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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

May 26, 2015

किस का नसीब जो नजीब जंग हारा और केजरीवाल जीता

       केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने   दिल्ली के  उप राज्यपाल  नजीब जंग को  प्रदेश के अफसरो की नियुक्ति  और  तबादले के अधिकार को ""सर्वोच्च "" बताते हुए  जो राजाज्ञा  जारी की थी -वह स्व्यमेव  राजनीति से प्रेरित और  संविधान की मंशा के विपरीत प्रतीत होती थी | परंतु  देश के वित्त मंत्री जो सूचना मंत्रलाया के भी  मंत्री है -उन्होने अपनी प्रैस वार्ता मे केजरीवाल को सलाह दी थी की वे संविधान पड़े | उन्होने भी मोदी सरकार का बचाव करते हुए उप राज्यपाल को  '''शासन '''के मामले मे अंतिम  आदेश देने वाला निरूपित किया था | वैसे वितता मंत्री अरुण जेटली  पेशे से वकील है और और उनके विधिक ज्ञान को चुनौती नहीं दी जा सकती --परंतु जिस प्रकार  ''बचाव'' पक्ष  का वकील सबूतो के अभाव के बाद भी  दलीलों की लफ़्फ़ाज़ी के सहारे  अदालत को भरमाने की कोशिस करता है --वैसा ही कुछ जेटली जी ने भी किया है | परंतु दिल्ली उच्च न्यायालय  ने  एक याचिका पर निरण्य देते हुए कहा की  दिल्ली की सरकार को किसी भी केन्द्रीय करमचारी  के वीरुध एंटी  करपसन  ब्यूरो  को जांच का आदेश देने का अधिकार है | यह मामला दिल्ली पुलिस के एक हैड कांस्टेबल  के वीरुध था ||अदालत ने उक्त याची की जमानत की अर्ज़ी भी कहरीज कर दी |
                             इस फैसले ने ऐसे वक़्त पर मोदी सरकार को झटका दिया है जबकि वे  अपने ""राज्यारोहण"" की पहली वर्षगांठ माना रहे थे |  राजनीतिक हालको मे  नजीब के माध्यम से केजरीवाल को घेरने की कवायद  को ,  प्रधान मंत्री की दिल्ली चुनावो मे  भारतीय जनता पार्टी की करारी  पराजय  की ""खीज""निकालने की कोशिस के रूप मे ही देखा जा रहा है |  केंद्र द्वारा एक चुनी हुई सरकार को अपने मातहतो  के तबादले और  नियुक्ति  के अधिकार छिनना   -पूरी तरह गैर राजनीतिक और लोकतन्त्र का विरोधी कदम था | वैसे उम्मीद यह की जा रही थी की केजरीवाल सरकार स्वयं  सुप्रेम कोर्ट का सहर ले सकती है | संविधान के अनुसार  यदि केंद्र और किसी राज्य के मध्य विवाद हो तो यह सुप्रीम कोर्ट के  प्रारम्भिक  छेत्राधिकार मे आता है | यदि ऐसा हुआ तो मोदी सरकार को मुंह की खानी पद सकती है वैसे यह विवाद अभी भी राष्ट्रपति के सम्मुख  विचारधीन है | 

