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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jul 23, 2012

Satyavadi kaun Dr Ka;lam ya Subramaniyam Swami

भारत की  राजनीती मे  इस समय कुछ स्वयंभू  ""निर्णायक ""अवतरित हुए हैं . वैसे  इन महानुभावो की  हाजिरी पिछले  कुछ समय से  अनुभव की जा रही हैं .यह त्रिमूर्ति  हैं --सुब्रमनियन स्वामी   एवं  योग सिशक  रामदेव तथा  भ्रस्ताचार  हटाने की मुहीम के स्वयंभू  दावेदार  केजरीवाल और पिता -पुत्र शांति भूसन -प्रसंत भूसन . अब यंहा पर एअक -एअक के दावे की सच्चाई की परख करने की कोसिस की जाएगी . डॉ स्वामी ने एक टीवी  चैनल  मैं दिए गए intervew  मैं कहा की  डॉ   कलाम  ने  अपनी नव प्रकाशित पुस्तक टर्निंग  पॉइंट मैं यह ""झूट  दावा किया हैं की श्रीमती सोनिया गाँधी  ने कभी भी स्वय  प्रधान मंत्री बनने की इच्छा नहीं व्यक्त की थी"" . सत्य तो यह हैं की जब मैने उनकी नागरिकता के बारे में सवाल उठाया तब  कलाम ने सोनिया को शपथ दिलाने से इंकार कर दिया था . स्वामी ने तब यह कहा था की सोनिया जन्मजात भारतीय नागरिक नहीं हैं इसलिए वे प्रधानमंत्री नहीं बन सकती . .गौर तलब हैं की उनके दावे के काफी समय पहले ही सुप्रीम कोर्ट इस बारे में फैसला सुना चूका था की सोनिया गाँधी भारत की नागरिक हैं और उन्हे वे सब अधिकार हासिल हैं जो अन्य नागरिको को हैं"" . भारत के संविधान में स्पस्ट हैं की कोई  भी भारतीय नागरिक देश का प्रधान मंत्री बन सकता हैं .अब सवाल हैं की झूठा कौन ? एक व्यक्ति जिसको देश का  भूतपूर्व राष्ट्रपति हनी का गौरव प्राप्त हैं अथवा एक नेता जिसने अपने राजनितिक जीवन काल में कम से कम पांच बार पार्टी बदली और ""अपने कथन ""से मुकरजाने का रिकॉर्ड हैं  ?जनसंघ से भारतीय जनता पार्टी फिर जनता पार्टी का सफ़र करने वाले  स्वामी कितना सच  बोलते हैं यह अधिक लोगो को मालूम हैं . एवं डॉ कलाम की तुलना में तो उन्हें कोई भी विस्वसनीय  नहीं मान सकता .                                                                                                                                                                      दुसरे महानुभाव हैं योग . की  क्लास लेने वाले  ""बाबा   कहलाने का शौक  रखने वाले रामदेव , हॉल ही में उन्होने भोपाल में सागर इंस्टिट्यूट के विद्य्राथियो  से कहा की बहुत पडने -लिखने से आप लोग प्रधानमंत्री की तरह फिसड्डी बन जाओगे . अब इंजीनियरिंग के छात्रो   से यह कहना की अधिक अध्ययन  "फिसड्डी " बनाता  हैं कहा तक तर्कसंगत और उचित हैं यह मैं पाठको के विवेक पर छोड़ता हूँ .आखिर योग का एक अर्थ  जोड़ना भी होता हैं ,अर्थात विद्यार्थी अपने को समाज से न जोड़े वरन ""बाबा" से जुड़े . कँहा  की समझदारी हैं ? इन तथाकथित बाबा जी को अगर हम गेरुआ वस्त्र पहने के कारन सन्यासी माने तो यह सच्चाई  के विपरीत होगा क्योंकि इनके पास दवा      बनाने का उद्योग हैं  जिसकी पूंजी आय कर विभाग के अनुसार 5 हज़ार करोड़ रुपये की हैं .अब इन्हे दवा  बनाने वाला उद्योगपति कहा जाये  या नहीं यह सवाल भी मैं पाठको के ऊपर छोड़ता  हूँ                                                                                                                                                        एक  तीसरी  तिकड़ी हैं हैं भ्रस्ताचार हटाओ की मुहीम के स्वंभू मसीहा अरविन्द केजरीवाल -किरण बेदी -मानिस सिसोदिया  जो अपने को  अन्ना हजारे  का खुदाई खिदमतगार  साबित करने मैं जुटे हैं .सरकारी पेन्सन याफ्ता लोगो की इस टीम मैं कुछ  गैर सरकारी स्वक्षिक संस्थाओ के साथ ही वकील पिता -पुत्र  {शांति भूसन एवं प्रशांत भूसन } भी हैं . जो वकालत से ज्यादा देश को शिक्षित करने मैं लगे हैं . इस टीम ने निर्वाचित राष्ट्रपति  प्रणव मुखेर्जी को भ्रष्ट वित्त मंत्री बताते हुए दावा किया हैं की वे उनके भ्रष्टाचार  के सबूत  सुप्रीम  कोर्ट  के सामने रखेंगे , कुछ ऐसी ही बात राष्ट्रपति चुनाव मैं पराजित गैर कांग्रेसी प्रत्यासी  संगमा साहेब भी कह रहे हैं . अर्थात अगर हम सीधे तरीके से गद्दी पर नहीं कब्ज़ा कर सके तो हम तुम्हे भी चैन से  शपथ नहीं लेने देंगे . इस टीम मैं  अपनी पराजय मंजूर करने का  साहस  नहीं हैं . लोकपाल के मुद्दे पर जब केंद्र की सर्कार को हिलाने मैं असमर्थ  रही यह चौकड़ी आब मीडिया के सहारे सिर्फ कीचड  पोतने  मैं जुट गयी हैं . क्योंकि  अब हजारो की भीड़ की जगह सिर्ग सैकड़ो और कभी कमरे मैं बैठे चालीस -पचास लोगो पर ही संतोष करना पड़ रहा हैं  . अब खिसियाहट तो होगी ही . इनके बारे मैं भी फैसला  पाठको पर छोड़ता हूँ . भारतीयमडोट इन