सवाल भगवा
पर
प्रियंका
के सवाल से भगवा धारियो की
तिलमिलाहट उनके अध्यातम पर
??
लखनऊ
में कांग्रेस महासचिव प्रियंका
द्वरा मुख्यमंत्री योगी
आदित्यनाथ के चोले में करुणा
के अभाव के बयान को लेकर नेताओ
जो तिलमिलाहट भगवा धारियो
ने व्यक्त की हैं ,
वह
स्पष्ट रूप से उनके "संयम
और ज्ञान को उजागर करता हैं
"”
! वह
किसी राजनीतिक दल के प्रतिबद्ध
कार्यकर्ताओ जैसी ही लगती
हैं |
सबसे
आपतिजनक और अमर्यादित बयान
अपने को जगद्गुरू कहलाने वाले
चित्रकूट वासी राम भद्राचार्य
का हैं ----
उन्होए
अपने बयान में कहा हैं की "”
जिस
प्रकार प्रियंका गांधी "””
मारे
गए दंगाइयो क घर जाकर उन्हे
शाहीद बता रही हैं --उस
अनुसार उन्हे वनहा जाकर खुद
सहीद हो जाना चाहिए !!””
इन
दिव्यांध भगवधारी का यह आचरण
वैसा ही हैं जैसा महाभारत में
"”
ध्रतराष्ट्र
ने किया था ---जो
सती को जानते हुए भी पुत्रमोह
में अन्याय का समर्थन करते
रहे -----परिणाम
उनका सर्वनाश ही हुआ !!
दूसरा
बयान केंदीय मंत्र इन्दिरा
ज्योति का आया है -जिसमे
उन्होने कहा की "”
प्रियंका
को सलाह दी हैं की वे महतमा
गांधी के नाम का उपयोग ना करे
और अपने नाम में अपनी असली
पहचान प्रियंका फिरोज लिखे
!! अब
इन भगवा धारियो को सनातन परंपरा
का इतना भी ज्ञान नहीं की –
स्त्री अपने नाम में पिता
या पति का सरनेम लगती हैं !
फिरोज
गांधी प्रियंका के बाबा थे
-पिता
नहीं !
योगी
आदित्यनाथ ने प्रियंका के
जवाब में ट्वीट करके लिखा था
की "””
सन्यासी
के लोक कल्याण के यज्ञ में जो
कोई भी बढ़ा डालेगा -वह
दंडित होगा !!
उनके
जवाब को तथ्य और नियमो की कसौटी
पर पारखे तो – अनेक सवाल उठते
हैं
1-- वेदिक
धरम में कनफ़ट्वा संप्रदाय
के मठ के अधिपति आदित्य नाथ
यह नहीं स्पष्ट किया की वे
"”
राजसूय
"”
अथवा
अश्वमेघ "”
यज्ञ
कर रहे हैं !
जिससे
उत्तर प्रदेश ए वासियो का
कल्याण हो रहा हैं ?
क्या
इसी यज्ञ में गैर हिन्दुओ की
पोलिस द्वरा "’बलि
"”
चड़ाई
जा रही हैं ?
यज्ञ
में ब्रम्हा भी वे ही है और
होता भी स्वयं तथा यजमान तथा
ऋत्विक भी स्वयं हैं !
2--- आदित्यनाथ
जी वेदिक धर्म में एक भी ऐसा
उदाहरण नहीं दिखा सकेंगे जनहा
भगवा धारी राज सिंहासन से
शासन किया हो !!!
हाँ
सिंहासन त्याग कर भगवा वस्त्र
धरण करने की मिसाल है ----
गधि
राज विश्वामित्र ने सन्यास
के लिए राज सिंहासन का त्याग
किया !
जैन
धर्म के प्रवर्तक महावीर
स्वामी ने भी राज -पाट
त्याग कर सन्यास लिया था |
शांतनु
पुत्र सिद्धार्थ ने भी लिच्छवि
साम्राज्य का सिंहासन त्याग
कर बौद्ध धर्म चलाया !
