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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Dec 27, 2018

राम मंदिर का मुद्दा अब धार्मिक नहीं रहा --वरन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एजेंडा बन कर रह गया


राम मंदिर का मुद्दा अब धार्मिक नहीं रहा --वरन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एजेंडा बन कर रह गया |

अक्तूबर मे सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत की "”मांग --अपील '’ की सरकार कानून बनाए ---और साथ दिन बाद भी मोदी सरकार का इस मुद्दे पर मौन , सरकार की दुविधा दिखाता है | वनही जेटली द्वारा कहना की जैसे मस्जिद गिरि है वैसे ही जनता मंदिर बनाएगी | परंतु संघ और सरकारी पार्टी के समर्थन के बावजूद भी पांचों राज्यो मे इन शक्तियों का पराभव --- हिन्दू राष्ट्र वादियो के जनसमर्थन के अभाव का संकेत है !!


पाँच राज्यो मे हुए विधान सभा चुनावो के पूर्व अक्तुबर मे मोहन भागवत ने मुख्यालय नागपूर मे विजयादश्मी के संबोधन मे मोदी सरकार से कानून बना कर अयोध्या मे राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाए की गुहार लगाई थी | उनके इस कथन के अनेक निहितार्थ है | पहला तो यह की वे सुप्रीम कोर्ट से मनचाहा फैसला पाने की उम्मीद नहीं रखते थे | उस समय सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर को सुनवाई जनवरे तक के लिए टाल दी थी | दूसरा यह की बड़ी अदालत ने यह साफ कर दिया की विवाद "” भूमि के स्वामित्व का है --- मंदिर या मस्जिद का नहीं | इस टिप्पणी का अनेक नेताओ ने आलोचना करते हुए कहा था की ---यह बहुसंख्यकों के आस्था का सवाल है , इसे ज़मीन के मालिकाना का मसला नहीं माना जा सकता !!!! इस मुद्दे को लेकर महीनो तक चैनलो मे महीनो तक बहस चला कर मुद्दे को गरमाने का प्रयास चलता रहा | संघ और विश्व हिन्दू परिषद तथा बीजेपी के संगठनो ने विधान सभ चुनावो से पूर्व मीडिया मे माहौल बना कर कोशी यह की "”वे सुप्रीम कोर्ट के मुकदमे के मुद्दे को दस्तावेजी सबूत के मुक़ाबले आस्था का विषय बना दे | काफी कुछ कोशिस हुई --परंतु पांचों राज्यो की विधान सभा चुनावो मे जब मोदी की पार्टी और उनके सहयोगीयो की पराजय हुई ------तब लगा की मंदिर विवाद के बर्तन को अभी और गरमाने की ज़रूरत है |

इतेफाक से केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली का बयान की सरकार मंदिर निर्माण मे कोई पहल नहीं करेगी --जिस प्रकार मस्जिद को जन समर्थन से ढहाया गया था ---उसी प्रकार जनता ही मंदिर का निर्माण करेगी |”””इस बयान को हिन्दू राश्त्र्वादी तत्वो को बड़ा धक्का लगा | उनकी उम्मीद थी की मोदी सरकार और बीजेपी के नेता इस मुद्दे पर सरकार पर दबाव डालेंगे , परंतु मोदी सरकार की इस बेरुखाई से वे निराश हुए |

अयोध्या मे हुए जमघट मे गेरुयाधारी नेताओ ने जनहा बहुत प्रचार कर '’आंदोलन'’ करने का ऐलान किया | वनही शिव सेना के उद्धहाव ठाकरे ने मोदी को चुनौती देते हुए कहा '’’’ मंदिर नहीं तो सरकार नहीं '’’’ का नारा बुलंद कर दिया | विश्व हिन्दू परिषद के दागे कारतूस डॉ तोगड़िया भी शत्रुता भाव मोदी सरकार के प्रति दिखने लगे | उन्होने तो यानहा तक कह दिया की वे भी लोकसभा चुनावो मे अपने समर्थको को खड़ा करेंगे | जितना बड़ा प्रचार -प्रसार अयोध्या मे हुए सम्मेलन का किया गया था , वैसा कुछ भी नहीं हुआ | क्योंकि स्थानीय लोग इस आयोजन के विरोध मे थे | सिवाय कुछ भगव धारी लोगो को जिनक जीवन ही पराए श्रम पर पलना है |
मोहम्मद इकबाल अंसारी जो की बाबरी मस्जिद मामले मे याचिकाकारता है --उन्होने अपनी बीरदारी को पुलिस सुरक्षा की मांग की थी | परंतु जब योगी सरकार ने उसे अनसुना कर दिया तब स्थानीय मुसलमान जरूर कुछ दहशत मे आ गया था फलस्वरूप अधिकांश लोगो ने अपने घर की महिलाओ और बच्चो को बाहर के ज़िलो मे भेज दिया था | बाबरी मस्जिद प्क्रन के दोसरी पार्टी जो रामलला विराजमान की ओर से है बाबा धरम दास ने भी संघ और बीजेपी द्वरा आयोजित इस समागम से अपने को दूर ही रखा | रामलला विराजमान है --जनहा वनहा ज़िला अदालत ने दिन - प्रतिदिन की सेवा के लिए एक पुजारी लाल दास को नियुक्त किया हुआ है | उन्होने भी इस समागम को राजनीतिक पहल बताते हुए अपने को दूर रखा |

