Bhartiyam Logo

All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Oct 25, 2013

बॉम्बे पिंजरपोल धर्मार्थ संस्था ,--जहा कतार लगा कर चंदा देते हैं गौ माता के लिए

                  बॉम्बे  पिंजरपोल  धर्मार्थ  संस्था  ,--जहा कतार लगा कर चंदा देते हैं  गौ माता के लिए
   Bombay Pinjarpol  a parsi institution where  --Hindu  wait in Q to deposit donation
             
                             रीवा के एक ब्लॉक  मे सौ से अधिक गाय भूखी और बीमारी से मर गयी , यह बात बीते 1अठारह  अक्टोबर  की हैं , जो की  अखबारो के माध्यम से  बहुत बाद प्रकाश मे आई | कुछ तो चुनाव और कुछ ऐसी घटनाओ के प्रति ''' सेलेक्टिव""" नकारने का दृष्टि कोण |  फिर भी  यही घटना कुछ एक ''हिंदुवादी संगठनो ''' के लिए उत्तेजना का कारण बनती ---अगर इसमे कोई ''गैर हिन्दू''' संबन्धित होता | अब ट्रक मे कसाई खाने ले जाने वाले गौ को छुड़ाने का ''पुण्य ''' तो कुछ रण-बांकुरे """लेते , परंतु ऐसा हो न सका क्योंकि ''जय  बसामान  मामा गौशाला समिति ,एक नेता की हैं ,वह भी सत्तारूद दल के , बाद मे जब मृत  पशुओ  से बदबू आने लगी और निकट मे बहने वाले नाले मे उनके शवो को पटक दिया गया , तब गाओन वालों ने हँगामा किया | जिस पर बाध्य होकर ज़िला प्रशासन ने  अदूयकश  योगराज सिंह समेत 20 लोगो के वीरुध मुकदमा कायम किया | परंतु किन धाराओ के अंतर्गत यह पुलिस बताने से गुरेज कर रही हैं |

                                                                यह स्वयंसेवी  संस्था  पिछले छह  वर्षो से शासन द्वारा आवंटित भूमि पर गौशाला चला रही हैं | प्रति वर्ष इसे हजारो रुपयो का अनुदान सरकार से मिलता हैं | फिर भी यानहा गौ माता ''भूख और बीमारी --कुपोषण''' से  मरती हैं | क्योंकि अनुदान और चारा  के पैसा  तो ''नेताजी '' के और उनके सहयोगीयो के पेट मे चली जाती हैं |

                                                              इसके मुक़ाबले मुंबई  मे पारसियों  की एक धर्मार्थ  संस्था हैं  कोवास जी रोड पर ''जिसका नाम हैं  बॉम्बे पिंजारपोल'' , यह संस्था  संभवतः एकमात्र हैं जो किसी व्यसायिक  अथवा लाभ के लिए नहीं चलायी जा रही हैं | यहा  गायों को रखा जाता हैं -- उनकी उचित देख भाल की जाती हैं , उनके लिए डॉक्टर हैं और उनसे मिलने वाला दूध को संभवतः  मुंबई मे सबसे मनहंगा  होता हैं | और यानहा का दूध पाने के लिए कार्ड बनते हैं --जो की सीमित संख्या मे होते हैं | परंतु यह आलेख  का उद्देस्य यह नहीं हैं -वरन यानहा पर मारवाड़ी  और गुजराती  सेठो  और उनकी पत्नियों को  पूर्णमासी और अन्य पर्वो पर यहा  लाइन लगा कर  ''चारे के लिए हजारो का चंदा देते हैं """ | सवाल हैं ऐसा किसी  तथा कथित किसी'"""' हिन्दू'''गौशाला मे क्यों नहीं होता ?  शायद यह पारसी  सज्जनों की """ईमानदारी और निष्ठा """ ही हैं जो गौ माता के प्रेमियो को बाध्य करती हैं ---अंशदान  देने के लिए || क्योंकि यंहा के प्रबन्धको  पर लोगो का विश्वास हैं की वे चारे का पैसा """हजम""" नहीं करेंगे |  मैं ऐसे  गैर हिन्दू  संस्था और उसके प्रबन्धको को शीस  झुकाता  हूँ |