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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Nov 24, 2018

आफ्नो पर करम और गैरो पर सितम ---योगी इतना तो ज़ुल्म ना कर


अपनो पर करम और गैरो पर सितम -योगी इतना ज़ुल्म ना कर

25 नवम्बर – स्थान अयोध्या विश्व हिन्दू परिषद और शिव सेना
दोनों के समर्थको का जमावड़ा ----मुद्दा राम मंदिर निर्माण

नासिक और मुंबई से तो ट्रेन भर कर अयोध्या पहुंचे हजारो शिव सैनिको की उमंग और ओज पर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पानी फेर दिया है |

वनही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के आनुषंगिक संगठन विश्व हिन्दू परिषद की धर्म सभा को बड़ा भक्तमाल मे रैली करने और धरम सभा करने की इजाजत ज़िला प्रशासन द्वरा दी गयी | केंद्र के गृह विभाग ने राज्य सरकार को भेजे निर्देशों मे अयोध्या मे '’’’हर हाल मे शांति व्यवस्था बनाए रखने की हिदायत दी है "” | राज्य सरकार ने अभी तक 7000 पुलिस बल की तैनाती की जा चुकी है | 17 जनवरी तक अयोध्या {{ कस्बे मैं }}} धारा 144 लगाई गयी है | नए बने अयोध्या ज़िले मैं नहीं | मंदिर नगर की आबादी लगभग 50--60 हज़ार बताई जाती है |


सवाल यह है की भारतीय जनता पार्टी ने एनडीए के अपने सहयोगी दल शिवसेना को - जो महाराष्ट्र मे फड़नवीस सरकार के भागीदार है ,और संघ की ही भांति कट्टर हिंदुवादी विचारधारा के है --सच कहे तो अनेक बार शिव सेना का रुख संघ से भी ज्यादा "”कडा "” होता है | समान विचारधारा - सहयोगी तथा सरकार मे पार्टनर होने के बाद भी योगी सरकार ने शिव सेना उढ़ाव ठाकरे के साथ सौतेला व्यवहार किया है |

शिवसेना ने नारा दिया है की "” पहले मंदिर फिर सरकार "” षड यह त्रिवता और जल्दबाज़ी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और केंद्र की भारतीय जनता पार्टी के मंसूबो मे सूराख करने मैं सक्षम है | शिवसेना ने अयोध्या मे रैली और सभा करने की अनुमति प्रशासन से मांगी थी | उन्होने महीनो पहले इस आयोजन की तैयारी कर के महराष्ट्र से तो ट्रेन भर कर राम मंदिर निर्माण के समर्थन मे अयोध्या में कार्यक्रम की घोसना कर दी थी | तब प्रदेश और केंद्र सरकारो को लगा था की यह आयोजन '’’उनके राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति मैं सहायक ही है "” |
परंतु खुफिया सूचना तंत्र की सूचनाओ पर अचानक राज्य सरकार ने ज़िला प्रशासन को शिवसेना के कार्यक्रमों की दी गयी सार्वजनिक स्थानो मे सभा और रैली की अनुमति को निरस्त कर सूचित किया | इस पूरे आयोजन को शिवसेना की ओर से संसद संजय राऊत सम्हाल रहे थे |
अब 25 नवंबर को शिवसेना लक्षमन क़िला परिसर मे ही अपने हजारो शिव सैनिको को ठहराएगी |

जबकि विश्व हिन्दू परिषद के अध्यछ चंपत राय { विश्वस्तरीय| } को बड़ा भक्तमाल मठ मे धरम सभा करने की इजाजत दी है |!!! इस धरम सभा मे साधू संगठनो के अलावा दक्षिण के अनेक संविचारधारा के संगठनो के लोगो के शामिल होने की संभावना है |
इतना ही नहीं सरयू मे सांध्य आरती भी दोनों संगठनो की अलग - अलग स्थानो पर होने की संभावना है |
सूत्रो के अनुसार संजय राऊत के अनेक प्रयासो के बाद भी ज़िला प्रशासन उन्हे सार्वजनिक स्थान पर आयोजन देने की अनुमति देने से इंकार करता रहा | शिवसेना ने अयोध्या से दूर ज़िला मुख्यालय जिसे अभी तक "”फ़ैज़ाबाद '’ के नाम से जाना जाता था --वनहा की "”गुलाब बाडी'’’’ मैं सभा करने की अनुमति चाही ----उसे भी प्रशासन ने नामंज़ूर कर दिया !! जबकि गुलाब बाड़ी मंदिर इलाके से 12 से 14 किलोमीटर दूर है | अभी तक मिली जानकारी के अनुसार शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे लक्ष्मण क़िला मे अपने समर्थको के साथ "”सतो का सम्मान "” करेंगे --बाद मैं वे सायंकाल सरयू आरती करेंगे |
इस मध्य इस छोटी सी धर्म नागरी जिसमे मुस्लिम आबादी लगभग 5000 से 6000 है , वह बहुत आशंकित है | बाबरी मस्जिद के याचिका कर्ता हाशिम अंसारी ने 15 नवंबर को एक बयान मैं कहा था की अगर अलपसंख्यकों की सुरक्षा का बंदोबस्त सरकार ने नहीं किया तो वे अयोध्या से "”पलायन कर जाएँगे !!! सूत्रो की अगर माने तो अधिकतर मुस्लिम परिवारों ने अपनी पत्नी - बहू बेटियो को फ़ैज़ाबाद बाराबंकी मे रिश्तेदारों के यंहा "”सुरक्षा और इज्ज़त "” के कारण भेज दिया है |

