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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jan 25, 2024

 

 

इतिहास  दुहराया जा रहा है – सब कुछ लिखा जाएगा

प्लासी और बक्सर  से ही देश  की आज़ादी गयी थी !

     ईस्ट इंडिया कंपनी  व्यापारिक संगठन से शासक  बनने की प्रक्रिया बंगाल  में  हुए प्लासी के युद्ध से प्रारम्भ हुई थी जब वारेन हेस्टिंग्स  ने शुजौदौल्ला , बंगाल के नवाब को पराजित कर , मीर जाफ़र  को गद्दी दी थी  और बदले उसने बंगाल  सूबेदारी सम्हाली थी | बाद में  बक्सर में भी  कंपनी ने बिहार के राजा को हरा  कर शासन करने  का हक़ ले लिया था !  आज  बंगाल ने फिर  एक बार फिर  बीजेपी और आरएसएस के  संगठन के वीरुध  विरोधी दलो के संगठन INDIA से बाहर जाने और अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा  मुख्य मंत्री ममता बैनरजी ने की है | उनका कथन महात्वौर्ण इसलिए हो जाता है –क्यूंकी उन्होने कहा “” देश में क्या हो रहा ,उससे उन्हे कोई मतलब नहीं है “” ! ईटा ही नहीं उन्होने कहा की त्रणमूल  कांग्रेस्स  सेकुलर { धरम निरपेक्ष } पार्टी है वह बंगाल मे अकेले ही लड़ेगी | इतना ही नहीं उन्होने  काँग्रेस पर  बीजेपी से मिले होने और उसकी मदद करने का आरोप लगाया है !!  समझा जा रहा की यह बयान उन्होने अपनी पार्टी के लोगो पर  इंफोर्समेंट  डिरेक्टोरेट  की कारवाई  से भयभीत हो कर  दिया है | जैसा की बसपा  की नेता मायावती के साथ  मोदी सरकारा कर रही है | उनकी जांच की कारवाई  को शुरू करके  उसे चालू रखा है –पर  कोई कारवाई अभी तक नहीं की है !  उधर बिहार के मुख्य मंत्री नितीश  कुमार द्वरा  लालू की पार्टी आरएलडी  के साथ साझा सरकार  चलाने के बावजूद  -उन्होने परिवरवादी पार्टियो  की आलोचना की है | जो की प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी  की लाइन है , जो वे काँग्रेस  और  उन पार्टियो को निशाना बनाने के लिए करते रहते है | इतिफाक से बक्सर  बिहार में ही पड़ता है |  नीतीश कुमार द्वरा समाजवादी नेता करपुरी ठाकुर  की 100 जयंती  पर उन्होने  उनका सम्मान  किए जाने की बात काही थी | उसके दूसरे ही दिन  मोदी सरकार ने ठाकुर को देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न देने की  घोषणा कर दी | तत्काल ही नीतीश ने  केंद्र कए फैसले  का स्वागत करते हुए अपनी पीड़ा भी बयान कर दी की प्रधान मंत्री ने करपुरी जी  के पुत्र रामेस्वर ठाकुर से  बात की पर मुझसे नहीं की !  उसी सांस में उन्होने कहा की कर्पूरी ठाकुर  ने परिवरवादी राजनीति नहीं की थी | उन्होने पिछड़े वर्ग की भलाई के लिए शिक्षा  और रोजगार के  अनेक फैसले  लिए थे |

 

          जो भी हो पर अब लगता है की  बंगाल – बिहार और पंजाब  में सत्ता धारी  दल   ईवी एम  और संघ से लैस  नरेंद्र मोदी के नेत्रत्व से  खुद ही लड़ना चाहते है ! हालांकि इस चुनावी लड़ाई  का परिणाम  क्या होगा , वह  किसी का भी अंदाज़ हो सकता है | परंतु इनके नेताओ के “” अहम”  इन्हे एक साथ आने से रोक रहे है | त्राणमूल – आर जे डी और आम आदमी पार्टी  का यह निर्णय 2024 के संसदीय चुनावो की  पटकथा  लिख दी है |

            अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन  का जिस पैमाने  पर प्रचार बीजेपी सरकारो द्वरा किया गया है -  वह उत्तर भारत मे  काफी कुछ महत्वपूर्ण है | अब इसका फाइदा  आरएसएस संगठन  के लोग बीजेपी और मोदी को भगवान स्वरूप  बताने मे करेंगे |  हमारा देश एक धर्म भीरु लोगो का देश है --- आरएसएस और विहिप  द्वरा अयोध्या के बाद वाराणसी और मथुरा  की मस्जिदों को निशाना बनाने  की तरकीब  सामाजिक माहौल  को अभी भी गरम  रखे है | सनातनियो  और इस्लाम  के बंदो के बीच गुस्सा और  नफरत  का वातावरण  बन रहा है |  अब 2024 में किस शक्ति की सरकार बनती है  यह तय करेगा की  देश में संविधान और कानून का राज्य होगा अथवा “””  सरकार में बैठे लोगो की झक  से शासन होगा ? क्यूंकी जिस तरह से विरोधी डालो के नेताओ और उनके परिवार जनो को ईडी  छापे मार्कर और  पूछताछ के बहाने घंटो – घंटो  अपने दफ्तर में बैठाये रखती  है , वह सरकार का डर और उन्हे उनकी हैसियत  बताने का जरिया बन गया है |  अफसोस तो यह है की राज्यो के उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायलाय  भी व्यक्ति की स्वतन्त्रता  को सुरक्शित नहीं रखा पा रहे है | ----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

 

बॉक्स

  राम मंदिर में मूर्ति स्थापना को लेकर  जो विवाद किया जा रहा है वह सनातन धर्म के लोगो की छूइनता का विषय बन गया है |  आदिगुरु द्वरा स्थापित  चार शंकराचराय मठो  के शंकराचार्यों  ने  समय और  कर्मकांड को लेकर आपति की थी | उनकी आपति थी की भारतीय कलेंडर के अनुसार “”पौष “” मास में कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है |  परंतु विश्व हिन्दू परिषद से जुड़े गोविंद गिरि जी ने  बनारस के गणेस्वर शास्त्री  , जो की ज्योतिष के विद्वान बताए जाते है , उनके अनुसार  सूर्य के मकर राशि में जाने से पौष मास की वर्जना “”समाप्त “” हो जाती है !! यद्यपि अनय ज्योतिष के जानकार उनके  इस कथन से असहमत  है | उनके अनुसार यह तर्क तो इस निसिद्ध मास को भी शुभ और सही बना देता है , जो की सही नहीं है |

     उधर ज्योतिष मठ के शंकरचरी अविमुक्ता नन्द जी और पूरी के शंकराचार्य  निश्चला नन्द जी ने भी  मूर्ति प्रतिस्ठा के मुहूर्त और  उससे संबन्धित कर्मकांड प्रक्रिया  को अशुद्ध  बताया है |  उन्होने इस आयोजन से  शंकरचार्यों  को अकेले आने के निम्न्त्रन  को  असम्मान  बताया , उन्होने कहा की देश के सर्वाधिक प्राचीन और  सनातन धरम  की पुनः स्थापना करने वाले आदिगुरु की परंपरा  का अपमान है – की सरकार धार्मिक छेत्र में इस प्रकार  हस्तकचेप  करके  सरकार ने अमर्यादित आचरण किया है | यह सब को मालूम है की आरएसएस द्वरा शंकरचार्यों  को  अपने खेमे में लाने के कुत्सित प्रयासो  को जब सफलता नहीं मिली , तब देश मे जगह – जगह  स्व्यंभू  शंकराचार्य  पैदा हो गए मध्य प्रदेश में ही दो है |  इसी प्रकार मंडलेसवार  और अन्य रूपो मे अनेक भगवा धारी  मिल जाएंगे | पतंजलि के भगवादधारी भी इसी श्रेणी में है | जबकि शंकरचार्यों  के लिए “” गुरु से दीक्षित होना और धरम दंड  का धरण करने वाला होना अनिवार्य है | इन कमंडल धारियो  साधो की भीड़ को ही संघ “” संत”  बताता है | अब इससे बड़ा और उफस क्या होगा की  जेल मे बंद  आशा राम और राम रहीम  जैसे लोग भी इनके यानहा संत बने हुए है |

लेकिन जब भी इतिहास मे ज़िक्र होगा तो शंकरचार्यों  के अपमान  का भी जिक्र होगा ----- जो ना मुगलो के जमाने हुआ और ना ही अंग्रेज़ो  के शासन कल मे हुआ ,जैसा मोदी सरकार  में हुआ !!!!!!