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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jan 28, 2018

प्रधान मंत्री की मन की बात – दस बेटो से एक बेटी अच्छी योगी आदित्यनाथ – लड़के और लड़कियो मे भेदभाव नहीं हो
विद्यार्थी परिषद – महिलाए शक्तिशाली पर पब और डिस्को मे जाने की आज़ादी की मांग वामपंथ की सोच है

एक ही दिन मे इन तीन खबरों को पढने से संघ समर्थित भारतीय जनता पार्टी और विद्यार्थी परिषद के सोच मे नितांत अंतर झलकता है | एक ओर जंहा देश और प्रदेश के नेता समाज मे लैंगिक भेद भाव को समाप्त कर स्त्री - पुरुष की बराबरी का संदेश दे रहे है ,वनही युवक शक्ति इस बराबरी को ''वामपंथ '' का संदेश मान रही है | भोपाल मे सम्पन्न 50 वे मध्य प्रांत के सम्मेलन मे आए दक्षिणा गडवाल ने लड़कियो द्वारा लड़को साथ ''पब या डिस्को ''' मे जाने की आज़ादी को अनुचित माना !! उन्होने इसे वामपंथ की देन बताया | उनका यह सोच नितांत ''कूप - मंडूकता '' का प्रतीक ही है | क्योंकि पश्चिम के पूंजीवादी देशो मे स्त्री - पुरुष को बराबरी है -क्या वह भी ''वामपंथ प्रभावित है "” ?? सम्मेलन मे निकली रैली मे सभी को ''भगवा पगड़ी पहना कर भारतीयता का उजगर करने की कोशिस की गयी थी | आश्चर्य की बात लड़कियो ने भी "”लड़को के समान पगड़ी सर पर रखी हुई थी " यानि बराबरी केवल इतनी -बस |
लड़कियो के आने - जाने पर पाबंदी का सुझाव अपने आप मे "””संविधान की आत्मा के वीरुध है "” आज जब सभी सरकारी नौकरियों मे कोई लैंगिक भेदभाव नहीं किया जा रहा है -तब इस तरह की बात सार्वजनिक मंच से करना --- देश की विधि और व्यवस्था के प्रतिकूल ही नहीं गैर कानूनी भी है | अनेक हिंदुवादी सेनाओ ने अनेक परदेशो मे विगत समय लड़कियो के ''कपड़ो और उनके क्लब और पब आदि मे जाने को लेकर कई बार अशोभनीय और ज़ोर ज़बरदस्ती भी की गयी | कोई लड़की किसी भी लड़के साथ सार्वजनिक स्थल पर घूमने जाना आदि भी ''' इन सेनाओ और उन जैसे विचारो वाले लोगो को आपतिजनक लगता है | उत्तर प्रदेश मे और हिमाचल मे कई बार पुलिस ने भी पार्क मे घूमते हुए लड़के - लड़कियो को परेशान किया | अकारण ही उनको अपनी पहचान बताने को मजबूर किया गया | लड़कियो को धमकाया गया और उनके अभिभावकों को बताने की धम्की भी दी गयी | कानून मे वयस्क लड़के -लड्की स्वत्रता पूर्वक विचरण का अधिकार है | उसे अकारण ही नहीं छेड़ा जाना चाहिए | परंतु बीजेपी शासित राज्यो मे ऐसी घटनाए अक्सर देखने मे आती है ||
आज जब विश्व मे लैंगिक भेदभाव समाप्त हो रहा है ऐसे मे हम इन विचारो से पिछड़ जाएँगे | आज सेना के तीनों अंगो मे महिलाए काम कर रही है | शासकीय सेवाओ मे उनकी उपस्थिती भी प्रभावशाली है | व्यापार हो या यूद्योग - अन्तरिक्ष विज्ञान हो सभी छेत्रों मे उनकी उपस्थिती देखि जा रही है | राजनीति मे भी उनका दखल है | प्रधान मंत्री के रूप मे देश आज भी इन्दिरा गांधी को स्मरण करता है | लोकसभा की पूर्व और वर्तमान स्पीकर भी महिलाए रही है | ऐसे मे विद्यार्थी परिषद द्वरा ऐसी मांग या सुझाव \\\पुरातन कट्टर वाद को जन्म देगा "” जो अशांति ही पैदा करेगा |
अपेक्षा है की संघ और बीजेपी के नेता इस सोच को नियंत्रित करेंगे |
और अब देश की राजनीति मे भी पंक्ति पावन ब्रांहण हो गए – जो दूसरों को साथ बैठने लायक भी नहीं मानते ---छूआ छूत की नयी परंपरा !!