इस पूरे प्रकरण ने यह स्पष्ट कर दिया है की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसकी राजनीतिक बांह भारतीय जनता पार्टी अपने को आगे रखने के लिए सहयोगीयो की "”बलि"” चड़आने मे गुरेज नहीं करते | शिव सेना और आरएसएस -बीजेपी दोनों ही पंचम सुर मे "””मंदिर निर्माण "”की हांक लगाते है -----पर अपनी कमीज़ को ज्यादा सफ़ेद साबित करने के लिए ---- मोदी और योगी आदित्यनाथ जी सहयोगी को लंगड़ी लगाने मैं देर नहीं लगाई | इसे ही कहते है "””” हम करे तो रास लीला तुम करो तो करेक्टर ढीला !! पर क्या करे यह राजनीति है -यंहा सब चलता है |||||||||




Nov 22, 2018

सीबीआई की शुचिता और - ईमानदारी तथा काबलियत का जखीरा सर्वोच्च न्यायालय मे निदेशक -अतिरिक्त निदेशक समेत सुरक्षा सलाहकार अजीत डोबाल की अनियमितताओ भांडा अभी भी फूटता ही जा रहा है


सीबीआई की शुचिता और - ईमानदारी तथा काबलियत का जखीरा सर्वोच्च न्यायालय मे निदेशक -अतिरिक्त निदेशक समेत सुरक्षा सलाहकार अजीत डोबाल की अनियमितताओ भांडा अभी भी फूटता ही जा रहा है !!!!

आज तक मंत्रियो के काले कारनामों को रिटायर अफसरो की किताबों ने उजागर किया है -जिनहे साबित करना कठिन होता है -पर सीबीआई के अंदर रिश्वतख़ोरी - दखलंदाज़ी और अभियुक्तों को बचाने की सरकार की कोशिसों का गणतन्त्र के इतिहास मे पहली भार सर्वोच्च न्यायालय के सामने भांडा फूट रहा है !! यह राफेल के आरोपो से अधिक मोदी सरकार के "”भ्रषटाचार रहित सरकार "”के दावे को झूठा साबित कर देता है !
इस मामले मे सर्वोच्च न्यायपालिका के सामने जिस प्रकार बड़े अफसर एक दूसरों पर रिश्वतख़ोरी और ट्रांसफर - पोस्टिंग के जरिये करोड़ो की डील कर रहे थे ---जब नित नए तथ्यो से अनेक च्र्हरों की नकाब उतर रही थी ---- तब देश के प्रधान न्यायाधीश गोगोई का यह कथन हालत की गंभीरता को बताता है -”””” अब हमे कुछ भी नहीं चौंकाता ,’’’ उनका इशारा इस मामले मे देश के शासन के सूत्रधारों की भूमिका पर जिस तरह से सवालिया निशान लग रहे थे वे किसी भी '’’’नागरिक को उद्भ्रांत कर देने वाले है |

अभी तक जब प्रदेश पुलिस या सीआईडी पर लोगो का विश्वास नहीं बचता ----तब हमेशा सीबीआई से जांच की मांग हुआ करती थी | पर अब सोहरबुड्डीन हत्या कांड --और जाफरी कांड मे हो रहे खुलासे इस एजेंसी की '’’साख को किसी भी प्रदेश की पुलिस से भी रद्दी बना दे रहे है "”” अब समय आ गया है की '’अब पंजाब पुलिस स्पेशल एक्ट के तहत बनी इस संस्था मे सब कुछ नए सिरे से लिखा जाये |जिससे यह अफसरो के ----नेताओ की दखलंदाज़ी से सुरक्शित रहे ----जैसा की जापान मे है ---जनहा तीन प्रधान मंत्री रिश्वतख़ोरी मे जेल गए |