May 17, 2015

नागरिक अधिकार की सुरक्षा का दस्तावेज़ है -बिल ऑफ राइट्स

                                 नागरिक  अधिकार की सुरक्षा  का दस्तावेज़ है -बिल ऑफ राइट्स
                                         मैग्ना कार्टा ने जहा  प्रजा  को नागरिक का दर्जा दिया - तथा   उन्हे अधिकार से लैस किया तथा व्यक्ति को सम्मान पूर्वक जीने का मौका दिया , परंतु इन अधिकारो को संविधान मे स्थान देने और सरकार के अंगो के द्वारा  नागरिक स्वतन्त्रता की सुरक्षा का बंदोबस्त करने का काम बिल ऑफ राइट्स ने किया || मैगनाकार्टा  के  अस्तित्व मे आने के चार सौ साल बाद नागरिक  अधिकार की सुरक्षा  का दस्तावेज़ है -बिल ऑफ राइट्स |ब्रिटिश प्रजा को नागरिक अधिकार दिलाने की मुहिम जो 1215 मे  रुनिमेड  के मैदान से शुरू हुई थी ,, उसकी परिनिटी एक दस्तावेज़ के रूप मे 1225 को हुई | अंग्रेज़ो को अपने शासक से ""सुरक्षा कवच"" पाने मे दस वर्ष लगे परंतु  ब्रिटिश साम्राज्य  से निकाल कर  """नयी दुनिया  मे भाग्य आज़माने वाले """ अंग्रेज़ो  को अपनी लड़ाई 120 वर्ष लदनी पड़ी |
                                                                      आइए देखते है की कैसे बात आगे चली | ब्रिटेन के कठोर मौसम और बंजर ज़मीन  ----बदती आबादी का बोझ उठा पाने मे असमर्थ थी | दरिद्रता --अशिक्षा --भुखमरी के कारण
वनहा के लोग वास्को डिगमा और कोलंबस  की यात्राओ को सुन ने कए बाद सुनहरे भविष्य के सपने सजोने लगे थे | ब्रिटेन छोड़ने वालो मे अधिकतर  स्कॉटलैंड  और आयरलैंड  के थे | जिनहे  पानी के जहाज़ो मे भर कर
नयी दुनिया पहुंचाया गया ||कोलंबस ने यही नाम दिया था | अपार उपजाऊ भूमि और खनिज संपदा के कारण
जल्दी ही वीरानों मे  तम्बू दिखाई देने लगे | भारत के साथ इस प्रकार हुई आबादी की भगदड़ का एक उदाहरण है ----मरीशस  -सूरीनाम आदि | जनहा भारतीय मजदूरो के पसीने ने गन्ने और चुकंदर की खेती कर के ब्रिटिश
साम्राज्य को चीनी के अंतर राष्ट्रिय बाज़ार मे भाव ''तय करने की ताकत '''''दी | लंडन मे शुगर एक्स्चेंज सैकड़ो वर्षो  तक दुनिया मे भाव निश्चित करता रहा |  अमेरिका मे  पहुंचे लोगो को वनहा स्थित अंग्रेज़ अधिकारियों से रजिस्ट्रेशन  करवाना पड़ता था  --सभी के नाम पते लिखे जाते थे साम्राज्य के किस हिस्से से यानहा आए आदि तफसील लिखाई जाती थी |  उसके बाद उन्हे  समूहो मे  रवाना किया जाता था ----सुनहरे भविस्य की ओर
,, अधिकांश  लोग अपने परिचितों -- इंग्लंड से साथ आए लोगो के साथ बड़ी - बड़ी घोडा गाड़ियो मे लाव - लश्कर लाड़ कर निकल  पड़ते थे |  लगभग सभी लोग हथियारबंद होते थे | सभी को यानहा के ""मूल निवासियों"" जिनहे वे """इंडियन""" कहते थे ,, उनसे सतर्क रहने की सलाह दी जाती थी | क्योंकि वे  नर  भक्षी  थे |  खुली जमीन पर कब्जा करने का तरीका था की घुड़सवार  लाइन खिच देता था ----इन बाशीदों को  खेती के लिए पानी के साधन की जरूरत थी और इस कारां बहुत लोगो की इन लड़ाइयो मे जान भी गयी |


                            यद्यपि कोलंबस  ने बाहामा - साल्वाडोर  आदि पर स्पेन का आधिपत्य किया | उनसे पहले एरिक्सन  ने बारहवि सदी मे इन छेत्रों की यात्रा की थी | परंतु कोलंबस की खोज ने  यूरोप  की शक्तियों को  अपना साम्राज्य और - व्यापार  का विस्तार करने का मौका दिया |  विभिन्न देशो के लोग यानहा मूलतः  खेती और खनिज के लिए आए थे | परंतु  ब्रिटिश फौजों की उपस्थिती  ने उनके वर्चस्व को स्थापित किया था |  परंतु
फौजी अधिकारियों  की ना इंसाफ़ी इन लोगो को अखरती थी | समय के साथ इन बासिन्दों ने नगरिया संस्थाए
बना ली थी जनहा चुनाव से मेयर और शेरिफ़ चुने जाते थे | झगड़े की जड़  बोस्टन  मे चाय के आयात  पर अंग्रेज़ो द्वारा  महसूल वसूले जाने से हुई | स्थानीय लोगो का विचार था की हम ब्रिटिश क्राउन के अधीन नहीं है | जिन इलाको मे जिस राज्य लोगो का बाहुल्य था वे अपना गवर्नर  चुन लेते थे | कैलिफोर्निया  पर कुछ समय तक स्पेन का भी प्रभुत्व रहा |  

