Bhartiyam Logo

All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Apr 21, 2022

 

आखिर अल्पसंख्यकों को सत्ता की प्रताड़ना से राहत मिली !!




शासन और सरकार से इंसाफ पाने से नाउम्मीद हुए जहांगीरपुरी


के बाशिंदों को देश की सर्वोच्च अदालत ने कानूनी कवच से


निगम की ज़ोर -ज़बरदस्ती की कारवाई से फिलहाल तो रक्षा की


है| परंतु क्या सर्वोच्च अदालत राज नेताओ के अहंकार के प्रतीक


"”बुलडोजर"” को जनता के एक भाग के संवैधानिक अधिकारो और


उजाड़ने से पहले बसाने और उसमें लाग्ने वाले समय को बताया जाएगा ??

क्या दिल्ली निगम के मेयर की भांति बिना नोटिस दिये "”अतिक्रमण कारवाई "”” करने को जायज़ माना जाएगा ? हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल तो इस कारवाई पर रोक लगा दी है परंतु कया मुख्यमंत्रियों और मंत्रियो की इस सनक भरी कारवाई को कानूनी कसौटी पर परखा जाएगा |



रामनवमी के पर्व पर जिस प्रकार उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश तथा देश की राजधानी में रमज़ान के मौके पर कथित हिंदुवादी तत्वो द्वरा हुड़दंग मचाया गया वह समस्त सनातनी लोगो के लिए लज्जा का बायस बना हैं | इन घटनाओ में प्रशासन और पुलिस की भूमिका स्थितियो को सम्हालने से ज्यादा सत्ताधारी संगठनो के पालित - पोषित अंगो का बचाव करते हुए उन्हे रोकने का प्रयास नहि किया गया | जहांगीरपुरी की बस्ती जो पिछले 25 -30 सालो से बसी हुई है , उसे एक दिन अचानक बुलडोजर से मुस्लिम परिवारों और उनकी दुकानों को जिस प्रकार निशाना बने गया वह पोलिस और दिल्ली निगम की "” बद्नीयती " को इशारा करता हैं |

सबसे ज्यादा आपतिजनक यह रहा की सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश द्वरा तोड़ फोड़ की कारवाई पर स्थगन दिये जाने के फैसले के बाद निगम और पुलिस अधिकारियों का यह "”” बहाना की उन्हे अदालत के आदेश नहीं मिले हैं "”! अंततः वामपंथी नेता व्रनदा कारत जब अदालत का आदेश लेकर बुलडोजर के सामने खड़ी हो गयी तब निगम और पुलिस अधिकारी सकते में आ गये | खैर अब सुप्रीम कोर्ट ने गृह मंत्री अमित शाह के बयान की "दंगाइयो के साथ सख्ती के साथ निपटे "” | ! लगता है यह इशारा था की अलपसंख्यकों पर उसी प्रकार बुलडोजर चलाये जैसा उत्तर प्रदेश में भगवा धारी मुख्यमंत्री कर रहे हैं | लगता हैं अब बीजेपी सरकारो ने उत्तर प्रदेश - मध्य प्रदेश और कर्नाटक में "”एकतरफा भारत "” बनाने की तैयारी कर ली हैं | संविधान और न्यायपालिका के आदेशो का जिस प्रकार अनदेखी की जा रही हैं , वह पोलैंड में सरकार द्वरा अदालतों के अधिकारो को सरकार के अधीन करने का ही प्रयास लगता हैं | परंतु पोलिस सरकार की इस कोशिस को वनहा की जनता ने उग्र आंदोलनो द्वरा वापस लेने पर मजबूर किया था | परंतु भारत में ऐसे वैधानिक मुद्दो पर जन आंदोलन होना कठिन हैं | यानहा तो हिन्दी और मुसलमान और मंदिर और मस्जिद के मुद्दे ही माहौल को गरमाते हैं ,क्यूंकी सत्ता ऐसा चाहती है , यद्यपि वह इसे इस रूप में नहीं कहती हैं | वह राष्ट्र के लिए खतरा --- देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा बताती हैं | नागरिकों को संविधान के प्रति सम्मान और न्यायपालिका के प्रति आदर भाव नहीं सिखाती हैं | सोशल मीडिया के माध्यम से ऐसे असत्य और भ्रामक तथ्य संगठित रूप से फैलाये जाते हैं ---- जो समाज की गंगा जामुनी सभ्यता को खतम करने की कोशिस ही होते हैं | अब तो सभी को एहसास होने लगा हैं की अज़ान - हिजाब - आदि मुद्दे भी राम सेना या हिंदुवाहिनी द्वरा सत्ता के शीर्ष के संरक्षण में ही किए जाते हैं | क्यूंकी कर्नाटक की पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या आज भी पुलिस जांच और अदालत के चक्कर मे चार साल से पड़ी हैं !पर उस ओर सरकार का ध्यान नहीं हैं --क्यूंकी वे नफरत फैलाने वाली ताकतों के खिल्फ लड़ रही थी |