देश मे जब -जब किसी मामले मे सरकार के लोगो कि सलिप्तता से कानून के उल्ल्ङ्घन और बेईमानी का संदेह किया जाता था -तब तब सीबीआई को को उन संदेहो की हक़ीक़त उजागर करने का दायित्व दिया जाता रहा - और सार्वजनिक रूप से भी जब किसी मामले मे बड़े लोगो की भूमिका पर शक हुआ तब तब सीबीआई की जांच की ही मांग की जाती रही | यानहा तक की बोफोर्स सौदे की जांच भी इसी एजेंसी ने की | मनमोहन सिंह सरकार पर कोयले की खानो के आवंटन ,मे अफसरो और मंत्रियो की संदेहास्पद भूमिका की जांच भी इनहोने ही की | का मामला भी इनहोने ही की | 2जी घोटाले की जांच भी इसी '’’महान एजेंसी ने की "” जिसमे तत्कालीन मंत्री राजा और -कनिमोझी को जेल भी जाना पड़ा | परंतु जिस '’’ज़ोर से मोदी सरकार और उनकी पार्टी ने इस मामले मे तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह को बदनाम किया गया था --यानहा तक की संसद मे प्रधान मंत्री मोदी ने "””इन मामलो मे उनकी निर्दोषिता पर व्यंग्य करते हुए कहा था की "”” बाथरूम मे भी बरसाती पहनकर नहाते है "”” क्योंकि सीबीआई द्वारा पूर्व प्रधान मंत्री से तीन बार सीबीआई अफसरो ने पूछताछ की {{जिसका मक़सद उन्हे राजनीतिक रूप से बदनाम करना ही था }}} परंतु अंत मे उन्हे '’निर्दोष '’ बताया |

स्पेकट्रूम आवंटन मे राजा - कनिमोझी और अन्य लोगो पर षड्यंत्र कर के राजकोष को नुकसान पाहुचने काआपराधिक आरोप लगाया गया था | दिल्ली की सीबीआई अदालत ने दो साल तक सुनवाई करने के पश्चात '’’’सभी आरोपियों को निर्दोष बताते हुए बारी कर दिया '’’| इस मामले मे लोगो का विश्वास था की मोदी सरकार जानबूझ कर काँग्रेस और उसके सहयोगी दलो के नेताओ के चरित्र पर कालिख पोतना चाहते थे | जिस उद्देश्य के लिए उन्होने सीबीआई का दुरुपयोग किया | बाद मे सीबीआई खीज मिटाने के लिए विशेस अदालत के फैसले के वीरुध अपील मे गयी | सीबीआई अदालत के विशेस न्यायाधीश ने कहा की '’ दो साल तक मैंने प्रतीक्षा की सीबीआई कोई ठोस सबूत लेकर आए --बार - बार उन्हे नोटिस भी दी ।परंतु फिर भी सीबीआई कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सकी !!! इस फैसले पर कुछ मोदी भक्तो ने जज के निर्णय पर सवाल उठाते हुए उनकी निष्ठा पर भी शंका व्यक्त की | परंतु अभी तक सीबीआई के उस मामले की अपील की सुनवाई नहीं हो सकी !!
नरेंद्र मोदी की लोकतान्त्रिक सरकार मे '’एकतंत्र का प्रारम्भ अजित डोवाल जी के कारण ही हुआ | विवेकानंद ट्रस्ट के माध्यम से काँग्रेस विरोधी अफसर थे उनको एक मंच पर लाकर ---पहले तो मन्मोहन सिंह सरकार के जमाने मे '’’ लीक '’यानि आधे सच से चटपटी खबरे आती रही | बाद मे जब सत्ता पर पकड़ हुई तो डोवाल साहब ने अपने इलाके '’’’उत्तराखंड के लोगो को अहम पदो पर बैठाया जो आज भी है "”|
जिस प्रकार सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश गोगोई तत्परता से बिना समय दिये हुए सुन्वाइ कर रहे है उससे यह उम्मीद तो इस कराहते लोकतन्त्र को तो हुई है की कुछ गुनहगारों के तो सर कलम होंगे - इसका उदहरण निदेशक वर्मा ने जब जवाब देने के लिए समय मांगा तब – जस्टिस गोगोई ने उन्हे तीन घंटे ही दिये !!!! और जवाब तीन घंटे के पहले अदालत मे दाखिल हो गया !!!


Nov 21, 2018


शीर्षक
राम मंदिर का निर्माण मोदी की दैवी कृपा से ही संभव !!!!



