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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Sep 2, 2023

 

चुनाव सत्ता के लिए या मनमानी देव  के लिए !

एक देश एक चुनाव –सत्ता का रास्ता नहीं बन सकता ??

 

        नरेंद्र मोदी जी का नया शगूफा है , वे  हमेशा कुछ  बाजीगरी  के तिकड़म के अनुसार “” गेली  गेली  ...... ‘’ कर के जनता को भरमाते  रहे है ! पहले  उनके टीवी पर आगमन  के समय  जैसे ही “ भाइयो और बहनो कहते थे –लोग किसी अनिष्ट  की आशंका से भर जाते थे !!  पर उनकी पार्टी के मीडिया सेल द्वरा  आमजन की दहशत  को देखते हुए  उन्होने अब नया “” मेरे देश के परिवार जनो “” से अपना भाषण शुरू करते है ! विपक्षी दलो के  गठबंधन  “” आई एन डी आई ए””  यानि इंडिया  की बैठको के बाद  उनके सम्बोधन में यह  परिवर्तन आया है |

   वैसे बीजेपी और आरएसएस की युति  हमेशा अपने लश्कर को  समाज परिवर्तन  के नाम पर हमेशा  देवी – देवताओ के नाम पर स्थानीय आयोजनो में  हमेशा घुसपैठ  करते रहे है –वित्तीय साधनो और बजरंगी  तत्वो के द्वरा | ढ़ोल – धमाका  और डी जे बाबू  इनके मुख्य हथियार होते है | इनके  ऐसे कार्यक्रमों में जय श्री राम का नारा  बीच बीच मे लगता रहता है , यह बताने के लिए की वे किस के समर्थन में है |  इस समय जब मणिपुर में ईसाई कुकी  को हिन्दू मैतेई   बहुसंख्यकों द्वरा  प्रताड़ित किया जा रहा है –और केंद्र सरकार वनहा की बीजेपी की विरेन सिंह सरकार  को “” बचाने में लगी हो “  ऐसे में दूसरे बीजेपी शासित हरियाणा  में बजरंगियों और विश्व हिन्दू परिषद के लोगो द्वरा  मुसलमानो के घर जलाने संपती को हानी पाहुचने – के आयोजन में  हरियाणा और पंजाब उच्च न्यायालय  द्वरा  प्रशासन से दंगे में गिरफ्तार और नुकसान की रिपोर्ट के आदेश से ----  सत्ता  इतनी घबरा गयी की उसने हाइ कोर्ट  की उस बेंच  से यह मामला  मुख्य न्यायाधिपति की बेंच में ट्रान्सफर कर दिया !!  अब यह  साफ करता है की --- सत्ता कितनी घबराहट में है | कुछ ऐसा ही सुप्रीम कोर्ट में मनीपूर के मामले में हुआ था , जब केंद्र सरकार हिल गयी थी |

                       हिमांचल  और कर्नाटक में  विधान सभा चुनावो में सत्ताधारी पार्टी की  करारी हार से मोदी –शाह का आत्मविश्वास   डगमगा गया है ! इसीलिए मध्य प्रदेश  के विधान सभा चुनावो में  इन दोनों नेताओ ने स्थानीय नेत्रत्व  के स्थान पर केंद्र के अपने “” आजमाए हाथो को “  प्रदेश में तैनात कर दिया है | जिस शिवराज सिंह ने विगत चार चुनावो में पार्टी की सरकार बनाई  “”” आज वे भी  संदेह के घेरे में है “”  इसी लिए   मोदी के छ्त्रप   नरेंद्र सिंह तोमर  को यानहा की कमान दे डी है , जिनहोने यह साफ कर दिया की पार्टी का मुख्यमंत्री का चेहरा   “”दिल्ली  तय करेगा “ !!!!

              आज आलम यह है की नरेंद्र मोदी ने जैसे “वन मन आर्मी “” के रूप में  विगत  9 नौ वर्षो से सरकार और पार्टी चला रहे थे ----- अब उस स्थिति में दरार आ गयी है |  जिसका उदाहरण  है  की लोग अब उन्हे  “ ना तो सिकंदर मान रहे है ना ही  चुनावी विजय के लिए “” मैसकाट “” | इस स्थिति ने उन्हे एन डी ए का सहारा लेने पर मजबूर किया | क्यूंकी केवल मोदी का नाम  “” जमीन पर ‘’  चुनाव नहीं जीता सकता है , यह सचाई  इंडिया   गठबंधन के बाद उभर कर आई है |

      

