बंगाल—भाजपा ने सरसंघ चालक भागवत को "”टूल "” की बनाया क्या ?
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बंगाल के विधान सभा चुनावो को मोदी - शाह और बीजेपी ने इज्ज़त का सवाल बना लिया हैं | जिस प्रकार दो बार दिल्ली के विधान सभा चुनावो में बीजेपी की सरकार और पार्टी तथा संगठन आज़मा चुके हैं | दिल्ली के चुनावो में भी बीजेपी ने अपना नेता "”नहीं चुना था "” और वह निराकार भाव से चुनाव में उतरी थी , की चुनाव जीतने के पश्चात वो अपने "” नेता या इन्द्र "”का मुंह दिखा देंगे | पर ऐसा हो न सका , जबकि केन्द्रीय मंत्री अमित शाह दरवाजे -दरवाजे बीजेपी के लिए वोट मांगने गए थे – जिसका अधिकतर खबरिया चैनलो ने ज़म कर प्रचार किया | परंतु फिर भी बुरी तरह पराजय हुई !
बंगाल में त्राणमूल काँग्रेस की नेता ममता बनर्जी के सामने उसी के क़द और काठी का कोई नेता अभी तक नहीं खोज पायी | पर इस खोज की एक कड़ी विगत समय तब उजागर हुई जब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक डॉ मोहन भागवत का खुद मुंबई में फिल्म अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती के निवास पर जाना था !! इस घटना ने तीन स्थितियो को स्पष्ट कर दिया हैं :-
1 --- संघ का "”नैतिकता "” का दावा नितांत खोखला हैं |
क्योंकि अपने को सान्स्क्रतिक संगठन कहते हुए दासियो वर्ष बिताने वाले संगठन ---का खुले रूप से बीजेपी का "” टूल "” बन कर उसके लिए नेता खोजने में मदद करना उसकी अपनी पहचान को खोना हैं |
2--- दूसरा यह की अभी तक संघ को भाजपाई नेता अपनी "”मात्र संस्था "” बताते थे | अर्थात वे लोग उसके लिए समर्पित थे , जैसे "””भक्त "” अपने आराध्य के प्रति होता हैं | परंतु मिथुन के दरवाजे मोहन भागवत का जाना यह सिद्ध कर देता हैं की , अब बीजेपी की नकेल राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के हाथो में नहीं हैं | वरन जिस प्रकार गुजरात के मुख्य मंत्री के काल में नरेंद्र मोदी ने संघ को उसकी हैसियत दिखा कर यह साफ कर दिया था की "” उन्हे सरकार का सुरक्षा कवच का काम करना होगा ----ना की उपदेशक का ! आज प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी अपने उसी अवतार को राष्ट्रीय स्तर पर शायद दिखा रहे हैं ! अन्यथा 1952 से हुए चुनावो में आरएसएस हमेशा "”छुपते -छुपाते "” ही अपने "”पोषित "” कार्यकर्ताओ को चुनाव में संघ के बीजेपी उम्मीदवारों का चुनाव प्रचार करती थी | परंतु पिछले लोकसभा चुनावो से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ----वही करता है जो मोदी - शाह कहते हैं | वे ही संघ से लोगो को राजनीति में लाते हैं जो संघ से अधिक मोदी - शाह में निष्ठा रखते हो | दो बार महाभियोग भुगत चुके अमेरिकी भूतपूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड {डक } ट्रम्प भी अपने सहयोगीयो को चुनने से पूर्व -यौग्यता अथवा अनुभव नहीं देखते थे ---बस व्यक्तिगत निष्ठा की डिमांड करते थे ! शासन के अधिकारी "” राज्य के नहीं वरन उनके निजी स्वार्थो की रक्षा के लिए जिम्मेदार होना था | परंतु अधिकतर की "”रीढ की हड्डी मजबूत थी "” उन्होने इस्तीफा देना बेहतर माना , चार वर्ष के उनके कार्यकाल में शीर्ष स्टार के 22 से अधिक लोगो ने त्याग पत्र दिया था जो की एक रेकॉर्ड हैं | “””उनही के नक्शे - क़दम पर मड़ी और शाह जी चल रहे हैं |
3----- आजतक कोई भी सरसंघचालक किसी अभिनेता के दरवाजे इसलिए नहीं गया की वह संघ की राजनीतिक शाखा के उम्मीदवार को मनाने उसके घर जाये !!! परंतु नरेंद्र मोदी जी और अमित शाह जी वह कर के दिखाया जो डॉ हेद्गेवर से लेकर भागवत के पूर्व सर संघचालक तक ने ऐसा किया हो ? परंतु अब साबित हो रहा हैं की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ----बीजेपी का "”राजनीतिक टूल किट "” भर बन के रह गया हैं !!!
