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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Nov 22, 2018

सीबीआई की शुचिता और - ईमानदारी तथा काबलियत का जखीरा सर्वोच्च न्यायालय मे निदेशक -अतिरिक्त निदेशक समेत सुरक्षा सलाहकार अजीत डोबाल की अनियमितताओ भांडा अभी भी फूटता ही जा रहा है


सीबीआई की शुचिता और - ईमानदारी तथा काबलियत का जखीरा सर्वोच्च न्यायालय मे निदेशक -अतिरिक्त निदेशक समेत सुरक्षा सलाहकार अजीत डोबाल की अनियमितताओ भांडा अभी भी फूटता ही जा रहा है !!!!

आज तक मंत्रियो के काले कारनामों को रिटायर अफसरो की किताबों ने उजागर किया है -जिनहे साबित करना कठिन होता है -पर सीबीआई के अंदर रिश्वतख़ोरी - दखलंदाज़ी और अभियुक्तों को बचाने की सरकार की कोशिसों का गणतन्त्र के इतिहास मे पहली भार सर्वोच्च न्यायालय के सामने भांडा फूट रहा है !! यह राफेल के आरोपो से अधिक मोदी सरकार के "”भ्रषटाचार रहित सरकार "”के दावे को झूठा साबित कर देता है !
इस मामले मे सर्वोच्च न्यायपालिका के सामने जिस प्रकार बड़े अफसर एक दूसरों पर रिश्वतख़ोरी और ट्रांसफर - पोस्टिंग के जरिये करोड़ो की डील कर रहे थे ---जब नित नए तथ्यो से अनेक च्र्हरों की नकाब उतर रही थी ---- तब देश के प्रधान न्यायाधीश गोगोई का यह कथन हालत की गंभीरता को बताता है -”””” अब हमे कुछ भी नहीं चौंकाता ,’’’ उनका इशारा इस मामले मे देश के शासन के सूत्रधारों की भूमिका पर जिस तरह से सवालिया निशान लग रहे थे वे किसी भी '’’’नागरिक को उद्भ्रांत कर देने वाले है |

अभी तक जब प्रदेश पुलिस या सीआईडी पर लोगो का विश्वास नहीं बचता ----तब हमेशा सीबीआई से जांच की मांग हुआ करती थी | पर अब सोहरबुड्डीन हत्या कांड --और जाफरी कांड मे हो रहे खुलासे इस एजेंसी की '’’साख को किसी भी प्रदेश की पुलिस से भी रद्दी बना दे रहे है "”” अब समय आ गया है की '’अब पंजाब पुलिस स्पेशल एक्ट के तहत बनी इस संस्था मे सब कुछ नए सिरे से लिखा जाये |जिससे यह अफसरो के ----नेताओ की दखलंदाज़ी से सुरक्शित रहे ----जैसा की जापान मे है ---जनहा तीन प्रधान मंत्री रिश्वतख़ोरी मे जेल गए |



देश मे जब -जब किसी मामले मे सरकार के लोगो कि सलिप्तता से कानून के उल्ल्ङ्घन और बेईमानी का संदेह किया जाता था -तब तब सीबीआई को को उन संदेहो की हक़ीक़त उजागर करने का दायित्व दिया जाता रहा - और सार्वजनिक रूप से भी जब किसी मामले मे बड़े लोगो की भूमिका पर शक हुआ तब तब सीबीआई की जांच की ही मांग की जाती रही | यानहा तक की बोफोर्स सौदे की जांच भी इसी एजेंसी ने की | मनमोहन सिंह सरकार पर कोयले की खानो के आवंटन ,मे अफसरो और मंत्रियो की संदेहास्पद भूमिका की जांच भी इनहोने ही की | का मामला भी इनहोने ही की | 2जी घोटाले की जांच भी इसी '’’महान एजेंसी ने की "” जिसमे तत्कालीन मंत्री राजा और -कनिमोझी को जेल भी जाना पड़ा | परंतु जिस '’’ज़ोर से मोदी सरकार और उनकी पार्टी ने इस मामले मे तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह को बदनाम किया गया था --यानहा तक की संसद मे प्रधान मंत्री मोदी ने "””इन मामलो मे उनकी निर्दोषिता पर व्यंग्य करते हुए कहा था की "”” बाथरूम मे भी बरसाती पहनकर नहाते है "”” क्योंकि सीबीआई द्वारा पूर्व प्रधान मंत्री से तीन बार सीबीआई अफसरो ने पूछताछ की {{जिसका मक़सद उन्हे राजनीतिक रूप से बदनाम करना ही था }}} परंतु अंत मे उन्हे '’निर्दोष '’ बताया |

स्पेकट्रूम आवंटन मे राजा - कनिमोझी और अन्य लोगो पर षड्यंत्र कर के राजकोष को नुकसान पाहुचने काआपराधिक आरोप लगाया गया था | दिल्ली की सीबीआई अदालत ने दो साल तक सुनवाई करने के पश्चात '’’’सभी आरोपियों को निर्दोष बताते हुए बारी कर दिया '’’| इस मामले मे लोगो का विश्वास था की मोदी सरकार जानबूझ कर काँग्रेस और उसके सहयोगी दलो के नेताओ के चरित्र पर कालिख पोतना चाहते थे | जिस उद्देश्य के लिए उन्होने सीबीआई का दुरुपयोग किया | बाद मे सीबीआई खीज मिटाने के लिए विशेस अदालत के फैसले के वीरुध अपील मे गयी | सीबीआई अदालत के विशेस न्यायाधीश ने कहा की '’ दो साल तक मैंने प्रतीक्षा की सीबीआई कोई ठोस सबूत लेकर आए --बार - बार उन्हे नोटिस भी दी ।परंतु फिर भी सीबीआई कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सकी !!! इस फैसले पर कुछ मोदी भक्तो ने जज के निर्णय पर सवाल उठाते हुए उनकी निष्ठा पर भी शंका व्यक्त की | परंतु अभी तक सीबीआई के उस मामले की अपील की सुनवाई नहीं हो सकी !!
नरेंद्र मोदी की लोकतान्त्रिक सरकार मे '’एकतंत्र का प्रारम्भ अजित डोवाल जी के कारण ही हुआ | विवेकानंद ट्रस्ट के माध्यम से काँग्रेस विरोधी अफसर थे उनको एक मंच पर लाकर ---पहले तो मन्मोहन सिंह सरकार के जमाने मे '’’ लीक '’यानि आधे सच से चटपटी खबरे आती रही | बाद मे जब सत्ता पर पकड़ हुई तो डोवाल साहब ने अपने इलाके '’’’उत्तराखंड के लोगो को अहम पदो पर बैठाया जो आज भी है "”|
जिस प्रकार सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश गोगोई तत्परता से बिना समय दिये हुए सुन्वाइ कर रहे है उससे यह उम्मीद तो इस कराहते लोकतन्त्र को तो हुई है की कुछ गुनहगारों के तो सर कलम होंगे - इसका उदहरण निदेशक वर्मा ने जब जवाब देने के लिए समय मांगा तब – जस्टिस गोगोई ने उन्हे तीन घंटे ही दिये !!!! और जवाब तीन घंटे के पहले अदालत मे दाखिल हो गया !!!