टकसाली और तुकबंदी जुमलो से अभी भी प्रधान मंत्री छुटकारा नहीं पा रहे है --वनही उनके भक्त उन्हे परमात्मा की देन तो विश्व गुरु और संबिद पात्रा -मोदी की सेवा को देश की सेवा बता रहे है !!! देश के लोकतान्त्रिक इतिहास मे ---व्यक्ति की चाटुकारिता का उदाहरण इन्दिरा गांधी के जमाने मे देखा गया था – जब तत्कालीन काँग्रेस अध्यक्ष देवकान्त बरुआ ने " इंडिया इस इन्दिरा "” कह कर देश को चकित कर दिया था | तब से अब समय में बहुत परिवर्तन हुआ है ---- इसीलिए मिशन मोदी अगेन पीएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राम विलास वेदन्ती ने कहा की देश ही नहीं विश्व को नरेंद्र मोदी की ज़रूरत है | वे ही भारत को विश्व गुरु बना सकते है!!!! इसे इतिफाक कहे या सोची -समझी राजनीति की -डॉ वेदांती -राम जन्म भूमि न्यास केआर कार्यकारी अध्यक्ष भी है ! कितना बड़ा संयोग है !

मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह ने तो चुनावी रैली मे मोदी जी उपस्थिती मे "”” उन्हे देश को ईश्वरीय देन निरूपित किया "”” |उधर भोपाल में बीजेपी के प्रवक्ता संबिद पात्रा ने पार्टी के सोशल मीडिया कार्यकर्ताओ को संभोधित करते हुए कहा "”””’नरेंद्र मोदी के लिए काम करना भारत माता की सेवा करना है !!!””” मतलब मोदी का विरोध देश का विरोध करना है !!! इन सब बयानो का ज़िक्र -करने का तात्पर्य है की -संघ और बीजेपी नरेंद्र मोदी को राष्ट्र पिता महात्मा गांधी और पंडित नेहरू तथा लाल बहादुर शास्त्री और इन्दिरा जी से भी "””””महान और उत्तम मानता है "””


अब लोकतन्त्र मे मत भिन्नता ही उसकी मजबूती है | परंतु राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की राजनीतिक शाखा भारतीय जनता पार्टी भी अपनी "”जननी संस्था के विचारो और व्यवहार पर शत - प्रतिशत चल रही है | “””जनहा कम्युनिस्ट पार्टी की भांति नेता के वीरुध मुंह खोलना ---पार्टी या संस्था से नहीं वरन देश्द्रोह है !!! “जनहा मत भिन्नता को देश द्रोह निरूपित किया जाये वनहा लोकतन्त्र की कल्पना भी कैसे की जा सकती है ? आखिर तो हमारे संविधान मे "”बहुदलीय चुनाव व्यव्स्था है "” जिसका अर्थ ही है सत्ता और विपक्ष की मौजूदगी "” | अब अगर सत्तारूड दल "अपने सिवा "” सभी को देश द्रोही '’ बताते फिरे तो क्या यह संविधान मे उल्लखित '’समान अवसर '’ की सरकार मे बैठी पार्टी द्वरा अवहेलना नहीं होगी !!! कुछ ऐसा ही जर्मनी मे हिटलर ने भी किया था -जब उसने अपनी विरोधी पार्टियो को देश द्ढ़ि बताते हुए "”बुन्द्स्तग "”” को जलाने का आरोप लगा कर देश मे अराजक्ता फैला दी थी और उसी अनिश्चितता के माहौल मे शासन पर कब्जा कर लिया था |

वैसे नवम्बर माह मे मंदिर निर्माण के मुद्दे पर सरकार और उसके सहयोगी संगठनो द्वरा अनेक बयान दिये गए | राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मोहन भागवत हो अथवा विश्व हिन्दू परिषद के चंपत रॉय हो अथवा डॉ तोगड़िया हो या सुबरमानियम स्वामी हो सभी ने मंदिर निर्माण को लोकसभा चुनावो के पूर्व प्रारम्भ करने की मांग केंद्र सरकार से की |
परंतु केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने 5 नवंबर को दिल्ली मे पार्टी मुख्यालय मे प्रैस वार्ता मे साफ -साफ कहा था की "” राम मंदिर पर अध्यादेश की क्या ज़रूरत - जनता खुद ही राह बनाएगी !”” उस समय भी लगा की शायद सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतज़ार करेगी | फैसले के अनुरूप ही इस मसले को हल किया जाएगा | परंतु "”जनता "” द्वरा राह बनाने का बयान देश के लोगो मे एक भय सा उत्पन्न कर गया ---की क्या फिर से अयोध्या किसी धरम युद्ध की विजय स्थली बनेगी ?