सरयू नदी मे दीप दान की बहुत बड़ी तैयारी हुई थी लेकिन स्थानीय लोगो ने इसमे विशेस भाग नहीं लिया ---जिससे आयोजको के स्वार्थ का हिट नहीं सदाहा , बस दो दिन अखबार की खबर बन के रह गया राम मंदिर आंदोलन आयोजन | अब फिर एक बार रामनाम की काठ की हांडी को चुनाव मे चढाने की तैयारी है | अब की बार संघ से बीजेपी मे गए काश्मीर समस्या के करता - धर्ता श्रीराम माधव ने सरकार से आग्रह किया है की वह संसद मे कानून से अथवा अध्यादेव्श लाकर इस मामले को निपटाए सवाल यह है की मोदी - संघ और कट्टर हिंदुवादियों को अब यह लाग्ने लगा है की ------ज़मीन के स्वामित्व को आस्था से अदालत मे नहीं सीध किया जा सकता | यह वैसा ही मामला है जैसा स्वर्गीय नारायण दुत्त तिवारी के साथ हुआ था | उनके माना करने के बाद खून के डीएनए से उनके जनक होने की पुष्टि हुई | कुछ उसी समान विश्वास से तथ्यो को अदालत मे नहीं सिद्ध किया जा सकता है ,, नाही चैनलो पर बहस अथवा समाचार पात्रो मे आलेख या सोश्ल मीडिया मे आक्रामक कमेंटों से दावा सच हो जाता है |






Dec 26, 2018

हिजाब और नकाब का अंतर खतम करती दो पहिया चालक लड़कियो और महिलाओ का चेहरे पर दुपट्टा पट्टा लपेटा !!


हिजाब और नकाब का अंतर खतम करती दो पहिया चालक
लड़कियो और महिलाओ का चेहरे पर दुपट्टा पट्टा लपेटा !!


एक दैनिक समाचार पत्र मे छपी एक खबर ने ध्यान आकर्षित किया – | खबर यह थी की यूजीसी की नीट परीक्षा मे एक मुस्लिम छात्रा को "”हिजाब "” पहन कर आने पर परीक्षा मे भाग नहीं लेने दिया | छात्रा ने अलप्स्ङ्ख्यक आयोग मे घटना की शिकायत करते हुए कहा की उसके धार्मिक आस्था पर चोट हुई हैं | विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वरा प्रायोजित इन प्रतियोगी परीक्षा का आयोजन किया जाता है |

खबार के साथ जो चित्र प्रकाशित हुआ है – वास्तव मे "हिजाब नहीं वरन चेहरे पर दुपट्टा लपेटा है " | वास्तव मे अनेक मुसलमानो को भी नक़ब और हिजाब का अंतर नहीं मालूम है | हिजाब का चलन यहूदी काल मे हज़रत मूसा के समय उल्लेख मिलता है | जिसमे महिला से यह अपेक्षा की जाती थी की वह माथे से ठुड्डी तक चेहरे को ढंके , हिजाब एक शालीन महिला के पहरावे का भाग हुआ करता था | बाद मे हज़रत मोहम्मद के समय इस्लाम के प्रादुर्भाव के समय चेहरा ढकने अथव छिपाने के लिए "”नकाब "” आया | जिसमे महिला सर से पाव तक एक वस्त्र मे ढकी रहती थी ----मात्र उसकी आंखो के सामने ही दो छेद होते थे जिससे वह अपना रास्ता देख सकती थी |
फ्रांस मे नकाब पहनने को सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया है | उनके अनुसार नकाब के पीछे के व्यक्ति को पहचाना नहीं जा सकता | जबकि एटीएम और बड़ी बड़ी दोलनों और मॉल आदि मे सीसीटीवी कैमरो से व्यक्ति की पहचान संभव नहीं है |

जबकि हिजाब मे चेहरा साफ और स्पष्ट दिखाई पड़ता है | जनहा तक आस्था का प्रश्न है इस्लाम मे भी हिजाब को मानिता दी गयी है | खिलाफत का अंत करने वाले तुर्की के कमाल अतातुर्क ने ने भी नक़ब को प्रतिबंधित कर दिया था | वनहा आज भी महिलाए अधिकतर खुले सर रहती है जबकि कुछ हिजाब पहनती है | केरल उच्च न्यायालय ने "”हिजाब "” पहन कर परीक्षा देने को सही ठराय है | परंतु नकाब पहन कर नहीं |