4-----मिथुन चक्रवर्ती का इस मुलाक़ात का तफ़शिरा देते हुए कहना की "” भागवत जी से उनके आध्यात्मिक रिश्ते हैं "” ---कुछ समझ में नहीं आता | क्योंकि मूल रूप से वामपंथ से जुड़े मिथुन ने ममता जी के मुख्य मंत्री बनने पर उनकी पार्टी में शामिल हुए | उनकी छ्वी को देखते हुए त्राणमूल काँग्रेस ने उन्हे राज्य सभा भेजा | बाद में शारदा चित फंड मामले में नाम आने पर उन्होने त्यागपत्र दे दिया | वे धूर –वाम पंथी फिर सेंतरिस्ट विचार धारा के और भागवत शुरू से "”संघ की अनजानी विचारधारा --अथवा राष्ट्र वाद और हिन्दू मत के धार्मिक विचार धारा से जुड़े ---- दो व्यक्तियों में "”आध्यात्मिक रिश्ता किस आधार और बिन्दुओ पर हो सकता हैं ! शोध का विषय है जैसे नोट बंदी – और जीएसटी जैसे निर्णयो पर किया जा रहा हैं ! “” “
5 ---- अभी तक बंगाल में बीजेपी स्थानीय "”कबंध { सर विहीन शरीर } वाले नेताओ के दम पर यात्रा निकाल रही हैं | इसील्ये हर दूसरे - चौथे दिन की यात्रा में बीजेपी अध्याकाश नडडा- और केंद्रीय गृह मंत्री सरकारी खर्चे पर चुनाव प्रचार करने पाहुनह जाते हैं | दो बार से अधिक तो प्रधान मंत्री मोदी खुद चुनाव प्रचार कर आए हैं |
जमीन पर संघ और बीजेपी के लगातार प्रयासो के बाद भी वाम पंथी पार्टी और त्राणमूल काँग्रेस की भांति वे "” काडर"” नहीं बना पाये | क्योंकि बंगला भाषा --और खान पान तथा '’’संसक्रति '’ बिहार और -उतार प्रदेश -उड़ीसा से काम की तलाश में आए लोगो के वंशजो को भाषा और भोजन तो रम गया , परंतु संसक्राति नहीं अपना सके | वजह है की "” संघ और बीजेपी समेत उसके 107 आनुषंगिक संगठनो के "”युद्ध घोष '’ जय श्री राम को शक्ति पुजा के जन्म स्थल पर "” जमाना मुश्किल हैं | वैसे बंगाल बीजेपी के अध्याकाश ने एक बयान में कहा की राम भगवान थे - फिर राजा थे ये दुर्गा का नाम किस ग्रंथ में हैं | मैं मानता हूँ की उन्होने यह सब संघ और बीजेपी के अपने '’’आक़ाओ'’ को खुश करने के लिए कहा होगा | क्योंकि शक्ति की पूजा "”” अवतारवाद '’’से बहुत पूर्व से होती चली आ रही हैं | दसरथ पुत्र राम जो अयोध्या के थे --- उनके जनम के बहुत - बहुत पहले शिव और शक्ति की आराधना वेदिक काल में होती थी | वेदिक काल इन अवतारो के बहुत पूर्व हुआ | सेतु बंध रामेस्वरम मेन लंका पर चढाई के पूर्व दसरथ नन्दन राम द्वरा लिंग रूप में शिव की स्तुति करने का वर्णन – बाल्मीकी की रामायण - तथा तुलसी दास की रामचरित मानस तथा तमिल की कंब रामकथा में भी इस प्रसंग का वर्णन हैं | परंतु ज्ञान और अद्ध्य्यन से शून्य सत्ता धारी पार्टी और उसकी सरकार के नेताओ में ----- खुद की कथा गढने का कौशल "”अद्भुत हैं "” | इसी कारण ये लोग किसी घटना - तथ्य पर बहस करने से कतराते हैं | कोई भी विषय हो बहस का – बीजेपी और संघ के प्रवक्ता -या