                                                                      1689 मे बिल ऑफ राइट्स की अव धारणा  प्रत्पादित  की गयी , लेकिन इस पर वाद - विवाद हुआ  लगभग 86 साल बाद 1776 मे थामस जेफरसन ने  इन अधिकारो का एक दस्तावेज़ बनाया --जिसे ही बिल ऑफ राइट्स कहा गया |  उस समय 13 कालोनिया थी जो ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन थी | जिनहोने किंग जार्ज  त्रतीय की अधीनता मानने से इंकार कर दिया | उन्होने अपने लिए एक संघीय  ढांचा चुना -- जो आज भी बरकरार है | 1787 मे फिलाडेल्फिया  मे सभी कोलोनियों  के नेताओ ने   """ सभी मानव बराबर है ""' के सिधान्त  को अपना मुख्य घोष बनाया |  जेफरसन के दस्तावेज़  के अनुसार सभी नागरिकों को  भासन देने की -- अपना धर्म पालन करने की -  कानून के सामने बराबरी -  बिना अदालत के हुकुम के गिरफ्तारी और दंड से बचाव की -  अधिकार थे |  इन अधिकारो को 15 दिसम्बर 1791 को संयुक्त  राज्य अमेरिका के संविधान मे स्थान दिया गया | लागू होने के तत्काल बाद कुछ संशोधन किए गए जिनहे
आज भी अमरीकी  ""फ़र्स्ट  अमेंडमेंट "" कहते है ,, इसमे हथियार  रखने  का अधिकार --स्वयं के वीरुध  गवाही देने से मुक्ति का अधिकार आदि है |
                                                वास्तव मे बिल ऑफ राइट्स ने नागरिकों के अधिकारो को शासन की विभिन्न अंगो  से  सुरक्षित रखने का काम किया है | मैगना कार्ता  मे शासक की सहमति से प्रजा ने अधिकार लिए थे | परंतु  बिल ऑफ राइट्स  ने ब्रिटिश  हुकूमत का आतंक  पर प्रश्न चिन्ह और निष्ठा को  संदिग्ध  बना दिया था | इसी लिए सविधान निर्माताओ ने  शासन से -अदालत से और विधायिका के चंगुल से इन अधिकारो को बचा कर रखने का काम किया है |