अक्तूबर माह के आखिरी सप्ताह मे मे संघ के डॉ मोहन भागवत और सर कार्यवाह भैया जी जोशी ने सरकार से आग्रह किया था की "”वे संसद मे कानून लाये ----क्योंकि कोई भी राजनीतिक दल इस प्रस्ताव का विरोध नहीं कर सकेगा | यानहा तक की कांग्रेस् को भी जनता के दबाव मे इस प्रस्ताव का समर्थन करना पड़ेगा | उसके बाद जिस प्रकार जेटली जी ने '’’सारा मामला जनता के ऊपर {जन संगठनो } पर छोड़ दिया , वह इस विषय मे सरकार के रुख मे "’अनिश्चितता अथवा बे परवाही का द्योतक है ]]] परंतु मोदी सरकार तथा संघ और उसके अन्य संगठनो के बारे मे जान कारी रखने वाले जानते है की '’यह बाहरी तस्वीर है ----असली पिक्चर तो अभी बाक़ी है |

सूत्रो से प्रापत खबरों के अनुसार मोदी सरकार लोकसभा के शीतकालीन सत्र -जो की 11 दिसंबर से 6 जनवरी 2019 तक होना प्रस्तावित ,उसमे सरकार कानून बनाकर मंदिर निर्माण की गुथियों को सुलझाना चाहता है | इसका आभास इसलिय हुआ की कहर राज्यो मे जनहा विधान सभा चुनाव हो रहे है , वनहा 28 नवंबर को मतदान सम्पन्न हो जाएंगे | उसके बाद सभी बीजेपी सांसदो को दिल्ली मे ही रहने का निर्देश पार्टी द्वारा दिया गया है | अब देखना की लोकसभा मे क्या होता ---अगर सत्र के पूर्व कुछ ऐसा हुआ जो देश की राजनीति मे हलचल मचा देने वाला हुआ तब क्या होगा | यह देखने की बात होगी |

Nov 16, 2018


राम मंदिर के साथ अब सबरीमाला भी संघ और शाह के निशाने पर

आगामी 25 नवंबर को अयोध्या मंदिर निर्माण न्यास की बैठक को लेकर अयोध्या मामले के मुक्द्में के याचिकाकर्ता इकबाल अंसारी ने प्रदेश के योगी सरकार को नोटिस दिया की अयोध्या के अलपसंख्यकों को अगर सुरक्षा नहीं सुलभ कराई गयी तो वे लोग शहर को छोडने पर मजबूर हो जाएँगे !! अनेक हिंदुवादी संगठन इस स्थिति से मन ही मन प्रसन्न है | क्योंकि बिना कुछ किए ही अयोध्या "””विधर्मियों "” से मुक्त हो जाएगी | परंतु यदि ऐसा कुछ हुआ तब यह बाबरी मस्जिद ध्वंश के बाद की सबसे दुखद और शरमनाक घटना होगी |

1989 से राम मंदिर के नाम पर चल रहे आंदोलन का भविष्य
अब सर्वोच्च न्यायालय के पास विचारधीन है | परंतु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ विश्व हिन्दू परिषद और विभिन्न साधुओ के अनेक संगठनो की मांग है की सरकार कानून बना कर अयोध्या मे राम मंदिर बनाने का रास्ता साफ करे | हालांकि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत की मांग पर भी "”मौन मंत्री "” ही बने है | उधर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बयान देकर साफ कर दिया है की सरकार सबरीमाला और अयोध्या मे राम मंदिर के मामले मे कोई अध्यादेश नहीं लाएगी ! उन्होने कहा की अयोध्या मे बाबरी मस्जिद के ढांचे का क्या किया ? वनहा राम की मूर्ति भी है और उनकी पूजा -अर्चना भी हो रही है |सबरीमाला के मामले भी जनता अपना रास्ता बना लेगी !
उनके बयान से संघ और विश्व हिन्दू परिषद तथा संघ के दर्जन बहरा संगठन "””निरुपाय "” हो गये है | क्योंकि उन्हे उम्मीद थी की उनकी अपनी सरकार हिन्दू एजेंडे को आगे बढायेगे परंतु ऐसा हो नहीं सका ! इसकी क्या वजह हो सकती है ----एक संभावना है की सुप्रीम कोर्ट मे लिब्रहान आयोग की बाबरी मस्जिद ध्वंश की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट मे लंबित है | दूसर मामला है विवादित भूमि के मालिकाना हक़ का जिसमे राम जनम भूमि न्यास तथा सुन्नी वक्फ बोर्ड पच्छकार है | सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले मे "””स्पष्ट "” कर दिया की वे मात्र भूमि के मालिकाना हक़ पर विचार करेंगे | इसके बाद संघ -सरकार समर्थक "””लोगो"”” के वकीलो ने सुप्रीम कोर्ट मे इस मामले मे "” जल्दी सुनवाई की अर्ज़ी दी ---एक बार नहीं अनेक बार । परंतु सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश गोगोई जी ने अनेक अवसरो पर साफ कर दिया है की अयोध्या भूमि के मामले मे सुनवाई 2019 मे ही होगी |
इन परिस्थितियो में मोदी सरकार को इन मामलो दखल देने का साहस नहीं है | क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनावो पर संघ के राजनीतिक संगठन बीजेपी की निगाह है | उन्की सोच मे अध्यादेश लाना न्यायपालिका के साथ रार पैदा करने वाला हो सकता है | तथा एनडीए के सहयोगी दल भी बीजेपी के इस कदम से छिटक सकते है | प्रदेशों मे हो रहे विधान सभा चुनावो मे वनहा की बीजेपी सरकारो के प्रति जन आक्रोश भी -----आने वाली बयार का संकेत दे रही है | प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के निर्वाचन छेत्र बुधनी मे उनकी पत्नी श्रीमति साधना सिंह और पुत्र कार्तिकेय के साथ वनहा लोगो ने काफी गर्मागर्मी दिखाई | अभी तक इस छेत्र को उनका अजेय छेत्र माना जाता था !!

