सत्ता
का सच ही क्या सर्वश्रेष्ठ
है ?
काँग्रेस
सांसद शशि थरूर का त्रिवेन्द्र्म
मे कथन "अगर
वर्तमान बहुमत 2019
मे
आया तो भारत हिन्दू पाकिस्तान
बन जाएगा |
मिदनापुर
मे भारतीय जनता पार्टी सांसद
शोभा करंजके "”
बंगाल
इस्लामिक रिपब्लिक है "’
मिदनापुर
मे प्रधान मंत्री नरेंद्र
मोदी ---””
दीदी
के राज मे पुजा करना भी मुश्किल
है '------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------’
जागरण
समूह के पत्र नव दुनिया मे
श्री ए के वर्मा का आलेख छपा
है --वे
सेंटर फॉर द स्टडि ऑफ सोसाइटी
अँड पॉलिटिक्स मे कार्यरत
है |
उन्होने
थरूर के कथन पर आश्चर्य व्यक्त
करते हुए कहा की "’
ये
हमारे लोकतान्त्रिक संस्कार
नहीं है '’
आलेख
मे उन्होने पीड़ा व्यक्त की
है की 60
साल
तक शासन करने वाली काँग्रेस
---बीजेपी
को सत्ता से विस्थापित करना
चाहती है \
‘’
विद्वान
सज्जन से और साथ ही उन सभी
लोगो से पूछना चाहूँगा की थरूर
को चलो सही नहीं माने ----तब
क्या बीजेपी सांसद और प्रधान
मंत्री के कथन को सही और उचित
माने ??
क्या
थरूर की अभिव्यक्ति को '’
सुप्रीम
कोर्ट की उस टिप्पणी से जोड़
कर नहीं देखे जिसमे उसने "”
भीड्तंत्र
को गणतन्त्र के लिए खतरा बताया
और केंद्र तथा प्रदेश सरकारो
को जय श्री राम का नारा लगते
हुए भारतीय जमता युवा मोर्चा
कानून को हाथ मे लेकर पाकुड़
मे स्वामी अग्निवेश को पीट
-पीट
कर घायल कर दे ?
अथवा
सत्ताधारी दल के इसी '’उपांग"
[आनुषंगिक
संगठन]
द्वरा
त्रिवेन्द्रम मे थरूर के
कार्यालय पर हमला कर तोड़ फोड़
करे और वनहा पर अपशब्द लिखे
!!
अब
इनमे क्या सही है और क्या गलत
है ---इसके
लिए दो अलग तरह की ज़रीब या 'पटरी
[बारह
इंच वाली ]
का
इस्तेमाल क्या बौद्धिक ईमानदारी
होगी '?
अथवा
मै करू तो रासलीला तुम करो
तो करेक्टर ढीला '’
अथवा
सत्ता का गुरूर "”
मेरी
मर्ज़ी '’
?
क्या
अभिव्यक्ति अगर सत्ता के सुर
मे सुर नहीं मिलाये तो
"राष्ट्रद्रोही
"”
??
अब
ऐसा तो 60
सालो
मे नहीं हुआ था ?
आपातकाल
मे घोषित रूप से सेसर शिप लागू
हुई थी |
आज
क्या है ?
क्या
यह मानने का वक़्त आ गया है की
सत्य और सत्य की खोज केवल
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और
उसके आनुषंगिक संगठनो के ही
पास है ?
अन्य
लोग नासमझ है ?
सीएनएन
पर मंगलवार को पूर्व अमेरिकी
राष्ट्र पति ओबामा का दक्षिण
अफ्रीका मे भाषण देखा और सुना
--
जिसमे
उन्होने बहुमत की ताकत या पद
की शक्ति किसी भी राष्ट्र को
उन्नत और श्रेष्ठ नहीं बनाती
|
अब
नरेंद्र मोदी जी को ओबामा से
तो अधिक ताकतवर नहीं समझा जा
सकता ?
ना
ही मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड
ट्रम्प से उनकी बराबरी की जा
सकती है |
हालांकि
कुछ बाते समान रूप से मिलती
है _--_
जैसे
"”जो
मै कर रहा हूँ वह पूर्ववर्ती
रिपब्लिकन या डेमोक्रेट
राष्ट्र पति भी नहीं कर सके
द !!
हाँ
उनसे पूर्व उनही के पार्टी
के राष्ट्रपति बुश [[पिता
-पुत्र
दोनों ]
या
क्लिंटन और ओबामा तो कुछ भी
नहीं कर सके -----
‘’’’ सबसे
पहले अमेरिका '’’’
जैसे
हमारे राष्ट्रवादी विचारक
-चिंतक
-
समर्थक
के अनुसार भारत तो '’’’विश्व
गुरु '’’
रहा
है -रहेगा
'’’
? का
दावा कहे या अभिमान कहे
-----क्योंकि
स्वाभिमान का अर्थ दूसरों
को नीचा देखना तो बिलकुल नहीं
होता |
क्योंकि
जिन इस्लाम मतावलंबियों को
हेय द्राशती या घटिया -दोयम
दर्जे का बताने का सत्ता मे
चलन है -----
उनके
कुछ उधारण का मुकंबला केंद्र
की मोदी सरकार तो नहीं ही कर
सकेगी |
“”” इस्लामिक
राज्य अफगानिस्तान '’
की
सरकार ने कंधार के अशांत छेत्र
स्थित बामीयान
की बुद्ध की मूर्ति जिसे
तालिबानियों या जिहादियों
ने तोड़ डाला था ---
उसको
पुनः मूल रूप मे निर्मित किया
है !!
