आशाराम से ओजस्वी तक की कथा .........
यौन उत्पीड़न के आरोप मे फंसे आशाराम जब जोधपुर की जेल मे एकांतवास की सज़ा भुगत रहे तब उनके वारिस और संतान नारायण ''स्वामी'' ने नयी राजनीतिक पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया हैं | उधर उनके आश्रमो पर सरकार ने बेदखली की मुहिम चला दिया हैं | इंदौर - देवास और छिंदवाड़ा के आश्रमो के प्र बन्धको ने जमीनो के दस्तावेज़ दिखाने मे असफल रहे हैं | मजबूरन जिला प्रशासन को तोड़-फोड़ और कब्जे की कारवाई करनी पड़ी | इस कारवाई से एक बात साफ हो गयी की आलीशान आश्रम सभी सरकारी जमीनो पर गैर कानूनी कब्जा कर के बनाए गए थे | मतलब यह की ''धर्म ''' की दूकान अधर्म की जमीन पर बनाई गयी थी | तब यह साफ हो गया की यह सब एक """पाखंड"" था , कोई धर्म प्रचार नहीं | उनकी असलियत दुनिया के सामने आने के बाद अनेक जगह उनकी फोटो को टोकरी पर सर पर उठा कर उन्हे नदी या नाले मे ''सिरा'' दिया हैं | जैसे शादी के ''मौर '' को जल मे सिधार दिया जाता हैं , बिलकुल वैसे ही |
इन जैसे फर्जी धर्म के ठेकेदारो से ही आज लोगो का विश्वास धर्म पर उठता जा रहा हैं , लेकिन फिर भी बहुत से लोगो की श्रध्दा वास्तविक सिद्धांतों से उठती जा रही हैं , और अंध विश्वासों पर जमती जा रही हैं | जिसको तोड़ने का कोई उपाय हमारे समाज मे नहीं किया जा रहा हैं | इसके खिलाफ ये बाबा लोग कोई भी ऐसा काम नहीं कर रहे हैं जिस से लोगो का अंध विश्वास समाप्त हो |
पहले ये बाबा लोग पहले शिष्यो की फौज खड़ी करते हैं --फिर आश्रम के नाम पर या तो उनकी जमीन लेते हैं अथवा सरकारी जमीन पर कब्जा जमाते हैं | फिर उस पर निर्माण होता हैं फाइव स्टार आश्रम का ,जिसमे स्विमिंग पूल भी होता हैं , हाल भी होता हैं अनेक कच्छ होते हैं जिनमे कहने के लिए ध्यान किया जाता हैं परंतु होते हैं शयन के लिए | कही-कही लड़को -लड़कियो के लिए शिक्षा का प्रबंध भी होता हैं , उनके लिए छात्रावास भी होता हैं | अब उनमे कैसा इंतजाम होता हैं , यह आशाराम के ''किस्से ''' से साफ हो गया हैं |किस प्रकार वहा के छात्रो के साथ व्यवहार होता हैं यह सूरत मे और छिंदवाड़ा के आश्रमो मे लड़को की संदिग्ध मौतों से साफ हो गया हैं | हालांकि उस समय उन मामलो को राजनीतिक दबाव के चलते दबा दिया गया था | परंतु अब जबकि इन गाड़मैनो के कर्मो का ढक्कन खुल गया हैं तब सब मामले एक - एक करके सामने आ रहे हैं और उन पर कारवाई भी हो रही हैं |
यह लोग भी रामदेव की तरह राजनीतिक उम्मीदे पालते हैं , क्योंकि ''उन नेताओ की '''उपस्थिती इन्हे वीआईपी का दर्जा दिलाती हैं | जो उनके शिष्यो की तादाद बढाती हैं , उनका रुतबा ब ढाती हैं |फलस्वरूप उनकी समाज मे हैसियत बनती हैं , बड़े -बड़े लोग पैर छूते हैं | बस यही से पतन की शुरुआत होती हैं | क्योंकि तब वे अपने को समझने लगते हैं ''स्वयंभू अवतार ''' और भगवान |
ऐसे मे वे सभी सांसरिक सुख पाने के बाद राजसत्ता को प्रभावित करने के मंसूबे बनाने लगते हैं | फिर शुरू होता हैं रामदेव और आशाराम जैसे गुरुओ का खेल , अब इसे धर्म कहे या व्यापार या कोई और नाम दे .......................