नक़ब जनहा महिला की पहचान को गुप्त रखता है वनही हिजाब स्त्री की मर्यादा और उसके शरमो लिहाज का हिस्सा है | कुछ कठमुल्ला किसम के क़ाज़ी और मौलना अपनी क़ौम को प्रगति मे हिस्सा लेने से वंचित रख कर मध्ययुगीन परम्पराओ मे रखना चाहते है | शासन को हिजाब को मान्यता देकर नकाब पहन कर परीक्षा देना प्रतिबंधित करना चाहिए | क्योंकि पहचान के लिए नकाब को खुलवाने पर कठमुमुल्ला जमात हो हल्ला मचा कर उसे विवाद का मसला बना देते है | अल्पसंख्यको की आस्था का सम्मान है परंतु कुरीतियो का नहीं | जैसे घूँघट का स्थान आज सर पर पल्लू लेना काफी माना जाता है --उसी प्रकार मुसलमानो को भी बदलाव की बयार को मंजूर करना चाहिए |

भारतीय जनता पार्टी और काँग्रेस के सत्ता के गलियारो मैं सुलगता असंतोष का लावा


भारतीय जनता पार्टी और काँग्रेस के सत्ता के गलियारो मैं सुलगता असंतोष का लावा !

\ लोकसभा चुनावो के पूर्व हुए विधान सभा चुनावो मे भले ही काँग्रेस पॉइंट से जीत गयी हो परंतु लोकसभा के लिए बीजेपी और काँग्रेस दोनों को ही अपने - अपने खेमे मे पल रहे अशांतोष को सम्हालना होगा | अन्यथा परिणाम क्या होगा कहना कठिन है | दोनों ही दलो मे नेत्रत्व अब
अपराजेय नहीं रह गया है फिर चाहे वे नरेंद्र मोदी अमित शाह हो या राहुल गांधी की टोली हो |


केन्द्रीय नौ परिवहन मंत्री गडकरी का बयान " की विजय का सेहरा अगर नेता पर तो पराजय की ज़िम्मेदारी भी आध्यक्ष की है "” मोदी मंत्रिमंडल के मंत्री द्वरा पार्टी प्रमुख के लिए यह कथन व्यंग्य से ज्यादा तानाशाही तरीको से पार्टी चलाये जाने का विद्रोह है ! क्योंकि हिन्दी भाषी तीन प्रमुख प्रदेशों मे पराजय का "”हार "” किसी को तो पहनना होगा | भाजपा संसदीय दल की चुनाव पर्यंत हुई बैठक मे इस मुद्दे को जिस प्रकार मोदी -अमित शाह ने चर्चा के एजेंडे से गायब रखा ,उस से सांसद और विधायकों मे काफी आशंतोष है |

एक सीनियर नेता ने कहा की ऐसा पहली बार हुआ हैं की इतनी बड़ी पराजय पर ना तो संगठन स्टार पर और ना ही सत्ता के स्टार पर कोई विचार ना हुआ हो | और वह भी सिर्फ इसलिए की ---- मोदी और शाह की जोड़ी की यह पैदली पराजय ने देश के लोगो मे उन की "”अपराजेय छवि "” को धूल धूसीरत कर दिया है |

वैसे विजय के अश्वमेव घोड़े को लोकसभा चुनावो के बाद सबसे पहले दिल्ली के विधान सभा चुनावो मे आप पार्टी के अरविंद केजरीवाल ने थामा था | पूरी शक्ति -जिसमे धन बल और प्रचार तंत्र की अभूतपूर्व ताकत के बावजूद भी नए बने प्रधान मंत्री अपनी पार्टी को मात्र तीन सीट पर जीता पाये ! यानि की सत्तर सदस्यीय विधान सभा मैं नेता प्रति पक्ष बनने लायक भी सेते नहीं जूता पाये ! यद्यपि मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल ने भारतीय जनता पार्टी को यह पद देने की पेशकश की | परंतु सत्ता के मद मे डूबे मोदी और शाह ने उस को नामंज़ूर कर दिया | क्योंकि अगर वे इस प्रस्ताव को मंजूर करते तब उन्हे लोकसभा मे काँग्रेस को भी नेता प्रति पक्ष का पद देने का दबाव होता | इस फैसले ने उनके इस "”जयघोष को --सबका साथ - सबका विकास "”” को तो सिर्फ नारा बना कर रख दिया!!


छतीसगढ़ -मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री डॉ रमन सिंह और शिवराज सिंह भी दासियो साल से अपने - अपने प्रदेशों की सत्ता सम्हाल रहे थे --जैसा की नरेंद्र मोदी गुजरात मे | वसुंधरा राजे भी उनके प्रधान मंत्री बनने के पूर्व राजस्थान मे सत्ता सम्हाल चुकी थी | इसलिए "”सफ़ेद और काली दाढ़ी "” इन राज्यो मे "”मनमानी नहीं कर पायी ---जैसा की उसने मणिपुर - त्रिपुरा आदि मे किया जनहा चुनाव उनके नेत्रत्व मे हुए थे | सवाल यह है की इन तीनों राज्यो मे जनता का गुससा पेट्रोल - डीजल और नोटबंदी तथा जीएसटी के कारण था अथवा राज्य सरकारो के फैसले के कारण भारतीय जनता पार्टी चुनाव हारी ?? आने वाले दिनो मे इस पर चर्चा होगी -----जिसका शुभश्रंभ नितिन गडकरी ने कर दिया है | केंद्र से प्र्देशों के संगठन मे यह मौजूदा नेत्रत्व के लिए काफी विस्फोटक हो सकता है |