 बॉक्स

    मोदी की चुनावी रणनीति :--- नरेंद्र मोदी की  चुनावी  रणनीति   का प्रारम्भ  निर्वाचन कार्यक्रम के पहले से ही शुरू हो जाती है ---- वे उस इलाके के संभावित विपक्षी उम्मीदवार की कमजोरी के साथ उसे बदनाम  करने के मुद्दे  भी खोजते है | अगर इतने पर भी  उनके उम्मीदवार की विजय निश्चित ना हो ---तब  वे अपनी सरकारी एजेंसियो को उसके खिलाफ लगा देते है | वे यह सब गुजरात के मुख्य मंत्री के समय से करते आ रहे है |  अपने विरोधियो को झूठे –सच्चे  मुकदमे में फंसा कर  जेल भेज दिया जाता है |  इस तथ्य के कई उदाहरण है |

     केंद्र में सरकार बनने  के बाद भी उन्होने यही  कार्यक्रम  जारी रखा |  सभी विरोधी दलो के नेताओ  को , जो उनकी बंदरघुड्की  से नहीं डरते ---उनको  सीबीआई और ईडी  के अफसरो  के  छापा  झेलना पड़ता है | मोदी काल मैं  यह उदाहरण  बहुतायत  देखने को मिला |   अब  बात करते है  मोदी जी की चुनावी रणनीति की :-  पहले  इलाके के  बाहुबली को  अपना उम्मीदवार बनाना  , उन्हे ना तो आरएसएस की आपतियों अथवा पार्टी की छवी  की उन्हे कोई परवाह नहीं होती |  मुख्यमंत्री के रूप में  गुजरात  में  ना तो आरएसएस की सिफारिस चली ना ही  बीजेपी हाइ कमान  की सिफ़ारिश  चली |यानहा तक की उन्होने पार्टी के संसदीय  दल  की लिस्ट को नकार कर अपने उम्मीदवार  घोषित  कर दिया  , बाद में पार्टी हाइ कमान को अपनी लिस्ट वापस लेनी पड़ी थी |

                अब आते है अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए उनकी  तिकड़मों की ---- विपक्षी उम्मीदवार को बदनाम करने अथवा किसी आपराधिक मामले मे फंसा देने की कोशिस के बाद , वे मतदान केन्द्रो और  ईवी एम  को “” ठीक “” करने की तरकीब लगते है | वैसे प्रधान मंत्री बनने के बाद केंद्रीय चुनाव  आयोग   तो उनकी निगाह की ओर देखता है |  इसीलिए  सिर्फ गैर बीजेपी दलो की गाड़ियो की तलाशी होती है , उनके ही लोग शांति भंग के लिए पकड़े जाते है | प्रधान मंत्री के हवाई जहाज की तलाशी लेने वाले आई ए एस  अफसर को तुरंत  अपनी ड्यूटी करने के कारण  हटा दिया गया | नियमतः  दलीय प्रचार के लिए आने वाले सभी वाहनो की जांच चुनाव आयोग द्वरा नियुक्त आधिकारी  कर सकते है ---- यह काले धन के निर्वाचन में उपयोग को रोकने के लिए होता है |

 

       इस संदर्भ  में  यह तथ्य  याद रखने का है –की  बीजेपी को चुनवी बॉन्ड और औद्योगिक घरानो से चंदे के रूप में जितनी धन राशि मिली है --- वह कुल ऐसी राशि का आधा है !!!   निर्वाचन आयोग का पक्षपात कहे या कुछ और  की बीजेपी की गाड़ियो या उनके उम्मीदवारों  से कोई भी “” काला धन “” नहीं बरामद हुआ !!!  चुनावी दंगो में अपने कार्यकर्ता के मारे जाने का सबसे ज्यादा शोर मचाते है ! जैसे बेईमान के रूप में  कोई राजनीतिक नेता के खिलाफ  कितने ही मुक्दमे हो , परंतु जैसे ही  वह बीजेपी में शामिल होता है – वैसे ही उसके खिलाफ चल रही कारवाई  रुक जाती है |  महाराष्ट्र के उप मुख्य मंत्री अजित पँवार का मामला सामने है --- कल तक जिनके वीरुध सहकारी मिल बेचने के मामले में  ईडी की जांच हो रही थी ---- उस एजेंसी ने चार्जशीत  से उनका और उनकी पत्नी का नाम “”” आरोपियों  की लिस्ट से निकाल दिया है |   यह है ----मोदी जी की पार्टी में जाने का फायदा – आपको जांच एजेंसियो की प्रताड़ना  से मुक्ति  , बस इसी का भय  दिखा कर विरोधियों  को तोड़ा जाता है |