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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Feb 24, 2018

"” अगर मीडिया धर्म के "””तथाकथित ''' ठेकेदारो का महिमामंडन नहीं करे तो ये अपनी मौत मर जाएँगे "”इलाहाबाद उच्च न्यायालय सड़क और सार्वजनिक स्थल सरकार की मिल्कियत --इसका दूसरा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता


"” अगर मीडिया धर्म के "””तथाकथित ''' ठेकेदारो का महिमामंडन नहीं करे तो ये अपनी मौत मर जाएँगे "”इलाहाबाद उच्च न्यायालय
सड़क और सार्वजनिक स्थल सरकार की मिल्कियत --इसका दूसरा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता
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वर्तमान समय मे जब समाज और देश मे चारो ओर धर्म के नाम पर अनेक "”स्वयं -भू ठेकेदारो "”का उदय हो गया है ---और चारो ओर आम शहरी किसी ना किसी मठ - या महंत -या गुरु अथवा स्वामी के मठ या मंदिर के "” उपदेशो – फतवो और हुक्मो '' के अनचाहे परिणामो को अन चाहे भुगत रहा है| नगरो मे आए दिन किसी ना किसी धर्म के अनुयाईओ द्वरा पालकी अथवा घट यात्रा तथा अखंड रामायण या कीर्तन --जगराते के नाम पर किसी भी सड़क के यातायात को घंटो रोक देते है | इतना ही नहीं पार्को या किसी सार्वजनिक स्थल पर चुनरी यात्रा या किसी संत महात्मा से ज्यादा राम चरित मानस के प्रवचन होते है | -----ऐसे मे उच्च न्यायालय का का फैसला एक विवेक पूर्ण समाज के लिए -सुखद हवा के झोके की भांति ही है | न्यायमूर्ति अजित कुमार एवं सुधीर अगरवाल की खंड पीठ द्वारा एक ऐतिहासिक फैसले मे यह कहा गया |
उन्होने प्रदेश की योगी सरकार को आदेश दिया है की 2011 के बाद के सभी "”धार्मिक अतिक्रमण "” को अविलंब हटाने की कारवाई करे | सार्वजनिक स्थलो पर बने मंदिर - मस्जिद सभी को इस दायरे मे लाया गया है | सड़क -पार्क ऐसे स्थलो का अतिक्रमण कर बनाए गए सभी धर्म स्थलो को हटाने की जिलाधिकारी और पुलिस अविलंब कारवाई करे ! आगे अपने फैसले मे उन्होने कहा की 2011 के पहले अतिक्रमणों को "”सार्वजनिक भूमि '' से हटा कर अन्यत्र स्थापित किया जाये | अपने कठोर निर्णय मे दोनों न्यायमूर्तियों ने कहा की 10 जून 2016 के बाद सार्वजनिक स्थलो का अतिक्रमण बने "धार्मिक स्थलो के निर्माण की ज़िम्मेदारी जिलाधिकारी एवं उप जिलाधिकारी की तथा ज़िला पुलिस अधीक्षक तथा पुलिस छेत्राधिकारी की होगी " | मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश को दिये गए निर्देश मे कहा गया की वे अदलत के निर्देशों का पालन करने हेतु लिखे | इतना ही नहीं पीठ ने कहा की इस आदेश को समय सीमा मे पालन ना करने वाले ज़िला अधिकारी"” अदालत की अवमानना के अपराधी होंगे "”

यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है की जब किसी भी "रंग' की प्रादेशिक सरकारे "”जातिगत -अथवा धार्मिक समुदायो '' की मांगो के आगे घुटने टेक रही है | निर्णय मे कहा गया है की चाहे खेती की भूमि हो अथवा सार्वजनिक स्थल उन पर "” राज्य का अधिकार होता है "” जिसके अतिक्रमण की इजाजत "”किसी को को कोई भी नहीं दे सकता "”

यह मुद्दा फ़तेहपुर जिले के एक किसान द्वारा अपनी खेती की भूमि पर मस्जिद निर्माण किए जाने का था | जिलाधिकारी ने उस मस्जिद मे नमाज़ पढने की अनुमति देने से इंकार कर दिया था | जिसके खिलाफ उच्च न्यायालय मे मुकदमा दायर किया गया था |जिसमे अदालत ने उक्त टिप्पणी की |

