शीर्षक
राम
मंदिर का निर्माण मोदी की
दैवी कृपा से ही संभव !!!!
टकसाली
और तुकबंदी जुमलो से अभी भी
प्रधान मंत्री छुटकारा नहीं
पा रहे है --वनही
उनके भक्त उन्हे परमात्मा की
देन तो विश्व गुरु और संबिद
पात्रा -मोदी
की सेवा को देश की सेवा बता
रहे है !!!
देश
के लोकतान्त्रिक इतिहास मे
---व्यक्ति
की चाटुकारिता का उदाहरण
इन्दिरा गांधी के जमाने मे
देखा गया था – जब तत्कालीन
काँग्रेस अध्यक्ष देवकान्त
बरुआ ने "
इंडिया
इस इन्दिरा "”
कह
कर देश को चकित कर दिया था |
तब
से अब समय में बहुत परिवर्तन
हुआ है ----
इसीलिए
मिशन मोदी अगेन पीएम के
राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राम
विलास वेदन्ती ने कहा की देश
ही नहीं विश्व को नरेंद्र मोदी
की ज़रूरत है |
वे
ही भारत को विश्व गुरु बना
सकते है!!!!
इसे
इतिफाक कहे या सोची -समझी
राजनीति की -डॉ
वेदांती -राम
जन्म भूमि न्यास केआर कार्यकारी
अध्यक्ष भी है !
कितना
बड़ा संयोग है !
मध्य
प्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज
सिंह ने तो चुनावी रैली मे
मोदी जी उपस्थिती मे "””
उन्हे
देश को ईश्वरीय देन निरूपित
किया "””
|उधर
भोपाल में बीजेपी के प्रवक्ता
संबिद पात्रा ने पार्टी के
सोशल मीडिया कार्यकर्ताओ को
संभोधित करते हुए कहा "”””’नरेंद्र
मोदी के लिए काम करना भारत
माता की सेवा करना है !!!”””
मतलब
मोदी का विरोध देश का विरोध
करना है !!!
इन
सब बयानो का ज़िक्र -करने
का तात्पर्य है की -संघ
और बीजेपी नरेंद्र मोदी को
राष्ट्र पिता महात्मा गांधी
और पंडित नेहरू तथा लाल बहादुर
शास्त्री और इन्दिरा जी से
भी "””””महान
और उत्तम मानता है "””
अब
लोकतन्त्र मे मत भिन्नता ही
उसकी मजबूती है |
परंतु
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की
राजनीतिक शाखा भारतीय जनता
पार्टी भी अपनी "”जननी
संस्था के विचारो और व्यवहार
पर शत -
प्रतिशत
चल रही है |
“””जनहा
कम्युनिस्ट पार्टी की भांति
नेता के वीरुध मुंह खोलना
---पार्टी
या संस्था से नहीं वरन देश्द्रोह
है !!!
“जनहा
मत भिन्नता को देश द्रोह निरूपित
किया जाये वनहा लोकतन्त्र
की कल्पना भी कैसे की जा सकती
है ?
आखिर
तो हमारे संविधान मे "”बहुदलीय
चुनाव व्यव्स्था है "”
जिसका
अर्थ ही है सत्ता और विपक्ष
की मौजूदगी "”
| अब
अगर सत्तारूड दल "अपने
सिवा "”
सभी
को देश द्रोही '’
बताते
फिरे तो क्या यह संविधान मे
उल्लखित '’समान
अवसर '’
की
सरकार मे बैठी पार्टी द्वरा
अवहेलना नहीं होगी !!!
कुछ
ऐसा ही जर्मनी मे हिटलर ने
भी किया था -जब
उसने अपनी विरोधी पार्टियो
को देश द्ढ़ि बताते हुए "”बुन्द्स्तग
"””
को
जलाने का आरोप लगा कर देश मे
अराजक्ता फैला दी थी और उसी
अनिश्चितता के माहौल मे शासन
पर कब्जा कर लिया था |
वैसे
नवम्बर माह मे मंदिर निर्माण
के मुद्दे पर सरकार और उसके
सहयोगी संगठनो द्वरा अनेक
बयान दिये गए |
राष्ट्रीय
स्वयं सेवक संघ के मोहन भागवत
हो अथवा विश्व हिन्दू परिषद
के चंपत रॉय हो अथवा डॉ तोगड़िया
हो या सुबरमानियम स्वामी हो
सभी ने मंदिर निर्माण को लोकसभा
चुनावो के पूर्व प्रारम्भ
करने की मांग केंद्र सरकार
से की |
परंतु
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण
जेटली और रक्षा मंत्री निर्मला
सीतारमन ने 5
नवंबर
को दिल्ली मे पार्टी मुख्यालय
मे प्रैस वार्ता मे साफ -साफ
कहा था की "”
राम
मंदिर पर अध्यादेश की क्या
ज़रूरत -
जनता
खुद ही राह बनाएगी !””
उस
समय भी लगा की शायद सरकार
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का
इंतज़ार करेगी |
फैसले
के अनुरूप ही इस मसले को हल
किया जाएगा |
परंतु
"”जनता
"”
द्वरा
राह बनाने का बयान देश के लोगो
मे एक भय सा उत्पन्न कर गया
---की
क्या फिर से अयोध्या किसी धरम
युद्ध की विजय स्थली बनेगी ?
अक्तूबर
माह के आखिरी सप्ताह मे मे
संघ के डॉ मोहन भागवत और सर
कार्यवाह भैया जी जोशी ने
सरकार से आग्रह किया था की
"”वे
संसद मे कानून लाये ----क्योंकि
कोई भी राजनीतिक दल इस प्रस्ताव
का विरोध नहीं कर सकेगा |
यानहा
तक की कांग्रेस् को भी जनता
के दबाव मे इस प्रस्ताव का
समर्थन करना पड़ेगा |
उसके
बाद जिस प्रकार जेटली जी ने
'’’सारा
मामला जनता के ऊपर {जन
संगठनो }
पर
छोड़ दिया ,
वह
इस विषय मे सरकार के रुख मे
"’अनिश्चितता
अथवा बे परवाही का द्योतक है
]]] परंतु
मोदी सरकार तथा संघ और उसके
अन्य संगठनो के बारे मे जान
कारी रखने वाले जानते है की
'’यह
बाहरी तस्वीर है ----असली
पिक्चर तो अभी बाक़ी है |
सूत्रो
से प्रापत खबरों के अनुसार
मोदी सरकार लोकसभा के शीतकालीन
सत्र -जो
की 11
दिसंबर
से 6
जनवरी
2019 तक
होना प्रस्तावित ,उसमे
सरकार कानून बनाकर मंदिर
निर्माण की गुथियों को सुलझाना
चाहता है |
इसका
आभास इसलिय हुआ की कहर राज्यो
मे जनहा विधान सभा चुनाव हो
रहे है ,
वनहा
28 नवंबर
को मतदान सम्पन्न हो जाएंगे
| उसके
बाद सभी बीजेपी सांसदो को
दिल्ली मे ही रहने का निर्देश
पार्टी द्वारा दिया गया है |
अब
देखना की लोकसभा मे क्या होता
---अगर
सत्र के पूर्व कुछ ऐसा हुआ जो
देश की राजनीति मे हलचल मचा
देने वाला हुआ तब क्या होगा
| यह
देखने की बात होगी |
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