बॉम्बे पिंजरपोल धर्मार्थ संस्था ,--जहा कतार लगा कर चंदा देते हैं गौ माता के लिए
Bombay Pinjarpol a parsi institution where --Hindu wait in Q to deposit donation
रीवा के एक ब्लॉक मे सौ से अधिक गाय भूखी और बीमारी से मर गयी , यह बात बीते 1अठारह अक्टोबर की हैं , जो की अखबारो के माध्यम से बहुत बाद प्रकाश मे आई | कुछ तो चुनाव और कुछ ऐसी घटनाओ के प्रति ''' सेलेक्टिव""" नकारने का दृष्टि कोण | फिर भी यही घटना कुछ एक ''हिंदुवादी संगठनो ''' के लिए उत्तेजना का कारण बनती ---अगर इसमे कोई ''गैर हिन्दू''' संबन्धित होता | अब ट्रक मे कसाई खाने ले जाने वाले गौ को छुड़ाने का ''पुण्य ''' तो कुछ रण-बांकुरे """लेते , परंतु ऐसा हो न सका क्योंकि ''जय बसामान मामा गौशाला समिति ,एक नेता की हैं ,वह भी सत्तारूद दल के , बाद मे जब मृत पशुओ से बदबू आने लगी और निकट मे बहने वाले नाले मे उनके शवो को पटक दिया गया , तब गाओन वालों ने हँगामा किया | जिस पर बाध्य होकर ज़िला प्रशासन ने अदूयकश योगराज सिंह समेत 20 लोगो के वीरुध मुकदमा कायम किया | परंतु किन धाराओ के अंतर्गत यह पुलिस बताने से गुरेज कर रही हैं |
यह स्वयंसेवी संस्था पिछले छह वर्षो से शासन द्वारा आवंटित भूमि पर गौशाला चला रही हैं | प्रति वर्ष इसे हजारो रुपयो का अनुदान सरकार से मिलता हैं | फिर भी यानहा गौ माता ''भूख और बीमारी --कुपोषण''' से मरती हैं | क्योंकि अनुदान और चारा के पैसा तो ''नेताजी '' के और उनके सहयोगीयो के पेट मे चली जाती हैं |
इसके मुक़ाबले मुंबई मे पारसियों की एक धर्मार्थ संस्था हैं कोवास जी रोड पर ''जिसका नाम हैं बॉम्बे पिंजारपोल'' , यह संस्था संभवतः एकमात्र हैं जो किसी व्यसायिक अथवा लाभ के लिए नहीं चलायी जा रही हैं | यहा गायों को रखा जाता हैं -- उनकी उचित देख भाल की जाती हैं , उनके लिए डॉक्टर हैं और उनसे मिलने वाला दूध को संभवतः मुंबई मे सबसे मनहंगा होता हैं | और यानहा का दूध पाने के लिए कार्ड बनते हैं --जो की सीमित संख्या मे होते हैं | परंतु यह आलेख का उद्देस्य यह नहीं हैं -वरन यानहा पर मारवाड़ी और गुजराती सेठो और उनकी पत्नियों को पूर्णमासी और अन्य पर्वो पर यहा लाइन लगा कर ''चारे के लिए हजारो का चंदा देते हैं """ | सवाल हैं ऐसा किसी तथा कथित किसी'"""' हिन्दू'''गौशाला मे क्यों नहीं होता ? शायद यह पारसी सज्जनों की """ईमानदारी और निष्ठा """ ही हैं जो गौ माता के प्रेमियो को बाध्य करती हैं ---अंशदान देने के लिए || क्योंकि यंहा के प्रबन्धको पर लोगो का विश्वास हैं की वे चारे का पैसा """हजम""" नहीं करेंगे | मैं ऐसे गैर हिन्दू संस्था और उसके प्रबन्धको को शीस झुकाता हूँ |
Bombay Pinjarpol a parsi institution where --Hindu wait in Q to deposit donation
रीवा के एक ब्लॉक मे सौ से अधिक गाय भूखी और बीमारी से मर गयी , यह बात बीते 1अठारह अक्टोबर की हैं , जो की अखबारो के माध्यम से बहुत बाद प्रकाश मे आई | कुछ तो चुनाव और कुछ ऐसी घटनाओ के प्रति ''' सेलेक्टिव""" नकारने का दृष्टि कोण | फिर भी यही घटना कुछ एक ''हिंदुवादी संगठनो ''' के लिए उत्तेजना का कारण बनती ---अगर इसमे कोई ''गैर हिन्दू''' संबन्धित होता | अब ट्रक मे कसाई खाने ले जाने वाले गौ को छुड़ाने का ''पुण्य ''' तो कुछ रण-बांकुरे """लेते , परंतु ऐसा हो न सका क्योंकि ''जय बसामान मामा गौशाला समिति ,एक नेता की हैं ,वह भी सत्तारूद दल के , बाद मे जब मृत पशुओ से बदबू आने लगी और निकट मे बहने वाले नाले मे उनके शवो को पटक दिया गया , तब गाओन वालों ने हँगामा किया | जिस पर बाध्य होकर ज़िला प्रशासन ने अदूयकश योगराज सिंह समेत 20 लोगो के वीरुध मुकदमा कायम किया | परंतु किन धाराओ के अंतर्गत यह पुलिस बताने से गुरेज कर रही हैं |
यह स्वयंसेवी संस्था पिछले छह वर्षो से शासन द्वारा आवंटित भूमि पर गौशाला चला रही हैं | प्रति वर्ष इसे हजारो रुपयो का अनुदान सरकार से मिलता हैं | फिर भी यानहा गौ माता ''भूख और बीमारी --कुपोषण''' से मरती हैं | क्योंकि अनुदान और चारा के पैसा तो ''नेताजी '' के और उनके सहयोगीयो के पेट मे चली जाती हैं |
इसके मुक़ाबले मुंबई मे पारसियों की एक धर्मार्थ संस्था हैं कोवास जी रोड पर ''जिसका नाम हैं बॉम्बे पिंजारपोल'' , यह संस्था संभवतः एकमात्र हैं जो किसी व्यसायिक अथवा लाभ के लिए नहीं चलायी जा रही हैं | यहा गायों को रखा जाता हैं -- उनकी उचित देख भाल की जाती हैं , उनके लिए डॉक्टर हैं और उनसे मिलने वाला दूध को संभवतः मुंबई मे सबसे मनहंगा होता हैं | और यानहा का दूध पाने के लिए कार्ड बनते हैं --जो की सीमित संख्या मे होते हैं | परंतु यह आलेख का उद्देस्य यह नहीं हैं -वरन यानहा पर मारवाड़ी और गुजराती सेठो और उनकी पत्नियों को पूर्णमासी और अन्य पर्वो पर यहा लाइन लगा कर ''चारे के लिए हजारो का चंदा देते हैं """ | सवाल हैं ऐसा किसी तथा कथित किसी'"""' हिन्दू'''गौशाला मे क्यों नहीं होता ? शायद यह पारसी सज्जनों की """ईमानदारी और निष्ठा """ ही हैं जो गौ माता के प्रेमियो को बाध्य करती हैं ---अंशदान देने के लिए || क्योंकि यंहा के प्रबन्धको पर लोगो का विश्वास हैं की वे चारे का पैसा """हजम""" नहीं करेंगे | मैं ऐसे गैर हिन्दू संस्था और उसके प्रबन्धको को शीस झुकाता हूँ |