2014 मे मोदी सरकार के पदारूड होने के बाद हिन्दी भाषी छेत्रों मे जनहा बीजेपी की सरकारे थी उन राज्यो में गाय की हत्या को लेकर अलपसंख्यक समुदाय के लोगो की हत्याए हुई | राजस्थान – हरियाणा और उत्तर प्रदेश तथा झारखंड में "”भीडतंत्र "” के तांडव ने अनेकों निर्दोषों को मौत के घाट उतार दिया | सुप्रीम कोर्ट ने भी इन घटनाओ पर राज्य सरकारो को चेतावनी दी | परंतु मद मे डूबे नेताओ के बहरे कानो पर कोई असर नहीं हुआ | अंत मे उत्तर प्रदेश के एक मामले मे पुलिस की रिपोर्ट को झूठा सिद्ध करने का काम एक खबरिया चैनल ने किया | तब उस मामले मे दुबारा जांच हुई |

गाय के मुद्दे के बाद 2017 से मंदिर का मुद्दा गरमाने लगा ---क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने अनेकों बार सरकारो और ज़िला प्र्शसनों को फटकार लगाई | इलाहाबाद हाइ कोर्ट ने उन्नाव के बीजेपी विधायक के वीरुध राज्य पुलिस की जांच को खारिज करते हुए सीबीआई द्वरा जांच का आदेश दिया |जिसके परिणाम स्वरूप विधायक जी जेल भेजे गए -यानहा तक की उनकी जमानत भी नहीं हुई है |

यह हालत है जनता द्वरा चुनी हुई सरकारो के मंत्रियो की !!! इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह का सबरीमाला मंदिर पर दिया गया बयान "”” अदालतों को धार्मिक परम्पराओ के मामलो मे डाकहल नहीं देना चाहिए "” कहा जाता है की उन्होने संघ के और भारतीय जनता युवा मोर्चा के कारी कर्ताओ को "” परंपरावादी लोगो द्वरा महिलाओ के प्रवेश पर विरोध को हवा देने की सलाह भी दी "” | इस संदर्भ मे जेटली जी का बयान की सुप्रीम कोर्ट को ऐसे फैसले नहीं देने चाहिए जिसका "””अनुपालन संभव नहीं हो !!”” सवाल यह है की न्यायपालिका कानून से फैसले दे अथवा सरकार की सुविधा से !!! | जिस दिन न्यायपालिका की स्वायतत्ता बाधित करने की कोशिस होगी वह दिन देश के लोकतन्त्र का आपातकाल से भी ज्यादा काला दिन होगा |

Nov 14, 2018


अब मंदिर चुनाव का मुद्दा नहीं रहा -- संघ बन गया चुनावी बहस का केंद्र


मध्य प्रदेश काँग्रेस के विधान सभा चुनाव के वचन पत्र ने राजनैतिक माहौल मे मंदिर के नाम पर हिन्दू --मुस्लिम वोट की राजनीति अब हट कर संघ के उपर केन्द्रित हो गयी है | एक तरह से यह बहुत बड़ा परिवर्तन है अभी तक बीजेपी या संघ सार्वजनिक बहस के मुद्दे तय करते थे ----इस बार वे असफल हुए |



