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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Mar 5, 2023

 

धरम –जाति के बाद अब छेत्रीयवाद  का खतरा –संघ राष्ट्र को

       जाति के कारण कुछ समय पूर्व तामिलनाडु के एक मंदिर में अनुसूचित जाति के लोगो का प्रवेश वर्जित था , जब ज़िला प्रशासन ने वनहा दाखल देकर उनको मंदिर में प्रवेश दिलाया ,तब किसी शरारती ने वनहा की पानी की टंकी में  मानव मल मिला दिया | फलस्वरूप दर्जनो बच्चे उस पानी को पीकर अचानक बीमार हो गए |  फिर महिला कलेक्टर को स्वयं वनहा जाकर  लोगो को सम्झना पड़ा की कानून के अनुसार किसी भी हिन्दू को मंदिर में प्रवेश से नहीं रोका जा सकता |

          इधर धरम को लेकर  उत्तर प्रदेश पुलिस मुस्लिम माफिया के घरो को प्रयाग उर्फ इल्लाहबाद में एक के बाद एक घरो पर बुलडोजर चलती जा रही हैं !  वैसे वनहा की पुलिस के पास 43 ऐसे लोग हैं जो माफिया के रूप में कुख्यात हैं | परंतु उन पर अभी तक कोई कारवाई नहीं हुई !

          जाति और धरम  के आधार पर सत्ता प्रतिस्थानों द्वरा  नफरत की जिस आग को आसरा या शहारा दिया जा रहा हैं  उसकी घटना  राजस्थान के दो मुस्लिमो की बालेरों गाड़ी में जला कर हत्या की घटना  हाल ही की हैं | अब चूंकि हत्या के दोषी हरियाणा के हैं , और उनमे तीन लोग हरियाणा पुलिस के मुखबिर हैं , तो उनकी गिरफ्तारी  तो हुई नहीं , हाँ एक सह अभियुक्त की गिरफ्तारी राजस्थान पुलिस ने की है | उसने 8 आठ लोगो के वारदात में शामिल होने की बात मंजूर की हैं | राजस्थान पुलिस के दबाव में हरियाना पुलिस ने उन लोगो के फोटो सार्वजनिक कर उनको फरार बताया हैं !  कहते हैं जुनैड और उसके साथियो को इन आठो  लोगो के गैंग ने  गाय की तस्करी के संदेह में पकड़ा था | हरियाणा पुलिस के श्रोतों ने स्वीकार किया इनमें तीन लोग उनको जानवरो की तस्करी की खबर देते थे |

                          खबर लिखे जाने तक  कोई और गिरफ्तारी नहीं हुई हैं | हाँ  राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलौट ने  म्र्त्को के परिवारों के नाम पाँच  लाख की मियादी जमा और 1 लाख नकद की सहता उनके गाव्न में जाकर की हैं | यानि अब गाय को लेकर जो राजनीति उत्तर प्रदेश  से शुरू हुई थी वह अब हरियाणा और राजस्थान तक पहुँच गयी हैं |  गाय को लेकर  जनहा उत्तर भारत में इतनी मारा मारी है , वनही  उत्तर पूर्व के राज्यो नागा लैंड , मेघालय और त्रिपुरा में  बीजेपी नेताओ की मौजूड़ी में नए सत्तारूद दल के नेताओ  ने खुले आम कहा हैं की सरकार में आने के बाद “”बीफ” यानि गौ मांस सस्ता मिलेगा !! अब यह विरोधाभास  भारत में ही हैं की उत्तर पूर्व और दक्षिण राज्यो में  बीफ खाने पर कोई प्रतिबंध नहीं हैं ! हाँ गौ की तस्करी के लिए मुस्लिमो की जान जरूर ली जा सकती हैं | क्यू ना इन बजरंग दल के उत्साही नेताओ को मेघालय या नागालैंड  भेज दे | वनहा उनकी बहादुरी  अपने आप टेस्ट हो जाएगी |