वनही दूसरी ओर मोदी - शाह की प्रथम बड़ी पराजय ----कर्नाटक के विधान सभा चुनाव थे | जनहा बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी थी --परंतु काँग्रेस और जनता दल के गठबंधन ने सरकार बनाए का दावा किया | उनके बहुमत को "””बहुमत को असफल बनाने के लिए मोदी सरकार के नियुक्त राज्यपाल ने सारी संवैधानिक मर्यादा को धूल मे मिला दिया था | उस समय लगता था की राज्यपाल बीजेपी के सदस्य है ---संवैधानिक निकाय नहीं | वह तो भला हो सर्वोच्च न्यायालय का जिसने हस्तकचेप करते हुए राज्यपाल को सदन के प्रथम उपवेशन मे बहुमत के लिए मतदान करने का आदेश दिया | तब बीजेपी मनोनीत येदूरप्पा एक दिन के मुख्य मंत्री बन के इस्तीफा दे गए | कुछ ऐसा ही उतराखंड मे रावत सरकार को गिरने के लिए काँग्रेस मे दल - बदल कराया गया - फिर बिना विधान सभा मे बहुमत सिध्ध हुए राजी मे राष्ट्रपति शासन लगाने का आदेश निकाल | परंतु उच्च न्यायलाया के मुख्य न्यायधीश क त जोसफ की पीठ ने राष्ट्रपति के आदेश को असंवैधानिक बताते हुए विधान सभा के सदन मे बहुमत का परीक्षण करने का निर्णय दिया | इस फैसले को लेकर जज जोसफ को सोश्ल मीडिया पर बहुत निंदा की गयी और उनके परिवार जनो को गलिया दी गयी | सदन मे बीजेपी की चाल असफल हुई |

परंतु 2018 के अंतिम दिनो मे कर्नाटक की मिली - जुली सरकार पर खतरा मंडरा रहा है | काँग्रेस के दो मंत्रियो को हटा कर आठ नए मंत्री बनाए के बाद म राम लिंगा रेड्डी के गुट ने काँग्रेस के सिद्धारमईया के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है | अगर पार्टी के इस आशंतोष को शांत और सुलझ्या नहीं गया तो राहुल गांधी की मोदी को पराजित करने पहली ट्रॉफी बेकार हो सकती है |


मध्य प्रदेश मे कमलनाथ के 28 सदासीय मंत्रिमंडल के शपथ लेने के पहले ही सीनियर काँग्रेस विधायकों और निर्दलीय तथा सपा और बसपा के लोगो मे भी उपेक्षा से नाराजगी है | ‘’सरकार का इकाई का बहुमत कनही आध्यक्ष के चुनाव मे ही ना बिखर जाये '’’ | एक विधायक को राजभवन मे शपथ के लिए आमंत्रित किया गया --- परंतु उनका नाम नहीं पुकारा गया | कहते है की आखिरी समय मे दिग्विजय सिंह के चिरंजीव जयवर्धन का नाम जोड़े जाने के कारण यह स्थिति हुई | अब सती क्या है वह तो मुख्या मंत्री कमाल नाथ ही जाने |

राजस्थान मे गहलौट सरकार भी निर्दलियो के सहारे ही है ---वनहा भी सीनियर काँग्रेस नेताप जैसे सीपी जोशी और मनवेन्द्र सिंह को अलग रखा गया | गुज़रो के समर्थन के कारण ही पाइलट ने पार्टी को बहुमत दिलाया | अब गहलोत ने जाटो को साधने के लिए भरतपुर नरेश को मंत्री बनाया है | वनहा भी काँग्रेस के दस बागी विधायक चुन कर आए है| बताते है की उन सभी का समर्थन गहलोत के लिए था | अब वनहा भी शांति बनी रहती है देखना होगा ?

अब छतीसगढ मे भी भूपेश बघेल ने सीनियर काँग्रेस जानो को दर किनार करके पहले पार्टी मे आफ्नो ही आफ्नो को रखा --अब वही मंत्रिमंडल मे भी किया | चरण दस महंत - सत्या नारायण शर्मा जैसे अनुभवी लोगो को बाहर बैठा दिया है |


Nov 24, 2018

आफ्नो पर करम और गैरो पर सितम ---योगी इतना तो ज़ुल्म ना कर


अपनो पर करम और गैरो पर सितम -योगी इतना ज़ुल्म ना कर

25 नवम्बर – स्थान अयोध्या विश्व हिन्दू परिषद और शिव सेना
दोनों के समर्थको का जमावड़ा ----मुद्दा राम मंदिर निर्माण