इस संदर्भ मे सर्वोच्च न्यायालय द्वरा राम मंदिर के विवादित मामले मे की गयी यह टिप्पणी महत्व पूर्ण है की "” की यह मामला मंदिर अथवा मस्जिद का नहीं है और अदालत इसे धार्मिक अथवा ऐतिहासिक नज़र से नहीं देखती है | यह मात्र ज़मीन की मिल्कियत का मसला है और इसे उसी नज़र से निर्णय किया जाएगा "”
अभी भूमि अर्जन और उसके अधिकार को लेकर सर्वोच्च न्यायालय मे न्यायमूर्तियों के मध्य"” मतभिन्नता "” हो गयी थी | नागपुर निगम के ज़मीन के अधिग्रहण के मामले मे तीन जजो की पीठ ने एक फैसला दिया ---जो की पूर्व मे तीन जजो की पीठ के दिये गए फैसले के "” सिधान्त के विपरीत था "” || दो पूर्ण पीठ द्वरा दिये गए फैसले को लेकर एक बार फिर प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा विवादो मे आ गए है | परंतु एका तथ्य साफ है की भूमि और उसके प्रबंधन तथा सार्वजनिक भूमि के "”” गैर कानूनी क़ब्ज़े या उपयोग ''''अधिकतर धर्म के ही नाम पर किया जाता है | शायद इसीलिए न्यायालय ने "””तथाकथित धर्म के ठेकेदारो '''को मीडिया द्वरा "””भाव नहीं दिये जाने की सलाह दी गयी है |
हालांकि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के इस फैसले की क्या "”गति "” होगी इस बारे मे कुछ निश्चित नहीं है | क्योंकि तीन वर्ष पूर्व जबलपुर उच्च न्यायालय द्वरा राज्य सरकार को निर्देश दिया था की वे प्रत्येक नगर मे कितने ऐसे धार्मिक स्थलो के निर्माण ''''सार्वजनिक स्थलो पर हुए है "”” उसकी सूची अदालत मे प्रस्तुत करने को कहा था | परंतु पिछले छ बार से राज्य सरकार "” समय बड़ाये जाने की की मांग करती जा रही है "” परंतु ज़िलो मे आज तक इस ओर कोई कारवाई नहीं की गयी | कंही वैसा ही हाल इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश का भी न हो ?


मुट्ठी भर छात्रो के अहिंसक आंदोलन ने --- -झुकाया विश्व के सबसे "”ताकतवर"” राष्ट्रपति को - मजबूर किया शस्त्र के मूलाधिकार को नियंत्रित करने को --- लोकतान्त्रिक -अहिंसक मार्ग से बड़े - बड़े लोगो को "””न्याय"” देखने को मजबूर किया ---सोलह - सत्रह वर्ष के छात्रों ने सिनेटर्स और काँग्रेस सदस्यो को तुरंत कारवाई करने को –
ना की बड़ी - बड़ी बाते और आश्वाशन देने को !!!

साम्यवादी देशो को छोडकर लोकतान्त्रिक व्यवस्था वाले देशो मे अमेरिका को शक्तिशाली और सम्पन्न राष्ट्र माना जाता है | परंतु लोकतन्त्र की परिपाटी के अनुसार अक्सर अपने वादो को भूल जाने की बीमारी होती है --वनहा भी ऐसा ही था ---परंतु 15 फरवरी को फ्लॉरिडा प्रांत के पार्कलैंड नगर के मार्जारी स्टोनमैन डगलस हाई स्कूल मे क्रूज नामक युवक ने स्वचालित राइफल से गोली बरसा कर 17 लोगो को मौत की नीद सुला दिया | मीडिया मे बहुत चर्चा हुई - लोगो ने स्वचालित हथियारो पर ''प्रतिबंध '' लगाने की मांग की | इस घटना से हजारो "”किशोर छात्रो ने चार दिन बाद ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मूलाकात कर उनसे 'हथियारो पर नियंत्रण लगाने की मांग की | राष्ट्रपति ने उनलोगों से वादा किया हथियारो पर नियंत्रण के लिए उनका प्रशासन कदम उठाएगा |
21 फरवरी को छात्रो का आक्रोश देश भर मे फैल गया | फ्लॉरिडा प्रांत की राजधानी तनाहासी मे हजारो छात्र और उनके अभिभावकों ने टाउन हाल मीटिंग की | जिसमे अपनी के समर्थन के लिए फेडरल सीनेटर रूबियों और स्टेनन सहित शेरिफ़ और नेशनल राइफल असोशिएशन के प्रतिनिधि को बातचीत के लिए बुलाया |जनहा छात्रो ने उनसे काफी ''मुश्किल सवालो पर जवाब मांगे "” |