May 13, 2015

प्रजा को नागरिक का दर्जा मिला मैगना कार्टा और बिल ऑफ राइट्स से

    इंग्लंड के रुनिमेड मीडोज़  मे सन 1215 मे तत्कालीन किंग  जॉन  और  जमींदारो  तथा  किसानो
     के मध्य  हुए  समझौते  मे पहली बार “”प्रजा जन “” औरशासक मे हुए “”संवाद “” मे कुलीम सरदारो – सामंतों ने  आमजन
    के लिए “”निश्चित अधिकारो ’’ की मांग रखी जिसके द्वारा   शासितों को  निश्चित सुरक्षा प्रदान की जाये | वस्तुतः  यह प्रयास
   भविष्य मे “”राजतंत्र “” की निरङ्कुशता  पर  अंकुश साबित होने वाला था| अगर हम पलट कर इतिहास की इस घटना  का मूल्यांकन  करे तो आएंगे की  यह शुरुआत थी प्रजा के “””नागरिक””” बन ने की |  यद्यापि  रूनीमेड मीडोज़  मे हुई सभा पर
    मुहर 1225 मे किंग हेनरी  द्वारा लगाई गयी जब संसद द्वारा इसे “”एक दस्तावेज़ “”” का रूप दिया |  मीडोज़ की सभा और
  संसद की तथा राजा की मुहर लाग्ने दस वर्ष का समय लगा ---कारण यह था की किंग जॉन  की नीयत  अपने लिए हुए वादे को ईमानदारी से पूरा करने की नहीं थी | उसकी सोच थी की दैवी सिधान्त के अनुसार  “””राजा”” अपने प्रजा की संपाती और उनके ---जीवन पर पूर्ण अधिकार रखता है ,, जिसे चुनौती नहीं दी जा सकती |  मीडोज़ मे  जॉन ने  ‘’’जन समर्थन ‘’’ पाने के लिए अधिकारो
  को दिये जाने की बात इसलिए मान ली क्योंकि फ्रेच किंग फिलिप  उस समय  इंग्लंड के तट  पर अपनी सेना के साथ हमले के लिए पहुँच रहा था || एवं बिना अपने सरदारो के सहयोग और उनकी सेना के अभाव मे युद्ध मे पराजय निश्चित थी | इसी लिए  युद्ध
 का संकट ताल जाने के पश्चात उसने अपने वादे पर पुनर्विचार  करने का ‘’’’नाटक’’’ किया | परंतु जाग्रत  जनता ने राजा के अधिकार सीमित  करने का ‘’मन’’’ बना लिया था |जॉन के कुलीन सरदारो – सामंतों मे भी ‘’प्रजा की मांग को लेकर  एक रॉय नहीं थी ,,क्योंकि
 उन्हे लगता की अगर राजा के अधिकार ही सीमित कर दिये गए तो ---उनकी ‘’मनमानी’’’ और  ‘’’जब चाहा टैक्स”””लगा दिया |इस
 हेतु वे अधिकारो को दस्तावेजी रूप देने के पक्ष मे नहीं थे || परंतु स्कॉट लैंड और वेल्श के जमींदार  एक न्याय पूर्णा व्यवस्था  चाहते थे – जिसे किसी को बिना अपराध  बंदी ना बनाया जाये और बिना कारण किसान की ज़मीन को कुर्क न किया जाये | तथा अपराध सिद्ध करने और उसका फैसला करने के लिए अदालते  हो जो  नियम और कानून से काम करे ----ना की राजा या उसके  सामंतों
 के दबाव मे काम करे |
                    मुख्य रूप से प्रजा के नागरिक अधिकारो मे घोसित किया गया की  किसी भी प्रजा को बिना दोष सिद्ध हुए
 बंदी नहीं बनाया जाएगा ----एवं ना ही उसे देश निकाला दिया जाएगा || उसकी भूमि पर उसका पूरा अधिकार होगा एवं  क्राउन अथवा 
  मुकुट को मात्र  वाजिब ‘’कर वसूलने ‘’’ का ही अधिकार होगा || किसी की भी संपाति को बिना दोष सिद्ध किए   ‘’’राजसात’’’ करने
का अधिकार नहीं होगा |उस समय राजा या सामंत किसी की भी जमीन पर कब्जे के लिए सिर्फ उस आदमी को  बेदखल करना होता था | भले ही उस पर फसल लगी हो या नहीं |जुंगलों पर मुकुट का एक मात्र अधिकार माना जाता था ,,, जंगली पशुओ का शिकार
 किसान अपना पेट भरने के लिए भी नहीं कर सकते थे |वे केवल ‘’पालतू’’’ जीव –जन्तुओ को खा सकते थे || भले ही जंगली जानवर