यौन उत्पीड़न के आरोप मे फंसे आशाराम जब जोधपुर की जेल मे एकांतवास की सज़ा भुगत रहे तब उनके वारिस और संतान नारायण ''स्वामी'' ने नयी राजनीतिक पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया हैं | उधर उनके आश्रमो पर सरकार ने बेदखली की मुहिम चला दिया हैं | इंदौर - देवास और छिंदवाड़ा के आश्रमो के प्र बन्धको ने जमीनो के दस्तावेज़ दिखाने मे असफल रहे हैं | मजबूरन जिला प्रशासन को तोड़-फोड़ और कब्जे की कारवाई करनी पड़ी | इस कारवाई से एक बात साफ हो गयी की आलीशान आश्रम सभी सरकारी जमीनो पर गैर कानूनी कब्जा कर के बनाए गए थे | मतलब यह की ''धर्म ''' की दूकान अधर्म की जमीन पर बनाई गयी थी | तब यह साफ हो गया की यह सब एक """पाखंड"" था , कोई धर्म प्रचार नहीं | उनकी असलियत दुनिया के सामने आने के बाद अनेक जगह उनकी फोटो को टोकरी पर सर पर उठा कर उन्हे नदी या नाले मे ''सिरा'' दिया हैं | जैसे शादी के ''मौर '' को जल मे सिधार दिया जाता हैं , बिलकुल वैसे ही |
इन जैसे फर्जी धर्म के ठेकेदारो से ही आज लोगो का विश्वास धर्म पर उठता जा रहा हैं , लेकिन फिर भी बहुत से लोगो की श्रध्दा वास्तविक सिद्धांतों से उठती जा रही हैं , और अंध विश्वासों पर जमती जा रही हैं | जिसको तोड़ने का कोई उपाय हमारे समाज मे नहीं किया जा रहा हैं | इसके खिलाफ ये बाबा लोग कोई भी ऐसा काम नहीं कर रहे हैं जिस से लोगो का अंध विश्वास समाप्त हो |
पहले ये बाबा लोग पहले शिष्यो की फौज खड़ी करते हैं --फिर आश्रम के नाम पर या तो उनकी जमीन लेते हैं अथवा सरकारी जमीन पर कब्जा जमाते हैं | फिर उस पर निर्माण होता हैं फाइव स्टार आश्रम का ,जिसमे स्विमिंग पूल भी होता हैं , हाल भी होता हैं अनेक कच्छ होते हैं जिनमे कहने के लिए ध्यान किया जाता हैं परंतु होते हैं शयन के लिए | कही-कही लड़को -लड़कियो के लिए शिक्षा का प्रबंध भी होता हैं , उनके लिए छात्रावास भी होता हैं | अब उनमे कैसा इंतजाम होता हैं , यह आशाराम के ''किस्से ''' से साफ हो गया हैं |किस प्रकार वहा के छात्रो के साथ व्यवहार होता हैं यह सूरत मे और छिंदवाड़ा के आश्रमो मे लड़को की संदिग्ध मौतों से साफ हो गया हैं | हालांकि उस समय उन मामलो को राजनीतिक दबाव के चलते दबा दिया गया था | परंतु अब जबकि इन गाड़मैनो के कर्मो का ढक्कन खुल गया हैं तब सब मामले एक - एक करके सामने आ रहे हैं और उन पर कारवाई भी हो रही हैं |
यह लोग भी रामदेव की तरह राजनीतिक उम्मीदे पालते हैं , क्योंकि ''उन नेताओ की '''उपस्थिती इन्हे वीआईपी का दर्जा दिलाती हैं | जो उनके शिष्यो की तादाद बढाती हैं , उनका रुतबा ब ढाती हैं |फलस्वरूप उनकी समाज मे हैसियत बनती हैं , बड़े -बड़े लोग पैर छूते हैं | बस यही से पतन की शुरुआत होती हैं | क्योंकि तब वे अपने को समझने लगते हैं ''स्वयंभू अवतार ''' और भगवान |
ऐसे मे वे सभी सांसरिक सुख पाने के बाद राजसत्ता को प्रभावित करने के मंसूबे बनाने लगते हैं | फिर शुरू होता हैं रामदेव और आशाराम जैसे गुरुओ का खेल , अब इसे धर्म कहे या व्यापार या कोई और नाम दे .......................