राम
मंदिर के साथ अब सबरीमाला भी
संघ और शाह के निशाने पर
आगामी
25 नवंबर
को अयोध्या मंदिर निर्माण
न्यास की बैठक को लेकर अयोध्या
मामले के मुक्द्में के
याचिकाकर्ता इकबाल अंसारी
ने प्रदेश के योगी सरकार को
नोटिस दिया की अयोध्या के
अलपसंख्यकों को अगर सुरक्षा
नहीं सुलभ कराई गयी तो वे लोग
शहर को छोडने पर मजबूर हो जाएँगे
!! अनेक
हिंदुवादी संगठन इस स्थिति
से मन ही मन प्रसन्न है |
क्योंकि
बिना कुछ किए ही अयोध्या
"””विधर्मियों
"”
से
मुक्त हो जाएगी |
परंतु
यदि ऐसा कुछ हुआ तब यह बाबरी
मस्जिद ध्वंश के बाद की सबसे
दुखद और शरमनाक घटना होगी |
1989
से
राम मंदिर के नाम पर चल रहे
आंदोलन
का भविष्य
अब
सर्वोच्च न्यायालय के पास
विचारधीन है |
परंतु
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के
साथ विश्व हिन्दू परिषद और
विभिन्न साधुओ के अनेक संगठनो
की मांग है की सरकार कानून बना
कर अयोध्या मे राम मंदिर बनाने
का रास्ता साफ करे |
हालांकि
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी
संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत
की मांग पर भी "”मौन
मंत्री "”
ही
बने है |
उधर
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण
जेटली ने बयान देकर साफ कर
दिया है की सरकार सबरीमाला
और अयोध्या मे राम मंदिर के
मामले मे कोई अध्यादेश नहीं
लाएगी !
उन्होने
कहा की अयोध्या मे बाबरी मस्जिद
के ढांचे का क्या किया ?
वनहा
राम की मूर्ति भी है और उनकी
पूजा -अर्चना
भी हो रही है |सबरीमाला
के मामले भी जनता अपना रास्ता
बना लेगी !
उनके
बयान से संघ और विश्व हिन्दू
परिषद तथा संघ के दर्जन बहरा
संगठन "””निरुपाय
"”
हो
गये है |
क्योंकि
उन्हे उम्मीद थी की उनकी अपनी
सरकार हिन्दू एजेंडे को आगे
बढायेगे परंतु ऐसा हो नहीं
सका !
इसकी
क्या वजह हो सकती है ----एक
संभावना है की सुप्रीम कोर्ट
मे लिब्रहान आयोग की बाबरी
मस्जिद ध्वंश की रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट मे लंबित है |
दूसर
मामला है विवादित भूमि के
मालिकाना हक़ का जिसमे राम जनम
भूमि न्यास तथा सुन्नी वक्फ
बोर्ड पच्छकार है |
सुप्रीम
कोर्ट ने इस मामले मे "””स्पष्ट
"”
कर
दिया की वे मात्र भूमि के
मालिकाना हक़ पर विचार करेंगे
| इसके
बाद संघ -सरकार
समर्थक "””लोगो"””
के
वकीलो ने सुप्रीम कोर्ट मे
इस मामले मे "”
जल्दी
सुनवाई की अर्ज़ी दी ---एक
बार नहीं अनेक बार । परंतु
सुप्रीम कोर्ट के प्रधान
न्यायाधीश गोगोई जी ने अनेक
अवसरो पर साफ कर दिया है की
अयोध्या भूमि के मामले मे
सुनवाई 2019
मे
ही होगी |
इन
परिस्थितियो में मोदी सरकार
को इन मामलो दखल देने का साहस
नहीं है |
क्योंकि
2019 के
लोकसभा चुनावो पर संघ के
राजनीतिक संगठन बीजेपी की
निगाह है |
उन्की
सोच मे अध्यादेश लाना न्यायपालिका
के साथ रार पैदा करने वाला हो
सकता है |
तथा
एनडीए के सहयोगी दल भी बीजेपी
के इस कदम से छिटक सकते है |
प्रदेशों
मे हो रहे विधान सभा चुनावो
मे वनहा की बीजेपी सरकारो के
प्रति जन आक्रोश भी -----आने
वाली बयार का संकेत दे रही है
| प्रदेश
के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह
के निर्वाचन छेत्र बुधनी मे
उनकी पत्नी श्रीमति साधना
सिंह और पुत्र कार्तिकेय के
साथ वनहा लोगो ने काफी गर्मागर्मी
दिखाई |
अभी
तक इस छेत्र को उनका अजेय छेत्र
माना जाता था !!
2014
मे
मोदी सरकार के पदारूड होने
के बाद हिन्दी भाषी छेत्रों
मे जनहा बीजेपी की सरकारे थी
उन राज्यो में गाय की हत्या
को लेकर अलपसंख्यक समुदाय के
लोगो की हत्याए हुई |
राजस्थान
– हरियाणा और उत्तर प्रदेश
तथा झारखंड में "”भीडतंत्र
"”
के
तांडव ने अनेकों निर्दोषों
को मौत के घाट उतार दिया |
सुप्रीम
कोर्ट ने भी इन घटनाओ पर राज्य
सरकारो को चेतावनी दी |
परंतु
मद मे डूबे नेताओ के बहरे कानो
पर कोई असर नहीं हुआ |
अंत
मे उत्तर प्रदेश के एक मामले
मे पुलिस की रिपोर्ट को झूठा
सिद्ध करने का काम एक खबरिया
चैनल ने किया |
तब
उस मामले मे दुबारा जांच हुई
|
गाय
के मुद्दे के बाद 2017
से
मंदिर का मुद्दा गरमाने लगा
---क्योंकि
सर्वोच्च न्यायालय ने अनेकों
बार सरकारो और ज़िला प्र्शसनों
को फटकार लगाई |
इलाहाबाद
हाइ कोर्ट ने उन्नाव के बीजेपी
विधायक के वीरुध राज्य पुलिस
की जांच को खारिज करते हुए
सीबीआई द्वरा जांच का आदेश
दिया |जिसके
परिणाम स्वरूप विधायक जी जेल
भेजे गए -यानहा
तक की उनकी जमानत भी नहीं हुई
है |
यह
हालत है जनता द्वरा चुनी हुई
सरकारो के मंत्रियो की !!!
इसके
साथ ही भारतीय जनता पार्टी
के अध्यक्ष अमित शाह का सबरीमाला
मंदिर पर दिया गया बयान "””
अदालतों
को धार्मिक परम्पराओ के मामलो
मे डाकहल नहीं देना चाहिए "”
कहा
जाता है की उन्होने संघ के और
भारतीय जनता युवा मोर्चा के
कारी कर्ताओ को "”
परंपरावादी
लोगो द्वरा महिलाओ के प्रवेश
पर विरोध को हवा देने की सलाह
भी दी "”
| इस
संदर्भ मे जेटली जी का बयान
की सुप्रीम कोर्ट को ऐसे फैसले
नहीं देने चाहिए जिसका "””अनुपालन
संभव नहीं हो !!””
सवाल
यह है की न्यायपालिका कानून
से फैसले दे अथवा सरकार की
सुविधा से !!!
| जिस
दिन न्यायपालिका की स्वायतत्ता
बाधित करने की कोशिस होगी वह
दिन देश के लोकतन्त्र का
आपातकाल से भी ज्यादा काला
दिन होगा |
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