इस आंदोलन का परिणाम हुआ की संघीय सरकार ने हथियार खरीदने की आयु को 18 वर्ष के स्थान पर 21 वर्ष करने का वादा किया | फ्लॉरिडा की सरकार ने भी खरीदार की प्रष्ठभूमि जांच का आश्वासन दिया | जिसका अर्थ हुआ की अब कोई भी 21 वर्षीय युवक सीधे कोई हथियार नहीं खरीद सकेगा |

इस घटना मे महत्वपूर्ण तथ्य यह है की किशोर वय के छात्रों ने प्रांतीय और संघीय सरकारो को अपनी मांगो पर काम करने के लिए मजबूर किया |

मार्जारी स्टोनमैंन डगलस हाइघ स्कूल के छात्रो ने और उनके अभिभावकों ने एक ऐसे संवैधानिक व्यवस्था को चुनौती दी है ---जो प्रत्येक अमेरीकन को हथियार खरीदने और -रखने का मूल अधिकार प्रदान करता है | इस अधिकार की रक्षा करने वाला संगठन नेशनल राइफल एसोसिएसन --जो की नेताओ के चुनावो मे भरी - भरकम चंदा देता है | उसके प्रभाव मे रिपब्लिकन और डेमोक्रेट दोनों ही दलो के नेता है |

इस स्थिति को अगर हम "”विश्व गुरु ''की घोसना करने वाले संगठनो से करे तो लगता है की ----वे सभी मात्र "”घोषणा वीर ही साबित है "” || छात्रो की परीक्षाये वक़्त पर नहीं हो रही है | परीक्षा हाल मे बच्चो से अशोभित व्यवहार किया जाता है | उत्तर प्रदेश मे बोर्ड की परीक्षाओ मे दरोगा और अध्यापक पैसा लेकर नकल कराते है | और मुख्य मंत्री आदित्यनाथ योगी कहते है की सब कुछ ठीक है

मध्य प्रदेश मे मेडिकल की भर्ती परिछा मे तो जो कुछ हुआ उसे हम '''' व्यापाम घोटाले के रूप मे जाना जाता है | जिसमे आज भी अभिभावक 'अभियुक्त बने अदालत मे खड़े रहते है "”
नौकरी के लिए होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओ के विज्ञापन निकलने और परीक्षा होने के मध्य माह और कभी कभी साल भर लग जाता हा ------फिर उसका परिणाम तो साल भर से कम समय मे नहीं आता |इतना ही नहीं ऐसे टेस्ट को बिना कोई कारण बताए रद्द भी कर दिया जाता है | इसके बाद अगर परिणाम आ भी गया तब परिणाम की सूचना मिलने और ज्वाइंग मिलने का कोई आता पता नहीं होता | देश की प्रतियोगी परीछा मे फोरम भरने की फीस मनमानी रूप से वसूली जाती है | अखिल भारतीय सेवाओ की परीछा की फीस मात्र 100\- है पर रेलवे की चतुर्थ श्रेणी के फोरम का मूल्य 500/- है |बैंक और अन्य सेवाओ मे तो यह राशि 1000/- से 1500/- तक भी है !!!
भारत को विश्व गुरु बनाने की घोषणा करने वाली संस्थाए इस घटना से सबक ले सकती है | की देश के युवा के साथ किस तरह का अत्याचार हो रहा है ----और वह मौन है ??

Feb 21, 2018


पंजाब नेशनल बैंक घोटाला के बाद उठते सवाल ? ऋण देने की पद्धति और
इसको मंजूर करने के अधिकार---- किस स्तर के अफसर को ??
सरकार की वित्तीय हालत पर --एवं औसत भारतीय नागरिक पर प्रभाव ??


