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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

May 7, 2018


मोदी सरकार के राज मे एक खास बात है की --- नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसले बड़े जोश - -खरोश और विज्ञापनबाजी के साथ शुरू हुए ,, परंतु रोज बरोज उनमे संशोधन करके इतना बदल दिया की नाम के साथ लगी मुसीबत को छोडकर ----बाक़ी सब बदल गया----- और जवाब यह की ---- आम जनता की कठिनाइयो को देख कर ऐसा किया गया है !!!बनारस सौंदर्यीकरण भी ऐसी ही योजना सिद्ध हुई !!मंदिरो को तोड़ने का बाद अब उनके '''पुनर्निर्माण '' को पुनरुधार का नाम दिया गया !!!


बाबा विश्वनाथ की तीन लोक से न्यारी ,नगरी काशी को "”क्योटो '' जैसा बनाने की घोसणा,, --को पूरा करने की मुहिम मे --- ,अनादिकाल की इस नगरी को 21वी सदी के पैमानो मे ढालने की बेरहम कोशिस की गयी | दो माह तक इस मुहिम के कारण , विश्वनाथ मंदिर के आस पास के भवनो के धराशायी होने और इनके निवासियों के शरणार्थी होने की आशंका हो गयी थी | अनेक महत्वपूर्ण स्थान और छोटे - बड़े मंदिर इस '''सनक के चलते ज़मींदोज़ कर दिये गए |स्थानीय लोगो के विरोध और अंतराष्ट्रिय संगठन "””युनेस्को "” के दबाव मे भारत सरकार को इस "” सौंदर्यीकरण "' की योजना को "” संशोधित '' करना पड़ा !
शहर को खूबसूरत बनाने सनक केंद्र सरकार को तब आई जब जापान के प्रधान मंत्री शिंजों आबे को को वे वाराणसी के घाटो की सुंदरता के साथ अर्वाचीन विश्वनाथ मंदिर के भी दर्शन कराना चाहते थे | परंतु संकरी -संकरी गलियो मे दो प्रधान मंत्रियो की "” सुरक्षा बंदोबस्त का ताम -झाम "” हो पाना असंभव था | विदेशी मेहमानो को अपना पुरातत्व वैभव दिखने की चाह मी सबसे बड़ा अड़ंगा काशी की इन "”डगरियो'' मे ही हजारो साल से भक्त - यात्री और व्यापारी विचरते रहे है | मध्य काल मे भी नरेशो के आवागमन के विवरण मिलते है | परंतु तब इन राजा -महाराजाओ की सुरक्षा मे सैनिक हुआ करते थे | परंतु आज कल के सुरक्षा कर्मी अपने भारी - भरकम बंदोबस्त के साथ मशीनों को लेकर चलते है | जिनके आकार - प्रकार को इन गलियो मे शायद सरकना भी मुश्किल हो जाये | इसके अलावा नगर का सामान्य जन - जीवन भी मौजूदा सुरक्षा "”प्रोटोकाल "” के तहत "” चल नहीं पाएगा "” क्योंकि छतो से गलियो मे झाक पाना मुश्किल है |

केंद्र की इस योजना को आदित्यनाथ सरकार मोदी जी की ख़्वाहिस को प्राण – पन से पूरा करने के लिए '''' बुलडोजर भी चलाने के लिए तैयार थी ''' परंतु काशी की पहचान को बदल कर वाराणसी करने की इस कोशिस मे स्थानीय जनो को कष्ट और धरम भीरु जनता की आस्था को चोट लग रही थी ! जिस प्रकार जिला प्रशासन से भारत माता के मंदिर को गिराया तथा अनेक छोटे बड़े मंदिरो को ढहाया --उससे लोगो के मन धीरे -धीरे रोष उत्पन्न हो रहा था | जो लोकसभा के चुनाव मे मोदी जी को "””भारी पड़ने वाला था "””| स्थानीय निवासियों के अलावा यानहा आने वालो के माध्यम से प्रदेश के मध्य और पूरब छेत्र तक ''' बाबा की नगरी को तोड़ने -और मंदिरो की मूर्ति की अवमानना करने की खबर वैसे ही फ़ेल रही थी ----जैसी आपातकाल के जमाने नसबंदी की खबर ''''मुंह -दर -मुंह सैकड़ो मील का सफर एक रात मे तय कर लेती थी | “” इन सब तोड़ -फोड़ के लिए जिला प्रशासन --आदित्यनाथ और मोदी जी को जिम्मेदार मानते है | इस स्थिति मे प्रदेश और केंद्र सरकार के खिलाफ लोगो मे गुस्सा उमड़ रहा था | जो राजनीतिक रूप से घातक हो सकता है |

अभी तक देश और प्रदेश की सरकार को मुसलिमविरोधी माना जाता है , परंतु मंदिर को तोड़ने और मूर्तियो और सैकड़ो शिवलिंगों को बिखरे हुए देख कर दूर से आने वाले यात्रियो को ठेस पाहुचती थी | मानिकरणिका घाट पर अपने परिजनो को ,डोम राजा से खरीदी गयी "”अग्नि से "” अंतिम विदायी देने वालो को उनकी " श्रद्धा "” पर वज्रपात लग रहा है ! हिन्दू धर्मावलंबियो मे धीरे -धीरे रिसने वाला यह रोष प्र्शसनिक रूप से और राजनीतिक रूप से घातक सीध हो रहा था | इसलिए ज़िला प्रशासन ने 36 धरोहरों और मंदिरो को तोड़ने के बजाय उन्हे अब मूल स्वरूप मे संरक्षित किया जाएगा |

अब शासन गंगा को विश्वनाथ मंदिर तक लाने की परियोजना बना रहा है | साथ ही जिन विनायक मंदिरो को तोड़ दिया गया है उनका पुनर्निर्माण कराये जाने का आश्वासन निवासियों को डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट योगेस्वर राम मिश्रा ने दिया | उन्होने कहा विश्वनाथ कारीडोर बनाने मे सभी मंदिरो के न्यासियों और महंत से सलाह ली जाएगी |