              छेत्रवाद का जहर एक बार फिर पंजाब की शांति – व्यव्स्था  को दहलाये हुए हैं | जिस प्रकार वारिस पंजाब दे के नेता  अमृतपाल सिंह ने अजनला में पुलिस ठाणे पर हमला कर के हथियारबंद लोगो को गुरु ग्रंथ साहब की पालकी के पीछे  रख कर पुलिस को बेबस कर दिया , उसकी अमृतसर के स्वरण मंदिर से आलोचना या भर्तसाना नहीं करना –एक बार फिर भिंडरनवाले के धार्मिक आतंक की याद दिला रहा हैं |  राज्य की पुलिस  इस अलगाववादी आंदोलन के आतंकी संगठन  को यदि नहीं रोका गया तब आपरेशन ब्लू  स्टार जैसी पुनरावरती हो सकती हैं | पंजाब के मुख्य मंत्री मान ने देश के गृह मंत्री अमित शाह से मिल कर  इस समस्या पर बात की हैं | यह वास्तविकता  हैं की इस समस्या का हल पंजाब सरकार अकेले नहीं निकाल सकती | क्यूंकी गोल्डेन टैम्पल   और गुरुद्वारा प्रबंध समिति में  अकाली दल  का वर्चस्व है ----जिनकी  विधान सभा चुनावो में बुरी तरह पराजय हुई हैं | अब हरमंदिर साहब से  कोई फरमान  इस बाबत नहीं निकालना की गुरु ग्रंथ साहब की पालकी को ढाल बनाकर ऐसी हरकत करना  गैर वाजिब है , अपने आप में शक पैदा करता हैं | इतना ही नहीं घटना के बाद वे सभी लोग राइफल बंदूकों फारसा आदि से लैस हरमंदिर साहब दर्शन करने गए | वनहा किसी भी प्र्करा की रोक –टॉक नहीं होना अचंभे की बात हैं |

 

         इधर यह हो रहा था उधर तमिलनाडु  में बिहारी और उत्तर भारतीय मजदूरो का तमिल गुंडो द्वरा उत्पीड़न किए जाने की घटना ने वनहा के सूती मिलो में भाय पैदा कर दिया हैं | कारण  तमिल मजदूर 8 घंटे से ज्यड़ा काम नहीं करना चाहते हैं | जबकि परवासी उत्तर भारतीय कमाई के लिए 12 से 14 घंटे तक काम करते हैं | साथ  ही वे अनुशासित रहते हैं , जबकि तमिल मजदूर शराब के नशे में वातावरण को गंदा करते हैं |  यह घटना अभी भले दो स्थानो की हो परंतु यह बाल ठाकरे के महाराष्ट्र सिर्फ मराठियो का –आंदोलन की याद ताज़ा कर देता हैं | जब दक्षिण भारतीयो के रेस्टुरेंट और होटलो को निशाना बनाया गया |  वैसा बुरा वक़्त  उद्योग और देश की एकता को खंडित करने वाला हैं | भले ही प्रांतवाद की अवधारणा  स्थानीय अस्मिता को उभरने में सहायक हो , जो स्थानीय राजनैतिक दलो के लिए भले ही सहायक हो परंतु छेत्र की अखंडता के लिए घटक होती हैं |

     कुछ दशक पूर्व आसाम में भी वनहा के छात्रों ने असम गण परिषद  के तले  गैर आसामिया लोगो को विशेस्कर बंगालियो के खिलाफ   आंदोलन चलाया बाद में वे  विधान सभा चुनाव जीत कर सरकार भी बनाई | परंतु आसाम के डांचे में आज भी कोई बहुत बदलाव नहीं आया | और वे  राजनीतिक अखाड़े से बिलकुल बाहर हो गए | अब वनहा बीजेपी है | यह सब लिखने का अर्थ सिर्फ इतना हैं की केंद्र सरकार को इन घटनाओ की खबर करनी कहिए , वरना बात के हाथ से निकाल जाने के बाद .................