गणतन्त्र दिवस की सालाना परेड कहे अथवा आशियान
सम्मेलन के अतिथियो के सम्मान मे किया गया आयोजन --परंतु देश के
69 वे गणतन्त्र की वर्षगांठ पर इस वर्ष "” राष्ट्रद्यक्षों "”के साथ "” शासनद्यक्षों "” को भी परेड का अवलोकन करने का सौभाग्य दिया गया था | परंपरा से 26 जनवरी का आयोजन देश के राष्ट्रपति के सम्मान मे किया जाता है | जो भारतीय संविधान का पहरूआ है | इसीलिए आज से पूर्व सलामी लेने के लिए डायस पर एक ही कुर्सी होती थी | जिस पर राष्ट्रपति का चिन्ह होता था | आयोजन के लिए आमंत्रित विषेश अतिथि के लिए "”बगल मे परंतु अलग से व्यवस्था होती थी | लोगो को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का "” आसान "” कनहा था यह स्मरण होगा |

परंतु 69 गणतन्त्र दिवस परेड कई मानो मे "”याद रखी जाएगी "” क्योंकि जिस प्रकार से ऐसे महत्वपूर्ण आयोजन मे "”राष्ट्रपति"” को प्रधान मंत्रियो की "””भीड़ "” के साथ बैठना पड़ा वह भी "””इस सरकार के बहुत से प्रथम "” मे स्थान पाएगी |हाँ कूटनीतिक रूप से राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के प्रोटोकाल मे अंतर होता है | नरेंद्र मोदी सरकार ने प्रोटोकाल के इस छूआछूत का इस गणतन्त्र दिवस परेड मे समाप्त कर दिया | एक अच्छी शुरुआत है |
परंतु अंतरराष्ट्रीय जगत मे यह जारी रहेगी ---विदेश मंत्रालय भी जारी रखेगा |
परंतु इसी आयोजन मे छूआछूत उस समय ''उभर आई ''' जब भारतीय जनता पार्टी के अध्यछ सांसद अमित शाह तो वीवीआईपी एरिया मे प्रथम पंक्ति मे सपत्नी बैठे वही ----देश की मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के नव निर्वाचित अध्यक्ष राहुल गांधी को छठी पंक्ति मे आसान दिया गया ?? जब इस विषय पर विवाद हुआ तब बीजेपी की ओर से बयान दिया गया की वे "”वीवीआईपी एरिया"” मे बैठने लायक नहीं है ?
अब प्रश्न यह है की विगत वर्षो तक नरेंद्र मोदी सरकार काँग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को वीवीआईपी एरिया मे प्रथम पंक्ति मे स्थान देता था ---फिर इस वर्ष क्यो नहीं ?? एक अवकाश प्राप्त आईएएस अधिकारी का कथन था की उन्हे पूर्व राष्ट्रपति की विधवा होने के कारण 'प्रथम पंक्ति मे स्थान दिया जाता था ' ? जब मैंने उनसे प्रश्न किया की ऑर्डर ऑफ प्रीसिडेंस मे वे "इस कारण किस स्थान की पात्र है '' तब वे कोई उत्तर नहीं दे सके |
अब इसी तर्क को आगे बढाये-- तो सरकारी पार्टी लोकसभा स्पीकर द्वरा बुलाई बैठक मे ''उनके साथ '' कैसे बैठेंगे ? क्योंकि संसद का परिसर भी
वीवीआईपी अथवा वीआईपी एरिया तो है ही ? वैसे संसदीय लोकतन्त्र मे किसी राजनीतिक दल द्वरा अपने विरोधी दलो के प्रति यह व्यवहार नितांत निम्न है | राष्ट्र पिता महात्मा गांधी ने आज़ादी की लड़ाई के साथ समाज से छूयाछूत के 'कलंक' को समाप्त करने मे सारी शक्ति लगा दी थी |विधि मे भी 'सार्वजनिक रूप से ' छूयाछूत'' का व्यवहार करने पर जेल की सज़ा है | क्या बीजेपी का पंक्ति पावन रूप उसे राजनीतिक पंगत मे क्या '''अलग पत्तल के साथ बैठने पर मजबूर करेगा "” ??