नीरव मेहता और उनके मामा मेहुल चौकसी द्वरा 11 हज़ार करोड़ की बैंक की देनदारी के खुलासे के बाद कोठारी परिवार द्वरा 8हज़ार करोड़ के ऋण की अदायगी करने मे असफल होने की खबरों ने ना केवल देश के स्टाक मार्केट वरन सरकार द्वरा सार्वजनिक छेत्र से लिए जाने वाले ऋण के ट्रेजरी बांड के दामो मे भी बहुत गिरावट आई है |

सरकार इन देनदारियों से आर्थिक रूप से हुई "”हानि"” के लिए राजनीति करते हुए इसका ठीकरा मनमोहन सरकार पर फोड़ रही है | परंतु खुद इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के विशेस जांच दल द्वरा कराये जाने का विरोध कर रही है | तर्क है की सरकार की जांच एजेंसिया मामले का देख रही है | सीबीआई की जांच के परिणाम देश के सामने है | उनके द्वरा की गयी जाँचो मे तीन चौथाई मामलो को अदालत मे सीध करने मे पूरी तरह से असफल रही है --इसका ताज़ा उदाहरण 2जी मामला है --जिसमे तत्कालीन महा लेखा परीछक विनोद रॉय ने मनमोहन सरकार के फैसले से सरकार को अरबों रुपये के नुकसान होने की "”घोषणा'' की थी |जिसके आधार पर सीबीआई ने मुकदमा दर्ज़ किया था | इसमे दोषी के रूप मे तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह की भी संलिप्तता बताई गयी थी | परंतु सीएजी के "”अनुमानो '' के समर्थन मे सबूत नदारद थे | फलस्वरूप सीबीआई अदालत ने कनिमोज़्हि और ए राजा को दोषमुक्त कर दिया था |

जिस जांच एजेंसी की जांच -देश मे काँग्रेस सरकार के ऊपर लांछन समान थी आखिर मे वह '' टाय-टाय फिस्स ''हो गयी !! अब उसी इकाई की द्वारा दस्तावेजी सबूत के बैंक घोटाले मे क्या होगा ?? इस पर एनडीटीवी के एंकर रवीश कुमार की टिप्पणी माकूल लगती है की "” सीबीआई की अन्य जाँचो के समान यह भी "” विलंबित गति से होगी "” और इसके परिणाम 2019 के लोकसभा चुनावो के बाद ही आ सकेंगे !!! तब तक जेटली जी और नरेंद्र मोदी जी "” जबानी जमा खर्च ''की तरह भुनाते रहेंगे !
परंतु हमेशा की तरह मोदी सरकार अपनी हर प्रशासनिक चूक को छुपने के लिए – पहले की सरकार पर दोषारोपण करके अपनी छवि को बचाने की ''नाकाम कोशिस ''' करती है | रिपोर्टों के अनुसार सार्वजनिक छेत्रों के बैंको मे केंद्र सरकार का निवेश 7 दिन मे 30 हजार करोड़ का घाटा भुगत रही है | वनही स्टाक एक्श्चेज मे आम निवेशको को भी 11 हज़ार करोड़ का घाटा उठाना पड़ा है !! यह राशि नीरव मोदी और विपुल चौकसी की बैंक की देनदारी के बराबर है ! अब सहज ही अंदाज़ा लगे जा सकता है की सरकार की अनदेखी और बैंको की "”लापरवाही "” आमजन को दिवालिया बनाने मे सक्षम है !! इस राशि मे बीमा और म्यूचुअल फन्डो को भी 10 हजार करोड़ का घाटा हुआ है | इस प्रकार 40,00,000 करोड़ की राशि हवा मे या कहे की गडडे मे गयी ---जिसकी भरपाई 2019 तक -जब तक इस सरकार का जीवन है --इस अवधि मे पूरा होना संभव नहीं !!

