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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jan 15, 2017

मोदी जी महात्मा ने अपना चित्र हरिजन या यंग इंडिया तक मे नहीं छापा था – आपने तो सभी हद पार कर दी

महात्मा गांधी - की महानता मोदी जी तुम क्या समझोगे जिनके  सिद्धांतों पर चलकर रंगभेद के खिलाफ अहिंसक लड़ाई मार्टिन लूथर किंग सेकंड _ नेल्सन मंडेला --डेस्मंड टूटू जैसे संगर्षशील नेताओ ने अपने देश के लोगो को चमड़ी के रंग के आधार पर उंच - नीच को समाप्त किया था | आप और आप के साथी --सहयोगी तो सवालो से बचते है और विरोधियो पर हिंसक हमला करते है | इन लोगो ने नस्ली भेदभाव को बंद कराया ----- | उनके प्रयासो से जनता को राहत मिली तो --आपके अहंकार भरे कदम नोटबंदी से देश के करोड़ो लोग माहे भर लाइन मे लगे रहे --किसानो को बीज - खाद और बिजली के बिल के भुगतान के लिए उनका ही पैसा जरूरत पर नहीं मिला |\ हजारो लोगो को शादियो की तारीख टालनी पड़ी | और सबसे दुखद रहा की बंकों से अपनी जमा - पूंजी निकालने की लाइन मे 90 से अधिक लोगो की मौत हो गयी | मोहनदास करमचंद गांधी कभी सत्ता के भूखे नहीं रहे ----और आप तो सत्ता के लिए कोई भी छल -छदम कर सकते हो || जरा अपने को तौलो तो पाओगे की तुम महात्मा के "” पासंग "” भी नहीं |

महात्मा ने तो बिहार मे आंदोलन के दौरान एक ही कपड़े मे स्नान् करती महिला को कपड़ो को बदन मे ही सूखाने की मजबूरी ने उन्हे "आजीवन " अधोभाग नंगा ही रखने का निश्चय किया जिसे 30 जनवरी 1948 मे नाथु राम गोडसे द्वारा हत्या किए जाने तक निभाया |

तालाब मे कमल भी खिलता है पर उससे सैकड़ो गुना अधिक 'जलकुंभी ' होती है | जो हरियाली का भ्रम आंखो को देती है ----परंतु जानकार समझते है की यह "'किसी काम लायक नहीं "”सिवाय जलाने के | सर्वभाक्षि बकरी और ऊंट भी इसे नहीं खाते है | गुजरात के तालाब के कमल तो महात्मा थे और नरेंद्र मोदी जी आप जलकुंभी ही है| जो दिखने मे बहुत हारा - भरा लगता है ,परंतु होता वह धोखा ही है क्योंकि ईंधन के अलावा उसका कोई उपयोग होता ही नहीं है |
खादी महात्मा के लिए एक उत्पाद मात्र नहीं था ----वह लंकाशायर और मानेचेस्टर से आने वाले विदेशी कपड़ो के विरोध का और 'स्वावलंबन' का प्रतीक था | आपने उसे खड़ी ग्रामोद्योग की बपौती बना कर महात्म्न की विरासत ही सौप दी ! घर - घर चरखा और गाव - गाव मे करघा ग्रामीण भारत की खुद मुख़ातरी का चिन्ह था | वह लोगो को काम देता था----- नौकरी नहीं ! अब आप उसे मजबूरी का काम बना रहे हो | जो स्वीकार नहीं हो सकता |
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ सदैव से महात्मा गांधी का विरोधी और आलोचक रहा है | इस संगठन की देश की आज़ादी के संग्राम मे कोई भूमिका नहीं रही | उल्टे इनके कई नेताओ के अंग्रेज़ो का भेदिया होने के सबूत राष्ट्रीय अभिलेखागार मे है | परंतु महात्मा ने इस संगठन और इसके नेताओ के बारे मे कोई दुर्भावना नहीं रखी | परंतु संघ ने इसके विपरीत ही कार्य किया | मोदी जी महात्मा नोआख़ाली मे भी पुलिस या सेना की सुरक्षा ले कर नहीं गए थे जबकि सरदार और नेहरू जी इस बात पर ज़ोर दे रहे थे | और आप तो बिना लाव लश्कर और तीन चक्र की सुरक्षा मे चलते हो | वे मौत से डरते नहीं थे --और आप उस से भयभीत है | अरे कैसे बराबरी की कोशिस कर रहे हो |
अंत मे एक पौराणिक कथा से आलेख का समापन करना चाहूँगा---- द्वारिका के वासुदेव श्री कृष्ण की ख्याति सुनकर अनंग के राजा ने अपना नाम ''पौंडर वासुदेव '' रख लिया | \ उनही की भांति सर पर मोर पंखी लगाता था और हाथ मे एक चक्र भी लेता था जैसे वासुदेव सुदर्शन धारण करते थे | वह अपनी प्रजा से जबर्दस्ती अपनी जय बुलवाता था | ऐसा ना करने वालो को सज़ा देता था | श्री कृष्ण ने उसे बहुतेरा समझाया परंतु पौंडर हमेशा अपमानजनक शब्दो से ही जवाब देता था | और हर कथा की भांति एक दिन श्री क्रष्ण ने पौंडर का अंत कर दिया | और उसकी प्रजा को सुखी कर दिया |
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