क्या निर्वाचन प्रक्रिया मे राजनीतिक दलो के अलावा किसी सामाजिक या धार्मिक संगठन की दखलंदाज़ी नियमानुकूल है ? आदर्श चुनाव संहिता मे साफ तौर पर इस बात की मनाही है की चुनाव मे ऐसे संगठनो की मदद निर्वाचन को शून्य कर देगी | परंतु सैकड़ो सामाजिक और धर्मिक् संगठन के लोग खुले आम चुनाव प्रचार मे भाग ले रहे है | मुश्किल यह है की जब इन्हे कानून के सामने लाया जाता है तब ये कह देते की "” मै इस संगठन से नहीं जुड़ा हूँ |”” ऐसे ही एक सामाजिक संगठन है "”राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ --जिसके राजनीतिक दखलंदाज़ी को लेकर हमेशा से विवाद रहा है | जानते सभी है ---परंतु साबित कैसे करे ?बाबरी मस्जिद के समय जब नरसिम्हा राव सरकार ने संघ समर्थित सरकाओ को हटाने का फैसला किया ---तब का किस्सा है की तत्कालीन मुख्या मंत्री सुंदरलाल पटवा ने पत्रकार वार्ता मे कहा था की हमारा कोई संबंध संघ से नहीं है ! उनका तर्क था की संघ मे सदस्यता सूची नहीं होती , अतः यह नहीं सिद्ध किया जा सकता की अमुक का संबंध संघ से है | उन्होने क्हा यह तथ्य सिद्ध नहीं हो सकता | तन मैंने कहा था की की अगर शासन की "”नीयत हो तो यह हो सकता है , उन्होने मुझसे प्रति प्रश्न किया की कैसे ? मेरा जवाब था की गुरु पूर्णिमा के दिन सभी भक्त {संघ के } शाखाओ मे ध्वज प्रणाम के बाद " गुरु दक्षिणा देने वालो के नाम नोट किए जाये ----क्योंकि वे ही संघ के सदस्य या शिष्य है !
परंतु ना तो काँग्रेस और नाही गैर बीजेपी सरकारो ने यह सतर्कता दिखाई , फलस्वरूप दुविधा आज भी बनी हुई है | सच्चाई सामने है पर सिद्ध करना कठिन है





सम्पूर्ण चुनाव आयोग के प्रदेश दौरे के पहले तक ---राष्ट्रीय स्वय सेवक संघ - विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल समेत तमाम आनुषंगिक संगठनो
समेत भारतीय जनता पार्टी का केंद्रीय नेत्रत्व भी इस मुद्दे को चुनावी माहौल मे गरमाये रखना चाहता है | इस का स्पष्ट प्रमाण वित्तमंत्री अरुण जेटली के उस बयान से भली भांति स्पष्ट होता है "””जिसमे उन्होने मंदिर निर्माण के बारे -भगवाधारियो और संघ के सुझाव ---सरकार मंदिर निर्माण के लिए अध्यदेश लाये अथवा संसद से कानून बनवाए ------पर जवाब दिया था की "””जैसे अयोध्या मे जनता ने ही राम को स्थापित किया --जैसे मंदिर के स्थान को साफ किया {{अर्थात मस्जिद का ध्वंश कर जमीन को सपाट कर दिया |}} उसी प्रकार जनता मंदिर भी बना लेगी |”” उनका तात्पर्य स्पष्ट था की सरकार इस मामले मे कोई पहल नहीं करेगी ! “”

इस के बावजूद संघ के गैर राजनीतिक ///संगठन के नेताओ और विषेस कर भगवा ब्रिगेड की ओर से हरिद्वार अथवा अयोध्या आदि स्थानो से हांक लगाए जा रही है "”” जैसे भी हो सरकार 2019 से पूर्व अयोध्या मे रामलला का मंदिर बनवाए --अथवा सोमनाथ मंदिर की भांति खुद ही आगे आकार इस ज़िम्मेदारी को पूरा करे ---नहीं तो मंदिर निर्माण की ज़िम्मेदारी -उन तीन संगठनो को दे दे जिनहोने मंदिर निर्माण के लिए विगत सालो मे धन -चंदा एकत्र किया है ---ईंट और संगमरमर अयोध्या लाये है |परंतु जेटली के इस जवाब से भाजपा अध्यछ अमित शाह को कोई तकलीफ नहीं है ? परंतु वे मंदिर का संपुट अपने चुनावी प्रवचनों मे करते रहते है |