नासिक और मुंबई से तो ट्रेन भर कर अयोध्या पहुंचे हजारो शिव सैनिको की उमंग और ओज पर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पानी फेर दिया है |

वनही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के आनुषंगिक संगठन विश्व हिन्दू परिषद की धर्म सभा को बड़ा भक्तमाल मे रैली करने और धरम सभा करने की इजाजत ज़िला प्रशासन द्वरा दी गयी | केंद्र के गृह विभाग ने राज्य सरकार को भेजे निर्देशों मे अयोध्या मे '’’’हर हाल मे शांति व्यवस्था बनाए रखने की हिदायत दी है "” | राज्य सरकार ने अभी तक 7000 पुलिस बल की तैनाती की जा चुकी है | 17 जनवरी तक अयोध्या {{ कस्बे मैं }}} धारा 144 लगाई गयी है | नए बने अयोध्या ज़िले मैं नहीं | मंदिर नगर की आबादी लगभग 50--60 हज़ार बताई जाती है |


सवाल यह है की भारतीय जनता पार्टी ने एनडीए के अपने सहयोगी दल शिवसेना को - जो महाराष्ट्र मे फड़नवीस सरकार के भागीदार है ,और संघ की ही भांति कट्टर हिंदुवादी विचारधारा के है --सच कहे तो अनेक बार शिव सेना का रुख संघ से भी ज्यादा "”कडा "” होता है | समान विचारधारा - सहयोगी तथा सरकार मे पार्टनर होने के बाद भी योगी सरकार ने शिव सेना उढ़ाव ठाकरे के साथ सौतेला व्यवहार किया है |

शिवसेना ने नारा दिया है की "” पहले मंदिर फिर सरकार "” षड यह त्रिवता और जल्दबाज़ी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और केंद्र की भारतीय जनता पार्टी के मंसूबो मे सूराख करने मैं सक्षम है | शिवसेना ने अयोध्या मे रैली और सभा करने की अनुमति प्रशासन से मांगी थी | उन्होने महीनो पहले इस आयोजन की तैयारी कर के महराष्ट्र से तो ट्रेन भर कर राम मंदिर निर्माण के समर्थन मे अयोध्या में कार्यक्रम की घोसना कर दी थी | तब प्रदेश और केंद्र सरकारो को लगा था की यह आयोजन '’’उनके राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति मैं सहायक ही है "” |
परंतु खुफिया सूचना तंत्र की सूचनाओ पर अचानक राज्य सरकार ने ज़िला प्रशासन को शिवसेना के कार्यक्रमों की दी गयी सार्वजनिक स्थानो मे सभा और रैली की अनुमति को निरस्त कर सूचित किया | इस पूरे आयोजन को शिवसेना की ओर से संसद संजय राऊत सम्हाल रहे थे |
अब 25 नवंबर को शिवसेना लक्षमन क़िला परिसर मे ही अपने हजारो शिव सैनिको को ठहराएगी |

जबकि विश्व हिन्दू परिषद के अध्यछ चंपत राय { विश्वस्तरीय| } को बड़ा भक्तमाल मठ मे धरम सभा करने की इजाजत दी है |!!! इस धरम सभा मे साधू संगठनो के अलावा दक्षिण के अनेक संविचारधारा के संगठनो के लोगो के शामिल होने की संभावना है |
इतना ही नहीं सरयू मे सांध्य आरती भी दोनों संगठनो की अलग - अलग स्थानो पर होने की संभावना है |
सूत्रो के अनुसार संजय राऊत के अनेक प्रयासो के बाद भी ज़िला प्रशासन उन्हे सार्वजनिक स्थान पर आयोजन देने की अनुमति देने से इंकार करता रहा | शिवसेना ने अयोध्या से दूर ज़िला मुख्यालय जिसे अभी तक "”फ़ैज़ाबाद '’ के नाम से जाना जाता था --वनहा की "”गुलाब बाडी'’’’ मैं सभा करने की अनुमति चाही ----उसे भी प्रशासन ने नामंज़ूर कर दिया !! जबकि गुलाब बाड़ी मंदिर इलाके से 12 से 14 किलोमीटर दूर है | अभी तक मिली जानकारी के अनुसार शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे लक्ष्मण क़िला मे अपने समर्थको के साथ "”सतो का सम्मान "” करेंगे --बाद मैं वे सायंकाल सरयू आरती करेंगे |
इस मध्य इस छोटी सी धर्म नागरी जिसमे मुस्लिम आबादी लगभग 5000 से 6000 है , वह बहुत आशंकित है | बाबरी मस्जिद के याचिका कर्ता हाशिम अंसारी ने 15 नवंबर को एक बयान मैं कहा था की अगर अलपसंख्यकों की सुरक्षा का बंदोबस्त सरकार ने नहीं किया तो वे अयोध्या से "”पलायन कर जाएँगे !!! सूत्रो की अगर माने तो अधिकतर मुस्लिम परिवारों ने अपनी पत्नी - बहू बेटियो को फ़ैज़ाबाद बाराबंकी मे रिश्तेदारों के यंहा "”सुरक्षा और इज्ज़त "” के कारण भेज दिया है |