3--- अब
भगवाधारियों के अनेक संगठन
हैं – आखाडा परिषद भी उनमें
एक हैं |
जो
व्भिन्न सम्प्रदायो के प्रमुखो
के बारे में निर्णायक होती
हैं |
वैसे
देश में अनेक सम्प्रदायो के
मठ -
मंदिर
हैं जो स्वतंत्र रूप से नियमन
करते हैं |
परंतु
आखाडा परिषद "”
भग्व्धारियों
को मंडलेश्वर या महा मंडलेश्वर
की उपाधि प्रदान करती हैं ---
अब
यह बात और हैं इन साधुओ के शरीर
पर सेरो सोना और सेवा के लिए
परिचरकाए होती हैं |
– इस
संगठन ने भी प्रियंका द्वरा
भगवा का "”धरम
"”
बताने
पर एतराज़ किया हैं |
उनके
अनुसार वे सर्वज्ञ हैं !!!
4- – आरएसएस
से भारतीय जनता पार्टी में
प्रवेश लेने वाले राम माधव
ने भी कहा ---हमे
धर्म और संसक्राति के बारे
में कांग्रेस्स से सलाह नहीं
लेनी हैं !!!!
क्योंकि
वे भी सर्वज्ञ हैं !
अब
इन तथ्यो को प्रियंका की टिप्पणी
से जोड़ कर देखे ,
उन्होने
यही कहा था "””
भगवा
योगी जी का नहीं वह हमारी भारत
की सनस्क्र्ति का भाग है ,
उसमें
करुणा है -
दया
है ,
उस
में बदले की भावना या रंज का
स्थान नहीं हैं |
क्या
गलत कहा -!
वर्तमान
वेदिक धर्म के पुनरुधार करने
वाले आदि गुरु शंकराचार्य ने
अपने उन नंबुदरी ब्रांहनों
को भी छ्मा किया --जिनहोने
उन्हे अपनी माता का दाह संस्कार
करने के लिए शमसान में जगह
नहीं दी थी ---तब
आदि गुरु ने अपने घर में चिता
बनाकर घर में आग लगाकर मुखाग्नि
दी थी !
यद्यपि
उन्होने भी सन्यासी धर्म के
वीरुध आचरण किया था ---
नियम
हैं की भगवा धारी सन्यासी
पवित्र और अपवित्र सुटको
में भाग नहीं लेगा और ना खुद
करेगा -बाद
में उन्होने इसके लिए प्रायश्चित
भी किया !
आदित्यनाथ
जी ने कहा की विरासत की राजनीति
करने वाले लोक कल्याण की
राजनीति क्या जाने !!
अब
यह भासन वह व्यक्ति दे रहा जो
खुद ----
अपने
गुरु से नामित हैं !!
उसे
वीरासत में ही गोरखनाथ मठ की
गद्दी मिली है |
वे
चुने हुए मठ के अधिपति नहीं
हैं ----
इसे
कहते हैं सूप तो सूप चलनी भी
बोले जिसमें बहतर छेद !!
रही
बात प्रियंका के परिवार की
कुर्बानी की ---
तो
इस परिवार में प्रियंका के
पिता राजीव गांधी किसी फ़ौजदारी
के मुकदमें में अपराधी नहीं
थे -जैसा
की योगी जी है ,
जिनहोने
अपने वीरुध दायर मुकदमें
वापस लेने के लिए खुद ही आदेश
निकाल दिया |
राजीव
गांधी आतताईयो के बम के शिकार
हुए थे -----
योगी
जी के विरुद्ध मुकदमें तो
दूसरों को हानी पाहुचने के
लिए हैं |
जिसने
देशके लिए एक बूंद रक्त भी
नहीं दिया -वह
प्रियंका गांधी वादरा को
सिखयेंगे लोक कल्याण ?
दरअसल
बीजेपी के एजेंडे को भांति
- भांति
रूप के सन्यासी प्रचार कर रहे
हैं ----
जगतगुरु
राम भद्राचर्या और सद्गुरु
जी भी अपना अध्यातम और भक्ति
भाव छोड़ कर राष्ट्रीय नागरिक
रजिस्टर और नागरिक {संशोधन
} अधिनियम
के विरोधियो को उपदेश देने
लग गए हैं |
लगता
हैं की प्रधान मंत्री नरेंद्र
मोदी की हफतावरी मन की बात
मनोनुकूल प्रभाव नहीं दे रही
हैं |
इसलिए
इन स्वयंभू "”
जगतगुरु
"”
और
"”सद्गुरु
"”
को
आन्दोलन्कारियों की लानत -
मलनत
करने की सुपड़ी दी हैं |