अब सबसे महत्वपूर्ण सवाल है की देश के आम नागरिक पर ---इन घोटालो का क्या प्रभाव पड़ा है ?? एक अनुमान के अनुसार प्रत्येक भारतीय पर औसत रूप से 8000 का बोझ पड़ा है ! यह सरकार के सार्वजनिक ऋणों की राशि से अलग है ---जो सरकार बांड के रूप मे जनता से उगाहती है !!!
इसलिए आजकल जो लोग कह रहे है की "”यह तो बड़े आदमियो का मामला है इससे हमारे ऊपर क्या फर्क पड़ेगा ??? परंतु हक़ीक़त यह है की देश के करोड़ो लोगो से कर लगा कर इस नुकसान की भरपाई की जाती है | अब यह मामला मात्र "”कुछ लोगो तक सीमित नहीं है "” जैसी आम लोगो की धारणा है |


ज्यादा लाभ के लालच मे बिकेंगे पर्यटन विकास निगम के होटल –
भले ही वे लाभ मे हो ? सरकार को चाहिए "””ज्यादा लाभ "” !!
रोज एक सोने के अंडे से संतोष नहीं ??

पर्यटन निगम ने "”ज्यादा लाभ नहीं मिलने के कारण सात होटल/ संपत्तिया को तीस साल के लिए बेचने का फैसला किया है !!
निगम के अध्यछ तपन भौमिक ने बयान दिया की ---”” ये संपत्तिया ज्यादा लाभ नहीं कमा रही थी -इसलिए इनको तीस् साल की लीज पर उठा दिया जाएगा !! प्राप्त धन से "”नयी ईकाइया खोली जाएंगी "” | सफाई देते हुए उन्होने कहा की "” लीज की शर्त है की इन संपत्तियो को गिरवी नहीं रखा जाएगा -अर्थात इन संपातियों पर बैंक से ऋण नहीं लिया जा सकेगा !!!
भौमिक के बयान से दो सवाल उठते है – पहला की क्या सरकार अपनी संपतियों को "” इन शर्तो के बावजूद सुरक्षित रख पाएगी ?? मुंबई मे प्रोविडेंट फ़ंड कार्पोरेशन की संपत्तियो को बचा पायी ?? अरबों रुपये कीमत की एकडो ज़मीन पर "”गैर कानूनी कब्जा हुआ – तथा काफी कुछ संम्पत्ति गलत तरीके से बेची भी गयी और - आरोप है की विगत दस वर्षो मे सार्वजनिक संपत्ति की इस लूट मे अनेकों अधिकारी और नेताओ के नाम लिए जा रहे है --?? इस मामले मे भी ऐसा नहीं होगा ---इसका कोई भरोसा नहीं ---- जब बैंको से बड़े लोगो की मिलीभगत से हजारो करोड़ रुपये लेकर भागा जा सकता है ---तब इस मामले मे पर्यटन निगम का '''दिवाला नहीं पिटेगा ''' इसका कोई गारंटी दार नहीं !!

दूसरा सवाल यह है की क्या सार्वजनिक छेत्र के उपक्रम – व्यापारिक लाभ कमाने के लिए बनाए जाते है ?? मूलतः इन उपक्रमो का उद्देश्य जनता को सुविधा सुलभ कराना – तथा उन्हे व्यापारिक शोषण से बचना होता है |
परंतु मौजूदा निजाम मे सभी सरकारी उपक्रमो को "” सोने का अंडा देने वाली मुर्गी "”” माना जाता है | अगर प्रदेश सरकार इस आधार पर ही निगमो और बोर्डो को बंद करने या मदद करने की ईमानदार कोशिस है तो कुछ फैसले फिर सवालिया घेरे मे आते है |
उधारण के तौर पर --- 20000 करोड़ के घाटे मे डूबा नागरिक आपूर्ति निगम को प्रदेश सरकार ने सोलह करोड़ पचास लाख की बैंक गारंटी देने का फैसला किया है | जबकि प्याज़ की खरीद मे करोड़ो के घोटाला के जिम्मेदारों के खिलाफ "”शांत कारवाई "” हुई है !!
वंही प्रदेश के बुनकरो के हित के लिए बने हथकरघा निगम को इसलिए बंद किया जा रहा --की वह ज्यादा ''लाभ नहीं कमा पा रहा है "” | जबकि 2014-15 तक लगातार घाटे मे चलने वाले इस निगम से जब "”” आईएएस अधिकारियों का नेत्रत्व को खतम करके विभागीय हाथो मे प्रबंधन दिया गया ,, तब निगम लाभ मे आ गया | 2008 -09 तक निगम को 16 करोड़ का घाटा हो चुका था | परंतु मौजूदा साल की बैलेंस शीट मे 61 लकह का लाभ अंकित है |
उधर मध्य प्रदेश हस्त शिल्प विकास निगम अभी तक 15 करोड़ के घाटे मे है | और इस स्थिति मे सुधार होने की कोई उम्मीद नहीं है | क्योंकि बड़े -बड़े शहरो मे निगम के शो रूम की चमक--दमक से बड़े अफसर और उनकी पत्निया काफी प्रभावित है !! इनमे निगम कर्मियों की भर्ती -और प्रोन्नति के नियम काफी ''लचीले है "” फलस्वरूप चेहरा देख कर काम होता है | मुख्य मंत्री एवं अन्य बड़े अधिकारियों द्वरा ''आधिकारिक तौर पर दिये जाने वाले उपहारो को यंही से खरीदा जाता है | वैसे इन एम्पोरियमों मे साधारण आदमी नहीं जाता | क्योंकि यहा कीमती सामान ही मिलता है !! परंतु सतत घाटे मे रहे इस निगम को कोई सरकार भी "”लाभ के रास्ते पर नहीं ला सकी है "” | लेकिन सरकार और अफसर इस निगम को नहीं बंद करेंगे ---क्योंकि यह उनकी जरूरतों को पूरा करता है |