इस पूरे प्रकरण ने यह स्पष्ट कर दिया है की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसकी राजनीतिक बांह भारतीय जनता पार्टी अपने को आगे रखने के लिए सहयोगीयो की "”बलि"” चड़आने मे गुरेज नहीं करते | शिव सेना और आरएसएस -बीजेपी दोनों ही पंचम सुर मे "””मंदिर निर्माण "”की हांक लगाते है -----पर अपनी कमीज़ को ज्यादा सफ़ेद साबित करने के लिए ---- मोदी और योगी आदित्यनाथ जी सहयोगी को लंगड़ी लगाने मैं देर नहीं लगाई | इसे ही कहते है "””” हम करे तो रास लीला तुम करो तो करेक्टर ढीला !! पर क्या करे यह राजनीति है -यंहा सब चलता है |||||||||




Nov 22, 2018

सीबीआई की शुचिता और - ईमानदारी तथा काबलियत का जखीरा सर्वोच्च न्यायालय मे निदेशक -अतिरिक्त निदेशक समेत सुरक्षा सलाहकार अजीत डोबाल की अनियमितताओ भांडा अभी भी फूटता ही जा रहा है


सीबीआई की शुचिता और - ईमानदारी तथा काबलियत का जखीरा सर्वोच्च न्यायालय मे निदेशक -अतिरिक्त निदेशक समेत सुरक्षा सलाहकार अजीत डोबाल की अनियमितताओ भांडा अभी भी फूटता ही जा रहा है !!!!

आज तक मंत्रियो के काले कारनामों को रिटायर अफसरो की किताबों ने उजागर किया है -जिनहे साबित करना कठिन होता है -पर सीबीआई के अंदर रिश्वतख़ोरी - दखलंदाज़ी और अभियुक्तों को बचाने की सरकार की कोशिसों का गणतन्त्र के इतिहास मे पहली भार सर्वोच्च न्यायालय के सामने भांडा फूट रहा है !! यह राफेल के आरोपो से अधिक मोदी सरकार के "”भ्रषटाचार रहित सरकार "”के दावे को झूठा साबित कर देता है !
इस मामले मे सर्वोच्च न्यायपालिका के सामने जिस प्रकार बड़े अफसर एक दूसरों पर रिश्वतख़ोरी और ट्रांसफर - पोस्टिंग के जरिये करोड़ो की डील कर रहे थे ---जब नित नए तथ्यो से अनेक च्र्हरों की नकाब उतर रही थी ---- तब देश के प्रधान न्यायाधीश गोगोई का यह कथन हालत की गंभीरता को बताता है -”””” अब हमे कुछ भी नहीं चौंकाता ,’’’ उनका इशारा इस मामले मे देश के शासन के सूत्रधारों की भूमिका पर जिस तरह से सवालिया निशान लग रहे थे वे किसी भी '’’’नागरिक को उद्भ्रांत कर देने वाले है |

अभी तक जब प्रदेश पुलिस या सीआईडी पर लोगो का विश्वास नहीं बचता ----तब हमेशा सीबीआई से जांच की मांग हुआ करती थी | पर अब सोहरबुड्डीन हत्या कांड --और जाफरी कांड मे हो रहे खुलासे इस एजेंसी की '’’साख को किसी भी प्रदेश की पुलिस से भी रद्दी बना दे रहे है "”” अब समय आ गया है की '’अब पंजाब पुलिस स्पेशल एक्ट के तहत बनी इस संस्था मे सब कुछ नए सिरे से लिखा जाये |जिससे यह अफसरो के ----नेताओ की दखलंदाज़ी से सुरक्शित रहे ----जैसा की जापान मे है ---जनहा तीन प्रधान मंत्री रिश्वतख़ोरी मे जेल गए |



देश मे जब -जब किसी मामले मे सरकार के लोगो कि सलिप्तता से कानून के उल्ल्ङ्घन और बेईमानी का संदेह किया जाता था -तब तब सीबीआई को को उन संदेहो की हक़ीक़त उजागर करने का दायित्व दिया जाता रहा - और सार्वजनिक रूप से भी जब किसी मामले मे बड़े लोगो की भूमिका पर शक हुआ तब तब सीबीआई की जांच की ही मांग की जाती रही | यानहा तक की बोफोर्स सौदे की जांच भी इसी एजेंसी ने की | मनमोहन सिंह सरकार पर कोयले की खानो के आवंटन ,मे अफसरो और मंत्रियो की संदेहास्पद भूमिका की जांच भी इनहोने ही की | का मामला भी इनहोने ही की | 2जी घोटाले की जांच भी इसी '’’महान एजेंसी ने की "” जिसमे तत्कालीन मंत्री राजा और -कनिमोझी को जेल भी जाना पड़ा | परंतु जिस '’’ज़ोर से मोदी सरकार और उनकी पार्टी ने इस मामले मे तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह को बदनाम किया गया था --यानहा तक की संसद मे प्रधान मंत्री मोदी ने "””इन मामलो मे उनकी निर्दोषिता पर व्यंग्य करते हुए कहा था की "”” बाथरूम मे भी बरसाती पहनकर नहाते है "”” क्योंकि सीबीआई द्वारा पूर्व प्रधान मंत्री से तीन बार सीबीआई अफसरो ने पूछताछ की {{जिसका मक़सद उन्हे राजनीतिक रूप से बदनाम करना ही था }}} परंतु अंत मे उन्हे '’निर्दोष '’ बताया |