अब
अयोध्या मे बाबरी मस्जिद को
तोड़ने वालो को अगर वे हिन्दू
जिहादी कह रहे तो --बहुत
गलत है ?
क्या
मोदी जी उन इस्लामिक लोगो से
बेहतर है अथवा कमतर ?
क्या
इस निज़ाम यह सोचा भी जा सकता
है की जितनी नफरत मंदिर और
जय श्री राम के नारे से फैलाई
जा रही उसके मुक़ाबले सत्ताधारी
दल और स्वयं सत्ता -कभी
मस्जिद के पुनर्निर्माण का
सोच भी कर सकती है ?
तब
हम वेदिक धर्मी उन इस्लामिक
लोगो से किन अर्थो मे बेहतर
है ?
जिस
प्रकार जिहादी या तालिबन
बिना किसी वैधानिक सत्ता के
लोगो को मौत के घाट उतार देते
है ---अपहरण
करते है और लोगो की संपति को
हथिया लेते है -----क्या
वैसा ही कुछ -कुछ
हमारी भीड़ नहीं कर रही है ?
जिसे
सत्ता अथवा सत्ताधारी दल का
संरक्षण प्रपात है ?
सिर्फ
हिन्दू -
हिन्दू
करने से इस देश मे भूख -बेकारी
-
शिक्षा
--
स्वास्थ्य
की समस्या हल हो पाएँगी ?
सोमनाथ
मे स्वयंसेवक संघ ने अपने
वैचारिक संगठनो की बैठक मे
कहा की 2019
के
लोकसभा चुनावो मे विचारो की
ज़ंग होगी \|
इसलिए
हमे अपनी रणनीति बनानी होगी
|
अब
इस देश मे सभी राजनीतिक संगठनो
//दलो
की विचार धारा काफी कुछ स्पष्ट
है |
हाँ
सामाजिक संगठन [आरएसएस
]
की
भी विचारधारा देश के सामने
है |
उस
बारे मे लोगो के मत अलग -
अलग
है |
और
यह मत भिन्नता आजादी की लड़ाई
के समय से ही चली आ रही है \
अब
अयोध्या का मामला हो या समान
नागरिक संहिता का हो काश्मीर
और धारा 370
का
हो |
परंतु
कश्मीर मे महबूबा मुफ़्ती के
साथ सरकार बनते समय संघ की
राजनीतिक शाखा भारतीय जनता
पार्टी ने क्या सत्ता के लिए
---
अपनी
टेक //ज़िद्द
///मांग
से सम्झौता नहीं किया ?
सरकार
बनाते समय भी राम माधव का बयान
था की राष्टर्हित
मे यह फैसला लिया गया है ---फिर
समर्थन वापस लेते समय भी
राष्टाहीत ही मे निर्णय लिया
गया ?
जब
उनसे इस बात का खुलाषा करने
को कहा गया तब वे घाटी मे अशांति
आउर आतंकवाद को रोकने की विफलता
बताने लगे |
अब
यह पाखंड नहीं तो क्या है |
उन्होने
सिर्फ हिन्दू बहुल जम्मू और
बौद्ध बहुल लद्दाख मे विकास
नहीं होने की बात की |
परंतु
क्या उन्होने घाटी काश्मीर
मे विकास को दौड़ते हुए देखा
?
सरकार
मे भ्रस्तचार की शिकायत की
---अरे
भाई आप तो साझीदार थे -
ऐसे
मामलो को सार्वजनिक कर के आप
अपने दामन को पीडीपी से उजला
दिखा सकते थे ,
फिर
ऐसा क्यो नहीं हुआ ?
उपरोक्त
सभी मामलो मे सत्ता सही रही
हो यह नहीं कहा जा सकता ,
अब
भीड़ तंत्र --
जो
गाय के नाम पर देश भर मे लोगो
की हत्या करता फिर रहा है ,
या
अपने मत का विरोध अथवा आलोचना
करने वाले या सरकार के फैसलो
पर सवाल पूछने वाले से मार
पीट करना ---
अपमानित
करना -
तो
गणतन्त्र ,मे
लोकतन्त्र को नहीं बचा पाएगा
|
भीड्तंत्र
को दबाने और दोषियो को दंड
देने का सर्वोच्च न्यायालय
का निर्देश ही बीजेपी शासित
सरकारो के छेत्र मे कुछ नियंत्रण
कर सकेगा ----ऐसी
उम्मीद कम है |
जिस
राजनीतिक दल के मंत्री गाय
के नाम पर लोगो की हत्या के
दोषी लोगो को जयंत सिन्हा माला
पहनाए ---उसका
क्या संदेश ज़िले के अधिकारियों
को क्या जाएगा /?
उज्जैन
मे प्रिन्सिपल को बंधक बना
कर रखने ,जिससे
की उनकी मौत हो गयी ----ऐसे
आरोपियों से जेल मिलने मुख्या
मंत्री जाये --तो
जेल अधिकारी उस क़ैदी का ख्याल
नहीं रखेंगे ---ऐसा
तो संभव नहीं है \
सत्ता
का संरक्षण ही था की उन्
प्रिन्सिपल की मौत के मुकदमे
मे सभी गवाह '’’’पलट
गए '”
! इन
हालतों मे क्या कानून का राज़
संभव है ???
कहावत
है की सीज़र
की बीबी को संदेहो से परे होना
चाहिए |