बीजेपी अध्यक्ष जे पी नददा ने हाल में ही एक दावा किया था की काँग्रेस राज में 800 से ज्यदा हिंसक घटनाए हुई थी ,परंतु लोकसभा में एक सवाल के उत्तर मे सरकार ने स्वीकार किया की विगत सात वर्षो में [मोदी के राज़ ] में एक हज़ार से ज्यड़ा हिंसक वारदाते देश में हुई !

दंगो के बारे में सरकारे जांच कराती है , फिर जांच आयोग की रिपोर्ट की सिफ़ारिशों को मानने में असमर्थता बता देती है , और वे सरकार के तोशखाने /या स्टोर में धूल खाती है | इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायधीश दीपक मिश्रा का 2018 में दिया गया फैसला ,अत्यंत महत्वपूर्ण है | जिसमें उन्होने हिंसक घटनाओ /दंगो के लिए जिले के अधिकारियों की ज़िम्मेदारी नियत कर दंड दिये जाने की सिफ़ारिश की थी |फैसले में उन्होने कहा था की ज़िले के अधिकारियों को जनता में तनाव के कारणो को दूर करने की कोशिस करी चाहिए | अचानक हिंसक घटना के लिए स्थानीय इंटेलिजेंस की असफलता के लिए दंडित किया जाना चाहिए | ज़िले के अधिकारी की असफलता पर कारवाई होनी चाहिए |घटना के उपरांत कानूनी कारवाई उन सभी के वीरुध होनी चाहिए जो उकसाने या इसके कारण हो | पर जबसे योगी जी ने बिना नोटिस और अदालत की अनुमति के बिना घरो को ज़मींदोज़ करने की कारवाई शुरू की है , आँय बीजेपी शासित राज्यो में यह संक्रामण कोरोना की भांति विस्तार पा रहा है |

प्रदेश में खरगोन और खंडवा में राम नवमी के जुलूस जा मस्जिद के सामने से गुजरे तब दोनों पक्षो में कहासुनी हुई और हिंसक घटना हुई | मज़े की बात यह है की आगजनी और पथराव की घटना में पुलिस समेत दोनों पक्षो के लोग घायल हुए | परंतु इस मामले में 147 लोग गिरफ्तार हुए जिनमे सिर्फ 6 ही हिन्दू थे ! इसका अर्थ यह माना जाये , जैसा की बीजेपी सरकार मान रही है की अवैध अतिक्रमण हटाने पर यह घटना हुई | उत्तर प्रदेश के मुज्जफर नगर के कैराना में भी हिन्दू लोगो ने अपने मकानो पर लिख दिया था '’’’’ मकान बिकाऊ '’’ है ! हालांकि टीवी चैनल के सामने मकान मालिक को कहते सुना गया वह भी महिला कलेक्टर के सामने की किसी ने यह लिख दिया है बाद कलेक्टर के पूछे जाने पर कहा की हमने ही लिखा हैं | यह स्थिति है |

\





\