क्या 14 साल की अवधि मे शिवराज सरकार इन निगमो और बोर्डो के बारे मे "”एक तर्क संगत नीति नहीं बना सकती ?”” क्या कुछ संविध्नेतर शक्तियों के लाभ के लिए सरकार - की और प्रदेश की जनता की संपत्तियो को बेचा जाने दिया जाएगा ?? एक बार दिग्विजय सिंह के कार्यकाल मे भी ऐसा ही प्रयास हुआ था | जो जनमानस के दबाव मे बाद मे रद्द किया गया | क्या पर्यटन निगम -का उद्देश्य --पर्यटको को किफ़ायती रेट मे रहने - खाने की सुविधा प्रदान करना है ? अथवा महंगे होटल बना कर कुछ लोगो को "”उपक्रत ''' करना है ??

ज्यादा लाभ के लालच मे बिकेंगे पर्यटन विकास निगम के होटल –
भले ही वे लाभ मे हो ? सरकार को चाहिए "””ज्यादा लाभ "” !!
रोज एक सोने के अंडे से संतोष नहीं ??

पर्यटन निगम ने "”ज्यादा लाभ नहीं मिलने के कारण सात होटल/ संपत्तिया को तीस साल के लिए बेचने का फैसला किया है !!
निगम के अध्यछ तपन भौमिक ने बयान दिया की ---”” ये संपत्तिया ज्यादा लाभ नहीं कमा रही थी -इसलिए इनको तीस् साल की लीज पर उठा दिया जाएगा !! प्राप्त धन से "”नयी ईकाइया खोली जाएंगी "” | सफाई देते हुए उन्होने कहा की "” लीज की शर्त है की इन संपत्तियो को गिरवी नहीं रखा जाएगा -अर्थात इन संपातियों पर बैंक से ऋण नहीं लिया जा सकेगा !!!
भौमिक के बयान से दो सवाल उठते है – पहला की क्या सरकार अपनी संपतियों को "” इन शर्तो के बावजूद सुरक्षित रख पाएगी ?? मुंबई मे प्रोविडेंट फ़ंड कार्पोरेशन की संपत्तियो को बचा पायी ?? अरबों रुपये कीमत की एकडो ज़मीन पर "”गैर कानूनी कब्जा हुआ – तथा काफी कुछ संम्पत्ति गलत तरीके से बेची भी गयी और - आरोप है की विगत दस वर्षो मे सार्वजनिक संपत्ति की इस लूट मे अनेकों अधिकारी और नेताओ के नाम लिए जा रहे है --?? इस मामले मे भी ऐसा नहीं होगा ---इसका कोई भरोसा नहीं ---- जब बैंको से बड़े लोगो की मिलीभगत से हजारो करोड़ रुपये लेकर भागा जा सकता है ---तब इस मामले मे पर्यटन निगम का '''दिवाला नहीं पिटेगा ''' इसका कोई गारंटी दार नहीं !!