 उनकी फसलों को कितना ही बर्बाद करे उसका शिकार ‘’’वर्जित’’’ था ||जंगल पर मालिकाना हक़  इलाके केसामंतों का था –परंतु किसानो को भोजन के लिए शिकार करने का अधिकार मिला |खराब मौसमके कारण जब फसल बर्बाद हो जाती थी तब किसान का परिवार  लूट मार –चोरी करने के लिए मजबूर हो जाता था |
                                       अगर हम हेनरी द थर्ड  की घोसना को पड़े तो पता चलता है की  आधुनिक पुलिस
 की ज़रूरत हुई तथा एक विश्वास नीय न्यायव्यस्था  का शुभ आरंभ हुआ – कानूनों को लिपिबद्ध कर के उन्हे अदालतों द्वारा उपयोग
 किए जाने की प्रथा  शुरू हुई | आज जिन अधिकारो –संवैधानिक अधिकारो  की चर्चा की जाती है –उनकी शुरुआत भी तभी से हुई |
यद्यपि इंग्लंड का कोई लिखित संविधान नहीं है --- इसी लिए कहा जाता है की ब्रिटेन का शासन  ‘’’प्रथाओ और परम्पराओ “””से चलता
है |अगर हम मूल्यांकन करे तो पाएंगे की प्रजा तंत्र का वर्तमान रूप मीडोज़ मे हुए ‘’’शासक – प्रजा’’’’ संवाद से प्रारम्भ हुआ था |जब प्रजा को नागरिक की हैसियत  मिली | परिणाम स्वरूप द ग्रेट ब्रिटेन का राज्य भले ही किंग के नाम से चलता हो  परंतु हक़ीक़त मे
 राजा ‘’नाम मात्र “””का ही शासक बचा है ||
                                    इंग्लंड की शासन प्रणाली मे आए परिवर्तन से पड़ोसी देश फ़्रांस भला कैसे अछूता रह
  सकता था | फ्रांस  मे हुई ‘’क्रांति “” राजशाही  की निरंकुशता  और  ‘’प्रजा “” के प्रति पूरी तरह लापरवाही ने तो वंहा से “”राज़ तंत्र “””  को ही ल्हातम कर दिया | क्योंकि राजा ने अपने मूल दायित्व --- प्रजा की सुख –की परवाह नहीं की |वे महल के षड्यंत्रो मे फंसे
    रहे –उनकी दुनिया विलासिता के सामान  एकत्रित  करने और जेवर तथा फिजूल की आदतों के लिए प्रयत्नरत थे |परिणाम यह हुआ की वे देश की जनता के दुख –दर्द  एवं अभावो से अंजान रहे तभी तो लुई  की पत्नी कहा की अगर ब्रेड नहीं मिल रही तो केक
 क्यो नहीं खाते || इतनी लापरवाही कितनी क्रूर स्थिति का इशारा करती है | इसी स्थिति ने 1917 मे रूस के किसानो की दुर्व्यसथा ने
 ज़ार निकोलस के खिलाफ विद्रोह को जन्म दिया ||परिणाम स्वरूप  ज़ार के खिलाफ लेनिन के नेत्रत्व मे बोलोशेविक पार्टी ने विद्रोह
 किया और किसानो और मजदूरो की सत्ता स्थापित की ||  लिखने का तात्पर्य यह है की मैग्नाकार्टा ने विश्व मे प्रजा को नागरिक
 का दर्जा दिलाया | आज की दुनिया मे सबसे प्राचीन राज वंश  जापान का है ----जनहा के लोग अपने सम्राट को सूर्य पुत्र मानते है ||
  परंतु  इस देव पुत्र को “”इंसान “”” बनाने का काम अमेरिकी जेनरल  मैक आर्थर  ने किया | द्वितीय विश्व युद्ध मे मित्र राष्ट्रो ने
  सम्राट को युद्ध अपराधी घोसीत करके नुरेम्बेर्ग   ट्राइबुनल  के सामने मुकदमा चलना चाहता था – अमेरिका पर्ल हार्बर पर हुए जापानी           हवाई हमले का बदला लेना चाहता था |परंतु अमरीकी राष्ट्रपति आइजन्होवर को मैकआर्थर ने समझाया की जापान की ताकत वहा के लोगो का सम्राट के प्रति अटूट स्वामिभक्ति है | ऐसे राष्ट्र को अपमानित करने से बेहतर उसे अपने साथ रखना है | बाद मे यह साबित हुआ की जापान अमेरिका का सबसे बेहतर मित्रा सीध हुआ || लिखने का तात्पर्य राजशाही अपने मे ‘’बुरी नहीं “””वरन उस गद्दी पर बैठने
वाले के क्रियाकलाप पर निर्भर होता है
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