और
अब देश की राजनीति मे भी पंक्ति
पावन ब्रांहण हो गए – जो दूसरों
को साथ बैठने लायक भी नहीं
मानते ---छूआ
छूत की नयी परंपरा !!
गणतन्त्र
दिवस की सालाना परेड कहे अथवा
आशियान
सम्मेलन
के अतिथियो के सम्मान मे किया
गया आयोजन --परंतु
देश के
69
वे
गणतन्त्र की वर्षगांठ पर इस
वर्ष "”
राष्ट्रद्यक्षों
"”के
साथ "”
शासनद्यक्षों
"”
को
भी परेड का अवलोकन करने का
सौभाग्य दिया गया था |
परंपरा
से 26
जनवरी
का आयोजन देश के राष्ट्रपति
के सम्मान मे किया जाता है |
जो
भारतीय संविधान का पहरूआ है
|
इसीलिए
आज से पूर्व सलामी लेने के
लिए डायस पर एक ही कुर्सी होती
थी |
जिस
पर राष्ट्रपति का चिन्ह होता
था |
आयोजन
के लिए आमंत्रित विषेश अतिथि
के लिए "”बगल
मे परंतु अलग से व्यवस्था होती
थी |
लोगो
को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति
बराक ओबामा का "”
आसान
"”
कनहा
था यह स्मरण होगा |
परंतु
69
गणतन्त्र
दिवस परेड कई मानो मे "”याद
रखी जाएगी "”
क्योंकि
जिस प्रकार से ऐसे महत्वपूर्ण
आयोजन मे "”राष्ट्रपति"”
को
प्रधान मंत्रियो की "””भीड़
"”
के
साथ बैठना पड़ा वह भी "””इस
सरकार के बहुत से प्रथम "”
मे
स्थान पाएगी |हाँ
कूटनीतिक रूप से राष्ट्रपति
और प्रधानमंत्री के प्रोटोकाल
मे अंतर होता है |
नरेंद्र
मोदी सरकार ने प्रोटोकाल के
इस छूआछूत का इस गणतन्त्र
दिवस परेड मे समाप्त कर दिया
|
एक
अच्छी शुरुआत है |
परंतु
अंतरराष्ट्रीय जगत मे यह जारी
रहेगी ---विदेश
मंत्रालय भी जारी रखेगा |
परंतु
इसी आयोजन मे छूआछूत उस समय
''उभर
आई '''
जब
भारतीय जनता पार्टी के अध्यछ
सांसद अमित शाह तो वीवीआईपी
एरिया मे प्रथम पंक्ति मे
सपत्नी बैठे वही ----देश
की मुख्य विपक्षी पार्टी
भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस
के नव निर्वाचित अध्यक्ष राहुल
गांधी को छठी पंक्ति मे आसान
दिया गया ??
जब
इस विषय पर विवाद हुआ तब बीजेपी
की ओर से बयान दिया गया की वे
"”वीवीआईपी
एरिया"”
मे
बैठने लायक नहीं है ?
अब
प्रश्न यह है की विगत वर्षो
तक नरेंद्र मोदी सरकार काँग्रेस
अध्यक्ष सोनिया गांधी को
वीवीआईपी एरिया मे प्रथम
पंक्ति मे स्थान देता था ---फिर
इस वर्ष क्यो नहीं ??
एक
अवकाश प्राप्त आईएएस अधिकारी
का कथन था की उन्हे पूर्व
राष्ट्रपति की विधवा होने के
कारण 'प्रथम
पंक्ति मे स्थान दिया जाता
था '
? जब
मैंने उनसे प्रश्न किया की
ऑर्डर ऑफ प्रीसिडेंस मे वे
"इस
कारण किस स्थान की पात्र है
''
तब
वे कोई उत्तर नहीं दे सके |
अब
इसी तर्क को आगे बढाये--
तो
सरकारी पार्टी लोकसभा स्पीकर
द्वरा बुलाई बैठक मे ''उनके
साथ ''
कैसे
बैठेंगे ?
क्योंकि
संसद का परिसर भी
वीवीआईपी
अथवा वीआईपी एरिया तो है ही
?
वैसे
संसदीय लोकतन्त्र मे किसी
राजनीतिक दल द्वरा अपने विरोधी
दलो के प्रति यह व्यवहार
नितांत निम्न है |
राष्ट्र
पिता महात्मा गांधी ने आज़ादी
की लड़ाई के साथ समाज से छूयाछूत
के 'कलंक'
को
समाप्त करने मे सारी शक्ति
लगा दी थी |विधि
मे भी 'सार्वजनिक
रूप से '
छूयाछूत''
का
व्यवहार करने पर जेल की सज़ा
है |
क्या
बीजेपी का पंक्ति पावन रूप
उसे राजनीतिक पंगत मे क्या
'''अलग
पत्तल के साथ बैठने पर मजबूर
करेगा "”
??
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