दूसरा सवाल यह है की क्या सार्वजनिक छेत्र के उपक्रम – व्यापारिक लाभ कमाने के लिए बनाए जाते है ?? मूलतः इन उपक्रमो का उद्देश्य जनता को सुविधा सुलभ कराना – तथा उन्हे व्यापारिक शोषण से बचना होता है |
परंतु मौजूदा निजाम मे सभी सरकारी उपक्रमो को "” सोने का अंडा देने वाली मुर्गी "”” माना जाता है | अगर प्रदेश सरकार इस आधार पर ही निगमो और बोर्डो को बंद करने या मदद करने की ईमानदार कोशिस है तो कुछ फैसले फिर सवालिया घेरे मे आते है |
उधारण के तौर पर --- 20000 करोड़ के घाटे मे डूबा नागरिक आपूर्ति निगम को प्रदेश सरकार ने सोलह करोड़ पचास लाख की बैंक गारंटी देने का फैसला किया है | जबकि प्याज़ की खरीद मे करोड़ो के घोटाला के जिम्मेदारों के खिलाफ "”शांत कारवाई "” हुई है !!
वंही प्रदेश के बुनकरो के हित के लिए बने हथकरघा निगम को इसलिए बंद किया जा रहा --की वह ज्यादा ''लाभ नहीं कमा पा रहा है "” | जबकि 2014-15 तक लगातार घाटे मे चलने वाले इस निगम से जब "”” आईएएस अधिकारियों का नेत्रत्व को खतम करके विभागीय हाथो मे प्रबंधन दिया गया ,, तब निगम लाभ मे आ गया | 2008 -09 तक निगम को 16 करोड़ का घाटा हो चुका था | परंतु मौजूदा साल की बैलेंस शीट मे 61 लकह का लाभ अंकित है |
उधर मध्य प्रदेश हस्त शिल्प विकास निगम अभी तक 15 करोड़ के घाटे मे है | और इस स्थिति मे सुधार होने की कोई उम्मीद नहीं है | क्योंकि बड़े -बड़े शहरो मे निगम के शो रूम की चमक--दमक से बड़े अफसर और उनकी पत्निया काफी प्रभावित है !! इनमे निगम कर्मियों की भर्ती -और प्रोन्नति के नियम काफी ''लचीले है "” फलस्वरूप चेहरा देख कर काम होता है | मुख्य मंत्री एवं अन्य बड़े अधिकारियों द्वरा ''आधिकारिक तौर पर दिये जाने वाले उपहारो को यंही से खरीदा जाता है | वैसे इन एम्पोरियमों मे साधारण आदमी नहीं जाता | क्योंकि यहा कीमती सामान ही मिलता है !! परंतु सतत घाटे मे रहे इस निगम को कोई सरकार भी "”लाभ के रास्ते पर नहीं ला सकी है "” | लेकिन सरकार और अफसर इस निगम को नहीं बंद करेंगे ---क्योंकि यह उनकी जरूरतों को पूरा करता है |

क्या 14 साल की अवधि मे शिवराज सरकार इन निगमो और बोर्डो के बारे मे "”एक तर्क संगत नीति नहीं बना सकती ?”” क्या कुछ संविध्नेतर शक्तियों के लाभ के लिए सरकार - की और प्रदेश की जनता की संपत्तियो को बेचा जाने दिया जाएगा ?? एक बार दिग्विजय सिंह के कार्यकाल मे भी ऐसा ही प्रयास हुआ था | जो जनमानस के दबाव मे बाद मे रद्द किया गया | क्या पर्यटन निगम -का उद्देश्य --पर्यटको को किफ़ायती रेट मे रहने - खाने की सुविधा प्रदान करना है ? अथवा महंगे होटल बना कर कुछ लोगो को "”उपक्रत ''' करना है ??

Feb 11, 2018

बैंको की 73 लाख करोड़ रुपये डूबंत राशि के लिए देश कभी भी काँग्रेस को माफ नहीं करेगा ---- लोकसभा मे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी

परंतु प्रधान मंत्री जी आपकी सरकार के आंकड़ो के अनुसार ही -यूपीए सरकार ने तो 2014 मे सिर्फ 52 लाख करोड़ की ही राशि का गडडा छोड़ा
जो पिछले तीन सालो मे 73 लाख करोड़ रुपया कैसे हो गया ??