तीन राज्यो मे विधान सभा चुनावो की तारीखों की घोसना के बाद आदर्श आचरण संहिता के लागू हो जाने के उपरांत अचानक मंदिर का मुद्दा तब गरमा गया जब सर्वोच्च न्यायालय ने जमीन के मालिकाना हक़ की अपील पर फैसला सुरक्शित रखा | जिस पर सरकार समेत उमके सहयोगी संगठनो ने सुप्रीम कोर्ट के इस रुख पर "””अप्रसन्नता ---रोष जताते हुए अमित शाह जी ने कहा था की धार्मिक मामलो मे अदालतों को नहीं पड़ना चाहिए { सबरीमाला मामले मे } | अब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी '’’’इस मुद्दे पर मौनी बाबा '’ बन गए है ,परंतू पार्टी -और सरकार मे उनके सहयोगी '’सुर्री'’ छोड़े जा रहे है !


परंतु मध्यप्रदेश काँग्रेस कमेटी द्वारा 12 नवंबर को "””वचन पत्र "” जारी किए जाने के बाद --- निश्चित ही अयोध्या मैं राम मंदिर निर्माण का मसला अब संघ और उसके आनुषंगिक संगठनो के लिए दोयम दर्जे का हो गया है | अब वचन पत्र मे किए गए वादे--- काँग्रेस सरकार सरकारी संस्थानो मे "”शाखाओ के लगाए जाने पर प्रतिबंध लगाएगी "” ने नागपूर से नियंत्रित सभी संगठनो को मंदिर मुद्दा भूल जाने पर मजबूर किया | अब एक ही मुद्दा मीडिया और चुनावी भासनों प्रमुख है वह है की काँग्रेस राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर प्रतिबंध लगाने की बात कर रही है ! यह है संघ का के प्रचार तंत्र का नमूना --बात सरकारी संस्थानो मे शाखाओ को मिली सरकारी छूट को समाप्त करने की ----और फैलाया जा रहा है की संघ पर प्रतिबंध लगाने का ! बीजेपी के अनेक अतिउत्साही नेताओ ने तो तो चुनौती दे दी है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ऐसे "”राष्ट्रभक्त संगठन पर प्रतिबंध लगाने की हिम्मत तो दिखाये ! “
इन नेताओ को याद दिलाना पड़ेगा की कोङ्ग्रेद्द के जिस लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा का अनावरण प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है ---उन्होने ही संघ को प्रतिबंधित कर दिया था | जिसे तत्कालीन सरसंघ चालक श्री गोलवलकर की प्रार्थना और इस वचन के बाद वापस लिया गया की संघ सिर्फ "”सामाजिक कार्यो मे ही सीमित रहेगा और राजनीतिक गतिविधियो से अलग रहेगा !

अभी निर्वाचन आयोग ने भोपाल दौरे के समय इस मसले को फिर से उलझा दिया है | राजनीतिक दलोके साथ जहनुमा होटल मे हुई बैठक मे मुख्य चुनाव आयुक्त ओम प्रकाश रावत जी ने कहा था की "” सामाजिक या धार्मिक संगठन से संबद्ध व्यक्ति को चुनाव कार्यो मे नहीं लगाया जाये, आदर्श संहिता मे भी इस बात का उल्लेख है | जब एक दल ने इस बात उनसे प्र्शन किया तन उन्होने कहा की '’नाम बताए और सिद्ध करे "” की अमुक संघ या उसके आनुषंगिक संगठन से जुड़ा है !!

यह सर्व विदित तथ्य है की संघ हो या विश्व हिन्दू परिषद अथवा बजरंग दल इन संगठनो का ना तो कोई पंजीयन है ना ही कोई संगठन का डांचा है | ना तो कोई अधिकरत सदस्य सूची और न कोई पहचान पत्र | फिर भी इनके सहयोगीयो द्वारा सार्वजनिक पथ संचालन किया जाता है | लेटर हैड से ही काम चलाया जाता है | अब इस अवस्था मे कैसे यह सिद्ध किया जाये की अमुक व्यक्ति संघ का समर्थक या सहयोगी है ?? इस समय देश मे सनातन तथा श्रीराम सेना जैसे हजारो स्वयंभू संगठन है ---जिनके नाम पर अखबारो मे विज्ञापतिया प्रकाशित होती है , जैसे स्वस्थवर्धक विज्ञापन ! जिनकी न तो कोई ज़िम्मेदारी है नाही कोई जवाबदेही | फिर कोई शासन या सरकार कैसे इनके वीरुध पुख्ता कानूनी कारवाई करे ???