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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Feb 21, 2018


पंजाब नेशनल बैंक घोटाला के बाद उठते सवाल ? ऋण देने की पद्धति और
इसको मंजूर करने के अधिकार---- किस स्तर के अफसर को ??
सरकार की वित्तीय हालत पर --एवं औसत भारतीय नागरिक पर प्रभाव ??


नीरव मेहता और उनके मामा मेहुल चौकसी द्वरा 11 हज़ार करोड़ की बैंक की देनदारी के खुलासे के बाद कोठारी परिवार द्वरा 8हज़ार करोड़ के ऋण की अदायगी करने मे असफल होने की खबरों ने ना केवल देश के स्टाक मार्केट वरन सरकार द्वरा सार्वजनिक छेत्र से लिए जाने वाले ऋण के ट्रेजरी बांड के दामो मे भी बहुत गिरावट आई है |

सरकार इन देनदारियों से आर्थिक रूप से हुई "”हानि"” के लिए राजनीति करते हुए इसका ठीकरा मनमोहन सरकार पर फोड़ रही है | परंतु खुद इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के विशेस जांच दल द्वरा कराये जाने का विरोध कर रही है | तर्क है की सरकार की जांच एजेंसिया मामले का देख रही है | सीबीआई की जांच के परिणाम देश के सामने है | उनके द्वरा की गयी जाँचो मे तीन चौथाई मामलो को अदालत मे सीध करने मे पूरी तरह से असफल रही है --इसका ताज़ा उदाहरण 2जी मामला है --जिसमे तत्कालीन महा लेखा परीछक विनोद रॉय ने मनमोहन सरकार के फैसले से सरकार को अरबों रुपये के नुकसान होने की "”घोषणा'' की थी |जिसके आधार पर सीबीआई ने मुकदमा दर्ज़ किया था | इसमे दोषी के रूप मे तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह की भी संलिप्तता बताई गयी थी | परंतु सीएजी के "”अनुमानो '' के समर्थन मे सबूत नदारद थे | फलस्वरूप सीबीआई अदालत ने कनिमोज़्हि और ए राजा को दोषमुक्त कर दिया था |

जिस जांच एजेंसी की जांच -देश मे काँग्रेस सरकार के ऊपर लांछन समान थी आखिर मे वह '' टाय-टाय फिस्स ''हो गयी !! अब उसी इकाई की द्वारा दस्तावेजी सबूत के बैंक घोटाले मे क्या होगा ?? इस पर एनडीटीवी के एंकर रवीश कुमार की टिप्पणी माकूल लगती है की "” सीबीआई की अन्य जाँचो के समान यह भी "” विलंबित गति से होगी "” और इसके परिणाम 2019 के लोकसभा चुनावो के बाद ही आ सकेंगे !!! तब तक जेटली जी और नरेंद्र मोदी जी "” जबानी जमा खर्च ''की तरह भुनाते रहेंगे !
परंतु हमेशा की तरह मोदी सरकार अपनी हर प्रशासनिक चूक को छुपने के लिए – पहले की सरकार पर दोषारोपण करके अपनी छवि को बचाने की ''नाकाम कोशिस ''' करती है | रिपोर्टों के अनुसार सार्वजनिक छेत्रों के बैंको मे केंद्र सरकार का निवेश 7 दिन मे 30 हजार करोड़ का घाटा भुगत रही है | वनही स्टाक एक्श्चेज मे आम निवेशको को भी 11 हज़ार करोड़ का घाटा उठाना पड़ा है !! यह राशि नीरव मोदी और विपुल चौकसी की बैंक की देनदारी के बराबर है ! अब सहज ही अंदाज़ा लगे जा सकता है की सरकार की अनदेखी और बैंको की "”लापरवाही "” आमजन को दिवालिया बनाने मे सक्षम है !! इस राशि मे बीमा और म्यूचुअल फन्डो को भी 10 हजार करोड़ का घाटा हुआ है | इस प्रकार 40,00,000 करोड़ की राशि हवा मे या कहे की गडडे मे गयी ---जिसकी भरपाई 2019 तक -जब तक इस सरकार का जीवन है --इस अवधि मे पूरा होना संभव नहीं !!

अब सबसे महत्वपूर्ण सवाल है की देश के आम नागरिक पर ---इन घोटालो का क्या प्रभाव पड़ा है ?? एक अनुमान के अनुसार प्रत्येक भारतीय पर औसत रूप से 8000 का बोझ पड़ा है ! यह सरकार के सार्वजनिक ऋणों की राशि से अलग है ---जो सरकार बांड के रूप मे जनता से उगाहती है !!!
इसलिए आजकल जो लोग कह रहे है की "”यह तो बड़े आदमियो का मामला है इससे हमारे ऊपर क्या फर्क पड़ेगा ??? परंतु हक़ीक़त यह है की देश के करोड़ो लोगो से कर लगा कर इस नुकसान की भरपाई की जाती है | अब यह मामला मात्र "”कुछ लोगो तक सीमित नहीं है "” जैसी आम लोगो की धारणा है |

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