स्पेकट्रूम आवंटन मे राजा - कनिमोझी और अन्य लोगो पर षड्यंत्र कर के राजकोष को नुकसान पाहुचने काआपराधिक आरोप लगाया गया था | दिल्ली की सीबीआई अदालत ने दो साल तक सुनवाई करने के पश्चात '’’’सभी आरोपियों को निर्दोष बताते हुए बारी कर दिया '’’| इस मामले मे लोगो का विश्वास था की मोदी सरकार जानबूझ कर काँग्रेस और उसके सहयोगी दलो के नेताओ के चरित्र पर कालिख पोतना चाहते थे | जिस उद्देश्य के लिए उन्होने सीबीआई का दुरुपयोग किया | बाद मे सीबीआई खीज मिटाने के लिए विशेस अदालत के फैसले के वीरुध अपील मे गयी | सीबीआई अदालत के विशेस न्यायाधीश ने कहा की '’ दो साल तक मैंने प्रतीक्षा की सीबीआई कोई ठोस सबूत लेकर आए --बार - बार उन्हे नोटिस भी दी ।परंतु फिर भी सीबीआई कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सकी !!! इस फैसले पर कुछ मोदी भक्तो ने जज के निर्णय पर सवाल उठाते हुए उनकी निष्ठा पर भी शंका व्यक्त की | परंतु अभी तक सीबीआई के उस मामले की अपील की सुनवाई नहीं हो सकी !!
नरेंद्र मोदी की लोकतान्त्रिक सरकार मे '’एकतंत्र का प्रारम्भ अजित डोवाल जी के कारण ही हुआ | विवेकानंद ट्रस्ट के माध्यम से काँग्रेस विरोधी अफसर थे उनको एक मंच पर लाकर ---पहले तो मन्मोहन सिंह सरकार के जमाने मे '’’ लीक '’यानि आधे सच से चटपटी खबरे आती रही | बाद मे जब सत्ता पर पकड़ हुई तो डोवाल साहब ने अपने इलाके '’’’उत्तराखंड के लोगो को अहम पदो पर बैठाया जो आज भी है "”|
जिस प्रकार सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश गोगोई तत्परता से बिना समय दिये हुए सुन्वाइ कर रहे है उससे यह उम्मीद तो इस कराहते लोकतन्त्र को तो हुई है की कुछ गुनहगारों के तो सर कलम होंगे - इसका उदहरण निदेशक वर्मा ने जब जवाब देने के लिए समय मांगा तब – जस्टिस गोगोई ने उन्हे तीन घंटे ही दिये !!!! और जवाब तीन घंटे के पहले अदालत मे दाखिल हो गया !!!


Nov 21, 2018


शीर्षक
राम मंदिर का निर्माण मोदी की दैवी कृपा से ही संभव !!!!



टकसाली और तुकबंदी जुमलो से अभी भी प्रधान मंत्री छुटकारा नहीं पा रहे है --वनही उनके भक्त उन्हे परमात्मा की देन तो विश्व गुरु और संबिद पात्रा -मोदी की सेवा को देश की सेवा बता रहे है !!! देश के लोकतान्त्रिक इतिहास मे ---व्यक्ति की चाटुकारिता का उदाहरण इन्दिरा गांधी के जमाने मे देखा गया था – जब तत्कालीन काँग्रेस अध्यक्ष देवकान्त बरुआ ने " इंडिया इस इन्दिरा "” कह कर देश को चकित कर दिया था | तब से अब समय में बहुत परिवर्तन हुआ है ---- इसीलिए मिशन मोदी अगेन पीएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राम विलास वेदन्ती ने कहा की देश ही नहीं विश्व को नरेंद्र मोदी की ज़रूरत है | वे ही भारत को विश्व गुरु बना सकते है!!!! इसे इतिफाक कहे या सोची -समझी राजनीति की -डॉ वेदांती -राम जन्म भूमि न्यास केआर कार्यकारी अध्यक्ष भी है ! कितना बड़ा संयोग है !

मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह ने तो चुनावी रैली मे मोदी जी उपस्थिती मे "”” उन्हे देश को ईश्वरीय देन निरूपित किया "”” |उधर भोपाल में बीजेपी के प्रवक्ता संबिद पात्रा ने पार्टी के सोशल मीडिया कार्यकर्ताओ को संभोधित करते हुए कहा "”””’नरेंद्र मोदी के लिए काम करना भारत माता की सेवा करना है !!!””” मतलब मोदी का विरोध देश का विरोध करना है !!! इन सब बयानो का ज़िक्र -करने का तात्पर्य है की -संघ और बीजेपी नरेंद्र मोदी को राष्ट्र पिता महात्मा गांधी और पंडित नेहरू तथा लाल बहादुर शास्त्री और इन्दिरा जी से भी "””””महान और उत्तम मानता है "””


अब लोकतन्त्र मे मत भिन्नता ही उसकी मजबूती है | परंतु राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की राजनीतिक शाखा भारतीय जनता पार्टी भी अपनी "”जननी संस्था के विचारो और व्यवहार पर शत - प्रतिशत चल रही है | “””जनहा कम्युनिस्ट पार्टी की भांति नेता के वीरुध मुंह खोलना ---पार्टी या संस्था से नहीं वरन देश्द्रोह है !!! “जनहा मत भिन्नता को देश द्रोह निरूपित किया जाये वनहा लोकतन्त्र की कल्पना भी कैसे की जा सकती है ? आखिर तो हमारे संविधान मे "”बहुदलीय चुनाव व्यव्स्था है "” जिसका अर्थ ही है सत्ता और विपक्ष की मौजूदगी "” | अब अगर सत्तारूड दल "अपने सिवा "” सभी को देश द्रोही '’ बताते फिरे तो क्या यह संविधान मे उल्लखित '’समान अवसर '’ की सरकार मे बैठी पार्टी द्वरा अवहेलना नहीं होगी !!! कुछ ऐसा ही जर्मनी मे हिटलर ने भी किया था -जब उसने अपनी विरोधी पार्टियो को देश द्ढ़ि बताते हुए "”बुन्द्स्तग "”” को जलाने का आरोप लगा कर देश मे अराजक्ता फैला दी थी और उसी अनिश्चितता के माहौल मे शासन पर कब्जा कर लिया था |

वैसे नवम्बर माह मे मंदिर निर्माण के मुद्दे पर सरकार और उसके सहयोगी संगठनो द्वरा अनेक बयान दिये गए | राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मोहन भागवत हो अथवा विश्व हिन्दू परिषद के चंपत रॉय हो अथवा डॉ तोगड़िया हो या सुबरमानियम स्वामी हो सभी ने मंदिर निर्माण को लोकसभा चुनावो के पूर्व प्रारम्भ करने की मांग केंद्र सरकार से की |
परंतु केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने 5 नवंबर को दिल्ली मे पार्टी मुख्यालय मे प्रैस वार्ता मे साफ -साफ कहा था की "” राम मंदिर पर अध्यादेश की क्या ज़रूरत - जनता खुद ही राह बनाएगी !”” उस समय भी लगा की शायद सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतज़ार करेगी | फैसले के अनुरूप ही इस मसले को हल किया जाएगा | परंतु "”जनता "” द्वरा राह बनाने का बयान देश के लोगो मे एक भय सा उत्पन्न कर गया ---की क्या फिर से अयोध्या किसी धरम युद्ध की विजय स्थली बनेगी ?

अक्तूबर माह के आखिरी सप्ताह मे मे संघ के डॉ मोहन भागवत और सर कार्यवाह भैया जी जोशी ने सरकार से आग्रह किया था की "”वे संसद मे कानून लाये ----क्योंकि कोई भी राजनीतिक दल इस प्रस्ताव का विरोध नहीं कर सकेगा | यानहा तक की कांग्रेस् को भी जनता के दबाव मे इस प्रस्ताव का समर्थन करना पड़ेगा | उसके बाद जिस प्रकार जेटली जी ने '’’सारा मामला जनता के ऊपर {जन संगठनो } पर छोड़ दिया , वह इस विषय मे सरकार के रुख मे "’अनिश्चितता अथवा बे परवाही का द्योतक है ]]] परंतु मोदी सरकार तथा संघ और उसके अन्य संगठनो के बारे मे जान कारी रखने वाले जानते है की '’यह बाहरी तस्वीर है ----असली पिक्चर तो अभी बाक़ी है |

सूत्रो से प्रापत खबरों के अनुसार मोदी सरकार लोकसभा के शीतकालीन सत्र -जो की 11 दिसंबर से 6 जनवरी 2019 तक होना प्रस्तावित ,उसमे सरकार कानून बनाकर मंदिर निर्माण की गुथियों को सुलझाना चाहता है | इसका आभास इसलिय हुआ की कहर राज्यो मे जनहा विधान सभा चुनाव हो रहे है , वनहा 28 नवंबर को मतदान सम्पन्न हो जाएंगे | उसके बाद सभी बीजेपी सांसदो को दिल्ली मे ही रहने का निर्देश पार्टी द्वारा दिया गया है | अब देखना की लोकसभा मे क्या होता ---अगर सत्र के पूर्व कुछ ऐसा हुआ जो देश की राजनीति मे हलचल मचा देने वाला हुआ तब क्या होगा | यह देखने की बात होगी |