वैसे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी को अक्सर तथ्य याद नहीं रहते , इसका सबूत उनके भाषणो मे "”यत्र -सर्वत्र '' मिलते है | कर्नाटक मे चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा था की "”की राज्य की सात लाख पंचायतों मे कोई विकास नहीं हुआ "” वे भूल गए उनके 'राज मे '{{ सम्पूर्ण देश मे }} मे भी इतनी ग्राम सभाए नहीं है !!
कुछ इसी प्रकार जब वे अपने पसन्द् के टापिक यानि नेहरू - इंदिरा और राजीव के नाम पर तबर्रा पढ रहे थे ,, उसी के बीच मे उन्होने यह जुमला बोला था की काँग्रेस को कभी देश माफ नहीं करेगा !! मोदी के पहले भी मोरारजी देसाई -चरण सिंह -चंद्रशेखर सिंह - विश्व नाथ प्रताप सिंह - अटल बिहारी वाजपेयी - एचडी देवगौड़ा - इंद्र कुमार गुजराल साउथ ब्लॉक की उसी कुर्सी पर बैठ कर काम कर चुके है जिस पर वे आज आसीन है "” |इनमे से अनेकों ने काँग्रेस के नेताओ की आलोचना सार्वजनिक रूप से की है | परंतु कभी भी उनके स्वर ''' शालीनता और पद की गरिमा के विपरीत नहीं हुए "”' जैसा की प्रधान सेवक जी कर रहे है "” |

इन 21 लाख करोड़ से कौन से उद्योगपति लाभान्वित हुए है यह कौई छुपी बात नहीं है | जनहा क़र्ज़ से डूबे किसान आतम हत्या कर रहे है वनही अंबानी बंधुओ और गौतम अदानी तथा रूईया घराने की इकाइयो को कितनी सबसिडी दी गयी इसका खुलासा मंत्रालय नहीं केआर रहा है | इतना ही नहीं सरकारी संस्थानो और सार्वजनिक बैंको से इन पर वर्तमान मे कितना क़र्ज़ बकाया है " यह भी मोदी सरकार नहीं बता रही है | सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान रिज़र्व बैंक से "” डूबंत क़र्ज़े का विवरण मांगा था "” बैंक ने वह तफसील एक लिफाफे मे बंद कर के अदलत को सुलभ करा दी | परंतु उनसे बैंक तथा केंद्र सरकार के वकीलो ने यह प्रार्थना की इसको सार्वजनिक नहीं किया जाये ----अन्यथा देश की अर्थ व्यवस्था को नुकसान होगा "” लिहाजा यह हक़ीक़त भी लिफाफा बंद हो गयी "”
21 लाख करोड़ की डूबंत राशि का मोदी सरकार के दौरान होना काफी "”भयावह "” है | क्योंकि 52 लाख करोड़ की राशि "”तो साथ साल के काँग्रेस काल मे हुई "” इस हिसाब से काँग्रेस के काल मे प्रति वर्ष औसतन बैंको के क़र्ज़ जो "”डूबंत खाते मे डाले गए '' वह राशि एक लाख करोड़ से कम की हुई ||
जबकि 2014 मे नरेंद्र मोदी सरकार के पदारूढ होने के बाद 2017 तक की घाटे की इस राशि मे 21 लाख करोड़ और जूड गए | 2014 से 2017 के मध्य के आंकडो के अनुसार मोदी सरकार के समय मे प्रति वर्ष डूबंत कर्ज़ो की राशि 7 लाख करोड़ रुपया प्रति वर्ष "”है "” !!

अब यह तो देश को जानना होगा की आखिर डूबने वाले ऐसे कर्ज़ो से किसको लाभ पहुंचा ? किसानी के छेत्र मे तो कोई लाभ हुआ नहीं - उल्टे सुलभ आंकड़ो तो चौंका देते है है की औद्योगिक घरानो को दिये गए "”डूबंत क़र्ज़ की राशि का एक तिहाई भाग ही देश के किसानो का सहकारिता समितियों के माध्यम से है !!!!