नेता बहस के बिन्दु को छोडकर अपने कार्यकर्ताओ की मौत और , जो खुद उनकी सरकारे भले नहीं करे ---- पर ऐसे विषयो को बीच मे ले आएंगे | उदाहरण के लिए हाल में चीन और भारत का सीमा तनाव में भारतीय फौजों के पीछे हटने ---पर जब काँग्रेस नेता राहुल गांधी ने कुछ चुटीले सवाल पूछे ------तब सरकार और पार्टी के प्रवक्ता और "”अगोचर "” आवाज़ों द्वरा नेहरू के समय चीन हुई पराजय का किस्सा सुनन लगे |
बजट पर खबरिया चैनल पर हो रही बहस में जब ---एक वक्ता ने रक्षा मांगो के नहीं होने का कारण जानना चाहा तब , बीजेपी प्रवक्ता का जवाब था "” जरूरी नहीं सभी बाटो को बजट में दिखाया ही जाये !!!!! अर्थशास्त्र से पूरी तरह अनभिज्ञ भले ही न रहे हो परंतु इतना तो उन्हे जानना चाहिए की --- सरकार के खर्चे बिना विधायिका की मंजूरी के संभव नहीं |
परंतु बहुमत के संख्यासुर के कारण मोदी सरकार को संसदीय परम्पराओ की कोई परवाह नहीं हैं | बोफोर्स और 2जी के मामलो को "”तथा कथित घोटालो के रूप में देश को अपनी रिपोर्ट परोसने वाले सीएजी की बोलती मरहूम वितमंत्री जेटली ने बंद करा दी थी की ----वे अपने तथ्यो और सिफ़ारिशों को पहले सरकार और --सदन में प्रस्तुत करे , तथा किसी भी पत्रकार से इसकी बात करना "”अमर्यादित "”समझा जाएगा !! तबसे खोजी पत्रकारिता से निकालने वाले घोटाले बंद हो गाये | अभी राफेल हवाई जहाज के सौदे को लेकर विवाद होने पर भी सिर्फ दक्षिण के अखबार "”द हिन्दू '’ ने ही छापा | बाकी बहादुर पत्रकार और उनके चैनल तथा अखबार चुप ही रहे ---- अब ऐसा उन्होने डर के मारे किया अथवा अचानक बिना सबूत खबर नहीं छापने का सिधान्त !!! लेकिन आज पत्रकारिता जगत में सभी को मालूम हैं की प्रधान मंत्री और गृह मंत्री के इशारे पर आधे दर्जन संपादक हटा दिये गए | जब कुछ ने सोशल मीडिया पर अपनी खबरों से उपस्थिती दिखानी चाही ------तब उन के पत्रकारो के मददगारों पर इन्कम टैक्स - और एंफोर्समेंट के सीएचएचपे मारे गए |जब कुछ भी आपतिजनक नहीं मिला तब "””अफसरो ने कहा की सरकार के वीरुध लिखना और बोल्न बंद कर दीजिये ! अन्यथा अगली बार क्या होगा कह नहीं सकते ! इस संदर्भ में केंद्र केसंभवतः एक संयुक्त सचिव की घर मे लाश मिली "”” बताया गया की उन्होने रिश्वतख़ोरी में फसने के कारण ऐसा किया ! अब पुलिस और केंद्र के बयान को गलत ठहराणे वाला '’’ न्यूयोर्क टाइम्स अथवा वाशिंगटन पोस्ट जैसे पत्र और सीएनएन और बीबीसी जैसे खबरिया चैनल तो है नहीं हमारे यानहा , तो किसी को भी सरकार विरोधी लिखने - या दिखाने के लिए पहले गिरफ्तारी और अगर बंदी नहीं बना सके -----तब अज्ञात हमलावरो ने हत्या की अथवा सड़क दुर्घटना में मारे गए "””” यह है आज की तारीख में भारत में '’’’लोकतन्त्र'’’’ !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!