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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Dec 25, 2015

अपराध का निर्धारण -शकल देख कर होगी सज़ा-गुनाह से नहीं


प्रक्रति मे न्याय -मत्स्य न्याय होता है | बलशाली कमजोर का शिकार अपराध का निर्धारण --शकल देख कर -- सज़ा-गुनाह से नहीं होता है | परंतु मानव ने प्राकरतीक न्याय का अर्थ ''समानता ---विधि के सम्मुख "” का सिद्धांत अपनाया | राजनीति शास्त्र मे भी दैवी सिधान्त के तहत भी न्याय "”एक ही कसौटी पर परखनी की बात काही है "””| यद्यपि एक ही अपराध के लिए ,, आम आदमी {{प्रजा}} और शासक वर्ग के लिए "””सज़ा"” मे भिन्नता होती थी | चाणक्य के अर्थशास्त्र मे भी ब्रामहण को और राजवंशियो के लिए हल्की सज़ा का प्रविधान था |

संदर्भ :- भारतीय जनता पार्टी सांसद कीर्ति आज़ाद का पार्टी से निलंबन |

पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने आज़ाद को पार्टी विरोधी गतिविधि के कारण कारण बताओ नोटिस दिया | जिसमे डीडीसीए के मामले मे वितता मंत्री अरुण जेटली के वीरुध आप और काँग्रेस पार्टी से मिलकर बयान देने का आरोप लगाया गया है |

जिन लोगो ने रविवार दिसम्बर की आज़ाद की प्रैस कोन्फ़्रेंस देखि होगी वे जानते होगे की पूरी कोन्फ्रेंस मे कीर्ति ने जेटली का नाम नहीं लिया | उन्होने तत्कालीन अध्यक्ष के कार्यकाल मे हुई गडबाडियो का हवाला दिया था | जबकि यह सर्व ज्ञात सत्या है की जेटली ही उस काल मे पदासीन थे | मोदी की रूस यात्रा के समय जेटली ने कीर्ति को निलंबित क्यी जाने अथवा उनके द्वारा "””मंत्री पद के सिवाय "”” पार्टी के समस्त पदो से इस्तीफा देने का अल्टिमेटम शाह को दिया | वे शत्रुघन सिन्हा की तरह इस मामले की भी अनदेखी किए जाने को कहा था | परंतु जेटली के अल्टिमेटम ने ''अनुशासन ''' का सबक कीर्ति को सीखा //दिखा दिया |


इस परिप्रेक्ष्य मे दो बाते साफ हो गयी की --जेटली ना केवल डीडीसीए की जांच को बंद करना चाहते है -वरन कोई भी आदमी जो इस मुद्दे को छेड़ता है "””उसे वे सबक सीखना चाहते है "””” क्योंकि वे सुप्रेम को अपने र्ट के वकील है -कानून के जानकार है , वे जानते है की आरोप सिद्ध होने पर ना केवल उनका मंत्री पद से इस्तीफा होगा {{ जिसे वे किसी कीमत पर नहीं करना चाहते है }}]
वरन सोनिया और राहुल गांधी ऐसे "” नेताओ "”” की भांति उन्हे भी पटियाला हाउस मे जमानत के लिए "”चोटी अदालत के जज से जमानत की दरख्वास्त करनी होगी | जो उनके '''आतंसम्मान ''' के विरुद्ध है ||| क्योंकि वे "”शासक वर्ग "”” मे "””फिलहाल "””है |
कहते की कानून की देवी की आंखो पर गांधारी की भांति पट्टी बंधी है --- पर यहा कानून {{{पार्टी के नियम }}} के जिम्मेदारों की आंखो पर पट्टी बंधी है |
जो पार्टी अपने र्ट के वकील है -कानून के जानकार है , वे जानते है की आरोप सिद्ध होने पर ना केवल उनका मंत्री पद से इस्तीफा होगा {{ जिसे वे किसी कीमत पर नहीं करना चाहते है }}]
सदस्यो के साथ भेद भाव कर रही है वह दसदस्यो के साथ भेद भाव कर रही है वह देशवासियों के साथ क्या न्याया करेगी ??