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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jul 31, 2023

 शिक्षा –स्वास्थ्य और न्याय के अभाव में

मंदिरो के कारीडोर निर्माण की ,अरबों रुपये की घोषणायो  ?

 

   जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं  स्वीकार रहे हो की देश में 14 हज़ार  स्कूलो की हालत खराब है –उन्हे पी एम श्री स्कूलो की योजना के तहत उन्नत किया जाएगा , एवं प्रदेश में सीएम राइज़  स्कूलो के छात्रों को लाने –ले जाने के लिए बसो का इंतज़ाम  नहीं हो सका हो , तथा भोपाल के मुख्य अस्पताल  में  ह्रदय रोग के लिए उपयोग में आने वाली मशीनों के उपकरण  महीनो से  उपलब्ध नहीं हो रहे हो ----- ऐसे में  मंदिरो के निर्माण के औचित्य पर सवाल तो उठता  है !  इतना ही नहीं  न्याय व्यवस्था  में अदालतों की कमी और न्याय के लिए जजो की नियुक्ति  और अमले की कमी के कारण  लाखो लोग मुकदमे के फैसले के लिए ,तारीख पे तारीख  की सज़ा भुगतते हो तब  राजधरम  क्या इन उपासना स्थलो को सुंदर बनाने से  पूरा हो जाएगा ??

          रही बात   सदियो प्राचीन मंदिरो की महता   उनके पुरातनता  में ही है , उन्हे माडर्न  बनाने से  श्रद्धालुओ  को फर्क नहीं पड़ता ,क्यूंकी वे तो अपने आराध्य के विग्रह  को अर्घ्य –फूल –बेलपत्र  अर्पित करके  संतुष्ट हो लेते है | हाँ  इन धरम नागरियों में आने वाले सैलानी –जो मंदिर में दर्शन भी करते है –उनके लिए ये सुविधाए  जरूर ठीक लगती है | परंतु कारीडोर या “”लोक”” बना कर  सरकार ने  दर्शनों में रेलवे की  भांति श्रेणिया बना दी है  वे नव रईसो को ,जो इन नागरियों में तीर्थ करने नहीं वरन  धार्मिक टूरिस्टो की भांति आते है वे तो

वन टाइम  खर्चा  आसानी से दे देते है , परंतु रेगुलर दर्शनार्थी  जो हर तीज –त्योहार पर आते है  उनको  “ धरम  का यह व्यवसायिकरण  “ अखरता है | अभी उज्जैन में  स्थानीय महिलाओ द्वरा  सावन  के मास में  महाकाल  को जल चढाने को लेकर मंदिर प्रबंधन और महिला समूहो के मध्य काफी तू तू मैं भी हुई |  अब दर्शक बताए की जो लोग नित प्रतिदिन शिव के महाकाल स्वरूप को जल अर्पित करते है ,उनके सामने यही विकलप है ----की वे किसी और मंदिर का रास्ता देखे !! अर्थात  श्रधा  पर व्यवसायिकरण भरी है ---- यानि सब कुछ  धंधा  बन गया है !!

             उधर बाबा विश्वनाथ की नागरी काशी में भी यही हाल है – प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने  कालम “”मन की बात के 108 वे संस्कारण में भी , काशी में  10 करोड़ तीर्थ यात्रियो के आने का आंकड़ा दिया | वैसे भी  काशी में  जब  वह अपने प्राचीनतम रूप में थी तब  - दर्शन और अर्चना  पर कोई टिकट नहीं लगता था | तंग गलियो में गुजरते  हुए विदेशी यात्रियो  के संस्मरणों यह  सत्य उजागर है |  अब अगर इतने यात्री आए है तब भोलेनाथ  के नाम पर ट्रस्ट की आय  जरूर अरबों रुपयो में हुई होगी | क्यूंकी  अबतों टिकट  ही सैकड़ा  से अधिक है –उसके बाद  समीप से दर्शन के अतिरिक्त  महसूल  वसूला जाता है |  श्रद्धा के इन धरम स्थलो  पर  श्र्धालुओ  के स्थान पर आजकल  सैलानियों की संख्या ज्यादा है | जो पैसे के बल पर हर काम अपनी सुविधा और समय से कराना चाहते है |  इन नौ रईसो  के ही कारण  केदार नाथ और बद्रीनाथ  में  होटलो  का निर्माण  हुआ और इसी टुरिस्ट प्रवाह के कारण ---आज इन दोनों  स्थानो के रास्ते   टूट गए है | अब वनहा जाना “”अगम्य “” हो गया है | सदियो के इतिहास में ऐसा अवसर कभी नहीं सुना या देखा गया ! 

        विदेशो  में वे अपनी धरोहर इमारतों की प्राचीनता  को बनाए रखने के ही पक्षधर है  | वे गुंबदो पर लगी काई को भी साफ नहीं करते | फ्रांस में पेरिस की मशहूर  बिल्डिंग “”वारसाई  पैलेस “” में आग लग  गयी थी , यह महल राजतंत्र के समय से फ्रेंच क्रांति और लोकतन्त्र की बहाली  तथा  प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी  के आत्म समर्पण  का गवाह बना था | वनहा की सरकार ने उसे पुनः उसके प्राचीन स्वरूप  को  बनाने के लिए  अरबों फ्रैंक  खर्च दिये | उन्होने  उसे “” माडर्न रूप “” नहीं दिया | क्यूंकी वनहा के इतिहासविदों  यही मत दिया था |

      एक वे है और एक हम है जो ना केवल  उपासना स्थलो को “” माडर्न लूक “” दे रहे है | बात सिर्फ धार्मिक  स्थलो की ही नहीं है ------ वरन  राष्ट्र पिता महात्मा गांधी  के साबरमती आश्रम  को तोड़ – फोड़ कर उसे भी “” माडर्न लूक “” दिये जाने के लिए उनकी झोपड़ी और प्रार्थना स्थल को तोड़ दिया गया है ,ऐसा खबरों में आया है | उधर  आरोपियों  के घरो पर बुल्ल्डोजर  चलाने वाले भगवा धारी मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने  ,प्रधान मंत्री के चुनाव छेत्र वाराणसी  में  बापू द्वरा स्थापित “””सर्व सेवा संघ  की इमारत को   धराशायी कर दिया | क्यू ऐसा किया –किस कानूनी प्रक्रिया से किया , यह सब कुछ नहीं बताया गया | इस तोड़ –फोड़ से वनहा के पुस्तकालय  में  राखी हुए  धरोहर –किताबे – हस्त लिखित दस्तावेज़  और बापू के निजी जीवन की कुछ वस्तुए   सब सड़क पर फेंक दी गयी ----- मानो वह स्थान भी  किसी आतंकवादी का आश्रयस्थल हो !!  जरा सोचिए की हम कैसी व्यवस्था में है जनहा  राज्य  शिक्षा –स्वास्थ्य और न्याया  नहीं दे पा रहा है पर मंदिर कारीडोर और लोक बनवा रहा है ---- जैसे मिश्र मे फैरो के समय में   प्रजा  की भूख और सेहत से बेखबर  शासक  विशालकाय  अपनी मूर्तिया बनवाते थे