Bhartiyam Logo

All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Aug 6, 2013

मंदिर को बचाने वाली शिला को ''देवत्व ''' का परिणाम घोसित करने का आग्रह

 मंदिर को बचाने वाली शिला को ''देवत्व ''' का परिणाम  घोसित करने का आग्रह       
          केदारनाथ समेत पूरे उत्तराखंड मे हुई तबाही को एक ओर धर्म भीरु  ''दैवी प्रकोप'' बता रहे हैं , वही  ''धर्माचार्यो '''ने केदारनाथ मंदिर के  पीछे के भाग मे दीवार से  सटे हुए बोल्डर को   दैवी कृपा निरूपित किया हैं | भू - स्खलन  के परिणाम स्वरूप केदारनाथ मंदिर के पीछे के भाग से जो मलवा आया था  उसमे  जल के साथ पत्थरो की बहुत बड़ी  राशि थी | पानी और पत्थरो  को महती धारा को इस चट्टान ने एक ओर मंदिर की दीवार को बचाया , वही दूसरी ओर पहाड़ से आते उस मलवे  को दो भागो मे बाँट दिया था | परिणाम स्वरूप  होने वाले नुकसान मे काफी कमी आई |
                                  
                                                        अभियंताओ और भू गर्भ शास्त्रियों  का कहना हैं की यदि यह  चट्टान मंदिर से नहीं लगती तब संभवतः  मंदिर छतिग्रष्त  हो जाता और करोड़ो वेदिक धर्म मानने वाले लोगो की सनातन श्रद्धा   नेचर की भेंट  चढ    जाती || परंतु ऐसा हुआ नहीं और मंदिर ज्यो का त्यों  बना रहा | हाँ मंदिर के अंदर पहाड़ से बह कर आई मिट्टी और पत्थर  जरूर भर गए थे |  यद्यपि  वह भी एक प्रकार से  बचाव का कारण हो गया, और बाहर के दबाव के बावजूद इमारत को  यथा  स्थित बनाए रखा | 

                           अब स्थानीय लोगो ने इस  शिला को देव स्थान  घोसीत किए जाने की मांग मंदिर के धार्मिक और प्रशासनिक अधिकारियों से की हैं | अब सनातन धर्म मे ''देवत्व''' किसी के द्वारा दिया जाये ऐसा नहीं होता | या तो यह जन्मना होता हैं अथवा यह ऋषियों -मुनियो के  आशिर्वाद से फलित होता हैं | वैदिक धर्म मे  भक्त  ही भगवान को बनाते हैं | कहने का आशय यह हैं की व्यक्ति अथवा स्थान की  कीर्ति ही  , उसके दैवी  होने का प्रमाण होता हैं , | कोई धर्माचार्य अथवा उनका समूह ऐसा नहीं कर सकता | अब देखना होगा की  धार्मिक --और प्र्शसनिक व्यसथा इस बारे मे क्या निरण्य लेती हैं |

धर्म की आड़ मे दुर्गा नागपाल के निलंबन की राजनीति मे सूराख

 धर्म की आड़ मे  दुर्गा नागपाल के निलंबन की राजनीति मे सूराख 
                                                                देश की राजधानी से सटे छेत्र नोएडा  की आई ए एस  अफसर  दुर्गा नागपाल के निलंबन के लिए उत्तर प्रदेश शासन कह रहा हैं की रमजान के माह मे मस्जिद की चहारदीवारी  को गिरने से सांप्रदायिक तनाव हो जाता | अधिकारी की जरा सी चूक  प्रदेश मे शांति -व्यसथा को चुनौती देने वाली  घटना बन जाती | सरकार  के इस ''झूठ '' को सबसे पहले  टीवी चैनल  द्वारा  दिखया गया , जिसमे साफ पता चल रहा था की  दीवाल  को धक्का मार कर गिराया गया हैं | क्योंकि नीव खुदी दिखाई ही नहीं दे रही थी |एवं दीवाल जैसे एलईटी गयी हो ऐसा प्रतीत हो रहा था |

                                             निलंबन पर सभी समाजवादी नेताओ  के बयान आए  इन बयानो से दो बाते साफ थी एक तो ''फैसला सही है '' क्योंकि यह नेता जी या अखिलेश ने लिया हैं , दूसरा यह की रमज़ान के माह मे मस्जिद की दीवाल को गिरवा देना  मतलब अल्पसंख्यको  के हितो पर चोट करना | समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान जो की मंत्री भी हैं और ''' पार्टी के मुस्लिम  समर्थन के ठेकेदार भी हैं {{ ऐसा उनके पीछे चलने वाले कहते हैं }}} उन्होने ने भी सांप्रदायिक तनाव हो जाने की आशंका व्यक्त की | इतना ही नहीं उन्होने कहा अभी '''इंसाफ कान्हा हुआ डीएम को तो सस्पैंड नहीं किया '''' | मतलब अखिलेश जी आपने तो हुकूमत का जलवा ही नहीं दिखाया \ 

                                       परंतु उनके बयान की प्रतिकृया मे '' इतेहदुल - मुस्ल्मिन ''' ने कहा की कदलीपुर  गाँव मे मस्जिद को बनवाने वाले  भाति ही , जिनके कहने पर  ग्रामीण  जानो ने निर्माण कार्य किया था | जब नागपाल मौके पर गयी और उन्होने उन लोगो को समझाया की यह गैर कानूनी है , यानहा की गयी इबादत और नमाज़ मंजूर नहीं होगी | तब ग्रामीणो ने खुद ही आगे हो कर दीवाल को  दाहा दिया | उन्होने कहा की अपनी हरकतों के लिए मजहब का  सहारा लेना गैर मुनासिब हैं |
                       इस बयान के बाद इस रामपुरिया  नेता की ज़ुबान नहीं खुली हैं | इंतज़ार हैं उनके बयान का .........................क्योंकि  इस संगठन के बयान ने इनकी हस्ती मे ही सूराख कर दिया हैं |