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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Dec 31, 2017

2017 याद रहेगा -- दुनिया मे किसान और मजदूरो को हक़ दिलाने की क्रांति के शताब्दी वर्ष की मानिंद ---- २३ साल पहले जिस बदलाव को खुलेपन के नाम पर बदला गया ---आज वंहा लोकतन्त्र के रूप मे ब्लादिमीर पुतिन का भ्रष्ट तंत्र है !! जिसमे उनके विरुद्ध कोई चुनाव नहीं लड़ सकता --- पर निर्वाचन का नाटक – सांगोपांग तरीके से हो रहा
1917 की जन क्रांति के शताब्दी वर्ष मे बहुजन हिताय की भावना का तर्पण होते भी देखा इस वर्ष !!! यूरोप मे चेक्स्लोवकीया हो या पेरु हो जंहा अरबपति ''चुनाव'' जीते !! राजनीति कितनी बिकाऊ है इसका उदाहरण अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प है !! जिनहोने राजनीति के नाम पर सिर्फ '''चंदा देना सीखा ''' और बिना किसी राजनीतिक अनुभव के वे एक बड़े प्रजातांत्रिक देश के राष्ट्र नायक चुने गए !!
इन अनुभवो से चुनावो की प्रणाली और उसकी सत्यता पर सवालिया निशान लग रहे है ----
क्या इनके उत्तर हम आने वाले साल मे खोज पाएंगे ??
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जाते साल मे रूस के राष्ट्रपति का "”चुनाव "” संभवतः दुनिया के देशो मे अपने तरीके से होने वाला अकेला'' चुनाव ''होगा | जनहा वर्तमान राष्ट्रपति ब्लादिर्मीर पुतिन चौथी बार चुनाव लड़ रहे है | उनके विरोधी आलेक्सेई को वनहा की अदालत ने भ्रस्ताचर के मामले मे दोषी करार दिया हुआ है |जिसका मतलब यह होगा की वे भी भारतीय राजनीतिक दलो मे अध्यक्क्ष के निर्वाचन की भांति एक पक्षीय जीत हासिल करेंगे | निर्वाचन तो केवल दिखावे के लिए ही होगा| अब पुतिन की विजय का रास्ता साफ है | चुनाव परिणाम के पूर्व ही यह स्पष्ट हो गया | वह भी प्रजातन्त्र के नाम पर ? कुछ ऐसा ही तुर्की मे चुनावो मे आर्डूवान ने किया – खुद तो सरकारी खर्चे पर चुनाव लड़े – तब भी विरोधी को मात्र दो प्रतिशत के अंतर से पराजित कर पाये |
क्या पुतिन के चुनाव को या आर्डूवन के निर्वाचन को लोकतान्त्रिक कहा जा सकता है ??वेनेजुयाला मे राष्ट्रपति मदुरों ने तो अपने विरुद्ध ''महाभियोग'' लगाने वालो को न्यायालय से '''अक्षम ''' सिद्ध करा दिया ?चिली हो या पेरु दक्षिण अमेरिका के देशो मे तो '''लोकतन्त्र '''का नाटक है --प्रजातन्त्र नहीं !!
यूनाइटेड किंगडम अर्थात ब्रिटेन मे राजतंत्र है ---जापान मे भी सम्राट है --परंतु वनहा लोकतन्त्र के अंतर्गत ईमानदार निर्वाचन होते है | एशिया मे चीन मे एक दलीय गणतन्त्र है !!! ईरान या इराक़ -- पाकिस्तान अथवा म्यांमार मे भी है तो बहू दलीय प्रजातन्त्र परंतु उसे सदैव शंका की निगाहों से देखा जाता है | भारत मे राजनीतिक दलो मे भले ही आंतरिक चुनाव नहीं है --- सभी पार्टियो मे गुट अथवा व्यक्ति का नियंत्रण है | वे ही ब्लॉक से लेकर ज़िले और प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर '''पदाधिकारियों का चयन \\या निर्वाचन करते है || इस गुण से देश की सभी राजनीतिक पार्टिया और सामाजिक अथवा अन्य संगठन ग्रश्त है |परंतु गाहे - बगाहे एक दूसरे पर बंधुवा संगठन चलाने का आरोप लगते रहते है | परिवार और व्यक्ति भी इसी श्रेणी मे आते है !
जब संगठन स्तर पर लोकतन्त्र मर चुका है तब राष्ट्र स्तर पर उसकी कल्पना करना तो खां खयाली ही होगी | हवाई वादे और हवाई दावे कभी भी लोकतन्त्र की आधारशिला नहीं हुआ करते है | लोकतन्त्र जमीनी यथार्थ और नागरिकों की समस्याओ के हल के लिए होता है | जन को भीड़ मे बदल कर ---फिर उन्हे जादूगर की भांति सपने दिखाना प्रजातन्त्र नहीं है | परंतु लोकतन्त्र की सफलता की पूरी ज़िम्मेदारी तो महती लोक पर है जो अपने शासक को चुनता है ---उसकी गलती उसे ही भुगतनी होगी !!