किसे कहे गौ रक्षक --- वैदिक धर्म की रक्षा के स्वयं भू अलमबरदार या गैर '''हिन्दू''' को ?
अक्सर ही अकहबरों मे ऐसे बयान पड़ने मे आते हैं की ट्रक भर गायों को कसाई के हवाले होने से बचाया गया , फिर किसी वाहिनी या किसी सेना या फिर कोई और संगठन का नाम होगा , जिनहोने गौ माता की जान बचाने का ''पुण्य'' कमाया | मुक्त कराई गायों को किसी न किसी न किसी गौशाला के हवाले कर दिया जाता हैं | जो किसी न किसी ''हिन्दू''' धर्म के स्वयं भू अलमबरदार द्वारा चलायी जाती हैं | और वनहा क्या होता हैं ---------यह कोई ढकी छुपी बात नहीं हैं , की इन गौ -सदनो मे '''दूध ना देने वाली '''इन जगजननी का क्या हाल होता हैं ? यह भी तथ्य हैं की प्रदेश हो या की केंद्र की सरकार हो , सभी ''ऐसी''' संस्थाओ को आर्थिक मदद तो देती हैं | परंतु इन ''गौ माता के रखवालों''' का हाल तो वही हैं जो लालू प्रसाद का हैं --यानि की सरकारी अनुदान और चारा ''हजम''' |
इन पंक्तियों को लिखने का अभिप्राय समाज और सरकार के पाखंड को उजागर करना हैं | रीवा ज़िले के सेमरिया के अटेरिया का पुरवा मे एक समिति हैं ''जय बसामन मामा गौशाला समिति , जो विगत छह वर्षो से चल रही हैं | वनहा 17 अक्टोबर को भयानक दुर्गंध की शिकायत स्थानीय निवासियों द्वारा की गयी |, तब स्थानीय प्रशासन को मौके पर एक सैकड़ा गायों के शव मिले | गौ शाला के बगल से निकलने वाले नाले मैं भी कुछ गाये मारी पड़ी थी | हल्ला - गुल्ला होने पर और भीड़ के उत्तेजित होने के कारण प्रशासन को गौशाला के अध्यकक्ष योगराज सिंह समेत बीस लोगो के खिलाफ मुकदमा दर्ज़ किया | परंतु गिरफ्तारी अध्यकक्ष के बेटे की ही हुई , क्योंकि ''वे तो नेता जी हैं ''''' अब उन्हे कैसे गिरफ्तार करें?
यह एक घटना साबित करती हैं की की ज़ोर - ज़ोर से चिल्लाने वाले और अपने को स्वयं भू गौ रक्षक घोसित करने वालों का ''सच'' क्या हैं ? अगर हम लालू प्रसाद यादव को ''चारा घोटाला किंग ''' कहने की हिम्मत करते हैं , तब हुमे ऐसे गौ रक्षको को क्या कहे ? जो चारा तो चारा अनुदान भी खा जाते हैं |
अक्सर ही अकहबरों मे ऐसे बयान पड़ने मे आते हैं की ट्रक भर गायों को कसाई के हवाले होने से बचाया गया , फिर किसी वाहिनी या किसी सेना या फिर कोई और संगठन का नाम होगा , जिनहोने गौ माता की जान बचाने का ''पुण्य'' कमाया | मुक्त कराई गायों को किसी न किसी न किसी गौशाला के हवाले कर दिया जाता हैं | जो किसी न किसी ''हिन्दू''' धर्म के स्वयं भू अलमबरदार द्वारा चलायी जाती हैं | और वनहा क्या होता हैं ---------यह कोई ढकी छुपी बात नहीं हैं , की इन गौ -सदनो मे '''दूध ना देने वाली '''इन जगजननी का क्या हाल होता हैं ? यह भी तथ्य हैं की प्रदेश हो या की केंद्र की सरकार हो , सभी ''ऐसी''' संस्थाओ को आर्थिक मदद तो देती हैं | परंतु इन ''गौ माता के रखवालों''' का हाल तो वही हैं जो लालू प्रसाद का हैं --यानि की सरकारी अनुदान और चारा ''हजम''' |
इन पंक्तियों को लिखने का अभिप्राय समाज और सरकार के पाखंड को उजागर करना हैं | रीवा ज़िले के सेमरिया के अटेरिया का पुरवा मे एक समिति हैं ''जय बसामन मामा गौशाला समिति , जो विगत छह वर्षो से चल रही हैं | वनहा 17 अक्टोबर को भयानक दुर्गंध की शिकायत स्थानीय निवासियों द्वारा की गयी |, तब स्थानीय प्रशासन को मौके पर एक सैकड़ा गायों के शव मिले | गौ शाला के बगल से निकलने वाले नाले मैं भी कुछ गाये मारी पड़ी थी | हल्ला - गुल्ला होने पर और भीड़ के उत्तेजित होने के कारण प्रशासन को गौशाला के अध्यकक्ष योगराज सिंह समेत बीस लोगो के खिलाफ मुकदमा दर्ज़ किया | परंतु गिरफ्तारी अध्यकक्ष के बेटे की ही हुई , क्योंकि ''वे तो नेता जी हैं ''''' अब उन्हे कैसे गिरफ्तार करें?
यह एक घटना साबित करती हैं की की ज़ोर - ज़ोर से चिल्लाने वाले और अपने को स्वयं भू गौ रक्षक घोसित करने वालों का ''सच'' क्या हैं ? अगर हम लालू प्रसाद यादव को ''चारा घोटाला किंग ''' कहने की हिम्मत करते हैं , तब हुमे ऐसे गौ रक्षको को क्या कहे ? जो चारा तो चारा अनुदान भी खा जाते हैं |