
स्वार्थपरता अथवा सामाजिक
मूल्यो के नाम पर व्यक्तिगत
स्वतन्त्रता का हनन का कारण
बनता है |लिए
कर रही है
आज
लडकीय समाज के हर छेत्र मे
अपना नाम कमा रही है --छहे
वह सेना हो -पुलिस
-
अथवा
पेट्रोल पम्प या की ट्रक
--टॅक्सी
चलना हो |
यह
सब वे अपने पैरो पर खड़े होने
के लिए कर रही है |
जब
वे खुद मुख्तार हो जाएगी तो
उन्हे अपने फैसले पर की और की
मंजूरी की मुहर नहीं लगवान
पड़ेगी |
इसलिए
हमे समाज की इन कलियो को खुली
हवा देनी होगी |
तभी
वे आगे बाद पाएँगी |
आज
स्त्री --पुरुष
की समानता का जमाना है हर छेत्र
मे वे कंधे से कंधा लगा कर काम
कर रही है ---अब
इस प्रक्रिया मे वे पार्क मे
मित्र के साथ घूमने चली गयी
तो कोई आफत ब
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